अमेरिका के न्याय विभाग ने 52 साल के एक भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है. अमेरिका ने दावा किया है कि निखिल गुप्ता उर्फ निक भारतीय खुफिया एजेंसी के एक अधिकारी के इशारे पर काम कर रहा था और यही व्यक्ति कनाडा में हरदीप सिंह निज्जर की ह्त्या के प्लान में भी शामिल था.
दावा किया गया है कि निखिल गुप्ता पर गुजरात में एक आपराधिक मामला चल रहा है जिस में मदद के बदले वह एक भारतीय ख़ुफ़िया अधिकारी के कहने पर कनाडा में निज्जर और न्यूयौर्क में एक अलगाववादी नेता की हत्या करवाने के लिए तैयार हुआ था. (अभियोग में अधिवक्ता और सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू का नाम नहीं लिया गया है मगर इशारा उसी की तरफ है.)
अभियोग में कहा गया है कि 12 मई को निखिल गुप्ता को बताया गया कि उन के खिलाफ गुजरात में चल रहे आपराधिक मामले को देख लिया गया है. उस से कहा गया कि गुजरात पुलिस की तरफ से अब उसे कोई कौल नहीं आएगा. भारतीय खुफिया अधिकारी ने निखिल गुप्ता की एक डीसीपी से भी मुलाकात की व्यवस्था की ताकि वह आश्वस्त हो जाए. अधिकारी से भरोसा मिलने के बाद गुप्ता ने न्यूयौर्क में पन्नू की हत्या करवाने की योजना को आगे बढ़ाया.
अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने निखिल गुप्ता और उस अज्ञात भारतीय खुफिया अधिकारी के खिलाफ आरोप पत्र तैयार कर लिया है. उल्लेखनीय है कि निखिल गुप्ता को 30 जून को चेक रिपब्लिक में अरेस्ट कर लिया गया था. अभियोग के मुताबिक निखिल गुप्ता ने 30 जून को भारत से चेक गणराज्य की यात्रा की और इसी दिन चेक पुलिस ने अमेरिका के आग्रह पर उसे गिरफ्तार कर लिया. अब उस को जल्दी ही अमेरिका प्रत्यर्पित किया जाएगा. जो आरोप उस पर लगे हैं, उन के तहत गुप्ता को 20 साल तक की सजा हो सकती है.
न्यूयौर्क में अमेरिकी वकील डेमियन विलियम्स ने बयान जारी करते हुए कहा है कि आरोपी ने एक भारतीय खुफिया अधिकारी के इशारे पर न्यूयौर्क शहर में भारतीय मूल के एक अमेरिकी नागरिक की हत्या की साजिश रची, जो सार्वजनिक रूप से सिखों के लिए एक अलग देश बनाने की वकालत करता है. अज्ञात भारतीय खुफिया अधिकारी, जिसे सीसी-1 का नाम दिया गया है, को यह पता था कि निखिल गुप्ता नशीले पदार्थों और हथियारों की अंतर्राष्ट्रीय तस्करी करता है और उस के खिलाफ गुजरात में एक आपराधिक मामला भी चल रहा है, जिस को ले कर वह परेशान है. गुप्ता की कमजोरी पकड़ कर उस को इस काम के लिए तैयार किया गया.
कौन है गुरपतवंत सिंह पन्नू’
गुरपतवंत सिंह पन्नू, जिसे अमेरिकी मीडिया ने लक्षित लक्ष्य के रूप में पहचाना है, वह सिख अलगाववादी खालिस्तान आंदोलन का एक प्रमुख सदस्य है और पंजाब को भारत से अलग करने की वकालत करता है. भारत में वह एक नामित आतंकवादी है. भारतीय खुफिया अधिकारी सीसी – 1 ने निखिल गुप्ता को लक्ष्य के बारे में जून 2023 में विस्तृत व्यक्तिगत जानकारी दी थी.
पन्नू का न्यूयौर्क शहर में घर का पता, फोन नंबर और उस के दैनिक आचरण की विस्तृत जानकारी गुप्ता को भेजी गई थी. ये जानकारी निखिल गुप्ता ने सुपारी किलर को भेजी, जिसे उस ने इस काम के लिए हायर किया था. हालांकि जिसे वह सुपारी किलर समझ रहा था वह अमेरिकी खुफिया एजेंसी का अंडरकवर एजेंट था जो इस साजिश के बारे में अमेरिकी पुलिस को लगातार अपडेट कर रहा था.
भारत और अमेरिका के बीच वार्ता
अमेरिका का आरोप है कि निखिल गुप्ता और भारतीय अधिकारी सीसी – 1 के बीच इलेक्ट्रौनिक कम्युनिकेशन के जरिए वार्ता हो रही थी. इस के अलावा दिल्ली में दोनों ने मुलाकात भी की थी. तमाम गतिविधियों की जानकारी होने के चलते ही अमेरिका ने न्यूयौर्क में पन्नू की हत्या की साजिश को विफल किया.
गौरतलब है कि पन्नू ने सार्वजनिक रूप से अलग खालिस्तान देश बनाने की अपील की है. हाल ही में उस ने एयर इंडिया की फ्लाइट को भी बम से उड़ाने की धमकी दी थी.
अमेरिका ने आरोप लगाया है कि कनाडा में हुई हरदीप निज्जर की हत्या में भी भारत सरकार का हाथ है. अमेरिकी दस्तावेज में कहा गया है कि 18 जून, 2023 को नकाबपोश बंदूकधारियों ने कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में एक सिख मंदिर के बाहर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की.
निज्जर के चलते भारतकनाडा रिश्तों में खटास
निज्जर सिख अलगाववादी आंदोलन का नेता और पन्नू का करीबी सहयोगी था. वह भारत सरकार का मुखर आलोचक था. उस की हत्या के कुछ ही घंटों बाद सीसी-1 ने निखिल गुप्ता से एक वीडियो क्लिप शेयर किया जिस में निज्जर का खून से लथपथ शरीर उस के वाहन में गिरा हुआ दिखाया गया था. इस वीडियो को देखने के बाद निखिल गुप्ता ने अपने हायर किए गए किलर को फोन कर के कहा कि हरी झंडी मिल गई है.
कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का कहना है कि भारत को हमारे आरोपों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. ट्रूडो ने कहा, “अब अमेरिका का भी आरोप है कि भारत सरकार के एक अधिकारी ने अमेरिकी धरती पर एक खालिस्तानी नेता की हत्या की साजिश रची. उस ने निखिल को हायर किया और निखिल ने जिसे सुपारी किलर समझ कर ह्त्या का जिम्मा सौंपा और उस के लिए बड़ा पेमेंट किया वह अमेरिकी खुफिया का अंडरकवर एजेंट है.”
निखिल गुप्ता ने पन्नू की हत्या के लिए किलर को एक लाख डौलर देने की बात कही थी. अमेरिका का दवा है कि उस में से 15 हजार डौलर का एडवांस पेमेंट उस ने 9 जून 2023 को कर दिया था. अमेरिकी खुफिया एजेंट, जिसे निखिल सुपारी किलर समझता था, ने निखिल गुप्ता की सभी गतिविधियों और बातचीत को रिकौर्ड किया, जिस के आधार पर ही उस के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया और उस की गिरफ़्तारी हुई.
गौरतलब है कि कनाडा की सुरक्षा एजेंसियां भारत सरकार और कनाडा के नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बीच की कड़ी की सक्रियता से जांच कर रही हैं. ट्रूडो का कहना है कि कनाडा की धरती पर कनाडा के नागरिक की हत्या में किसी विदेशी सरकार की संलिप्तता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. यह हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है और पूरी तरह से अस्वीकार्य है.
प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू
हालांकि पहले भारत ने कनाडा के आरोपों को खारिज करते हुए सख्त रुख अख्तियार किया था, लेकिन अब अमेरिका के सामने वह इस तरह का रवैया नहीं अपना सकता, वो भी तब जब अमेरिका ने हत्या की इस साजिश को ले कर भारत को पहले ही चेताया हो? यही वजह है कि भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बयान जारी कर कहा है कि भारत इन आरोपों को गंभीरता से ले रहा है.
बागची ने कहा है, “हम पहले ही बता चुके हैं कि अमेरिका के साथ द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग पर वार्ता के दौरान, अमेरिकी पक्ष ने कुछ इनपुट साझा किए थे जो संगठित अपराधियों, आतंकवादियों, हथियारों के कारोबारियों और अन्य के नेक्सस के बारे में थे. भारत ने इस मुद्दे की जांच के लिए विशेष जांच समिति गठित की है जो भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और आंतरिक सुरक्षा के लिए किसी भी प्रभाव को संबोधित करने के उस के संकल्प का प्रदर्शन करता है.”
हत्या की साजिश के अभियोग की खबर के बाद भारत और अमेरिका के बीच प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो चुका है. पश्चिमी देशों में सिख अलगाववाद की बढ़ती सोच भारत के लिए अहम मुद्दा है. हाल के महीनों में भारत ने कई मंचों पर सिख अलगाववाद के मुद्दे को उठाया है.
नई दिल्ली में अमेरिका और भारत के मंत्री स्तर की हालिया बैठक में भारत ने अमेरिका के समक्ष सिख अलगाववाद का मुद्दा रखा तो नवंबर में ही आस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री की भारत यात्रा के दौरान भी बढ़ते सिख चरमपंथ का मुद्दा उठाया गया. लेकिन पश्चिमी देश जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वकालत करते हैं, उन के लिए सिख अलगाववाद अहम मुद्दा नहीं है क्योंकि यह सीधे तौर पर उन्हें प्रभावित नहीं करता है.
अलगाव की आग से तबाही
विदेशी धरती पर किसी साजिश के तहत सिख अलगाववादी नेताओं को, जिन्होंने उस देश के नागरिकता ले रखी हो, चुनचुन कर खत्म कराना जहां गलत है, वहीं भारत की अखण्डता और सम्प्रभुता को बनाए रखने के लिए ऐसे सभी आतंकवादियों और अलगाववादियों को भारत को सौंपने की भी जरूरत है ताकि उन पर भारतीय क़ानूनों के तहत मुक़दमा चलाया जा सके.
भारत विरोधी आतंकवादियों को अन्य देश अपनी जमीन पर जगह दें और उन का संरक्षण करें, ये भी ठीक नहीं है. आतंकवाद और अलगाववाद के बीज चाहे कहीं भी और किसी भी देश में पनप रहे हों, उन्हें तुरंत समाप्त करना जरूरी है, लेकिन इस के लिए अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और नियमों के तहत कदम उठाने की जरूरत है. विदेशी धरती पर सिख नेताओं की हत्या से भारत में रह रहे सिखों में गलत संदेश जाने का अंदेशा है, जो भारत की अंदरूनी शान्ति और सुरक्षा के लिए ठीक नहीं होगा.
यह भी जरूरी है कि भारत में ऐसा वातावरण बने कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह नागरिक हो या पूर्व नागरिक, भारत को अपना हितरक्षक और पैतृक देश समझना न छोड़े. उस की जाति, धर्म और राज्य कुछ भी क्यों न हो. धर्म के नाम पर अलगाव की आग बुरी तरह फैलती है.