UPSC : आज जमाना मसल्स का नहीं माइंड का है. देश की सब से कठिन परीक्षा में महिलाओं ने अपना दमखम दिखा दिया है. उन का दावा भी टौप पोस्ट पर मजबूती के साथ देखना चाहिए.
यूपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा 2024 का अंतिम परिणाम घोषित कर दिया. इस में शक्ति दुबे ने टौप किया है. दूसरे स्थान पर भी लड़की का ही नाम है. हर्षिता गोयल ने दूसरे स्थान पर अपनी जगह बनाई है. टौप 25 में 11 लड़कियां हैं. पिछले 11 सालों के आंकडे देखें तो यह साफ हो जाता है कि 6 साल लड़कियां टौप पर रही हैं. 2014 में इरा सिंघल, 2015 में टीना डाबी, 2016 में नंदिनी के.आर, 2021 में श्रुति किशोर, 2022 में इशिता किशोर और 2024 में शक्ति दुबे ने टौप पोजीशन हासिल की है.
सिविल सेवा परीक्षा 2024 में टौप 5 में जिन लड़कियों ने जगह बनाई उन्होंने पूरी मेहनत और संघर्ष से इस मुकाम को हासिल किया है. शक्ति दुबे मूल रूप से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की रहने वाली हैं. उन की स्कूलिंग होम टाउन प्रयागराज से ही हुई है. उन की पढ़ाई बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से हुई है. शक्ति बताती है कि उन का ग्रेजुएशन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हुआ है. ग्रेजुएशन के बाद शक्ति दुबे बनारस आ गईं. साल 2018 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से बायोकैमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है.
दूसरे स्थान पर रहने वाली हर्षिता गोयल हरियाणा की रहने वाली है. पिछले कई वर्षों से वह गुजरात के वडोदरा में रह रही हैं. हर्षिता एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और उन्होंने समाज सेवा के लिए अपनी फाइनैंस की दुनिया को छोड़ दिया. वह थैलेसीमिया और कैंसर से जूझ रहे बच्चों की मदद करने वाले एनजीओ के साथ जुडी थी. हर्षिता की सफलता सामाजिक समर्पण और दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक है.
चौथे स्थान पर रहने वाली मार्गी चिराग शाह गुजरात के अहमदाबाद की रहने वाली है. गुजरात टैक्नोलौजिकल यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर इंजीनियरिंग करने वाली मार्गी ने समाजशास्त्र को वैकल्पिक विशय के रूप में चुना और आल इंडिया चौथा स्थान हासिल किया. टैक्निकल बैकग्राउंड के बावजूद समाज से जुड़ाव ने उन्हें इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा दी.
कोमल पूनिया उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की रहने वाली है. उन्होंने दूसरे प्रयास में यूपीएससी क्लियर कर जिले का नाम रोशन किया है. कोमल की मेहनत और जज्बे ने यह दिखा दिया कि लगन और निरंतर प्रयास से कोई भी मंजिल पाई जा सकती है. मध्य प्रदेश के ग्वालियर की रहने वाली आयुषी बंसल ने 2022 में 188वीं और 2023 में 97वीं रैंक हासिल की थी. आयुषी के जीवन में पिता का साया बचपन में ही उठ गया था, लेकिन मां की प्रेरणा और अपनी मेहनत से उन्होंने यह कठिन परीक्षा पास की. कोचिंग की तैयारी के लिए पहले दिल्ली आईं. फिर मैकेंजी जैसी बड़ी कंपनी में जौब की और आखिरकार अपनी राह चुनी.
गाजियाबाद की आशी शर्मा को रैंक 12 प्राप्त हुआ है. आशी का यह दूसरा अटेम्प्ट था. उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले की रहने वाली सौम्या मिश्रा को यूपीएससी में रैंक 18 प्राप्त हुआ है. सौम्या के पिता राघवेंद्र कुमार मिश्र पेशे से शिक्षक हैं. पीसीएस 2021 की परीक्षा में सौम्या मिश्रा ने टौप किया था. इस बार सौम्या के साथ उन की बहन सुमेघा मिश्रा ने 53 वीं रैंक हासिल कर परीक्षा क्रैक की है.
उत्तर प्रदेश की शक्ति दुबे के साथ कोमल पुनिया, आशी शर्मा, सौम्या मिश्रा, मुस्कान श्रीवास्तव, शोभिका पाठक और अवधिजा गुप्ता ने टौप 20 में जगह बनाने में सफलता हासिल की. देश की सब से कठिन परीक्षाओं में यूपीएससी का नाम आता है. इस को क्रैक करना बहुत कठिन होता है. अब लड़कियों ने इस परीक्षा की टौप लिस्ट में अपनी जगह बनानी शुरू कर दी है. इस परीक्षा को क्रैक करने के लिए कैंडिडेट्स दिन रात एक कर देते हैं. अब लड़कियों ने भी अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी है. यूपीएससी सिविल सर्विस 2024 की फाइनल लिस्ट में उत्तर प्रदेश की लड़कियों का दबदबा रहा है. टौप 20 में यूपी की 4 लड़कियों का नाम है. यूपीएससी सिविल सर्विस में इस साल कुल 1090 कैंडिडेट्स को सफलता हासिल हुई है.
बड़ा सवाल यह है कि आईएएस और आईपीएस में टौप करने वाली यह लड़कियां जब नौकरी करती हैं तो इन को टौप पोस्ट पर काम करने का मौका नहीं दिया मिलता है. आज का दौर बदल रहा है. अब जमाना मसल्स का नहीं माइंड का है. यूपीएससी परीक्षाओं में टौप पर रहकर लड़कियों ने दिखा दिया कि उन में कितना दम है. अब उन को टौप पोस्ट संभालने के लिए दी जा सकती है. आईएएस बनने वाली महिला औफिसरों को जिलो में डीएम की पोस्ट दी जानी चाहिए. आईपीएस बनने वाल महिला औफिसरों को जिले में एसपी, एसएसपी और पुलिस कमिश्नर बनने का मौका देना चाहिए.
टौप ब्यूरोक्रेसी में भी महिलाओं को मुख्य सचिव के पद कम मिलते हैं. पीएमओ और रक्षा विभागों में अफसर के रूप में काम करने के मौके महिलाओं को कम दिए जाते हैं. महिलाएं परीक्षा पास कर के अपनी क्षमता के बारे में बता रही हैं. वे यह हक भी मांग रही हैं कि उन को भी पुरूषों के बराबर काबिल समझ कर टौप पोस्ट दिए जाने चाहिए. महिला पुरूष को बराबरी का हक नहीं दिया जाता है. उत्तर प्रदेश में नीरा यादव के बाद कोई महिला मुख्य सचिव नहीं बनी है. अभी भी महिला डीजीपी नहीं बनी है.
भले ही परीक्षाओं में महिलाएं टौप कर रही हों लेकिन लीडरशिप यानि अगुवाई और निर्णय लेने वाले पदों में पहुंचने वाली महिलाओं की संख्या में अंतर है. जरूरत है कि इस अंतर को दूर किया जाए. जो लड़कियां परीक्षाओं में टौप कर रही हैं और यहां वह लड़कों की संख्या से कम नहीं हैं उन को लीडरशिप वाले पद जैसे डीएम, एसपी और विभागों में प्रमुख पद दिए जाए. विभागों में भी महिलाओं के साथ संस्कृति और शिक्षा विभाग जैसे पदों की जिम्मेदारी दी जाती है. जब तक यह भेदभाव खत्म नहीं होगा तब तक यूपीएससी परीक्षा में बराबरी करना बेमकसद सा हो जाता है.