लघु फिल्म "खीसा (पॉकेट )"की कहानी महाराष्ट्र के एक गांव में रहने वाले लड़के की हैं ,जो एक दिन तय करता है कि वह उसके स्कुल की शर्ट में एक बड़ा पॉकेट/जेब/खीसा बनाएगा ,जिसमे वह अपनी कीमती और प्यारी वस्तुएँ जैसे सिक्के , फूलों की पत्तियाँ , कंचे आदि सुरक्षित रख सकेगा. यह एक ऐसा खिसा होगा, जिस पर हमेशा उसे गर्व रहे. इस खीसा के चलते वह खास बन जाता है. उससे उम्र में बड़ो से भी ख़ास बना देता हैं क्योंकि बाकी लोगो का खीसा छोटा , साधारण और एक जैसा दिखने वाला हैं. खीसा (पॉकेट ) के छोटे बड़े होने से समाज में फैले प्रतीकात्मक राजनीति छोटे से बच्चे के समझ के परे हैं जल्द ही पुरे गाँव में यह खीसा एक विवाद का केंद्र बन जाता हैं.
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