लेखक-  जितेंद्र द्विवेदी

बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के नौतन प्रखंड में ग्राम पंचायत जगदीशपुर का एक टोला डेगौना है, जहां50 प्रतिशत से अधिक किसान सब्जियों की खेती करते हैं. अनुसूचित जाति बहुल इस गांव को बाढ़ तो कभीकभार ही प्रभावित करती है, परंतु मौसम की मार किसानों पर समयसमय पर पड़ती ही रहती है.

असमय वर्षा, अधिक वर्षा, जाड़ा अथवा अधिक गरमी के कारण विशेषकर छोटे, मझोले किसान समय पर सब्जियों की खेती नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें समय पर नर्सरी की उपलब्धता नहीं हो पाती है. जब गोभी, टमाटर, बैगन, मिर्च आदि के बीजों से नर्सरी तैयार करने का समय होता है, उस समय बरसात का समय होने के कारण उन की जमीन में नमी अधिक होती है, जिस से वे बीज नहीं डाल पाते और समय पर नर्सरी तैयार नहीं होती. नतीजतन उन को दाम भी कम मिलता है.

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यहां पर सब्जी की खेती करने वाले किसानों के समक्ष आने वाली समस्याआें को बिंदुवार देख सकते हैं :

* प्रतिकूल मौसमों के चलते नर्सरी तैयार करने में बाधा आती है.

* नर्सरी के लिए बाजार पर निर्भरता होने के कारण गुणवत्तापूर्ण पौधों की उपलब्धता नहीं हो पाती.

* समय पर नर्सरी के पौधों के न मिलने से उपज और दाम दोनों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.

इन समस्याओं से निबटने के लिए गोरखपुर एन्वायरमेंटल एक्शन ग्रुप ने विज्ञान एवं तकनीकी डीएसटी कोर सपोर्ट परियोजना के तहत चयनित किसान छठिया देवी पत्नी सुरेश भगत की जमीन पर एक ग्रीन हाउस बनाने में अपना तकनीकी योगदान दिया. 30 फुट लंबाई व 20 फुट चौड़ाई वाले इस ग्रीनहाउस ने छठिया देवी के खेती की दिशा ही बदल दी.

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अब छठिया देवी व्यावसायिक स्तर पर समय से पूर्व ही नर्सरी तैयार कर उसे स्वयं भी रोप लेती हैं और दूसरे किसानों को भी दे रही हैं. फलस्वरूप उन की खेती समय से हो रही है और बाजार में समय से जाने पर अच्छा दाम मिल रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ  अन्य किसानों को नर्सरी के पौधों की बिक्री करने से आय भी प्राप्त हो रही है.

यह पौलीहाउस पौलीथिन और जाली से बनने के कारण इस का उपयोग मौसम के अनुसार किया जा सकता है अर्थात तेज धूप के समय पौलीथिन को हटा कर सिर्फ जाली से ही पौलीहाउस को ढक सकते हैं.

पौलीहाउस में नर्सरी तैयार

करने की तकनीक

* पौलीहाउस में बेड विधि से नर्सरी तैयार की गई.

* बेड भूमि सतह से 6 इंच ऊपर और

4 फुट चौड़ाई व 10 फुट लंबाई में तैयार किया गया.

* बेड की तैयारी में कंपोस्ट खाद, राख, नीम की खली और अंडे के चूर्ण का मिश्रण तैयार कर मिलाया गया.

* लाइन सोइंग विधि का उपयोग करते हुए बीज की बोआई की गई.

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* पंक्ति से पंक्ति की दूरी 5 सैंटीमीटर रखी गई.

* बीज को आधा सैंटीमीटर गहराई में बोआई की गई व बोआई के उपरांत अखबार बिछा कर ऊपर से सूखे खरपतवार से 36 घंटे तक ढक दिया गया.

* 1-2 हलकी सिंचाई हजारे से करें.

ग्रीन/पौलीहाउस का फायदा

ग्रीनहाउस में नर्सरी तैयार करने के फायदे को इस तरह देखा जा सकता है :

* बाहर डाली गई नर्सरी की तुलना में पौलीहाउस में नर्सरी जल्दी तैयार होती है. बाहर की अपेक्षा 10 दिन पहले नर्सरी तैयार हो जाती है.

* पौधों की बढ़वार बाहर की नर्सरी की अपेक्षा अधिक तीव्र गति से होती है.

* पौलीहाउस में उगाए गए पौधे रोगरोधी और स्वस्थ होते हैं.

* बाहर की अपेक्षा पौलीहाउस में खरपतवार कम उगते हैं.

* पौधों का बारिश से बचाव होता है.

* समय से सब्जियों की खेती हो पाती है.

सीमाएं

* इतने सारे फायदों के साथ एक बिंदु यह भी है पौलीहाउस में तैयार नर्सरी के पौधे अधिक तीव्र गति से बढ़ने के कारण पौधे पतले और लंबे हो जाते हैं.

* तैयार पौधों को पौलीहाउस में अधिक समय तक नहीं रोका जा सकता है.

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