आमतौर पर चने से दाल और बहुत सारी खाने की चीजें बनाई जाती हैं. चने की हरी पत्तियों से साग बनाया जाता है. हरे व सूखे चने से सब्जी बनाई जाती?है. चने की दाल से बेसन बनाया जाता है, जिस से नमकीन और मिठाइयां बनाते हैं. चना दूध देने वाले पशुओं और बैलों के लिए भी एक बढि़या भोजन है. इस के भूसे को भी ज्यादातर पशु बेहद चाव से खाते हैं. काले चने में अनेक प्रकार के पोषक तत्त्व पाए जाते हैं. चने में 21.1 फीसदी प्रोटीन, 4.5 फीसदी वसा, 61.35 फीसदी कार्बोहाइड्रेट और इस के अलावा कैल्शियम, आयरन और कई तरह के विटामिन वगैरह तत्त्व पाए जाते हैं. हमारे खाने में प्रोटीन का खास महत्त्व होता है. हर व्यक्ति को अपने खाने में 70 ग्राम दाल जरूर लेनी चाहिए.

दलहनी फसलों में चने का खास स्थान है. यह रबी की खास फसल है. कुल दलहनी फसलों के करीब 27 फीसदी रकबे पर चने की खेती की जाती है. कुल दलहनी फसलों के उत्पादन का करीब 33 फीसदी भाग चने का होता है. भारत में करीब 250 लाख हेक्टेयर रकबे में दलहनी फसलें बोई जाती हैं व हर साल इन का उत्पादन करीब 130 लाख टन होता है. चना एक खास दलहनी फसल है. उत्तर प्रदेश में चने का रकबा 10.06 लाख हेक्टेयर?है. सूबे में चने की औसत पैदावार बहुत कम है. इसलिए इस का उत्पादन बढ़ाना होगा, क्योंकि रकबे को बढ़ाया नहीं जा सकता है. उन्नत तकनीक व पादप संरक्षण के तरीकों का सही इस्तेमाल न करने के कारण इस की राष्ट्रीय उत्पादकता मात्र 623 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर ही रह गई?है. इसलिए ज्यादा पैदावार लेने के लिए किसानों को नए तरीकों को अपनाना होगा, जिन का खुलासा यहां किया जा रहा है.

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