पिछले हफ्ते रिजर्व बैंक के नए गवर्नर के पद पर उर्जित पटेल की नियुक्ति की घोषणा के बाद पिछले 3 महीने से चल रही अटकलों पर विराम लग गया. लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएट और येल यूनिवर्सिटी से पीएचडी उर्जित पिछले साढ़े तीन साल से वो आरबीआई के डिप्टी गर्वनर की जिम्‍मेदारी संभाल रहे हैं. राजन के कार्यकाल में जिन प्रमुख बदलावों की शुरुआत हुई उसमें उर्जित की भूमिका सबसे महत्‍वपूर्ण थी. उर्जित उस समिति के अध्यक्ष रहे हैं, जिसने थोक मूल्यों की जगह खुदरा मूल्यों को महंगाई का नया मानक बनाए जाने सहित कई अहम बदलाव किए. अब तक पर्दे के पीछे रहे पटेल के सामने सरकार को साथ लेकर भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को दिशा देने की जिम्‍मेदारी है.

ब्याज दरों को काबू में रखना

आरबीआई गवर्नर की कुर्सी संभालते ही पटेल के सामने सबसे बड़ी चुनौती ब्‍याज दरों पर नियंत्रण स्‍थापित करने की होगी. पटेल को नए तरीके खोजने पड़ेंगे जिससे कि ब्याज दरों पर काबू रखा जा सके. पटेल के लिए ये सबसे मुश्किल काम भी यही है क्योंकि ब्याज दर में कटौती और महंगाई पर काबू करने के दौरान उन्हें केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं को भी ध्यान में रखना होगा.

बैंकों का बढ़ाता एनपीए

उर्जित पटेल को राजन की विरासत में बैंकों का भारी भरकम एनपीए भी मिला है. हालांकि इस जंग का बिगुल राजन पहले ही फूंक चुके हैं. लेकिन अभी भी लंबी लड़ाई बाकी है. अपने कार्यकाल में रघुराम राजन ने बैंकिंग सिस्टम में दोबारा जान फूंकने का काम किया, अब उर्जित पटेल को भी इसे आगे ले जाना होगा. इसके अलावा बैंकों की बैलेंस शीट सुधारते हुए बैड डेब्ट को कम करने के लिए पटेल को प्‍लान तैयार करना होगा.

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