एक तरफ हिंदी फिल्में बौक्स औफिस पर लगातार धराशाई होती जा रही हैं तो दूसरी तरफ कुछ फिल्मकार खुद को तीस मार खां बताने के साथ ही प्रोपगेंडा और इतिहास को नए तरीके से पढ़ाने वाली फिल्म ले कर आ रहे हैं. ऐसी फिल्मों को दर्शक सिरे से नकारता जा रहा है. इसी वजह से दर्शकों ने लेखक, सह निर्माता, अभिनेता व निर्देशक रणदीप हुडा की फिल्म को भी धूल चटा दी.

मार्च माह के चौथे सप्ताह यानी कि 22 मार्च को रणदीप हुडा की फिल्म "स्वातंत्र्य वीर सावरकर" प्रदर्शित हुई. पहले इस की लागत 40 करोड़ बताई जा रही थी, अब 20 करोड़ बताया जा रहा. फिल्म ने पूरे सप्ताह में मुश्किल से 10 करोड़ कमाए. इस में से निर्माता के हाथ सिर्फ 5 करोड़ आएंगे. मजेदार बात यह है कि इस फिल्म में एक नहीं बल्कि चारचार निर्माता हैं. यह 10 करोड रुपए तब इकट्ठा हुए हैं, जब मुंबई के कई सिनेमाघर में एक राजनीतिक दल ने टिकट खरीद कर दर्शकों में बांटकर उनसे मुफ्त में देखने का आग्रह किया.

फिल्म "स्वातंत्र्य वीर सावरकर" के प्रदर्शन से पहले रणदीप हुडा ने कुछ गिनेचुने पत्रकारों को इंटरव्यू दिया था, जिन का चयन उन के पीआर में काफी मशक्कत के बाद की थी. रणदीप हुडा ने इंटरव्यू के समय धमकी देते हुए कहा था, "वीर सावरकर को 'माफीवीर' कहने वालों की कंटाप पर मैं थप्पड़ मारना चाहता हूं." अब फिल्म देख कर दर्शक कह रहे हैं कि फिल्म "स्वातंत्र्य वीर सावरकर" में गलत इतिहास पेश करने के लिए वह रणदीप हुडा के कनटाप पर थप्पड़ लगाना चाहते हैं.

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