‘रखैल, जिसे अंगरेजी भाषा में ‘कैप्ट’ कहा जाता है, शब्द सुनते ही किसी भी पत्नी के तेवर टेढ़े हो जाने स्वाभाविक हैं क्योंकि कोई भी औरत किसी पुरुष की पत्नी का दरजा हासिल करने में गरिमामय रहती है और रखैल बनते ही शर्मिंदगी का दूसरा नाम बन जाती है. फिर, आखिर क्या हो जाता है कि एक पति, पत्नी के स्थान पर एक अन्य महिला को दिल दे बैठता है या उस का दिल खुदबखुद उस ओर खिंच जाता है?
रखैल यानी वह औरत जिसे किसी भी पति ने अपनी पत्नी के अलावा अपने लिए रखा है. उस पुरुष के भावनात्मक व शारीरिक सभी अधिकार उस की रखैल को स्वत: मिल जाते हैं. वह उस के पास जाता है और शायद वहां जा कर उसे वह सुकून मिलता है जिस की उसे तलाश रहती है.
आमतौर पर भारतीय समाज में स्त्रियां शांत मानी जाती हैं और पुरुष को चंचल प्रवृत्ति का माना जाता है. यह बात भी विचारणीय है कि दिल कब किसी की ओर झुक जाता है, यह पता ही नहीं चलता और कब एक पुरुष की जिंदगी में पत्नी के स्थान पर उस की प्रेमिका या रखैल अपनी जगह बना लेती है, इस से पुरुष स्वयं अनजान रहता है.
प्रश्न यह उठता है कि आखिर क्यों एक पुरुष का झुकाव परस्त्री की ओर हो जाता है? क्यों वह अपनी पत्नी से अधिक सुकून रखैल के पास जा कर महसूस करता है? क्या इस के लिए पत्नी ही पूरी तरह से उत्तरदायी है? इस बाबत हर उम्र की शिक्षित व अल्पशिक्षित कुछ महिलाओं से बात की गई.
देखिए, क्या कहती हैं ये महिलाएं-
कांता तिवारी जीवन के 48 वसंत पार कर चुकी हैं. वे कहती हैं, ‘‘इस के लिए पूरी तरह से स्त्री ही दोषी है क्योंकि यह तब होता है जब कोई आदमी घर के माहौल या घर के लोगों से परेशान रहता है और घर में उसे वह सुकून नहीं मिलता जिस की उसे तलाश है. ऐसे में जब कोई उसे समझने वाला मिल जाता है तो उस का झुकाव उधर हो जाता है.’’
मंजू सिंह एक गृहिणी, विवाहित बेटी की मां और रिटायर्ड कर्नल की पत्नी हैं. वे कहती हैं, ‘‘विवाह के बाद एक पत्नी को समझना चाहिए कि उस का पति उस से क्या चाहता है. जब पत्नी अपने पति को समझने में भूल कर देती है तो ऐसे में आदमी को भावनात्मक सहयोग जिस से भी मिलता है वह उस की ओर खिंच जाता है, फिर चाहे वह नातेरिश्ते की कोई भाभी, बहन हो या औफिस की कोई सहकर्मी. इसलिए जब यह सहयोग घर से बाहर अधिक मिलता है तो घर यानी पत्नी गौण हो जाती है.’’
कीर्ति दुबे एक स्कूल में शिक्षिका हैं, कहती हैं, ‘‘घर आने पर जब रोजरोज चिकचिक और ताने मिलते हैं, एकदूसरे से शिकवाशिकायतें होती हैं तो आदमी घर क्यों आएगा, वह तो वहां जाएगा न, जहां उसे ठंडी बयार यानी प्यार और अपनापन मिलेगा. घर ऐसा हो जहां आ कर आदमी को सुकून का एहसास हो और घर वालों से मिलने के लिए वह लालायित रहे.’’
वीणा नागर, 2 बहुओं और 2 पोतियों की दादी हैं, ने स्वयं इस दंश को झेला है. वे कहती हैं, ‘‘कम उम्र में शादी हो गई. अपने पति के बारे में कुछ नहीं जानती थी. मैं गांव की बहुत सीधीसादी और साधारण रूपरंग की थी. वे राजनीति में अच्छा दखल रखते थे. उन्हें मौडर्न, शिक्षित पत्नी चाहिए थी जो उन की हाई प्रोफाइल सोसाइटी में फिट हो सके. मैं उन की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पा रही थी. एक बार बीमारी के कारण वे अस्पताल में भरती रहे. वहीं पर न जाने कब वे एक नर्स को दिल दे बैठे. पानी सिर के ऊपर से निकल चुका था. शुरू में बहुत झगड़ा किया पर उस से कुछ हासिल नहीं हुआ. क्या करते, समझौता कर लिया. घरबाहर सभी को पता है. पर जब उन्हें वहां ही जाना पसंद है तो फिर क्या. हां, हमारा ध्यान भी पूरा वे रखते हैं. सामाजिक व पारिवारिक रूप से मैं ही उन की पत्नी हूं पर…’’
उपरोक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि यदि किसी पुरुष की रखैल है तो पूरी तरह तो नहीं, परंतु आंशिक रूप से पत्नी भी दोषी है, फिर चाहे उस के कारण प्रत्यक्ष हों या अप्रत्यक्ष.
पति के प्रति लापरवाही
पतिपत्नी 2 अलगअलग परिवार और परिवेश से आते हैं. उस के बाद भी प्रारंभ के दिनों में पतिपत्नी में एकदूसरे के प्रति बहुत आकर्षण रहता है. किंतु बच्चे होने और परिवार की जिम्मेदारी बढ़ने के साथसाथ इस झुकाव में कमी होने लगती है. महिलाएं घर और परिवार में इतनी अधिक व्यस्त हो जाती हैं कि वे अपने पति की ओर से लापरवाह हो जाती हैं. जब औफिस से आ कर पति अपनी परेशानी या खुशी अपनी पत्नी के साथ बांटना चाहता है तो पत्नी के पास समय ही नहीं होता. ऐसे में पति का झुकाव कई बार घर से बाहर दूसरी महिला के प्रति हो जाता है.
पति को न समझ पाना
पति को न समझना भी पतिपत्नी के रिश्ते में रखैल नाम के रिश्ते को जन्म देता है. इस का एक अहम कारण है. कई बार देखा जाता है कि पति अपनी पत्नी को स्मार्ट और मौडर्न ड्रैसेज में देखना चाहता है और इस के लिए वह प्रयास भी करता है. परंतु पत्नी अपनेआप में कोई परिवर्तन नहीं करती. एक पति ने अपनी पत्नी को सूट पहनने, गाड़ी चलाने, स्वतंत्ररूप से कंप्यूटर आदि चलाने की पूरी छूट दे रखी है परंतु पत्नी अपनेआप को परिवर्तित करने को ही तैयार नहीं. ऐसे में जब उसे कोई मनपसंद मिलता है तो भी कई बार पति का मन भटक जाता है.
घर का वातावरण
निर्मेश जब भी औफिस से घर आते, बस चाय का प्याला थमाते ही नमिता दिनभर का पूरा ब्योरा देने के बाद, अधूरे कामों की लंबी लिस्ट गिनाती और फिर बच्चे को निर्मेश को थमा निकल जाती अपने दोस्तों के साथ. कई बार तो घर आए मेहमानों के सामने भी वह निर्मेश की बेइज्जती करने से नहीं चूकती थी. ऐसे में जब निर्मेश की औफिस असिंस्टैंट ने उसे तरजीह देनी शुरू की तो निर्मेश कब उस की ओर झुक गया, उसे खुद ही पता नहीं चला.
यौन जरूरतें
चिकित्साशास्त्र ने यह प्रमाणित किया है कि महिलाओं को जहां अपने पति से भावनात्मक लगाव की आवश्यकता होती है वहीं पुरुषों को पत्नी से शारीरिक संबंधों की आवश्यकता अधिक होती है. ऐसे में जबजब पति को पत्नी से शारीरिक संबंधों की जरूरत होती है और पत्नी की ओर से बारबार न की जाती है तो अपनी शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पुरुष का झुकाव कहीं और हो ही जाता है.
स्वयं के प्रति लापरवाही
आमतौर पर विवाह के बाद महिलाएं अपने प्रति बहुत जागरूक, साफसुथरी और स्मार्ट हो कर जीती हैं. परंतु बच्चा होने और घरपरिवार की जिम्मेदारियों के बोझ तले अपने शरीर और व्यक्तित्व के प्रति लापरवाह हो जाती हैं और यह लापरवाही कभीकभी उन के पतिपत्नी के रिश्ते पर भारी पड़ जाती है.
बेमेल विवाह
कई बार कम उम्र में या बच्चे की पसंद पूछे बिना ही विवाह कर दिया जाता है. एक पिता ने अपने बेटे की शादी, बेटे के मना करने के बाद भी, अपने एक मित्र की अल्पशिक्षित बेटी से कर दी. नतीजा, शादी चली ही नहीं और बेटे का, इस बीच, अपने औफिस की सहकर्मी से लगाव हो गया. बाद में पूर्व पत्नी से तलाक ले कर उस ने उस सहकर्मी से विवाह कर लिया.
मनोवैज्ञानिक काउंसलर निधि तिवारी कहती हैं, ‘‘विवाह पतिपत्नी दोनों का रिश्ता है और उसे निभाने की जिम्मेदारी भी दोनों की होती है. यह सही है कि काफी हद तक पति की रखैल के लिए पत्नी जिम्मेदार है परंतु इसे पूरी तरह सही नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि इस के लिए कहीं न कहीं पति का उच्छृंखल मन भी उत्तरदायी होता है.
‘‘पतिपत्नी एक ही गाड़ी के 2 पहिए होते हैं. ऐसे में यदि गाड़ी का एक पहिया पटरी से उतर जाए या टूट जाए तो दूसरे का दायित्व उस पहिए को दुरुस्त कर के संतुलन को कायम रखना है, न कि पहिए को ही बदल देना. महिला यदि घरपरिवार में उलझ कर पति की ओर या अपने प्रति लापरवाह हो जाती है तो पति को उसे सहायता और सहयोग कर के अपने संबंध को मजबूत बनाना चाहिए.’’
क्या है समाधान
कई बार ऐसे संबंधों का पता चलने पर महिलाएं बहुत अधिक क्रोधित हो जाती हैं, बातबात पर पति को ताने देना, सरेआम बेइज्जती करना और उन्हें अनदेखा करना प्रारंभ कर देती हैं. इस से समस्या कम होने के बजाय और अधिक बढ़ जाती है. इस प्रकार की समस्या का समाधान प्यार, आत्ममूल्यांकन, पति से बातचीत के द्वारा दूर करने का प्रयास करना चाहिए. यदि कोई भी समाधान नजर नहीं आए, तो काउंसलर की मदद ले कर समस्या को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए.