पटना: लीची किसानों को इस बार काफी नुकसान हुआ है. मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर और पूर्वी चंपारण के साथ बेगुसराय, भागलपुर और सीतामढ़ी के लीची किसान परेशान हैं. इस बार मौसम सही रहने के कारण लीची की पैदावार तो अच्छी हुई है, लेकिन उन्हें खरीदार नहीं मिल पा रहे हैं.
बता दें कि बिहार में लीची का कारोबार 1,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का होता था, वहीं सिर्फ मुजफ्फपुर से ही तकरीबन 500 करोड़ रुपए का लीची कारोबार होता था, लेकिन इस बार लीची की खेती करने वाले किसानों को जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ सकता है.
हालांकि राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर के निदेशक विशाल नाथ ने कहा कि किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान होने की संभावना कम है क्योंकि 50 फीसदी किसानों के लीची के बागान को बड़े वेंडर द्वारा निश्चित राशि तय कर 4 से 5 साल के लिए खरीद लिया जाता है. इस कांट्रेक्ट से किसानों को घाटा होने का डर खत्म हो जाता है.
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इस के अलावा 30 फीसदी ऐसे वेंडर भी होते हैं, जो 1 से 2 साल के लिए बागान खरीदते हैं, बाकी बचे 20 फीसदी किसान फसल की पैदावार करने से ले कर उसे मार्केट में बेचने का काम करते हैं.
उन्होंने यह भी बताया कि इस बार लीची की तैयार फसल को बाहर ले जाने के लिए ट्रांस्पोटेशन की समस्या आ सकती है.
बिहार के लीची ग्रोवर्स एसोशिएशन के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया कि इस बार मौसम की अनुकूलता की वजह से लीची की पैदावार अच्छी हुई है. लेकिन मुश्किल यह है कि इस बार खरीदार नहीं मिल पा रहे. पैसों की कमी की वजह से लोगों में खरीदारी क्षमता भी कम हो रही है. इस से लीची के कारोबार पर बड़े पैमाने पर असर पड़ने की संभावना है.
मैंथोल भेजा जाएगा विदेश
रामपुर: मैंथोल की विदेशों में भारी मांग है. इस का दवाओं में काफी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है. 20 अप्रैल से फैक्टरी चलाने की अनुमति मिलने के बाद अब मैंथोल कारोबार को गति मिली है.
अमेरिका, इटली, जरमनी समेत कई देशों ने रामपुर के निर्यातकों से मैंथोल की मांग की है. इस बात को ध्यान में रख कर अब मैंथा उद्यमियों की अनुमति को जिला प्रशासन ने मान लिया है.
इस के बाद अमेरिका समेत फ्रांस, ब्रिटेन, जरमनी, नाईजीरिया, ब्राजील और सिंगापुर को मैंथोल का निर्यात किया जा सकेगा.
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उत्तर प्रदेश मैंथा एक्सपोर्टर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु कपूर बताते हैं कि रामपुर से सालभर में 1750 करोड़ रुपए का मैंथोल एक्सपोर्ट होता था, जबकि पूरे प्रदेश से 3000 करोड़ और देश से 6500 करोड़ का निर्यात किया जाता है.
रामपुर में हजारों किसान मैंथा की फसल उगाते हैं और फिर टंकियों में तेल निकाल कर बेचते हैं. इस के बाद फैक्टरियों में मैंथोल व पाउडर वगैरह तैयार कर दुनियाभर में एक्सपोर्ट किया जाता है.
चीन को भी मैंथा पाउडर एक्सपोर्ट किया जाता है, जबकि अमेरिका, इटली, स्पेन, जरमनी, ब्राजील वगैरह देशों को क्रिस्टल और मैंथोल का एक्सपोर्ट होता है.
वैसे, मैंथोल का प्रयोग बदन के दर्द को दूर करने की दवा बनाने में किया जाता है. साथ ही, कफ सीरप और विक्स में भी इस का इस्तेमाल होता है. खांसीजुकाम में भी इस का इस्तेमाल किया जाता है. साबुन और सैनेटाइजर में भी मैंथा उत्पादों का प्रयोग होता है.
धान न उठाने पर दिया नोटिस
मीरजापुर: धान गोदाम में धान पड़ा हुआ है, पर धान क्रय केंद्रों से धान का उठान न होने पर सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक (सहकारिता) मित्रसेन वर्मा ने क्रय केंद्र प्रभारी भुइली, चैकिया, अहरौरा को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया.
उन्होंने नोटिस जारी करते हुए कहा कि मूल्य समर्थन योजना वर्ष 2019-20 के तहत क्रय किया गया धान गोदाम पर पड़ा है. क्रय केंद्र से धान उठाने के लिए पीसीएफ द्वारा राइस मिल लगाई गई है.
धान खरीद बंद होने के काफी दिन के बाद भी धान का उठान न कराया जाना घोर लापरवाही है.
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यदि धान मिलर से संपर्क कर एक हफ्ते के अंदर उठान नहीं कराया जाता है और समिति व पीसीएफ की परिसंपत्तियों को नुकसान होता है, तो मिलर के साथसाथ किसान भी उत्तरदायी होंगे.
वहीं धान मिलर से भी यह कहा गया है कि आप के द्वारा क्रय केंद्र से अवशेष धान का उठान क्यों नहीं किया गया. कारण स्पष्ट करें अन्यथा अनुबंध का पालन न करने व शासनादेश का उल्लंघन करने संबंधी धाराएं लागू होंगी.
पहली बार गरीबों को मिलेगा मुफ्त राशन
जालंधर: गरीबों को राशन मुहैया कराने के लिए पंजाब में पहली बार केंद्र सरकार की ओर से बिना किसी शुल्क के राशन मुहैया कराया जाएगा.
यह राशन पंजाब सरकार द्वारा चलाई जा रही आटादाल स्कीम के तहत बनाए गए नीले कार्डों पर ही दिया जाएगा. वितरण राशन डिपो के माध्यम से किया जाएगा. इस में 3 माह के लिए गेहूं और दालें शामिल रहेंगी.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत यह राशन मुफ्त मुहैया कराया जाएगा. राशन के वितरण में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जिला स्तर पर कमेटियां बनाए जाने को सुनिश्चित किया गया है.
इस योजना के तहत नीले कार्ड में दर्ज प्रति सदस्य 5 किलो गेहूं के हिसाब से वितरण होगा.
मिसाल के तौर पर अगर 4 सदस्यों का कार्ड है, तो उस पर हर महीने 20 किलो गेहूं के हिसाब से 3 महीने का एकसाथ 60 किलो गेहूं दिया जाएगा, जबकि दाल प्रति कार्ड 1 महीने की 1 किलो ही जारी होगी. इस हिसाब से 3 महीने की दाल 3 किलो एकसाथ दी जाएगी.
नियमों के मुताबिक ही राशन दिया जाएगा. इस के बाद जरूरत पड़ने पर इस योजना के तहत राशन वितरण करने की अवधि को और आगे भी बढ़ाया जा सकता है.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के लागू करने के साथ ही पंजाब सरकार द्वारा अलग से चलाई जा रही आटादाल स्कीम के तहत राशन का वितरण नहीं किया जाएगा. इस स्कीम के तहत लाभार्थियों को केवल 2 रुपए प्रति किलो गेहूं दिया जाता है, जबकि निशुल्क राशन देने की योजना लागू होते ही पंजाब सरकार की स्कीम को रोक दिया जाएगा.
मुफ्त राशन केवल उन्हीं को मिलेगा, जो खाद्य आपूर्ति विभाग के पोर्टल पर अपलोड होंगे या जिन लोगों ने नीले कार्ड के लिए आवेदन किया था.
डीएफएससी नरेंद्र सिंह बताते हैं कि मुफ्त राशन वितरण में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन द्वारा कमेटी बनाई जाएगी. डिपो होल्डर के मारफत होने वाले राशन के वितरण में किसी भी तरह की अनियमितता बरदाश्त नहीं की जाएगी.
अब मिठास घोलेगी नई चीनी रोगों से भी लड़ सकेगी
कानपुर: बच्चों को ज्यादा चीनी न खिलाओ वरना दांत सड़ जाएंगे और बड़ों को हिदायत दी जाती कि डायबिटीज हो जाएगी, लेकिन अब चीनी न सिर्फ रोगों से लड़ने की ताकत देगी, बल्कि आंखों की रोशनी भी बढ़ाएगी.
जी हां, नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट ने विटामिन ‘ए‘ वाली चीनी तैयार की है, जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी.
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, दुनियाभर में 20 करोड़ से अधिक बच्चे विटामिन ‘ए‘ की कमी के शिकार हैं. इस की कमी से उन की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने और आंखों की रोशनी की भी समस्या है. साथ ही, शरीर का विकास भी ठीक से नहीं होता है. विटामिन ‘ए‘ की कमी को पूरा करने के लिए खाद्य पदार्थों में इस को मिलाया जा रहा है.
अमेरिका, आस्ट्रेलिया, इंगलैंड, फ्रांस, जरमनी, केन्या, नाईजीरिया आदि देशों में विटामिन ‘ए‘ को चीनी में मिलाने का प्रयोग हुआ, लेकिन यह सफल नहीं हो सका. वजह, चीनी में विटामिन ‘ए‘ की सही मात्रा नहीं मिल पाई.
एनएसआई के निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन के निर्देशन में वैज्ञानिकों ने काम किया. 3 साल के शोध के बाद चीनी में विटामिन ‘ए‘ की सही मात्रा मिल सकी.
उन्होंने बताया कि चीनी बनाने में कोक्रिस्टिलाइजेशन और कूलिंग तकनीक अपनाई गई. सब से पहले गन्ने के रस को शुद्ध किया गया. चीनी के घोल को गाढ़ा करने की प्रक्रिया की गई. इस के क्रिस्टल रूप में आने से पहले विटामिन ए को मिला दिया गया. दोनों क्रिस्टल रूप में तैयार हो गए. कूलिंग तकनीक से चीनी और विटामिन ‘ए‘ मिल गए.
संस्थान ने विटामिन बी, डी, आयरन, फोलिक एसिड पर काम शुरू किया और इन को भी चीनी के साथ मिलाया जाएगा. प्रति ग्राम चीनी में 15.5 से 19.5 माइक्रोग्राम विटामिन ‘ए‘ की मात्रा रहेगी.
उन के मुताबिक, चीनी में विटामिन ‘ए‘ 6 महीने तक सुरक्षित रहेगा. चीनी को सूरज की रोशनी में रखा जाएगा, लेकिन अधिकतम तापमान 40 डिगरी सैल्सियस से अधिक न हो, जबकि नमी 65 फीसद से कम रहे. विटामिन ‘ए‘ वाली चीनी का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पेटेंट कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. हालांकि इस प्रक्रिया के बाद चीनी की कीमत में कुछ इजाफा होगा.
चला औपरेशन किलिंग: मार दीं हजारों मुरगियां
नवादा: बर्ड फ्लू के कारण हजारों मुरगियों को जिंदा ही मार दिया गया. बिहार के नवादा जिले में स्थित अकबरपुर प्रखंड के रजहत गांव के नजदीक मो. मसीउद्दीन के पॉल्ट्री फार्म की मुुरगियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद ‘ऑपरेशन किलिंग‘ अभियान चलाया गया.
इस दौरान सभी मुरगियों को मार कर उन्हें प्लास्टिक के थैले में बंद कर जेसीबी से गड्ढों में जमींदोज करा दिया.
जिलाधिकारी से इस के लिए हरी झंडी मिलने के बाद यह अभियान चलाया गया. पॉल्ट्री फार्म की तकरीबन 8,000 मुरगियों को मारा गया.
दरअसल, कुछ दिन पहले इस फार्म की कई मुरगियों को मरते हुए पाया गया था. फार्म के मालिक ने पशुपालन विभाग को सूचना दी थी. इस के बाद सैंपल ले कर कोलकाता जांच के लिए भेजा गया, जहां बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई. इस के बाद जिलाधिकारी के आदेश पर यह कार्यवाही की गई.
जिला पशुपालन पदाधिकारी डाक्टर तरुण कुमार उपाध्याय और कुक्कुट पदाधिकारी डाक्टर श्रीनिवास शर्मा की देखरेख में 5 सदस्यों की टीम ने पॉल्ट्री फार्म में रह रहीं मुरगियों को अपने सामने मरवाया.
बर्ड फ्लू के लक्षण मिलने के बाद सभी मुरगे व अंडे की दुकानें बंद कर दी. रजहत स्थित पॉल्ट्री फॉर्म को केंद्र मान कर 9 किलोमीटर की परिधि तक सर्वे एरिया घोषित किया गया. इन क्षेत्रों में मुरगी, अंडे व मुरगी के खाद्य पदार्थों के आनेजाने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई.
किसानों को राहत
अब सीधे गांवों से बेच सकेंगे फसल
देहरादून: किसानों को कृषि उपज बेचने और इस के भंडारण में आ रही दिक्कतों को देखते हुए सरकार ने किसानों को बड़ी राहत दी है. अब वे गांव या कोल्ड स्टोर, क्लस्टर से भी कृषि उपज बेच सकेंगे यानी कारोबारी अब सीधे गांवों में किसानों से गेहूं, फलसब्जी समेत दूसरे कृषि उत्पाद खरीद सकेंगे. इस से किसानों को अपने उत्पादों को मंडी तक ले जाने के झंझट से नजात मिल जाएगी.
हालांकि, यह व्यवस्था हौटस्पाट वाले इलाकों को छोड़ राज्य व राज्य के दूसरे हिस्सों में ही मान्य होगी.
उत्तराखंड कृषि उत्पाद (विकास एवं विनियमन) अधिनियम में संशोधन करते हुए शासन ने अधिसूचना जारी की.
खेती के कामों के साथ ही कृषि उपज की खरीदारी पर असर न पड़े, इस के सरकार ने सशर्त छूट दी है. इस के बावजूद किसानों को कृषि उपज को बेचने और भंडारण के लिए नजदीक में उचित जगह न मिलने से कठिनाई आ रही थी. इसे देखते हुए सरकार ने यह कड़ा कदम उठाया.
मुख्य सचिव उत्पल सिंह की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, प्रदेश में घोषित मंडी क्षेत्र के तहत किसान, किसान समूह, कृषि उत्पाद संस्थाओं, सहकारी समितियों वगैरह को सीधे किसान से कृषि उपज क्रयविक्रय की अनुमति दी गई है.
साथ ही, मंडी क्षेत्र के तहत स्थित कोल्ड स्टोरेज, गोदाम, क्लस्टर को उपमंडी स्थल घोषित किए जाने की अनुमति दी गई है. सब से अहम यह है कि कृषि उत्पादों की विकेंद्रीकृत मार्केटिंग को प्रोत्साहन और गांव लैवल से अधिप्राप्ति की अनुमति जारी की गई.
अधिसूचना के बाद यह राहत मिल गई है कि कोई कहीं भी थोक कारोबार कर सकता है. गांवों से भी सीधे किसानों से कारोबारी फसल उपज खरीद सकते हैं.
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि किसानों को किसी प्रकार की कोई दिक्कत न आए, इस के लिए सरकार पूरी तरह गंभीर है.
किसानों का अनाज खरीदना सरकार की प्राथमिकता
रेवाड़ी: सहकारिता मंत्री डाक्टर बनवारी लाल ने क्षेत्र की मंडियों का दौरा किया और खरीद व्यवस्था का जायजा लिया. उन्होंने वहां मौजूद अधिकारियों को उचित व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए. उन्होंने बिठवाना, गढ़ी बोलनी, टांकड़ी, बनीपुर चैक, बावल अनाज मंडी में पहुंच कर खरीद व्यवस्था का जायजा लिया.
उन्होंने कहा कि किसानों का एकएक दाना खरीदना सरकार की प्राथमिकता है. साथ ही, सुरक्षित रहने के लिए किसानों से मंडी में मास्क पहन कर आने और सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए कहा.
पराली जलाने पर बैन, पराली जलाई तो खैर नहीं
पटना: 20 अप्रैल से गेहूं की फसल कटाई शुरू हो गई. इसे देखते हुए बिहार में गेहूं की फसल कटाई के बाद बचे अवशेष यानी पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है.
प्रमंडलीय आयुक्त संजय कुमार अग्रवाल ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को सशक्त व प्रभावी मौनीटरिंग करने के निर्देश दिए. साथ ही, सभी सीओ, बीडीओ, थानाध्यक्ष को स्थानीय स्तर पर कड़ी नजर रखने के साथ ही पराली जलाने वालों पर कानूनी कार्यवाही करते हुए प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया.
उन्होंने सभी जिलाधिकारी को अपने जिले में हेल्पलाइन नंबर जनहित में जारी कर सूचना या शिकायत मिलने पर कार्यवाही करने का निर्देश भी दिया.
प्रमंडलीय आयुक्त संजय अग्रवाल ने आम लोगों से अपील की कि वह अपने जिले में पराली जलाने से संबंधित सूचना जिला पदाधिकारी को दें.
वजह पराली जलाने पर रोक की
– पराली जलाने से मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म पोषक तत्वों को भारी नुकसान होता है. इस से मिट्टी में मौजूद पोटैशियम, नाइट्रोजन, फास्फोरस सहित कई अन्य पोषक तत्वों की कमी हो जाती है.
– फसल अवशेष को जलाने से कार्बन डाईऔक्साइड ,कार्बन मोनोऔक्साइड सहित कई जहरीली गैसें निकलती हैं, जो हवा को प्रदूषित करती हैं. इस से इनसान की सेहत पर बुरा असर पड़ता है. साथ ही, पराली जलाने से खेतों की पैदावार में भी कमी होती है.
– इस के अलावा पराली जलाने से पर्यावरणीय संकट ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पैदा होने और खाद्य सुरक्षा का संकट खड़ा होता है, इसलिए खेतों की पैदावार बढ़ाने, पर्यावरणीय समस्या से नजात पाने और खाद्य सुरक्षा के लिए फसल अवशेष का कुशल प्रबंधन ही जरूरी है.
किसानों से खरीदा जाएगा सारा अनाज
चंडीगढ़: हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चैटाला ने गेहूं खरीद में विपक्ष के कुप्रबंधन के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्रक्रिया सही से चल रही है और किसानों के अनाज के एकएक दाने की खरीद की जाएगी.
कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि सरकार और आढ़तियों के बीच अविश्वास का माहौल है. इस वजह से खरीद प्रक्रिया बाधित हुई है.
इस पर दुष्यंत चैटाला ने कहा कि गेहूं और सरसों की सुगम खरीद सरकार के लिए चुनौती है, लेकिन किसानों के हित में कई फैसले किए गए हैं और चीजें सही से चल रही है.
हरियाणा में भाजपा गठबंधन की भागीदार जननायक जनता पार्टी के एक नेता ने कहा कि प्रक्रिया थोड़ी लंबी होने पर भी हम किसानों से सारा अनाज खरीदेंगे.
उन्होंने दावा किया कि हरियाणा में रोजाना औसतन डेढ़ लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद होती है, जबकि कांग्रेस शासन वाले पंजाब में पहले 2 दिनों में 42,200 मीट्रिक टन गेहूं की ही खरीद हुई.
बता दें कि दुष्यंत चैटाला के पास खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का काम है.
कृषि विवि में दाखिले के लिए जारी अंतिम तिथि
पालमपुर: कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर ने 2020-21 के चलने वाले सत्र की होनी वाली स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं की पढ़ाई को ले कर शेड्यूल जारी किया है. कृषि विश्वविद्यालय में विभिन्न कोर्स को ले कर ऑनलाइन प्रोस्पेक्टस की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस के लिए 15 मई तक छात्र आवेदन कर सकते हैं.
कृषि विश्वविद्यालय ने यह भी संकेत दिए हैं कि शेड्यूल में फेरबदल भी हो सकता है.
वैसे, कृषि विश्वविद्यालय की ओर से जारी किए गए शेड्यूल में वेटरनेरी कॉलेज (बीबीएससी एंड एएच) और बीएससी ऑनर्स की लिखित परीक्षा 13 जून और मास्टर कार्यक्रमों की 21 जून को होगी. वहीं बीबीएससी एंड एएच और बीएससी आनर्स में जनरल व सेल्फ फाइनेंसिंग श्रेणी के छात्रों की काउंसलिंग जुलाई और अन्य श्रेणियों की 10 जुलाई को होगी.
बीटेक फूड टेक्नोलॉजी की काउंसिलिंग 13 जुलाई, बीएससी फिजिकल साइंस और बीएससी लाइफ सांइस की 14 जुलाई, बीसीसी ऑनर्स कम्युनिटी साइंस की 15 जुलाई, एमएससी एग्रीकल्चर की 16 जुलाई, एमबीएसी की 18 जुलाई और 27 अगस्त को काउंसिलिंग होगी.
विभिन्न कक्षाओं के लिए वॉक इन इंटरव्यू 19 अगस्त और 21 सितंबर को होंगे.
हालांकि इन तिथियों में बदलाव भी हो सकता है.
25 हजार क्विंटल की ही हुई सरकारी खरीद
फरीदाबाद: सरकार द्वारा जारी हिदायतों के मुताबिक फरीदाबाद, बल्लभगढ़, मोहना, फतेहपुर बिलौच और तिगांव मंडियों में 25,166 क्विंटल गेहूं की खरीद सरकारी एजेंसियों द्वारा की गई.
डीसी यशपाल यादव ने बताया कि कृषि विपणन बोर्ड, खाद्य आपूर्ति नियंत्रण विभाग, एफसीआई व हरियाणा स्टेट वेयर हाउस के अधिकारियों को खरीद का काम सुचारु रूप से चलाने और अनाज मंडियों में खरीद संबंधी पुख्ता इंतजाम करने के दिशानिर्देश दिए गए.
आम हो या अमरूद, महक से रहेंगे दूर
पटना: बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के सबौर के एसोसिएट डायरेक्टर फैज अहमद ने बताया कि बिहार में अमरूद, केला और आम की पैदावार ज्यादा होती है. इस में आम का स्थान 64 फीसदी पैदावार के साथ पहले नंबर पर है.
उन्होंने बताया कि इस बार आम के पेड़ में मंजर आने के साथ ही उस का मिलन बारिश के साथ हो गया. इस वजह से 10 से 12 फीसदी तक मंजर खराब हो गए.
बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के एसोसिएट डायरेक्टर फैज अहमद ने बताया कि बिहार में 1 लाख, 30 हजार हेक्टेयर इलाके में 8 से 10 लाख टन तक आम की पैदावार होती है, पर इस बार किसानों को 20 से 30 फीसदी तक का घाटा उठाना पड़ सकता है.
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि कुल उत्पादन का 20 से 25 फीसदी तक आम पश्चिम बंगाल जाता था, पर इस बार कम ही उम्मीद दिख रही है, क्योंकि बाहर के कितने कारोबारी बिहार आएंगे, यह कह पाना मुश्किल है.
बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने बताया कि राज्य में इन फसलों को कम से कम नुकसान हो, इस के लिए कृषि विभाग विभिन्न स्तरों पर काम कर रहा है. आम, अमरूद व लीची की फसल को कीट व रोगों से बचाने के लिए भी काम किए जा रहे हैं.
उन्होेंने किसानों से कहा है कि जिला स्तर पर आम, अमरूद व लीची से जुड़े राज्य व राज्य के बाहर के व्यवसायी जो पहले इन जिलों से आम और लीची का व्यापार करते थे, उन से संपर्क करें. आम, लीची और अन्य सभी कृषि उत्पादों के राज्य के अंदर या बाहर परिवहन के लिए सभी बाधाओं को दूर किया जाएगा. साथ ही, कारोबारियों को सरकार के स्तर से सभी तरह का सहयोग किया जाएगा.