मैं अपने पति के साथ मौल में शौपिंग करने गई थी. शौपिंग करने के बाद हमें पति के मित्र और उन की पत्नी से भी मिलना था जिन्हें मैं ने पहले कभी देखा नहीं था. एक शौप में मैं ने 2 टीशर्ट छांट कर अपने पति को दीं.
मेरे पति अपना मोबाइल फोन पकड़ा कर ट्रायलरूम में जाने लगे तभी मुझे अचानक एक जरूरी काम याद आ गया. मैं ने कहा, ‘‘आप जब तक टीशर्ट
ट्राई कीजिए, मैं 10 मिनट में वापस आती हूं.’’
वापस आने पर दुकानदार ने बताया कि साहब तो टीशर्ट खरीद कर चले गए. मैं तुरंत बाहर निकल कर इन्हें ढूंढ़ने लगी पर ये कहीं दिखाई नहीं दिए. इन का मोबाइल फोन भी मेरे पास था. अचानक इन की आवाज सुनाई पड़ी, देखा तो ये अपने मित्र और उन की पत्नी के साथ खड़े थे.
मेरी ओर गुस्से से देख पूछा, ‘‘इतनी देर तक कौन सा काम कर रही थीं?’’
मैं इन के प्रश्नों का जवाब देती इस के पहले ही मेरी नजर इन की टीशर्ट पर पड़ी तो सारा माजरा समझ में आ गया. असल में इन्होंने जब नई टीशर्ट ट्राई की तो वह इन्हें इतनी भा गई कि वे उसे ही पहन कर दुकान से बाहर आ गए और अपनी पुरानी टीशर्ट पैक करवा दी. जबकि मैं इन्हें पुरानी टीशर्ट में ढूंढ़
रही थी. सारी बात जानने के बाद हम चारों खूब हंसे.
निभा सिन्हा, गया (बिहार)
मेरे पति की आदत है जब किसी सामान को ज्यादा लेना होगा तो बोलेंगे, ‘‘अच्छा, ‘दोचारछह’ ले ही लो.’’ हाल ही में हम लोग बाजार में बेटे की पैंटी लेने लगे. इस पर आदतानुसार ये बोल पड़े, ‘‘अच्छा, ‘दोचारछह’ पैंटी ले ही लो, जरूरत ही पड़ती है.’’
इन की बात सुन कर दुकानदार ने फट से दो नंबर, चार नंबर और छह नंबर की पैंटी पैक कर दीं. जब मैं ने पैकिंग देखी और उस के बारे में दुकानदार से पूछा तो वह बोला, आप ही ने तो कहा था. उस की बात सुन कर इन का मुंह देखने लायक था और मेरी हंसी नहीं रुक रही थी.
शालिनी बाजपेयी, चंडीगढ़ (पंजाब)