आजकल खेती से ज्यादा उपज लेने के लिए कई तरह की रासायनिक खादों व दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है. करीब 80 फीसदी किसान खेतों में रासायनिक खादों और जहरीली दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिस से उपज तो बढ़ी है, लेकिन इनसानों की जिंदगी में इस का बुरा असर हो रहा है. इसी वजह से आज हमें नईनई बीमारियां घेर रही हैं. आंकड़ों के मुताबिक आज के समय में सब से ज्यादा जहर पंजाब राज्य के उत्पादों में पाया गया है. एलड्रिन नामक दवा ब्लड कैंसर का कारण बनी, तो उस पर रोक लगी. इसी तरह एंडोसलफान नामक दवा ने दिमागी तंत्र प्रणाली को प्रभावित किया, तो उस पर भी रोक लगाई गई. फिर भी इस तरह की दवाएं मिलतेजुलते नामों से आज भी बाजार में मिल रही हैं और लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ कर रही हैं.

आज ऐसा दौर आ चुका है कि हम रासायनिक खेती से हट कर जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाएं.

कैसे करें जैविक खेती?

आज कई तरीकों से जैविक खादें बनाई जाती?है, जैसे गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट व तरल जैविक हरी खाद वगैरह. गोबर की खाद को कम से कम 3 महीने तक गड्ढों में सड़ा कर कंपोस्ट खाद बनाएं और फसल लगाने के पहले खेत में डालें. यह हमारी सब से पुरानी पारंपरिक खाद है. ढैंचा, लोबिया, उड़द व मूंग वगैरह को हरी खाद के लिए उगाएं और फिर जुताई कर के खेत में मिला कर सड़ा दें. यह भी एक अच्छा तरीका है. पुराने किसान आज भी इसे इस्तेमाल में लाते हैं  केंचुओं के द्वारा वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जाता है. यह बहुत ही उत्तम खाद होती है. इसे आजकल तमाम लोग इस्तेमाल कर रहे हैं.

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* जैविक खाद का मिश्रण तैयार करें (गोबर, मूत्र, गुड़, दाल और जीवाणु खाद मिला कर) और फसल में 5-6 बार तक इस्तेमाल करें. इसे बनाने के लिए इन सब को सड़ा कर तरल जैविक पदार्थ तैयार किया जाता?है.

* दानेदार रासायनिक खाद की जगह एनपीके पाउडर और चिलेटेड सूक्ष्म पोषक तत्त्वों को खड़ी फसल में स्प्रे करें.

* नीम और गौमूत्र वाले कीटनाशकों का ज्यादा इस्तेमाल करें.

* अच्छी गुणवत्ता वाले जैविक खेती से उत्पादित बीजों का इस्तेमाल करें.

* खरपतवार निकालने के लिए खड़ी फसल में निराईगुड़ाई करें. गरमियों में खेत की जुताई कर के खेत को कुछ दिनों के लिए खाली छोड़ दें.

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इस प्रकार के कुछ तरीकों को अपना कर जमीन, स्वास्थ्य और पर्यावरण को बचाया जा सकता?है और कम खर्च में टिकाऊ खेती की जा सकती है.

तैयार मिलती हैं जैविक खादें

आज कई कंपनियां जैविक उत्पाद बना रही हैं, लिहाजा उन्हें इस्तेमाल करें. नवभारत फर्टिलाइजर्स लि. कंपनी जैविक खेती के क्षेत्र में साल 1996 से पूरे भारत और नेपाल में किसानों की जरूरत के मुताबिक कृषि उत्पादों को बनाने वाली कंपनी है. यह कंपनी सभी फसलों के लिए प्रभावी जैविक उत्पाद तैयार करती है. साथ ही किसानों की मदद के लिए अनुभवी खेती के डाक्टरों की टीम भी मौजूद है. जैविक खेती के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए नवभारत फर्टिलाइजर के फोन नंबरों 0124-3212048, 01664-215305, 01274-261221 पर बात कर के सलाह ले सकते हैं. इस के अलावा आप अपने इलाके के कृषि जानकारों से बात कर के भी अच्छी कंपनी के उत्पादों को जान सकते?हैं. उन का तजरबा आप के काम आएगा.

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जैविक खादों से फायदे

* पौधों की ताकत बढ़ती है और उन में ज्यादा सर्दीगरमी से लड़ने की कूवत पैदा हो जाती है.

* फूलों और फलों की पैदावार में बढ़ोतरी होती है.

* जैविक खादें हर फसल के लिए फायदेमंद होती हैं.

* इन में नुकसान देने वाले जीवाणु नहीं होते हैं.

* फल, सब्जी, अनाज देखने में सुंदर और स्वादिष्ठ होते?हैं.

* पैदावार में बढ़ोतरी होती है और बीमारियों के प्रति लड़ने की ताकत बढ़ती है.

* बीजों का अंकुरण अच्छी तरह होता है.

* तैयार फल व सब्जियां हानिकारक रसायनों से रहित और पौष्टिक होती हैं.

* लगातार जैविक खेती करने से पैदावार में बढ़ोतरी होती है.

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* जैविक खाद के इस्तेमाल से पौधों में तमाम बीमारियों व कीड़ों से लड़ने की कूवत बढ़ती है, नतीजतन रासायनिक कीटनाशकों, रोगनाशकों व खरपतवारनाशकों का इस्तेमाल कम से कम हो जाता है. इस से किसानों का खर्च भी बचता है. आरगैनिक खेती के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए जैलदार बंधु आरगैनिक कृषि फार्म के मोबाइल नंबरों 09416392681, 09068506781 पर संपर्क कर सकते हैं.

मूत्रगोबर से बनाते हैं जीवामृत

गुजरी गांव (मध्य प्रदेश) के किसान अभिषेक गर्ग सिर्फ 1 गाय के मूत्र और गोबर में अन्य पदार्थो को मिला कर जैविक घोल तैयार करते है और उस तरल जैविक घोल को अपनी फसल में खाद के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. उन के अमरूद के बाग इसी जैविक घोल के इस्तेमाल से लहलहा रहे हैं. अभिषेक गर्ग ने इस घोल का नाम जीवामृत रखा है. उन का कहना है कि सिर्फ 1 गाय से तैयार इस जीवामृत से 30 एकड़ में खेती की जा सकती है, जो रासायनिक खाद की तुलना में बहुत किफायती है. जीवामृत  बनाने का तरीका : गाय से रोजाना मिलने वाले 10 किलोग्राम गोबर और गोमूत्र से तैयार मिश्रण में 1 किलोग्राम बेसन, 1 किलोग्रम गुड़, 1 किलोग्राम मिट्टी व 1 किलोग्राम मौसमी फसल डाल कर इस घोल को 7 दिनों तक सड़ाएं और पूरे हफ्ते तक हर रोज इसे 2 बार 5 मिनट तक हिलाएं. 1 हफ्ते बाद जैविक घोल तैयार हो जाता?है. इस घोल को छान कर फसल पर समयसमय पर छिड़काव करते रहें. किसान इस जैविक घोल को ज्यादा मात्रा में भी बना सकते हैं. अनुपात के मुताबिक केवल सामान की मात्रा बढ़ा लें.

रासायनिक खाद व जहरीली दवाओं के नुकसान

खेती की मिट्टी कठोर हो जाने से उस की पानी सोखने की कूवत कम हो जाती?है और बीजों का जमाव भी कम होने लगता है. तमाम तरह के फंगस, वायरस वगैरह की बीमारियां (जड़ व तना गलन, मरोडि़या, उखेड़ा, पीला और काला रतुआ, कंडुआ वगैरह) फसल में लगने लगती हैं और एक समय ऐसा आता है, जब कीटनाशकों का असर भी कम हो जाता है. रसायनों के इस्तेमाल से अनाज, सब्जी, फल व चारा वगैरह जहरीले होने लगते हैं. इनसानों और जानवरों में बीमारियों को बढ़ावा मिलता है और कैंसर, टीबी, डायबिटीज, हार्ट अटैक, स्वाइन फलू, जैसी बीमारियां भी मुंह बाए खड़ी रहती है

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