अमीना शेख पाकिस्तान की मशहूर अदाकारा हैं और धारावाहिकों  में अपने बेहतरीन अभिनय के चलते भारत में भी खासी लोकप्रिय हैं. पिछले दिनों सोमा घोष ने उन से टीवी सीरियल, महिला स्वतंत्रता जैसे कई मामलों पर खुल कर बातचीत की. पेश हैं मुख्य अंश.

32 वर्षीया अमीना शेख पाकिस्तान की जानीमानी मौडल और अभिनेत्री हैं. उन्होंने टीवी और कई पाकिस्तानी फिल्मों में काफी नाम कमाया है. बचपन से ही अमीना को कुछ अलग काम करने की इच्छा थी जिस में साथ दिया उन के मातापिता ने. उन्होंने हर वक्त उन के काम को सराहा और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी.

न्यूयार्क में जन्मी अमीना का बचपन कराची और सऊदी अरब की राजधानी रियाद में गुजरा. बचपन में उन्हें अभिनय का कोई शौक नहीं था. बड़ी होने के साथसाथ उन की इच्छा बदली और वे थिएटर से जुड़ गईं. काम की तलाश में जब वे अपना प्रोफाइल जमा कर रही थीं तभी उन्हें पाकिस्तान टीवी से औफर आया. उन की टैलीफिल्म ‘आसमान छू लें’, ‘पच्चीस कदम पे मौत’ और ‘बारिश में दीवार’ आदि काफी चर्चित रहीं. उन्होंने अपनी पढ़ाई रियाद और अमेरिका में पूरी की. अमीना का एक चैनल पर ‘आईना’ सीरियल प्रसारित होने जा रहा है, जिस में वे लीड रोल कर रही हैं. इस के पहले धारावाहिक ‘मात’ से भारत में उन को बड़ी पहचान मिली है.

आप को अभिनय क्षेत्र में आने की प्रेरणा कहां से मिली?

मेरे पिता फार्मेसी से जुड़े हैं, इसलिए वे हमेशा घूमते रहते थे. उस दौरान मुझे अभिनय का शौक पैदा हुआ और मैं थिएटर से जुड़ गई. मैं मिमिक्री, फैशन मौडलिंग आदि में काम करती रही. जबकि मेरे परिवार का कोई भी सदस्य इस क्षेत्र से नहीं है. पर मेरे शौक को देख कर परिवार के सभी लोगों ने सहयोग दिया और अब मैं पूरी तरह से इस क्षेत्र में काम कर रही हूं.

क्या बौलीवुड में काम करने की इच्छा हुई है?

कुछ समय पहले मैं अपनी फिल्म ‘जोश’ की स्क्रीनिंग के लिए मुंबई आई थी. मुंबई सिटी मुझे बहुत पसंद आई. यहां काम करने का तरीका बहुत अलग है. मुझे औफर तो मिल रहे हैं पर अभी तक फाइनल नहीं हुआ. हर तरह की भूमिका निभाना मैं पसंद करती हूं. मैं ने ‘हाइवे’ और ‘क्वीन’ फिल्में देखी हैं जो काफी अच्छी हैं. ऐक्टर तभी ग्रो करता है जब उसे हर जगह काम करने का मौका मिले, उसे हर कोई देखना चाहे. मणिरत्नम, फरहान अख्तर, इम्तियाज अली, संजय लीला भंसाली जैसे निर्देशकों, फिल्मकारों के साथ काम करना चाहती हूं.

पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री और बौलीवुड में क्या अंतर पाती हैं?

देखा जाए तो पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री अभी अपेक्षाकृत विकसित नहीं हुई है. हमारी फिल्मों का वितरण बाहर मुल्कों में अधिक नहीं है. तकनीक भी ज्यादा अच्छी नहीं है. जबकि बौलीवुड काफी पुराना है. इन का प्रोडक्शन सिस्टम काफी बड़ा है. यहां हर तरह की फिल्में बनती हैं. यहां के कलाकार पूरे विश्व में मशहूर हैं. हमारे यहां बौलीवुड की फिल्में अधिक देखी जाती हैं.

पाकिस्तान में महिलाओं को कितनी आजादी मिलती है?

हिंदुस्तान जैसी आजादी पाकिस्तान में नहीं है. इस की वजह शिक्षा का अभाव है. महिलाओं को सड़कों पर घूमने की आजादी कम है. हमेशा वे अपने को ढक कर रखती हैं. ऐसी स्थिति को सुधारने में परिवार और समाज का हाथ होता है. परिवार के सदस्यों की सोच अगर बदलेगी तभी लड़कियों की दशा में सुधार होगा. तकनीक के साथसाथ थोड़ा परिवर्तन अवश्य हुआ है पर अभी बहुतकुछ बदलने की आवश्यकता है. मां की भूमिका इस में सब से अहम होती है. बेटों की तरह बेटियों की शिक्षा, उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा सबकुछ देना पड़ेगा.

धर्म या मजहब के नाम पर महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार को आप कैसे लेती हैं?

किसी पर कुछ भी जबरदस्ती थोपना जानलेवा हो सकता है. यह अपराध है जिसे सभी को समझना होगा. क्योंकि लोग ऊपरी तौर पर जबरदस्ती थोपी गई बातें डर से अपना लेंगे, पर अंदर से उन का भाव अच्छा नहीं होगा. शिक्षा ही एक ऐसा महत्त्वपूर्ण साधन है जो अच्छे व बुरे के भेद को समझा सकती है.

आप कितनी फैशनेबल हैं और किस तरह की ड्रैसेज पहनना पसंद करती हैं?

मैं सादगी पसंद करती हूं. ग्लैमर वर्ल्ड में जो पहनना पड़े वह पहन लेती हूं. घर पर सादगीपूर्ण जीवन बिताने में मजा आता है. वैसे साडि़यां अधिक पसंद हैं.

कितनी फूडी हैं? कुछ खास व्यंजन जिन्हें आप बनाती हों?

हर तरह के फूड मुझे पसंद हैं. लेकिन मैं सेहत को ध्यान में रख कर खाना बनाती और खाती हूं ताकि शरीर को कोई नुकसान न हो. अधिकतर मैं नाश्ता या सलाद बनाती हूं, जो सभी को पसंद आता है. मुंबई की कौर्नकरी मुझे बहुत पसंद आई.

जीवन में खुश रहने का मंत्र क्या है?

सभी रिश्तों में, चाहे निजी जीवन हो या पारिवारिक या कैरियर, सामंजस्य बिठाने की कोशिश करते रहना चाहिए. इसी से आप को संतुष्टि मिलेगी और वर्तमान में खुश रह पाएंगे.

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