lending money :  उधार देना बुरा नहीं है लेकिन बिना सोचेसमझे उधार देना गलत है. उधार देने से पहले आप को पता होना चाहिए कि सामने वाले को उधार क्यूं चाहिए. अगर वह वजह आप को सही लगे, उधार देने लायक लगे, तो जरूरतमंद की मदद करना बुरा भी नहीं है. 

“उधार न देना अच्छा, न लेना अच्छा; उधार स्नेह की कैंची है,” अंग्रेज नाटककार विलियम शेक्सपियर ने लिखा था. उन्होंने सदियों पुरानी बुद्धिमानी की बात दोहराई. यह तो पक्का है कि पैसा उधार लेनादेना बहुत ही नाजुक मामला है और इस से रिश्‍ते तक टूट जाते हैं. चाहे कितनी भी अच्छी योजना क्यों न बनाई गई हो और कितने भी नेक इरादे क्यों न रहे हों, कब स्थिति बदल जाए हम नहीं जानते.

क्या पता ऐसी स्थिति हो जाए कि उधार लेने वाले के लिए अपना कर्ज चुकाना मुश्‍किल या असंभव हो जाए. या ऐसा भी हो सकता है कि उधार देनेवाले को अचानक उस पैसे की जरूरत आन पड़े जो उस ने उधार दिया है. जब ऐसी बातें होती हैं, तो जैसा शेक्सपियर ने कहा, दोस्ती और रिश्‍तों में दरार पड़ सकती है.

जरूरतमंद की मदद घाटे का सौदा नहीं

कई बार व्यक्ति इतना मजबूर हो जाता है कि उस के पास उधार लेने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता. भूखे मरने तक की नौबत आ जाती है या फिर अपने किसी की जान पर बन आए तो वह उधार मांगेगा ही, नौकरी छूट गई है और घर का किराया देना है, नहीं तो सामान बाहर फेंक दिया जाएगा. ऐसी स्थति में अगर आप से उधार मांगा गया है, तो मना करने से पहले एक बार विचार कर लें.

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