Film Story : 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हुआ. देश के 2 टुकड़े हुए. हिंदुस्तान और पाकिस्तान बना. इस विभाजन में हजारों लोग मारे गए. कइयों का कत्ल किया गया, लोग घरबार छोड़ कर शरणार्थियों की तरह रहने लगे. ट्रेनों में भरभर कर लोगों की लाशें एक जगह से दूसरी जगह भेजी गईं. पाकिस्तान के मोहम्मद अली जिन्ना और भारत के महात्मा गांधी की गलतियों के कारण इतिहास को दुर्दिन देखने पड़े थे. इतिहास की यह सब से दुखद घटना थी. ठीक इसी तरह विभाजन से एक साल पहले 1946 में कलकत्ता में मुसलिमों द्वारा बंगाल के नोआखाली जिले के कई शहरों में हिंदुओं का नरसंहार किया गया. उस में 5,000 लोगों के मरने की बात कही गई. यह घटना भी भारतपाक विभाजन की घटना की तरह सदियों तक याद की जाती रहेगी. वैसे, आज भी बंगाल के जिले नोआखाली की हालत अत्यंत दयनीय है. युवाओं को इस तरह की घटनाओं की जानकारी होनी चाहिए.
दंगों की मूल ऊर्जा कहां से आती है. आप हिंसा का इतिहास उठा कर देखिए कि कभी कोई नेता या गुंडा नहीं मरता. ‘द बंगाल फाइल्स’ विवेक अग्निहोत्री की आधुनिक भारतीय इतिहास पर आधारित ‘द फाइल्स ट्रिलौजी’ की तीसरी और अंतिम किस्त है जो ‘द ताशकंद फाइल्स’ (2019) और ‘द कश्मीर फाइल्स’ (2022) के बाद की है. 204 मिनट की यह सब से लंबी भारतीय फिल्मों में से एक है. यह सांप्रदायिक दंगों पर है.
‘द बंगाल फाइल्स’ 16 अगस्त, 1946 को प्रत्यक्ष कार्रवाई में जुड़ी दुखद घटनाओं को बर्बर तरह से दर्शाती है. 1946 में बंगाली हिंदुओं की यह हिंसा जल्द ही बंगाल प्रैसिडैंसी के आसपास के इलाकों में फैल गई. जिस में नोआखाली दंगों की घटनाएं शामिल थीं. 1946 में उपमहाद्वीप के कई हिस्सों में तनावपूर्ण माहौल था. अंगरेजों ने अपने उपनिवेश को आजादी देने का वादा किया था लेकिन सत्ता हस्तांतरण कैसे की जाए, इस पर कोई ठोस फैसला नहीं हो पाया था. मुसलिम लीग एक अलग मुसलिम राज्य पाकिस्तान की मांग कर रही थी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस पर सहमत नहीं थी. इसी तनाव के कारण जगहजगह छिटपुट दंगे हो रहे थे. फलस्वरूप, ‘ग्रेट कलकत्ता किलिंग्स’ शुरू हुआ. बंगाली हिंदुओं को निशाना बनाया गया. अनुमान है कि इन दंगों में 5,000 हिंदू मारे गए और हजारों का धर्मपरिवर्तन कराया गया, कई महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया. संपत्ति को लूटा गया. महात्मा गांधी ने अहिंसा का संदेश फैलाने और दंगाइयों से दंगा रोकने के लिए अशांत क्षेत्रों का दौरा किया, लेकिन असफल रहे. दंगे के बाद कई लोग बेघर हुए.
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