Indian Air Force : भारत चारों तरफ से ऐसे देशों से घिरा हुआ है जो हमारी सुरक्षा और शांति को कभी भी छिन्नभिन्न कर सकते हैं. चाहे वह पाकिस्तान हो, नेपाल या श्रीलंका. इन को उकसाने वाली ताकतें और बड़ी हैं जैसे चीन और अमेरिका.
हाल ही में पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत ने औपरेशन सिंदूर चलाया, जिस के बाद पाकिस्तान से तनाव और बढ़ गया है. औपरेशन सिंदूर को सफलतापूर्वक संपन्न करने के बाद भी जंग का माहौल बना हुआ है.
भारत ने 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि को स्थगित करने समेत पाकिस्तान के खिलाफ कई कदम उठाने की घोषणा की है. इस से भविष्य में तनाव बढ़ने का जोखिम काफी बढ़ गया है. वैसे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कह ही दिया है कि औपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी हुंकार भर रहे हैं कि यह तो अभी सिर्फ वार्मअप है. यानी युद्ध कभी भी छिड़ सकता है.
ऐसे में सेनाओं की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है. वैसे भी इस बार की लड़ाई कश्मीर के विवादित क्षेत्र तक सीमित नहीं थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि अगर भारत पर फिर से हमला हुआ तो नई दिल्ली सीमा पार “आतंकवादी ठिकानों” को फिर से निशाना बनाएगी. मगर कोई भी लड़ाई अच्छे हथियारों के बिना नहीं जीती जा सकती है. आप सिर्फ धमकियां देदे कर दुश्मन को हरा देंगे, ऐसा तो संभव नहीं है.
जंग जीतनी है, तो सेनाओं को संसाधनों से मजबूत करना होगा. सेना की ताकत में कटौती करेंगे, उन को समय से हथियार उपलब्ध न करा के, उन की वीरता का श्रेय खुद ले कर सेना की वर्दी में अपने पोस्टर देश भर में लगवाते फिरेंगे तो सेना का मनोबल कैसे ऊपर उठेगा?
आप अपनी राजनीति चमकाने के लिए सेना को भी मोहरा बनाने से बाज नहीं आ रहे हैं. औपरेशन सिंदूर की सफलता को मीडिया के सामने बयान करने के लिए सोचीसमझी रणनीति के तहत सेना की दो महिला अधिकारियों – कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को लाया गया. यह एक अच्छी बात बनी रहती अगर मुस्लिमों के प्रति मन में घोर नफरत पालने वाले भाजपाई नेता कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में अनर्गल बातें कर के सेना के साहस और शौर्य को अपमानित न करते.
अब उस की लीपापोती के लिए कर्नल सोफिया कुरैशी को भाजपा अल्पसंख्यक विंग की ‘पोस्टर गर्ल’ बनाया जा रहा है. यानी आप अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं पूरी करने के लिए सेना को भी इस्तेमाल करने से नहीं चूक रहे हैं तो ऐसे में सेना के बड़े अधिकारीयों का भड़कना लाजिमी है.
29 मई को सीआईआई के वार्षिक बिजनेस समिट – 2025 के उद्घाटन सत्र में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने सेना को हथियार सप्लाई के बारे में जो कुछ कहा वह बताता है कि अब धैर्य जवाब दे रहा है. वायुसेना प्रमुख ने भरी सभा में राजनाथ सिंह के मुंह पर बोल दिया कि एक भी डिफैंस प्रोजेक्ट समय से पूरा नहीं होता है.
मजे की बात है कि जिस मंच पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह औपरेशन सिंदूर को ले कर मोदी सरकार की तारीफ कर रहे थे, उसी मंच पर भारतीय वायु सेना के प्रमुख, एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह ने सैन्य उपकरणों की खरीद में हो रही लगातार देरी को ले कर सारा कच्चा चिट्ठा खोल कर रख दिया.
एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने 29 मई को डिफैंस सिस्टम की खरीद और डिलीवरी में हो रही देरी पर एयर चीफ मार्शल ने यह तक कह दिया कि सरकार जो पूरे नहीं कर सकती वैसे वादे करते ही क्यों हैं? कई बार कौन्ट्रैक्ट साइन करते समय ही पता होता है कि यह समय पर नहीं होगा, फिर भी साइन कर देते हैं, जिस से पूरा सिस्टम खराब हो जाता है.
यह पहला मौका है जब किसी सेना प्रमुख ने सिस्टम पर इस तरह का सवाल उठाया है. सीआईआई वार्षिक बिजनेस समिट में एयर चीफ मार्शल ने कहा – टाइमलाइन एक बड़ा मुद्दा है. समय से डिफैंस प्रोजेक्ट पूरा न होने की वजह से औपरेशनल तैयारी पर असर पड़ता है.
एयर चीफ मार्शल ने कहा कि वायु शक्ति के बिना कोई सैन्य अभियान सफल नहीं हो सकता. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे पास क्षमता और सामर्थ्य दोनों हों. सिर्फ ‘मेक इन इंडिया’ कहना काफी नहीं है, अब हमें ‘भारत में डिजाइन और विकास’ की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे.
इस से पहले 8 जनवरी को भी चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने तेजस लड़ाकू विमानों की डिलीवरी में हो रही देरी को ले कर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि 40 जेट अभी तक फोर्स को नहीं मिले हैं. जबकि चीन और पाकिस्तान जैसे देश अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं. एयरफोर्स चीफ ने लाइट कौम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) कार्यक्रम का हवाला देते हुए कहा कि फरवरी 2021 में एचएएल के साथ तेजस एमके1 ए फाइटर जेट के लिए 48000 करोड़ का कान्ट्रैक्ट साइन किया गया था. डिलीवरी मार्च 2024 से शुरू होनी थी, लेकिन आज तक एक भी विमान नहीं आया. तेजस एमके2 का प्रोटोटाइप भी अभी तक तैयार नहीं हुआ है. एडवांस्ड स्टेल्थ फाइटर एएमसीए का भी अभी तक कोई प्रोटोटाइप नहीं है.
एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह यहीं नहीं रुके उन्होंने साफ कहा कि हमें आज तैयारी करनी होगी तभी हम भविष्य के लिए भी तैयार हो सकेंगे. आने वाले 10 साल में इंडस्ट्री से ज्यादा आउटपुट मिलेगा, यह ठीक है, लेकिन आज हमें जो जरूरत है वह आज ही पूरी होनी चाहिए.
हम सिर्फ भारत में मैन्युफैक्चरिंग के बारे में बात नहीं कर सकते. हमें डिजाइनिंग के बारे में भी बात करनी होगी. हमें सेना और इंडस्ट्री के बीच भरोसे की जरूरत है. एक बार जब हम किसी चीज के लिए प्रतिबद्ध हो जाते हैं, तो हमें उसे पूरा करना चाहिए.
एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह ने आगे कहा, जब हम एक राष्ट्र के बारे में बात करते हैं, तो हम सभी सेना, नौसेना, वायु सेना, विभिन्न एजेंसियां, उद्योग, डीआरडीओ – हम सभी एक बड़ी चेन के कड़ियां हैं और हम सभी को यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारा ग्रुप, जिस से मैं भी संबंधित हूं, वह कमजोर समूह नहीं है जिस की वजह से यह चेन टूट जाए.
एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने युद्ध में बढ़ते तकनीकी दखल को ले कर भी चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा- निसंदेह भारत ने औपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में बैठे आतंकियों को भारी नुकसान पहुंचाया. मगर चीफ औफ नेवल स्टाफ ने मुझ से कहा कि युद्ध का तरीका बदल रहा है. हम हर दिन नई तकनीक की खोज कर रहे हैं. अब तकनीक की युद्ध में अहम भूमिका हो गई है.
औपरेशन सिंदूर ने बताया देश किस दिशा में जा रहा और आगे क्या करना है. हमें भविष्य में क्या करना है, इस को ले कर औपरेशन सिंदूर ने आइडिया दे दिया है. अभी बहुत काम बाकी है. युद्ध सेनाओं को सशक्त बना कर जीते जाते हैं.
चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह की चिंता जायज है. इस वक्त चीन सिक्स जेनेरशन ड्रोन्स उड़ा रहा है, और भारत फोर्थ जेनेरशन ड्रोन्स पर भी ठीक तरीके से काम नहीं कर पा रहा है. इसी कार्यक्रम में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कहा कि आज के युग में युद्ध और शांति की सीमाएं धुंधली होती जा रही हैं.
गैरराज्यीय तत्व वाणिज्यिक तकनीकों का उपयोग कर सुरक्षा चुनौतियां बढ़ा रहे हैं. हम ‘सामूहिक सटीकता’ के युग में हैं, जहां अत्यंत सटीक क्षमताओं का होना हर देश के लिए आवश्यक है. आतंकवादी हमले तेजी से बड़े संघर्ष में बदल सकते हैं, और बिना प्रत्यक्ष टकराव वाले युद्ध, साइबर तथा अंतरिक्ष क्षेत्र का उपयोग अब यथार्थ बन चुका है. भारतीय नौसेना भी साल 2047 तक पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बल बनने के लिए प्रतिबद्ध है.
मगर यह तभी हो सकेगा जब मोदी सरकार अपनी स्वार्थपरक राजनीति से ऊपर उठ कर सचमुच देश की सुरक्षा के बारे में गंभीरता से सोचे और सैन्य बलों में काटछांट न कर के उन को सभी आवश्यक हथियार निश्चित समय सीमा में उपलब्ध कराए.
हमारे सैनिक संसाधनों के अभाव में किस तरह देश की सुरक्षा में अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं, यह दर्द उन के परिवारों से पूछिए, जिन्होंने अपने जांबाज बेटों को सिर्फ इसलिए खो दिया क्योंकि उन के पास अच्छे लड़ाकू विमान नहीं थे या बेहतर हथियार नहीं थे.
कितनी शर्मनाक बात है की इस बात को भी मोदी सरकार ने ढांपने की कोशिश की कि औपरेशन सिंदूर के दौरान हमारे किसी एयरक्राफ्ट को क्षति पहुंची. मगर मीडिया में बारबार क्षतिग्रस्त एयरक्राफ्ट के टुकड़े दिखाए जाने के बाद अंततः सीडीएस अनिल चौहान ने 31 मई को मीडिया के सामने औपरेशन सिंदूर के दौरान राफेल जेट गिरने की बात स्वीकार कर ली है. हालांकि कितने राफेल जेट क्षतिग्रस्त हुए यह बात अभी भी परदे में है.
कांग्रेस पार्टी ने सीडीएस अनिल चौहान के इस स्वीकारोक्ति को ले कर केंद्र सरकार से सवाल किया है, जिस में उन्होंने कहा था कि महत्वपूर्ण ये नहीं है कि विमान गिराए गए बल्कि ये है कि वे क्यों गिरे? कांग्रेस ने कहा कि राफेल गिरने की बात को सीडीएस ने स्वीकार कर लिया है. अब सरकार को इस से इनकार करना बंद कर देना चाहिए कि हमारा कोई नुकसान नहीं हुआ है. साफ है तकनीक के मामले में हम पिछड़ रहे हैं.
उधर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह के बयान मीडिया में आने के बाद आम आदमी पार्टी ने भी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए एक्स पर लिखा – मोदी सरकार भारतीय सेनाओं को कमजोर कर रही है. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने साजोसामान मिलने में हो रही देरी पर सरकार को चेताया है.
गोलाबारूद, हथियार और लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में लगातार देरी हो रही है. अग्निवीर योजना से स्थायी सैन्य बल में भारी कटौती जैसे सरकार के फैसलों का सीधा असर सैन्य क्षमता पर पड़ रहा है. प्रधानमंत्री मोदी से अपील है कि वे देश की सुरक्षा से समझौता बंद करें और सेनाओं को कमजोर न करने वाली नीतियों पर ध्यान दें.
गौरतलब है कि हिंदुस्तान टाइम्स ने 2015 में बताया था, कि लगभग 10 परियोजनाएं, जिन की स्वीकृत लागत औसतन 1,686 करोड़ रुपए है, औसतन 5 साल से विलंबित हैं. और यह समस्या केवल भारतीय वायुसेना तक ही सीमित नहीं है.
मार्च 2012 में तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक पत्र लिख कर चेतावनी दी थी, कि भारतीय सेना के टैंकों में गोलाबारूद खत्म हो गया है, और कमियों को दूर करने तथा सेना को युद्ध स्तर पर लाने की जरूरत है. सिंह ने लगभग 97 प्रतिशत वायु रक्षा को अप्रचलित बताया था और कहा था कि विशेष बलों के पास हथियारों की बहुत कमी है.
जनरल वी.के. सिंह, मार्च 2014 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए. वे 2014 में लोकसभा सांसद बने, और उन्हें मंत्री भी बनाया गया. सिंह ने अपने पत्र में दावा किया था, कि उन्हें ‘घटिया’ खरीद आदेश को मंजूरी देने के लिए 14 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की गई थी.
विदेशी कंपनियों के साथ भारत के रक्षा अनुबंध अक्सर भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे रहे हैं, जिस के परिणामस्वरूप सरकार को वित्तीय नुकसान होता है, और सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण में बाधा उत्पन्न होती है. लेकिन दुखद यह है, कि जनरल वी.के. सिंह सरकार में आकर भी उस बीमारी का इलाज नहीं कर पाए, जिस की शिकायत उन्होंने पिछली सरकार से की थी.