सारंगी के पति मयंक पेशे से डाक्टर हैं. प्रैक्टिस अच्छी चल रही है. अपना नर्सिंगहोम है. पैसे की कमी नहीं है. शादी को 16 साल हो गए हैं. एक बेटा है जो देहरादून के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रहा है. सारंगी घर का और मयंक का काफी खयाल रखती है. वह मयंक के दोस्तों और रिश्तेदारों की भी खूब आवभगत करती है. मयंक अपने मरीजों के किस्से उस को सुनाता है. दोस्तों की बातें बताता है. पौलिटिक्स और क्रिकेट की बात करता है. वह बड़े ध्यान से सुनती है. होंठों पर मुसकान सजाए उस की हां में हां मिलाती है, मगर खुद उस के पास मयंक से कहनेबोलने को कुछ नहीं होता.
मयंक अपने दोस्तों से सारंगी की खूब तारीफ करता है. कहता है, ‘मेरी पत्नी बहुत सम?ादार है. एंड शी इज ए गुड लिस्नर आल्सो.’ इस तारीफ को सुन कर सारंगी मन ही मन सोचती है, ‘तुम से क्या बात करूं, तुम मु?ो जानते ही कितना हो?’
दरअसल, शादी के इतने साल साथ रहने के बाद भी मयंक सारंगी की पसंदनापसंद को सम?ा नहीं पाया. वह अपने काम में ही मशगूल रहता है. शाम को आता है तो उस के पास अपनी बातें होती हैं, वह कभी सारंगी से नहीं पूछता कि तुम क्या सोचती हो? सारा दिन घर में अकेले रहती हो तो क्या करती हो? टीवी पर कौन से शो देखती हो? पढ़ने का मन करता है तो क्या पढ़ती हो?
शुरूशुरू में उस ने सारंगी के दोस्तों के बारे में जानना चाहा. कुछ दूर और पास के रिश्तेदारों के बारे में जाना. बस, सारंगी को ही नहीं जान पाया. अब सारंगी चाहती भी नहीं कि वह उस के बारे में कुछ भी जाने क्योंकि अब उस ने अपनी बातें शेयर करने के लिए कालेज टाइम का एक दोस्त ढूंढ़ लिया है, अरुण नायर.
अरुण आजकल दिल्ली में थिएटर कर रहा है. कालेज टाइम से उस को ऐक्ंिटग का शौक था. लिखता भी है. सारंगी को भी लिखने और गाने का शौक है. उस ने कई गीत लिखे, गुनगुनाए मगर मयंक को नहीं मालूम. सारंगी ने कभी बताया ही नहीं. बताया इसलिए नहीं क्योंकि मयंक को काव्य की सम?ा नहीं है. मगर अरुण ने उस के सारे गीत सुने हैं. उन की तारीफ की है. उस की तारीफ से सारंगी का रोमरोम प्रफुल्लित हो उठता है.
मयंक के जाने के बाद वह घंटों अरुण से फोन पर बातें करती है. हर तरह की बातें करती है. दोतीन बार मंडी हाउस अरुण की रिहर्सल भी देखने गई. उस के साथ मार्केट घूमी. उस की पसंद से शौपिंग की. सारंगी को उस का साथ पा कर बहुत अच्छा लगा.
अरुण को भी सारंगी का साथ अच्छा लगता है. वजह यह है कि उस की पत्नी नीलम को ऐक्ंिटग में न कोई रुचि है और न सम?ा. बनिया परिवार की लड़की है. पैसे को दांत से पकड़ती है और उस की सारी सोच बस पैसे के इर्दगिर्द ही घूमती है. उस ने अरुण के कई नाटक देखे और घर आ कर उस के काम की तारीफ या समीक्षा करने के बजाय इस बात पर लड़ती कि नाटक में वह लड़की तुम से इतना क्यों लिपट रही थी? अब तो अरुण ने उस को शो में ले जाना ही बंद कर दिया है.
अरुण और सारंगी दोनों क्रिएटिव और आर्टिस्टिक नेचर के लोग हैं. गूढ़, गंभीर, चीजों को गहराई से सम?ाने वाले अति संवेदनशील. इसलिए दोनों एकदूसरे के साथ काफी कंफर्टेबल हैं और काफी खुले हुए हैं. उन के बीच कोई दुरावछिपाव नहीं है. दोनों को एकदूसरे के साथ की भूख है. मगर यह भूख मानसिक है, शारीरिक नहीं.
मयंक और सारंगी जैसे या अरुण और नीलम जैसे कपल बहुत सारे हैं. दुनिया के सामने वे बैस्ट कपल हो सकते हैं. मगर हकीकत में एक छत के नीचे 2 अनजान व्यक्तियों की तरह होते हैं.
एंजौय करते प्रौढ़ जोड़े
पश्चिमी देशों में युवा जोड़े ही नहीं, बल्कि प्रौढ़ जोड़े भी जिंदगी को एकदूसरे के साथ एंजौय करते हैं. एकसाथ सैरसपाटे के लिए जाते हैं. हंसीमजाक और खूब बातें करते हैं. पार्टी, शराब को इकट्ठे एंजौय करते हैं. एकदूसरे की बांहों में समाए देररात तक डांसफ्लोर पर रहते हैं. एकदूसरे की पसंदनापसंद की परवा करते हैं और एकसाथ काफी कंफर्टेबल होते हैं.
पश्चिमी जोड़े अगर अपना घर तलाश रहे होते हैं तो उस में दोनों की पसंदनापसंद शामिल होती है. जबकि इस के उलट, भारतीय युगल सालदोसाल में ही अपने पार्टनर से इतने उकता जाते हैं कि फिर उन के बीच बात करने का कोई टौपिक ही नहीं होता. वजह यह है कि यहां शादी की नहीं जाती बल्कि थोपी जाती है. 2 अनजान लोग एक तय तारीख के बाद एक कमरे में रहेंगे, सैक्स करेंगे और बच्चे पैदा करेंगे, यह उन के मातापिता और रिश्तेदार तय करते हैं. जिन 2 प्राणियों को कमरे में बंद किया जा रहा है उन की सोच, आदतें, विचारधारा एकदूसरे से भिन्न होती हैं.
प्रेम की पहली सीढ़ी दोस्ती
प्रेम की पहली सीढ़ी दोस्ती होती है. दोस्ती हम उन लोगों से करते हैं जिन के विचार और आदतें हमारे जैसी ही होती हैं. मगर भारत में शादी इस आधार पर नहीं होती. इसीलिए ज्यादातर जोड़ों को असल प्रेम की अनुभूति जीवनभर नहीं होती. दोनों समाज के दबाव में अपना रिश्ता निभाते हैं.
अकसर उन में से एक अपनी सोच को दबा लेता है और रिश्ता न टूटे, इसलिए मौन हो जाता है. यह काम ज्यादातर पत्नियां करती हैं क्योंकि वे ही दूसरे के घर पर रहने आई हैं. जहां से आई हैं, अब वहां उन के लिए पहले जैसा स्थान बचा नहीं, लिहाजा, वे ही एडजस्ट करती हैं, खामोश रह कर. ऐसे कपल के बीच कोई दिल को छूने वाली बात नहीं होती, कोई रोमांच नहीं होता, कोई रोमांस नहीं होता. वे शारीरिक संबंधों को भी मशीनी तरीके से अंजाम देते हैं.
रश्मि कहती है जब वह अपने पति के साथ हमबिस्तर होती है तो उस के खयालों में उस का प्रेमी होता है. वह कल्पना करती है कि वह उस के साथ समुद्र की लहरों पर खेल रही है. वह उस को हौले से स्पर्श कर रहा है. उस के कानों में अपनी बातों का रस घोल रहा है. वह जब तक मानसिक रूप से अपने प्रेमी को अपनी कल्पना में न लाए पति के साथ सैक्स के लिए तैयार ही नहीं हो पाती है.
एक ट्रेडिंग कंपनी के मालिक श्रीकांत गुप्ता उन की कंपनी में काम करने वाली रजनीबाला के साथ सारा समय बिताते हैं. रजनी उन से उम्र में काफी छोटी है मगर बातचीत और जानकारी में दोनों का लैवल बराबर है. यहां तक कि घर आने के बाद भी श्रीकांत गुप्ता पूरे वक्त रजनी के साथ फोन पर बात करते रहते हैं. पत्नी के लिए उन के पास कुछ ही वाक्य हैं, जैसे खाना लगा दो. कल के लिए मेरे कपड़े निकाल दो या मैं सोने जा रहा हूं, लाइट औफ कर दो.
भारत में ज्यादातर पत्नियां पति का सम्मान करती हैं, उन को अपना मालिक सम?ाती हैं, उस की हर बात का पालन करती हैं, तीजत्योहार, व्रत आदि को उसी तरह संपन्न करती हैं जैसे पति की मां करती आई हैं. वे पति के घर में रहती हैं, पति उन का खर्च उठाता है. वे पति के बच्चे पैदा करती हैं. पति के घर में नौकरों से ज्यादा काम करती हैं, मगर प्रेम नहीं करतीं.
किसी दूसरे के घर का नौकर बनने से प्रेम नहीं होता. प्रेम तब होता है जब दोनों आर्थिक रूप से, मानसिक रूप से और भावनात्मक रूप से एकजैसे हों. प्रेम तब होता है जब दोनों एकदूसरे के दोस्त हों. एकदूसरे के गुणोंअवगुणों को जानते हों और स्वीकार करते हों. भारत में शादी के सालदोसाल बाद या बच्चे हो जाने के बाद पतिपत्नी के बीच कोई आकर्षण नहीं बचता. यहां तक कि वे साथ बैठ कर कोई टीवी शो भी एंजौय नहीं करते. पहले औरतें घुटघुट कर जीती थीं मगर मोबाइल फोन मिल जाने से कुछ राहत मिली है और अनेक औरतें दिल की बातें दोस्तों से, पुराने प्रेमी से या किसी सहेली से कर के हलकी हो जाती हैं. -द्य