एक दिन चाची के घर पर एक साधु आया. अपनी आदत से मजबूर मेरी चाची झट से बाहर आईं और साधू को अपना हाथ दिखा कर अपना भविष्य पूछने लगीं. साधू ने चाची का हाथ देख कर उन को बताया कि उन के 2 बच्चे हैं. एक लड़का और एक लड़की. उन के पति शिक्षा विभाग में काम करते हैं इत्यादि. जो भी बातें साधू ने चाची को बताईं वे सब सही थीं. साधू महाराज ने ये सब बताने के बदले में चाची से 500 रुपए लिए.

इस घटना के कुछ दिनों बाद चाची की पड़ोसिन ने उन्हें बताया कि कुछ हफ्ते पहले उन के घर एक अधेड़ आदमी आया था जो चाची के बारे में उन से सारी जानकारी ले रहा था. उन्होंने उस आदमी को चाची के बारे सबकुछ सचसच बता दिया. यह सुन कर चाची को सारा मामला समझ में आ गया. हो न हो, ये अधेड़ आदमी वह साधू ही था जिस ने उन का हाथ देखा था और उन के बारे में सबकुछ बता कर दिनदहाड़े उन से 500 रुपए ऐंठ ले गया. अब चाची का चेहरा देखने लायक था.

सोनी दुबे

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मेरा ममेरा भाई इंद्रपाल, हाईकोर्ट के एक कार्य से इलाहाबाद गया था. महाकुंभ मेला का समय था. उस ने गंगा नदी के संगम घाट पर स्नान करना चाहा. वह संगम घाट जाने वाले अन्य स्नानार्थियों के साथ रेलवेस्टेशन से एक आटो में बैठ गया. सभी यात्री एकदूसरे से परिचय करने लगे. मेरे भाई ने बताया कि पहली बार लखनऊ से इलाहाबाद वह अकेले ही आया है.

आटो से उतर कर वह घाट के लिए पैदल जाते समय मन ही मन सोचविचार कर रहा था कि वह कहां अटैची रखेगा? कहांकैसे कपड़े उतार कर स्नान करेगा? तभी साथसाथ चल रहे एक युवक ने कहा, ‘‘भाईसाहब, आप भी अकेले हैं और मैं भी अकेला हूं. क्यों न हम दोनों बारीबारी एकएक कर के  स्नान कर लें. घाट पर काफी भीड़ देख अपनी समस्या का यह समाधान उसे अच्छा लगा औैर उस अपरिचित युवक के सुझाव पर सहमत हो गया.’’

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