लेखक- डा. संजीव कुमार वर्मा, प्रधान वैज्ञानिक (पशु पोषण)
इस से पहले अंक में आप ने पढ़ा था : आप की गाय के गर्भकाल के 8 महीने पूरे हो चुके हैं. 9वां महीना बड़े ध्यान से निकालना पड़ता है. आप को अब गाय को दुहना बंद कर देना होता है और गाय के खानपान पर खास ध्यान देना होता है. गाय को किसी भी तरह का तनाव नहीं होना चाहिए और उसे दूसरे पशुओं से अलग कर देना चाहिए. अब पढि़ए आगे…

आप की गाय ने अभीअभी बच्चा दिया है. प्रसव के समय वह बहुत तनाव में थी. बच्चा देख कर अब वह कुछ रिलैक्स है. उस को थोड़ा नौर्मल होने दीजिए. उस के बाद वह अपने बच्चे को चाटचाट कर साफ करेगी. यह उस के अंदर कुदरती मातृत्व भाव है. बच्चे को चाटने की इस क्रिया के दौरान ही बच्चे और मां के बीच एक रिश्ता बनेगा, जो आने वाले दुग्धकाल के लिए भी बेहतर साबित होगा.वैसे, आजकल व्यावसायिक डेरी फार्मों में बच्चे को जन्म के साथ ही मां से अलग कर देते हैं. यहां तक कि खीस भी उन को कटोरे में ले कर पिलाते हैं. खैर, दोनों तरीकों के अपनेअपने फायदे और नुकसान हैं.इस समय गाय को हलका गरम पानी पीने के लिए दीजिए, मगर ध्यान रहे कि पानी बहुत ज्यादा गरम न हो. इस समय गाय को भूख भी उतनी नहीं लगेगी, जितनी उसे लगनी चाहिए. इस समय उसे ऊर्जा की बहुत जरूरत होती है और प्रोटीन की भी. मगर भूख कम लगने के चलते वह उतना ज्यादा नहीं खा पाती, इसलिए ब्याने के तुरंत बाद उसे कुछ ऐसा खाने को देना चाहिए, जो उसे तुरंत ऊर्जा दें.

प्रसव के तनाव से गुजरने के बाद गाय को हलकी, पचने वाली और हलकी दस्तावर खाने की चीज देनी चाहिए जैसे चावल, गेहूं, मोटे अनाज को मिला कर बनाए गए दलिया को उबाल कर उस में गुड़, सरसों का तेल, थोड़ी मेथी, काला जीरा, अदरक और हींग वगैरह मिला कर जितनी मात्रा वह आसानी से खा सके, उतनी देनी चाहिए.
इस के अलावा मुलायम हरा चारा और पीने के लिए साफ हलका गरम पानी दिया जाना चाहिए. साथ ही, कम से कम 100 ग्राम अच्छी क्वालिटी का विटामिन मिनरल मिक्सचर भी दिया जाना चाहिए.
यह खास इंतजाम कम से कम 2 से 3 दिन जारी रहना चाहिए. चौथे दिन से गाय अपने रूटीन चारे, भूसे और रातिब मिश्रण पर आ जाएगी. उस के बाद दूध की मात्रा के हिसाब से उस का भरणपोषण जारी रखना चाहिए. जैसेजैसे दूध की मात्रा बढ़ेगी, उस को दिए जाने वाले चारे भूसे और रातिब की मात्रा भी बढ़ती चली जाएगी. आने वाले 60 दिनों में उस का दूध उत्पादन हर दिन बढ़ेगा और तकरीबन 50 से
60 दिन में अपने उच्चतम हाई लैवल को हासिल कर लेगा. उस के बाद कुछ दिन उसी लैवल पर रहेगा और फिर थोड़ा घटना शुरू होगा.
ब्याने के चौथे दिन से खानपान का इंतजाम वैसा ही रहेगा, जैसा हम पहले ही बता चुके हैं.

आप की गाय बच्चा दे चुकी है. गाय ने बच्चे को चाट कर साफ भी कर दिया है. बच्चे को साफ करने में कुछ मदद आप ने भी की है. जन्म के पहले 4 घंटों के अंदर आप ने बच्चे को खीस भी पिलवा दिया है. मगर गाय ने जेर अभी तक नहीं डाली है.

यहां ध्यान देने वाली बात यह बात है कि गाय ने जेर गिराई हो या न गिराई हो, आप को बच्चे को दूध तुरंत ही पिलवा देना है. जेर गिरने का इंतजार नहीं करना है.
अगर आप की गाय सेहतमंद है और गर्भावस्था के दौरान उस की खिलाईपिलाई भरपूर हुई है और प्रसव सामान्य हुआ है, तो आमतौर पर जेर 5 से 6 घंटे के अंदर डाल दी जाती है.
अगर 12 से 24 घंटों के बाद भी जेर न डाली जाए, तो इसे जेर का रुक जाना या रिटैंशन औफ प्लेसैंटा कहते हैं. मगर अभी भी घबराने की कोई बात नहीं है. इस समय कुछ आयुर्वेदिक दवाओं को देने से जेर आसानी से बाहर आ जाती है.

तमाम कोशिशों के करने के बाद भी अगर ब्याने के 36 घंटे बाद तक भी गाय जेर न डाले, तो उस की सफाई करवाना जरूरी हो जाता है.जेर की सफाई बहुत ही ध्यान से करने वाला काम है, इसलिए इस काम के लिए आप को किसी पशुचिकित्सक से ही संपर्क करना चाहिए, जो सारी सावधानियों को अपनाते हुए इस काम को पूरी करेगा. अगर इस समय लापरवाही हुई तो समझो कि आप ने उस गाय को प्रजनन संबंधी रोगों के कुचक्र में फंसवा दिया है.

गाय ब्याने के बाद एक काम तो आप को करना है कि उसे पांत पका कर देनी है. आप की स्थानीय भाषा में इस का कुछ दूसरा नाम भी हो सकता है. इसे बनाने के लिए चावल, गेहूं, मोटे अनाज को मिला कर बनाए गए दलिया को पानी, गुड़, सरसों के तेल, मेथी, काला जीरा, सोंठ पाउडर (सूखा अदरक पाउडर) और हींग के साथ पकाया जाता है. इस की जितनी मात्रा गाय आसानी से खा सके, उतनी देनी होती है.
इस के अलावा उसे मुलायम हरा चारा और पीने के लिए साफ हलका गरम पानी दिया जाना चाहिए. साथ ही, कम से कम 100 ग्राम अच्छी क्वालिटी का विटामिन मिनरल मिक्सचर भी दिया जाना चाहिए. इसे देने से गाय को जेर गिराने में मदद मिलेगी.

अगर 12 से 24 घंटों के अंदर भी जेर नहीं डाली जाती है, तो उसे कोई भी यूटराइन टौनिक देना है जैसे यूटरोटोन या फिर यूटरोलीन या कोई भी ऐसा यूटराइन टौनिक, जो लोकल लैवल पर मिलता हो. इस की 100 से 125 मिलीलिटर दवा दिन में 2 बार देनी है, 4 से 5 दिन तक. जेर तो पहले ही गिर जाएगी, मगर फिर भी इस दवा को देते रहना है. इन सभी यूटराइन टौनिकों में कुछ जड़ीबूटियों के साथ कुछ मिनरल भी होते हैं जो जेर गिरने में मददगार होते हैं.

36 घंटों के बाद भी जेर न गिरे, तो पशुचिकित्सक से संपर्क कीजिए.
आप की गाय ने बच्चा भी दे दिया. बच्चा सेहतमंद भी है. आप ने उसे समय से खीस भी पिलवा दिया. मगर आप की गाय ने जेर 12 से 24 घंटे बीत जाने पर भी नहीं डाली थी. सोचने की बात यह है कि ऐसे हालात आए ही क्यों?जेर रुकने की कई वजहें हो सकती हैं, जैसे :
* गाय की उम्र ज्यादा होने पर यह समस्या आ सकती है.
* गाय की सेहत अच्छी न होने पर ऐसा हो सकता है.
* गाय अगर ब्रूसेलोसिस बीमारी से पीडि़त है, तो जेर रुक सकती है.
* गाय को कोई अंदरूनी इंफैक्शन है, तो भी ऐसा हो सकता है.
* गर्भाशय की मांसपेशियां अगर ठीक से काम नहीं कर रही हैं, तो भी यह समस्या आ सकती है.
अब चर्चा करते हैं कि यह समस्या आई ही क्यों? क्या इसे रोका जा सकता था?
यह समस्या आई है गर्भावस्था के दौरान गाय के पोषण पर ध्यान न देने के चलते.
गर्भावस्था के दौरान गाय को संतुलित पोषण मुहैया करवाने पर यह समस्या आने की संभावना बहुत कम हो जाती है. संतुलित पोषण से मतलब है पूरी मात्रा में हरा चारा, भूसा और रातिब मिश्रण.
गर्भावस्था का 7वां, 8वां और 9वां महीना बहुत अहम होता है. इस दौरान संतुलित पोषण, पीने के लिए साफ पानी और साफसुथरा पशु बाड़ा होने पर जेर रुकने की समस्या बहुत कम हो जाती है.वे पोषक तत्त्व, जिन की कमी से जेर रुकने की समस्या बढ़ जाती है.
ऊर्जा : गर्भावस्था के दौरान गाय के खानपान में ऊर्जा की मात्रा कम होने पर यह समस्या आएगी, इसलिए आखिरी 4 हफ्ते में राशन में ऊर्जा की मात्रा बढ़ानी होगी. ऊर्जा की मात्रा बढ़ाने के लिए गाय को अतिरिक्त अनाज और अतिरिक्त गुड़ दिया जा सकता है.
प्रोटीन : गर्भावस्था के दौरान अगर गाय के आहार में प्रोटीन की कमी होगी, तो यह समस्या ज्यादा आएगी, इसलिए 6 महीने के बाद गाय का खास ध्यान रखना है.
कैल्शियम और फास्फोरस :गर्भावस्था के दौरान गाय के राशन में कैल्शियम और फास्फोरस की कमी होने पर भी यह समस्या पैदा होगी.
विटामिन डी : गर्भावस्था के दौरान गाय को धूप न मिलने या अंधेरे कमरे में ही बांधे रखने से भी विटामिन डी की कमी हो जाएगी. इस के चलते कैल्शियम का सही इस्तेमाल नहीं हो पाएगा और नतीजा होगा जेर रुकने की समस्या.
विटामिन ई : गर्भावस्था के दौरान गाय के राशन में विटामिन ई की कमी होने पर भी यह समस्या आएगी.
सेलेनियम : गर्भावस्था के दौरान सेलेनियम की कमी होने पर भी जेर रुकने की समस्या पैदा होगी.
विटामिन ए : गर्भावस्था के दौरान विटामिन ए की कमी होने पर भी जेर रुक सकती है.
इन सभी पोषक तत्त्वों को सप्लाई करने का सब से बेहतरीन जरीया है हरा चारा, इसलिए गर्भावस्था के दौरान गाय को हरा चारा जरूर दें. इस के अलावा रातिब मिश्रण बनाते समय उस में 2 फीसदी विटामिन खनिज मिश्रण मिलाने पर बताए गए सभी खनिज और विटामिनों की कमी नहीं रहेगी.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...