60 वर्ष की आयु होने पर मैं सेवानिवृत्त हो गया. उस के 3 महीने बाद राज्य सरकार ने आधे वेतन 15 हजार रुपए मासिक पर मुझे पुनर्नियुक्ति प्रदान कर दी और मेरा पदस्थापन मेरे निवास स्थान अजमेर शहर से 100 किलोमीटर दूर मालपुरा में कर दिया.
इस आयु में भी मैं ने कड़ी मेहनत से नौकरी कर 6 माह में 90 हजार रुपए जमा कर लिए, जिस में से 85 हजार रुपए नकद ले कर मैं बैंक में जमा करवाने गया. किसी कारणवश बैंक ने पैसे खाते में जमा करने से इनकार कर दिया. मैं मायूस हो कर बैंक से बाहर निकल आया.

घर लौटने के लिए अपनी बाइक के हैंडिल पर पैसों का बैग लटका कर मैं बाइक स्टार्ट करने ही वाला था कि मेरी जेब में रखे मोबाइल पर किसी का फोन आ गया. मैं बातें करने में व्यस्त था कि तभी सामने से एक लड़का आया और बोला, ‘‘बाबूजी, आप की जेब से पैसे गिर गए हैं.’’

मैं ने देखा तो मेरे दाएं पैर के पास 10-10 के 3 नोट पड़े थे. मैं ने सोचा कि जेब से मोबाइल निकालते समय नोट मेरी जेब से गिर गए होंगे.

मेरी अक्ल पर पत्थर पड़ गए और उस लड़के की बातों में आ कर जैसे ही मैं उन नोटों को उठाने के लिए झुका और नोट जेब में रखने लगा तभी मेरी निगाह बाइक के हैंडिल पर पड़ी. देखा तो मेरा बैग और वह लड़का दोनों ही गायब थे. मुशर्रफ खान मेव, अजमेर (राज.)

मेरे पिताजी की मृत्यु हुई तो मैं ने एक प्रतिष्ठित दैनिक के राजस्थान संस्करण में शोक संदेश प्रकाशित करवाया.

कुछ दिनों बाद उस में प्रकाशित मेरे मोबाइल नंबर पर जयपुर से बड़े आत्मीय शब्दों में एक फोन आया. मैं ने उन सज्जन का परिचय पूछा तो उन्होंने कहा कि हम गीता प्रैस, गोरखपुर के जयपुर के प्रतिनिधि हैं. अगर आप शोक प्रकट करने वालों को गीता प्रैस की पुस्तक ‘गीता सार’ उपहार में देंगे तो अच्छा लगेगा. कीमत पूछने पर उन्होंने पुस्तक की कीमत 6 रुपए प्रति पुस्तक बताई. जब मैं ने उन से अपने बड़े भाई साहब से सलाह कर के निर्णय लेने की बात कही तो वे बारबार मुझ से पुस्तक खरीदने के लिए अनुरोध करने लगे. आखिरकार मैं ने उन्हें 200 पुस्तकों का और्डर दे दिया.

नियत दिन को सोडाला बस स्टैंड पर उन्होंने मेरे भतीजे अभिमन्यु को और्डर की गई पुस्तकों का पैकेट सौंप दिया. घर आने पर जब हम ने पैकेट खोला तो उस में 2 रुपए मूल्य की छोटी सी पुस्तिका ‘सत्संग की कुछ सार बातें’ निकलीं. और जब हम ने उन पुस्तकों की गिनती की तो वे सिर्फ 160 ही निकलीं.

इस धोखाधड़ी के लिए जब हम ने जयपुर के नंबर पर फोन किया तो पहले तो उन्होंने रूखे स्वर में बात की और बाद में फोन ही नहीं उठाया. गिरधारी सिंह, गंगापुरसिटी (राज.)

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