लेखक- डा. संजय सचदेवा 

बच्चे के लिए शरीर के सभी अंगों के विकास की तरह सुनने की क्षमता का होना भी बहुत जरूरी होता है. किसी बच्चे में सुनने की अक्षमता यानी बहरापन एक छिपी हुई विकलांगता होती है. बच्चा जन्म से ले कर लगभग एक या दो वर्ष की उम्र तक तेजी से बढ़ता है. इस सैंसिटिव अवस्था में मातापिता को अपने बच्चे की वृद्धि और विकास का आकलन करना जरूरी होता है. बच्चे की वृद्धि और विकास में देरी को समय रहते पहचान कर सही उपाय कर लिया जाए तो शुरुआत से ही इस प्रक्रिया के बच्चों पर सकारात्मक परिणाम मिलने लगते हैं.

बाल मनोविज्ञान के अनुसार, बच्चे की वृद्धि और विकास से जुड़ी 4 अवस्थाएं होती हैं जिन के तहत मातापिता अपने बच्चे के शुरुआती दौर में विकास के इस मील के पत्थर की निगरानी कर सकते हैं. ये अवस्थाएं हैं- ग्रौस मोटर, फाइन मोटर, सामाजिक संचार और भाषा व सुनने का कौशल. यहां हम हरेक अवस्था पर चर्चा कर रहे हैं. पहली अवस्था ग्रौस मोटर है. इस में 4 महीने तक बच्चा अपने सिर को नियंत्रित करने लगता है. 8 से 10 महीने में वह बिना सहारे के बैठना सीखता है. 12 महीने तक बिना सहारे खड़ा होने लगता है. इस के अलावा, बच्चा 15 महीने में सीढि़यों पर रेंगना शुरू कर देता है.

2 साल में हाथों और घुटनों के बल सीढि़यों से ऊपर और नीचे आने की कोशिश करता है और 3 साल तक अपने दोनों पैरों से सीढि़यां उतरनेचढ़ने लगता है. फाइन मोटर की अवस्था में, 4 महीने हो जाने पर बच्चा अपने दोनों हाथों से किसी वस्तु को पकड़ने लगता है, जैसे- अकसर बच्चे अपनी दूध की बोतल को हाथ से पकड़ने की कोशिश करते हैं. 12 महीने में बच्चा एक वयस्क की तरह पेन या पैंसिल पकड़ना सीख जाता है. वहीं 18 महीने तक आतेआते पेंसिल या क्रेयान से कुछकुछ लिखने लगता है और मातापिता के गाइड करने पर वह 4 ब्लौक्स या क्यूब्स से एक बुर्ज बनाने जैसी मजेदार गतिविधियां करता है. जन्म से 3 महीने की अवस्था.

– तेज आवाजों पर रिऐक्ट करना.

– जानीपहचानी आवाजें सुनने पर शांत हो जाना.

-खिलखिलाने पर तरहतरह की आवाजें निकालना. 3 से 6 महीने की अवस्था.

– किसी की आवाज सुन कर आंखें और सिर को इधरउधर घुमाना.

.-कोई गाना सुन कर उत्साह से हाथपैर हिला कर हलचल करना. 9 से 12 महीने की अवस्था.

-दूसरों के कुछ बोलने की नकल करना.

-सरल शब्द, जैसे बौल, मम्मी, डैडी को समझाना

– सिर को विनम्र ध्वनियों की ओर घुमाना.  पहला शब्द निकालना. 1 से 1.5 वर्ष की अवस्था.

-लोगों की ओर व खिलौनों पर शरीर के अंगों की ओर इशारा कर के बताना.

– लगातार नए शब्दों का भंडार बढ़ते जाना जो शुरू में अस्पष्ट हो सकते हैं. 1.5 से 2 वर्ष की अवस्था द्य छोटे वाक्यों का प्रयोग करना सीखना जिन में दो या दो से अधिक शब्दों को जोड़ने की कोशिश की जाती है, जैसे और खाना. 2 से 3 वर्ष की अवस्था

– किसी अर्थ के बीच फर्क को समना, जैसे ऊपरनीचे. 3 से 4 वर्ष की अवस्था

– अलगअलग रंगों और आकृतियों को समना.

– क्या, कौन और कहां जैसे सरल प्रश्नों के उत्तर देना. बच्चे के लिए शरीर के सभी अंगों के विकास की तरह सुनने की क्षमता का होना भी बहुत जरूरी होता है. किसी बच्चे में सुनने की अक्षमता/बहरापन एक छिपी हुई विकलांगता होती है.

बहरापन या कम सुनाई देने के ज्यादातर मामलों से जुड़े कोई बाहरी लक्षण नहीं होते हैं. जो बच्चे इस विकार से ग्रस्त होते हैं उन में अपने आसपास के माहौल में सामाजिक संकेतों से जुड़े दृश्य और अन्य सैंसरी विशेषताओं का इस्तेमाल करने की एक अनूठी क्षमता शामिल होती है, जिस से देखभाल करने वालों के लिए बहरापन को अनुभव करना मुश्किल हो जाता है.

कई बार मातापिता का इस बात से इनकार करने पर ऐसी स्थिति और भी बदतर हो जाती है कि उन का बच्चा बहरेपन के विकार से ग्रस्त है. वे एक ही सामान्य सा प्रश्न करते हैं कि ‘मेरे बच्चे में बहरापन क्यों है?’ इस रवैए के चलते अगर हम बहरापन या हियरिंगलौस को पहचानने में देरी करते हैं तो ऐसे बच्चों में भाषा का विकास, शब्दों को समझने और शब्द रचना सामान्य नहीं हो पाएगी.

6 महीने की उम्र से पहले की अवस्था को बहरेपन की पहचान और उपचार के लिए सही माना जाता है. ऐसे में यही वजह है कि नवजात शिशु को शीघ्र जांच की जरूरत पड़ती है. ऐसा करने के लिए एक जांच पर भरोसा करने के बजाय सब से बेहतर अभ्यास है टैस्ट बैटरी अप्रोच रखना.

मैडिकल के क्षेत्र में बहरेपन की शुरुआती जांच के लिए सामान्य रूप से 2 परीक्षण उपयोग में लाए जाते हैं, औटो एकौस्टिक एमिशन और औडिटरी ब्रेनस्टेम रिस्पौंस. बच्चों को कम सुनाई देने की समस्या के लिए विशेषज्ञ हियरिंग एड/कान की मशीन के इस्तेमाल की सलाह दे सकते हैं जोकि ऐसा यंत्र है जिस से सुनने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है.

जब बच्चा छोटा होता है तब भी इस का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस से बच्चे को नुकसान नहीं पहुंचता. इस का उपयोग कर सुनने की क्षमता को बढ़ाना अधिक सुरक्षित है. हियरिंग एड हलके बहरेपन में काफी लाभ देते हैं. गंभीर बहरेपन, जोकि खराब स्पीच धारण या भाषण को न समझने के साथ होता है, में केवल कौक्लियर इम्प्लांट्स ज्यादा लाभकारी हो सकता है जिसे डाक्टर सर्जरी के जरिए कान में फिट कर देते हैं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...