आज के समय में खेती करने के तौरतरीकों में खासा बदलाव आ चुका?है. पारंपरिक तरीके से की जाने वाली खेती में अब मशीनों का ज्यादा इस्तेमाल होने लगा है, जिस से फसल उत्पादन में तो बढ़ोतरी हो ही रही?है, खर्चा भी कम हो रहा है और फसल की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है. निराईगुड़ाई के काम में पहले किसानों का पूरा परिवार खेत में जुट जाता था. जरूरत होने पर बाहर के मजदूरों से भी काम लेना पड़ जाता था, जिस से मजदूरी भी बढ़ जाती थी. इस काम को करने के लिए कईकई दिन लग जाते थे, लेकिन अब निराईगुड़ाई के लिए हाथ से चलने वाली मशीनों से ले कर ट्रैक्टर में जोड़ कर चलने वाले तमाम यंत्र बाजार में मौजूद हैं. इन यंत्रों को किसान अपनी जरूरत के हिसाब से खरीद सकते हैं. छोटे जोत वाले किसानों के लिए कम कीमत वाले यंत्र और बड़े किसानों के लिए बड़े यंत्र बाजार में तैयार मिलते?हैं. इन को किसान अपनी जरूरत और पसंद के मुताबिक ले सकते?हैं.

सब से पहले किसान यह जान लें कि निराईगुड़ाई करने वाले यंत्रों का इस्तेमाल कतार में बोई जाने वाली फसलों में ही होता?है. इसलिए कोशिश करें कि फसल को कतारों में ही बोएं यानी छिटकवां तरीके से बीज न बोएं. कतार में बोने से बीजों की बचत के साथसाथ पैदावार भी अच्छी होती?है और फसल की देखरेख के साथसाथ दूसरे काम भी बेहतर तरीके से होते?हैं.

ये भी पढ़ें- अपनी दुधारू गाय खुद तैयार कीजिए-भाग ८

ट्रेकआन कल्टीवेटर कम वीडर

अमर हैड एंड गीयर मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी द्वारा बनाया गया यह यंत्र गन्ना, कपास, मैंथा, फूल, पपीता और केले की फसलों व दूसरी कतार वाली फसलों की निराईगुड़ाई व खाद मिलाने के काम आता है. यह यंत्र पहाड़ी इलाकों में कृषि व बागानों के काम के लिए भी कारगर है. इस से खेती करना आसान हो जाता?है और निराईगुड़ाई का खर्च तकरीबन 30 से 40 रुपए प्रति बीघा आता है. यह कल्टीवेटर कम वीडर 2 माडलों में मौजूद है. पहला मौडल टीके160पी पेट्रोल से चलने वाला है व दूसरा मौडल टीके 200के मिट्टी के तेल यानी केरोसिन से चलने वाला है. दोनों में 4 स्ट्रोक इंजन हैं. इस में 4.8 हार्सपावर का इंजन लगा है. इस में लगे रोटर की चौड़ाई 12 से 18 इंच तक है. इस यंत्र का वजन तकरीबन 80 किलोग्राम है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...