Unemployment : देश में बेरोजगारी है, इस के लिए जितना दोष सिस्टम का है उस से ज्यादा खुद युवाओं का. रोजगार थाली में सज कर नहीं आता, उस के लिए खुद को कोशिशें करनी होती हैं.
बेरोजगारी से तंग आ कर अक्षत ने आत्महत्या करने की कोशिश की. यह बात जब अक्षत के दोस्त समीर को पता चली तो वह शौक रह गया. एक समय वे दोनों साथ में ही सरकारी जौब की तैयारी कर रहे थे. वक़्त रहते समीर ने अपना रास्ता बदल लिया, पापा के बिजनैस में लग गया. अक्षत सरकारी जौब पाने के पीछे पागल था, सरकारी नौकरी मतलब, परमानैंट नौकरी, अच्छी तनख्वाह और दूसरी तमाम सुविधाएं. वह जीतोड़ मेहनत भी कर रहा था मगर हर बार कुछ नंबरों से रह जाता था.
33 साल के हो चुके अक्षत को लगने लगा कि अब उस के पास कोई विकल्प नहीं बचा सिवा आत्महत्या करने के.
बढ़ती बेरोजगारी से न सिर्फ देशभर के युवा परेशान हैं, बल्कि विदेशों में पढ़ेलिखे युवा भी इस की चपेट में हैं. बेरोजगारी से जुड़ा एक काफी पेचीदा मामला है. दरअसल औक्सफोर्ड जैसी विश्वविख्यात यूनिवर्सिटी से पढ़े एक 41 साल के शख्स ने बेरोजगारी से तंग आ कर अपने मातापिता पर ही केस ठोंक दिया. 41 साल का यह बेरोजगार शख्स ज़िंदगीभर के लिए हर्जाने की मांग कर बैठा.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतिश (बदला हुआ नाम) ने औक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. साथ ही, वकालत की ट्रेनिंग में भी ली. इस के बावजूद वह बेरोजगार था. इस शख्स का कहना था कि अगर उस के मांबाप उस की मदद नहीं करेंगे तो उस के मानवाधिकार का उल्लंघन होगा. लड़के के पिता 71 साल के हैं और उस की मां 69 साल की. इतने उम्रदराज होने के बावजूद वे अपने बेटे को हर महीने 1,000 पाउंड भेजते हैं.
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