Home Buying Tips :अपना घर अपना ही होता है भले छोटा ही हो. कई बार हम घर खरीदते समय ऐसी लापरवाहियां कर बैठते हैं जो बाद में दिक्कत देती हैं. आज के समय में घर खरीदते समय सावधानियां बरतना बहुत जरूरी होता है.

विवाह के बाद आजकल सब से पहले युवा दंपत्ती घर खरीदने के बारे में सोचते हैं, पर घर एक ऐसी खरीदारी है जिस के लिए एक लंबी प्लानिंग और जांचपड़ताल की जरूरत होती है. अपना घर होना सब का एक सपना होता है और यह किसी भी आम आदमी के जीवन की सब से बड़ी खरीदारी होती है.

आजकल युवा दंपत्ती बहुत जल्दी से अपना फ्लैट खरीदने के बारे में फैसला ले लेते हैं या कोई प्लौट खरीदना चाहते हैं. फ्लैट्स ज्यादा खरीदे जा रहे हैं, शहरों में इसी स्पीड से नईनई सोसाइटी देखतेदेखते ही खड़ी हो जाती हैं. इस का एक कारण यह भी हो सकता है कि गांव से अधिकतर लोग शहरों में आ कर बसने लगे हैं. घर बनाने से पहले कुछ जरूरी बातें जान लेनी चाहिए जिन से मेहनत से बनाया आशियाना सुरक्षित रह सके. कई शहरों में जीवन भर की जमा पूंजी से या होम लोन ले कर खुद की छत बसाने वालों की आंखों में कुछ गलतियों के कारण आंसू आ जाते हैं.

शहर में बिल्डर या प्रौपर्टी ब्रोकर चमकदार, स्टाइलिश ब्रोशर और कई तरह की स्कीम दिखा कर प्रौपर्टी बेच देते हैं. मुनाफे के लालच में अवैध निर्माण भी कर दिया जाता है जिसे आम आदमी समझ नहीं पाता. अकसर रजिस्ट्री हो जाने के बाद हम बेफिक्र हो जाते हैं पर इस के बावजूद कई ऐसे दस्तावेज हैं जिन्हें पहले ही देख लें तो बाद में मुश्किलें नहीं आएंगीं.

वे जरूरी बातें हैं

  •  जहां बिल्डिंग बनी है, उस का नक्शा विक्रेता से मांगें.
  • यदि बिल्डिंग या भवन निगम सीमा में है तो संबंधित जोनल औफिस या निगम औफिस से उस की जांच करवाएं.
  • निर्माण जिस भूखंड पर है, उस का नक्शा पास है या नहीं.
  • प्लौट का भूमि उपयोग क्या है?
  • प्लौट जिस नक्शे पर बना है वह कब पास हुआ और सही प्रक्रिया से पास है या नहीं.
  • जिस प्लौट पर बिल्डिंग बनी है, उस का उपयोग आवासीय है या कमर्शियल. कई जगह दोनों उपयोग भी नक्शे में होते हैं.
  • आप का फ्लैट किस श्रेणी में आ रहा है, यह नक्शे में दर्शाया होता है.
  •  कमर्शियल प्लौट की अनुमति टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से मिलती है.
  • फ्लैट के लिए प्रकोष्ठ पात्र मांगें. यह वह दस्तावेज है जिस से आप का उस बिल्डिंग में कितने हिस्से पर अधिकार है और बिल्डिंग के टूटने, गिरने या किसी अन्य तरह की घटना में जमींदोज होने पर आप के पास क्या बचेगा का प्रमाण होता है. यदि नई बिल्डिंग है तो यह दस्तावेज बिल्डर से मांगें. यदि आप फ्लैट पहले खरीद चुके हैं और प्रकोष्ठ पत्र नहीं लिया है तो निगम में रजिस्ट्री दिखा कर आवेदन करें.
  • बिल्डिंग या मकान जिस प्लौट पर है, उस प्लौट पर और जो फ्लैट या मकान खरीद रहे हैं, उस पर लोन तो नहीं है?
  •  यदि फ्लैट नया है तो पानी के कनेक्शन की स्थिति देख लें. यदि सामूहिक बोरिंग है तो उस में आप को कितना भुगतान करना होगा, यह भी देख लें. बिजली बिल में दर्ज रीडिंग का मीटर से मिलान कर लें. देख लें मीटर खराब या बिल बकाया तो नहीं?
  • पुराने फ्लैट में बिजली, पानी के पुराने बिल जरूर मांगें. बिल्डिंग के सामूहिक बिजली बिल और मेंटेनेंस की जानकारी भी ले लें.
    फ्लैट खरीदने से पहले उस की लोकैलिटी, अपना बजट, बिजली पानी की सुविधा जैसी बेसिक चीजें देख लेनी चाहिए. इस से फ्लैट की रीसेल वैल्यू भी अच्छी बनी रहती है. आजकल लोग इंडिपैंडेंट मकान की बजाए फ्लैट्स या अपार्टमेंट्स को ज्यादा महत्त्व दे रहे हैं. फ्लैट का कारपेट एरिया, लैंड रिकौर्ड, प्रौपर्टी की कानूनी जानकारी, पजेशन की डेट, लोन देने वाले बैंक, बिल्डर बायर एग्रीमेंट, फ्लैट का लोकेशन सब की अच्छी जानकारी पूरी तरह से ले लें.

अनबन हो जाए और तलाक हो जाए

कई बार ऐसी स्थिति भी बन जाती है कि पतिपत्नी में कुछ अनबन हो जाए और तलाक हो जाए, और होम लोन लिया हुआ हो तो इस से जुड़ी भी कुछ बातें जान लेनी चाहिए जैसे- तलाक के बाद होम लोन की स्थिति कई चीजों पर निर्भर करती है जैसे कि लोन किस के नाम पर लिया गया है, कितने सह आवेदक हैं और कोर्ट के आदेश क्या कहते हैं. इसे ऐसे समझा जा सकता है

  • यदि होम लोन केवल एक व्यक्ति के नाम पर है तो लोन की जिम्मेदारी उसी व्यक्ति की होगी.
  • यदि लोन दोनों के नाम पर है तो लोन चुकाने की जिम्मेदारी दोनों की है भले ही तलाक हो गया हो.
  • यदि संपत्ति तलाक के बाद किसी एक व्यक्ति को दे दी जाती है तो कोर्ट के आदेश के अनुसार वह व्यक्ति लोन चुकाने का जिम्मेदार हो सकता है.
  • संपत्ति का स्वामित्व और लोन भुगतान अलग हो सकते हैं. यह बैंक और कोर्ट के फैसले पर निर्भर करता है.
  • बैंक के लिए लोन चुकाने वाले व्यक्ति की प्राथमिकता होती है, न कि तलाक से जुड़े मामले.
  • यदि दोनों पक्ष सहमत हैं तो बैंक से लोन ट्रांसफर या सह आवेदक को हटाने की बात की जा सकती है. लेकिन बैंक सह आवेदक को तभी हटाता है जब लोन पूरी तरह से एक व्यक्ति संभाल सके.
  • तलाक के बाद दोनों पक्षों को बैंक के साथ एक नया समझौता करना पड़ सकता है ताकि लोन का भुगतान और संपत्ति का मालिकाना स्पष्ट हो.

ऐसे में क्या कर सकते हैं?

1- बैंक से सलाह लें. अपने बैंक से मिल कर लोन की स्थिति और समाधान के बारे में बात करें.
2- तलाक और संपत्ति के बंटवारे के लिए एक वकील की हेल्प लें.
3- दोनों पक्ष आपस में बात कर के इस का हल निकालें.
4- यदि एक व्यक्ति पूरी तरह से लोन का भुगतान करने के लिए तैयार है तो लोन को रीफाइनैंस करने का विकल्प हो सकता है.

बढ़ती महंगाई के साथ अपना घर लेना बड़ी बात है, होम लोन सिर पर हो तो और भी प्रैशर रहता है. खूब छानबीन के बाद फ्लैट फाइनल करें. जो परिचित फ्लैट ले चुके हैं, उन से भी सलाह जरूर ले लें. अपनी सैलरी, अपने खर्चे अच्छी तरह से देख कर फ्लैट लेने की सोचें. दिखावे के चक्कर में न पड़ें. ईएमआई कितनी दे सकते हैं, यह भी सोच लें.
आर्थिक परेशानियों के दबाब के चलते आपस में मनमुटाव की नौबत न आए, इस बात का भी ध्यान रखें. उस के बाद भी आजकल अच्छा कमाने वालों का लाइफस्टाइल भी काफी खर्चीला हो गया है, और बहुत से खर्चें होते हैं, उन सब को ध्यान में रखते हुए घर लें. जितनी चादर हो, उतने ही पैर पसारें, यह कहावत हर जमाने में फिट बैठती आई है. कुछ महीने कम खर्चों में गुजारें, एक बार लोन की किस्तों के साथ कुछ समय एडजस्ट कर लें तो इंटीरियर कराएं. एक साथ सब काम न करवाएं. धीरेधीरे जेब और बचत देख कर काम करवाते रहें.

पंडों व वास्तुशास्त्रियों के लफड़ों में न पड़ें

सुमित पुजारी और गीता पुजारी दोनों वर्किंग हैं. शादी के दो साल वे सुमित के पेरैंट्स के साथ रहे, फिर उन्होंने उसी सोसाइटी में अपना फ्लैट होम लोन पर ले लिया. पेरैंट्स आतेजाते रहते हैं. दोनों अपने इस घर में बहुत खुश हैं. धीरेधीरे उन्होंने अपने फ्लैट का इंटीरियर करवाया, एकसाथ सब कुछ नहीं किया. मुंबई जैसे शहर में एक अपना सुंदर फ्लैट होना उन्हें बहुत खुशी देता है, इसे वे अपनी बड़ी उपलब्धि मानते हैं.

फ्लैट में धूप और हवा का आनाजाना देखें, हो सके तो तर्क बुद्धि के साथ फ्लैट खरीदें, किसी पंडित को ले कर फ्लैट का शुभलाभ न दिखवाते फिरें. यहां मीरा के उदाहरण से यह बात समझी जा सकती है.

कई साल पहले मीरा नईनई मुंबई आई थी, वह अपने पति और परिचित दंपत्ती के साथ कई फ्लैट्स देखने गई. मित्र खुद को वास्तु शास्त्र के विद्वान् बताते थे, जो फ्लैट्स मीरा और उस के पति को पसंद आ रहे थे, परिचित वास्तु के हिसाब से उस फ्लैट को सिरे से नकार देते थे. कई महीने ऐसे ही निकल गए. फिर मीरा और उस के पति खुद ही एक फ्लैट देखने गए जो उन्हें खुली जगह, धूप, हवा की दृष्टि से सही लगा और उन्होंने 15 दिन में ही उसे फाइनल कर लिया. आज उन्हें उस फ्लैट में रहते हुए 20 साल हो गए हैं और वे खुश हैं.

घर खरीदने के समय पैसा हो भी तो फालतू की पार्टीज में उसे खर्च न करें क्योंकि शुरू में ईएमआई का भी एक खर्चा सेट होने में टाइम लगता है. घर को खुशियों का आशियाना बनाने के लिए बहुत सोचसमझ कर चलना होता है, अपना घर होना एंजोए करें, कोनाकोना अपना होना बहुत सुखद होता है.

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