मार्च माह के दूसरे सप्ताह में फिल्म ‘शैतान’ की वजह से बौलीवुड से जुड़े लोगों को थोड़ा सा मुसकराने का अवसर मिला था, मगर अफसोस तीसरे सप्ताह में घोर मायूसी छा गई. तीसरा सप्ताह हर फिल्मकार के लिए एक सबक है कि काठ की हांडी बारबार नहीं चलती. तीसरे सप्ताह यानी कि 15 मार्च को ‘द केरला फाइल्स’ के निर्माता विपुल अमृतलाल शाह, निर्देशक सुदीप्तो सेन और हीरोईन अदा शर्मा की तिकड़ी एक बार फिर अजेंडे वाली फिल्म ‘बस्तर : द नक्सल स्टोरी’ ले कर आए. तो वहीं करण जोहर निर्मित और सागर आंबे्र व पुस्कर ओझा निर्देशित तथा सिद्धार्थ मल्होत्रा के अभिनय से सजी फिल्म ‘योद्धा’ भी प्रदर्शित हुई. यह दोनों फिल्में शूटिंग के दौरान दिनभर के चाय का खर्च भी बौक्स औफिस पर इकट्ठा नहीं कर सकीं.

गत वर्ष विपुल अमृतलाल शाह, सुदीप्तो सेन और अदा शर्मा की तिकड़ी अजेंडे वाली फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ ले कर आई थी, जिसे सरकार का भी अपरोक्ष समर्थन था मगर सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म निर्माता और निर्देशक को फिल्म में गलत ढंग से आंकड़े पेश करने के लिए फटकार लगाई थी.
फिल्म ठीकठाक चल गई थी. उस के बाद आननफानन में इस तिकड़ी ने छत्तीसगढ़ राज्य की पृष्ठभूमि पर फिल्म ‘बस्तर : द नक्सल स्टोरी’ बना कर चुनाव से पहले रिलीज कर दी. यह फिल्म भी अजेंडे वाली फिल्म है, जिस में बहुत कुछ गलत ढंग से पेश किया गया है.

आईपीएस नीरजा (अदा शर्मा) खुलेआम माओवादियों को गोलियों से उड़ाने की बात करती है. इस फिल्म में फिल्मकार ने आदिवासियों की समस्या, लोग नक्सली क्यों बन रहे हैं आदि पर कोई बात न करते हुए सभी नक्सलियों को देशद्रोही बताया है. फिल्म अति घटिया बनी है. आईपीएस के किरदार में अदा शर्मा फिट नहीं बैठती है. निर्माता के अनुसार फिल्म की लागत 15 करोड़ रूपए है. मगर यह फिल्म बौक्स औफिस पर पूरे सप्ताह में 35 लाख रूपए ही कमा पाई. निर्माता की जेब में तो 10 लाख भी नहीं आएंगे. यानी कि शूटिंग के दौरान जो चाय पर खर्च किया गया था, वह भी वसूल नहीं हो पाया.

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