इंसान यदि कुछ बनना चाहे, तो पूरी कायनात उसकी मदद करने के लिए तैयार रहती है. यह महज एक कहावत या फिल्मी संवाद नही है. बल्कि एक कटु सत्य है. इसकी मिसाल हैं मदरसे की प-सजय़ाई और कारपेंटर का काम करते हुए फिल्म निर्देशक बन जाने वाले शादाब सिद्दिकी की. शादाब सिद्दिकी की बतौर लेखक एक फिल्म ‘‘है सलाम तुझे इंडिया’’, ‘‘ हंगामा प्ले ’’ पर स्ट्रीम हो रही है. वह अब तक ‘‘लव इन स्लम’ व ‘व्हेअर इज नजीब’जैसी लघु फिल्मों तथा ‘फखर से कहो हम मुसलमान हैं’, राह का तेरी मुसाफिर’,‘पल पल’ व ‘खुदा के बाद’ सहित पचीस से अधिक म्यूजिक वीडियो निर्देशित कर चुके हैं.

अब वह दिग्गज गायक राहत फतेह अली द्वारा संगीतबद्ध व स्वरबद्ध गीत ‘‘रोंदे नैन हमारे.. ’’ का म्यूजिक वीडियो फिल्माने जा रहे हैं,जिसमें राहत फतेह अली खान भी होंगें.

सवाल-  शादाब,आपको फिल्मों से जुड़ने का नशा कैसे सवार हुआं?अपनी अब तक की यात्रा के संदर्भ में क्या कहेंगें?

जवाब- मैं संतकबीर नगर, उत्तर प्रदेश में कुंदवा गांव का निवासी हूं. मेरी शिक्षा पहले गांव के मदरसे में हुई.फिर बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर स्कूल में हुई. मेरे गांव के एक तरफ गंगा बह रही हैं, दूसरी तरफ छोटी गंगा बह रही हैं और बीच में हमारा खूबसूरत गांव है.संत कबीर का अंतिम समय यही गुजरा. इसलिए यहां गंगा जमुनी तहजीब भी है. स्कूली शिक्षा आठवीं तक हुई. फिर मैं मुंबई आ गया था, क्योंकि पढ़ाई में मन नही लग रहा था. उस उम्र में मैं पढ़ाई के महत्व को समझ नहीं पा रहा था.वास्तव में जब मैं आठ साल का था, तभी से मेरे दिमाग में सिनेमा घुस गया था. मुंबई सपनों की नगरी है. यहां आकर मैं भी अपने पिता व चाचा के फर्नीचर के व्यापार से जुड़ गया. हमारे पास आरा मशीन भी थी.

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