आपको जल्द ही पासपोर्ट, लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन, परीक्षाओं और सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जाने वाली बहुत सी अन्य सर्विसेज के लिए अधिक फीस चुकानी पड़ सकती है. फाइनेंस मिनिस्ट्री ने मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट्स को मौजूदा प्रोजेक्ट्स पर खर्च की फंडिंग और उपलब्ध कराई जाने वाली सर्विसेज की कॉस्ट रिकवर करने के लिए यूजर चार्ज बढ़ाने को कहा है. हाल ही में बजट को लेकर विचार-विमर्श शुरू करने वाली फाइनेंस मिनिस्ट्री चाहती है कि मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट्स यूजर चार्ज बढ़ाकर मौजूदा प्रोजेक्ट्स पर खर्च को पूरा करें.
यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) सिविल सर्विस परीक्षा के लिए अभी भी 100 रुपये लेता है, जबकि इस परीक्षा के आयोजन की लागत पिछले वर्षों के दौरान काफी बढ़ गई है. रेलवे की कुछ सर्विसेज पर भी भारी सब्सिडी दी जाती है. अधिकतर अन्य सर्विसेज के लिए चार्ज या तो स्थिर हैं या उनमें मामूली बढ़ोतरी हुई है.
पासपोर्ट के लिए फीस अंतिम बार 2012 में 1,000 रुपये से बढ़ाकर 1,500 रुपये की गई थी. अधिकतर मामलों में कॉस्ट के मुताबिक फीस कम है और इससे सरकार को काफी सब्सिडी देनी पड़ती है. इससे पहले भी इस तरह के निर्देश दिए जाते रहे हैं लेकिन जमीनी स्तर पर कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ. लेकिन इस वर्ष फाइनेंस मिनिस्ट्री इसे लेकर मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट्स के साथ खुद बात कर रही है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अगुवाई वाले एक्सपेंडिचर मैनेजमेंट कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में सरकारी संगठनों की ओर से दी जाने वाली सर्विसेज की कॉस्ट रिकवर करने की जरूरत पर जोर दिया था. अधिकारी ने बताया कि कमीशन ने कहा था कि सर्विस की कॉस्ट ली जानी चाहिए और सब्सिडी धीरे-धीरे कम होनी चाहिए.