औस्कर की दौड़ से आमिर खान निर्मित और आमिर खान की पूर्व पत्नी किरण राव द्वारा निर्देशित फिल्म ‘लापता लैडीज’ ( Lapata Ladies) के बाहर होते ही एक बार फिर नई बहस छिड़ गई है. एक वर्ग सवाल उठा रहा है कि आखिर ‘फिल्म फेडरेशन औफ इंडिया’ हर साल क्यों गलत फिल्म ‘औस्कर’ यानी कि ‘अकादमी औफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज’ में सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर श्रेणी के लिए भारत की तरफ से आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में भेजने की गलती कर भारतीय सिनेमा को वैश्विक स्तर पर पहचान नहीं बनाने देना चाहता?
यह सवाल काफी गंभीर और चुनौतीपूर्ण होने के साथ ही इस बार की चयन समिति के अध्यक्ष व असमिया फिल्मकार जाहनु बारूआ को भी कटघरे में खड़ा करता है. आरोप तो यह भी लग रहा है कि इस बार ‘फिल्म फेडरेशन औफ इंडिया’ के अध्यक्ष व औस्कर के लिए भारतीय फिल्म की चयन समिति के अध्यक्ष जाहनु बरूआ सरकार के हाथ की कठपुतली बने होने के साथसाथ मिस्टर परफैक्शनिस्ट के रूप में मशहूर अति दंभी कलाकार व निर्माता आमिर खान के दबाव में थे.
औस्कर के लिए फिल्म के चयन की प्रक्रिया
2001 में उन की फिल्म ‘लगान’ गई थी, जो कि बुरी तरह से मात खा गई थी. तो इस बार आमिर खान की फिल्म ‘लापता लैडीज’ के साथ ही कांस में पुरस्कृत पायल कपाड़िया की फिल्म ‘आल वी इमेजिन एज लाइट’, दक्षिण की फिल्म ‘महाराजा’ सहित 29 फिल्में थी.
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