फिल्मों, टेलीविजन, थिएटर और अन्य प्रदर्शन कलाओं के लिए चेहरे और शरीर पर कृत्रिम मेकअप के द्वारा लुक को चेंज करने के लिए आजकल जो तकनीक बौलीवुड और हौलीवुड में इस्‍तेमाल किया जाता है, वह है प्रोस्थेटिक मेकअप. अकसर लोग जानना चाहते हैं कि प्रोस्थेटिक है क्या और यह कैसे प्रयोग में लाई जाती है.

दरअसल ऐसा मेकअप करना आसान नहीं होता, घंटों समय लगता है, इसलिए किसी भी फिल्म में प्रोस्थेटिक का प्रयोग करने के लिए कलाकार को घंटों पहले आ कर इसे लगाना पड़ता है. फिल्म ‘साड़ की आंख’ में अभिनेत्री तापसी पन्नू ने कहा कि उन्हें वयस्क की भूमिका निभाते हुए काफी समय तक प्रोस्थेटिक मेकअप लेना पड़ा, जिस से कई प्रकार की त्वचा की समस्या का उन्हें सामना करना पड़ा.

अपने अनुभव शेयर करते हुए वह कहती हैं कि “प्रकाशी तोमर के किरदार के लिए चेहरे पर लगाई गई प्रोस्थेटिक को हटाने के बाद उन की स्किन को नौर्मल होने में 1 घंटे का समय लगता था. इस के बाद भी लाइन्स, परतें दिखती थीं और ये स्किन पूरी तरह से नौर्मल होने तक दिखती थी.

“कई बार तो मैं डर जाती थी कि स्किन नौर्मल होगी या नहीं. इस के लिए मैं ने डाक्टर से भी संपर्क किया था. हालांकि, भविष्य में ऐसा एक दिन अवश्य आएगा, जब मैं वयस्क हो जाऊंगी और स्किन पर झुर्रियां आएंगी, लेकिन अभी के लिए स्किन का नौर्मल होना, मेरे लिए राहत की सांस लेने जैसा रहा.”

प्रोस्थेटिक मेकअप है उपयोगी
प्रोस्थेटिक मेकअप में चिन, कान, ब्रेस्‍ट आदि का अधिकतर मेकओवर किया जाता है. फि‍ल्‍म ठाकरे में नवाजुद्दीन सिद्दीकी को बाला साहब ठाकरे की तरह दिखाने के लिए इस प्रक्रिया का इस्‍तेमाल किया गया था. हर बार ऐसे मैकअप के लिए उन्हें कम से कम डेढ़ से दो घंटे लगते थे. इस के अलावा दबंग, गजनी, ब्‍लैक, ठाकरे, थलाइवी, मैं अटल हूं’ आदि ऐसी फि‍ल्‍में हैं जिन के लिए कलाकारों ने खूब मेहनत की है. फि‍ल्‍म थलाइवी मे कंगना रनौत के लुक को चेंज करने के लिए प्रोस्थेटिक का सहारा लिया गया था.

फिल्मों में प्रोस्थेटिक

प्रोस्थेटिक असल में खराब हुए या क्षतिग्रस्‍त अंगों की जगह कृत्रिम अंग लगाने की प्रक्रिया है. हालांकि यह एक लंबी, खर्चीली और धैर्य वाली प्रक्रिया है. पर इस का फायदा यह है कि इस के जरिए शरीर के किसी भी अंग को रिप्‍लेस किया जा सकता है. कान, नाक, चिन, गर्दन यहां तक कि स्‍तन, आदि को भी प्रोस्थेटिक के माध्‍यम से मनचाहा आकार दिया जा सकता है.

प्रोस्थेटिक मेकअप का प्रयोग इन दिनों धीरेधीरे बढ़ रहा है. इस से पहले अमिताभ बच्‍चन की फिल्‍म ‘पा’, ऋतिक की ‘धूम-2’, शाहरूख की ‘फैन’, ‘चाची 420’ और रणबीर कपूर अभिनीत ‘बर्फी’ आदि फिल्‍मों में उम्रदराज और अलगअलग लुक देने के लिए प्रोस्‍थेटिक मेकअप का सहारा लिया जा चुका है.

फिल्‍म ‘भारत’ में कटरीना कैफ काफी उम्रदराज दिखाई दी, जिस के लिए उन के फेस पर काफी मेहनत की गई थी. दरअसल, उन का लुक बदलने के लिए प्रोस्‍थेटिक मेकअप का सहारा लिया गया था. इस मेकअप की मदद अभिनेत्री दीपिका ने भी फिल्‍म ‘छपाक’ में भी लिया था, जिस में दीपिका ने एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्‍मी की भूमिका निभाई है. इस लुक के लिए उन्होंने प्रोस्‍थेटिक मेकअप का प्रयोग किया था.

क्या है प्रोस्थेटिक मेकअप

प्रोस्थेटिक मेकअप एक ऐसी तकनीक है, जिस के सहारे कौस्मेटिक इफैक्ट दिया जाता है. इस में काफी मात्रा में सिलिकौन रबर का प्रयोग किया जाता है.

इस के अलावा कृत्रिम सामग्री फोम लेटैक्स, जिलेटिन, सिलिकौन आदि सामग्री का प्रयोग किया जाता है. मौडलिंग क्ले – एक तेल आधारित प्लास्टिसिन क्ले होता है, जिसे प्रोस्थेटिक के आकार में ढाला जा सकता है. इस से नैगेटिव मोल्ड बनाए जाते हैं, जिन्हें लेटैक्स, सिलिकौन या इस तरह से भर कर व्यक्ति का अंतिम प्रोस्थेटिक्स बनाया जाता है, जिस की मदद से मेकअप होता है.

इस मेकअप का इस्‍तेमाल किसी भी किरदार को छोटे और बड़े उम्र या फिर अलग दिखाने के लिए किया जाता है.

प्रोस्‍थेटिक मेकअप करने में करीब 6 से 10 घंटे का समय लगता है. हालांकि, इस मेकअप को निकालने में भी कम से कम 1 घंटे का समय लगता है. इस मेकअप को करने वाले आर्टिस्‍ट सामान्‍य मेकअप करने वालों से अलग होते हैं. इस तकनीक की वजह से रियल लुक दिया जाता है और किसी भी एक्टर को तब पहचानना भी मुश्किल हो जाता है.

प्रोस्थेटिक के लाभ

• प्रोस्थेटिक मेकअप में रियल लुक का विस्तृत रूप होता है, इसलिए साधारण मेकअप के साथ यह नहीं चल पाता.

• पारंपरिक मेकअप की तुलना में प्रोस्थेटिक्स अधिक टिकाऊ होते हैं, जो फिल्मांकन और लंबे शूटिंग दिनों मांग को पूरा कर सकते हैं.

• प्रोस्थेटिक का उपयोग मामूली चोटों से ले कर पूरे शरीर में परिवर्तन तक, विभिन्न प्रकार के प्रभाव पैदा करने के लिए भी किया जा सकता है.

• प्रोस्थेटिक का उपयोग कई बार किया जा सकता है, जिस से लंबे समय में पैसा और समय बचाया जा सकता है.

प्रोस्थेटिक के नुकसान

• प्रोस्थेटिक्स बनाना अधिकतर एक समय लेने वाली प्रक्रिया होती है, इसे बनाने और प्रयोग में लाने के लिए कौशल और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है.

• प्रोस्थेटिक्स को बनाना और बनाए रखना महंगा होता है.

• प्रोस्थेटिक्स को लंबे समय तक पहनने में असुविधा होती है.

• प्रोस्थेटिक्स कलाकार की गति को प्रतिबंधित करता है, जिस से उन के लिए कुछ कार्य करना या भावनाओं को व्यक्त करना मुश्किल होता है.

• प्रोस्थेटिक्स को हटाना एक कठिन और समय लेने वाली प्रक्रिया होती है, जिस से त्वचा में जलन भी हो सकती है.

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