एडिट बाय- निशा राय
बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में शोमैन के नाम से विख्यात राजकपूर नें न केवल दर्जनों सुपरहिट फ़िल्में दीं थी बल्कि उसमें से कई फ़िल्में कालजयी भी बन गई एक एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर तौर पर राजकपूर ने अपने फिल्मी सफर में कई एक्ट्रेसेस को भी सिल्वर स्क्रीन पर लॉन्च किया. उन्होंने मात्र 24 साल की उम्र में ही आर के फिल्म स्टूडियो के नाम से अपना प्रोड्क्शन हॉउस बना लिया था. उनके निर्देशन में बनी पहली फिल्म आग थी जो 1948 में रिलीज हुई थी. इसके बाद उन्होंने नीलकमल, चित्तौड़ विजय, दिल की रानी, यात्रा, गोपीनाथ, अमर प्रेम, बरसात, परिवर्तन, पहचान, सरगम, आवारा, बेवफ़ा, बूट पॉलिश, श्री ४२०, चोरी, जिस देश में गंगा बहती है, मेरा नाम जोकर जैसी सफल फिल्मों में बतौर मुख्य अभिनेता दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ने में कामयाबी पाई.
इन सबके बीच उन्होंने बॉलीवुड के इतिहास ‘मेरा नाम जोकर’ के नाम ऐसी फिल्म बनाई जो बॉलीवुड के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गई. इस फिल्म को साल 1970 में रिलीज़ किया गया था. इस फिल्म में राज कपूर के अलावा बॉलीवुड के कई नामचीन चेहरों नें भी अभिनय किया. जिसमें मनोज कुमार,सिमी गरेवाल,ऋषि कपूर,धर्मेन्द्र,दारा सिंह,सोनिया रियाबिनकिना,पद्मिनी, ओम प्रकाश,राजेन्द्र कुमार,अचला सचदेव का नाम प्रमुख रहा.
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फिल्म को बनाने में लगा था 6 साल का वक्त
राजकपूर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ उनके ड्रीम प्रोजक्ट में शामिल थी. यह फिल्म साल 1970 में प्रदर्शित की गई थी. इस फिल्म को बनाने में काफी वक्त लगा था और यह 6 साल में बन कर तैयार हो पाई थी.
यह फिल्म जब रिलीज की गई तो यह 4 घंटे 43 मिनट की फिल्म थी. इसके रिलीज किये जाने के दो सप्ताह बाद ही इसकी अवधि घटा कर 4 घंटे 9 मिनट का कर दिया गया था. लेकिन फिल्म की अधिक अवधि को देखते बाद में इसे और भी छोटा कर दिया गया और उस समय यह फिल्म लगभग 3 घंटे (178 मिनट) की अवधि में कर दी गई थी.
इस फिल्म को बनाने में भारी कर्ज से दब चुके थे राजकपूर
मेरा नाम जोकर को बनाने में राजकपूर राज कपूर नें अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी थी. उसके बाद फिल्म निर्माण में लंबा लगनें से उन्हें भारी कर्ज लेना पड़ा था. भारी कर्ज के बावजूद भी इस फिल्म को पूरा होते न देख कर उन्हें अपनी पत्नी के गहने भी बेचने पड़े. वह कर्ज में इस तरह डूबे थे की उन्हें 16 साल की डिंपल कपाड़िया के साथ ऋषि कपूर को बॉबी में लांच करना पडा. राजकपूर की यह फिल्म जबरदस्त हिट हुई और उन्हें मेरा नाम जोकर के कर्जों से मुक्ति मिल गई.
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इस फिल्म के गाने जो सदाबहार बन गए
इस फिल्म के सभी गानें हिट हुए थे, इन सदाबहार गानें आज भी लोगों की जुबान पर उसी तरह से बनें हुए हैं जैसे यह 70 के दशक में बज रहे थे. इस फिल्म के गाने इतने हिट हुए थे जो लोगों के दिलोदिमाग में बस गए थे. फिल्म के गानों में दाग ना लग जाये, जाने कहाँ गये वो दिन, कहता है जोकर सारा जमाना, ऐ भाई ज़रा देख के चलो, तीतर के दो आगे तीतर, अंग लग जा बलमा, जीना यहाँ मरना यहाँ, काटे ना कटे रैना, सदके हीर तुझ ने इतिहास रच दिया था.
फिल्म में सिमी ग्रेवाल नें दिया था न्यूड सीन
जब बॉलीवुड के फिल्मों में न्यूड सीन की कल्पना तक नहीं की जाती थी उस दौर में राजकपूर ने मेरा नाम जोकर के एक सीन में अभिनेत्री सिमी ग्रेवाल का एक न्यूड सीन शूट किया था. इस सीन को लेकर खूब हो हल्ला मचा था और कई तरह के बहस और विवाद नें भी इस फिल्म पर सवाल खड़े किये थे. महज 17 साल की उम्र में सिमी ग्रेवाल ने इस फिल्म में नहाते समय पूरे कपड़े उतारे थे जो उस समय काफी पॉपुलर हुआ.
असफल होने के बावजूद भी मिला था फिल्म फेयर अवार्ड
यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल तो नहीं रही थी उसके बावजूद भी फिल्म को पांच श्रेणियों में फिल्मफेयर अवार्ड के लिए नामित किया गया. जिसमें इस फिल्म को तीन श्रेणियों में अवार्ड दिया गया. फिल्म में राज कपूर को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार मिला वहीँ शंकर जयकिशन को सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक के पुरस्कार से नवाजा गया. फिल्म के गीत ऐ भाई ज़रा देख के चलो के लिए मन्ना डे को सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार दिया गया था.
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फिल्म की असफल प्रेम कहानी नें लोगों का दिल जीत लिया
यह फिल्म कमाई भले ही न कर पाई हो लेकिन फिल्म की कहानी और कलाकारों के अभिनय नें इस फिल्म को अमर कर दिया. यह फिल्म आज के दौर में प्रेम कहानियों पर बन रही सभी फिल्मों को पीछे छोड़ देती है. फिल्म की कहानी में राजकपूर नें सर्कर्स के जोकर का किरदार निभाया है. वह फिल्म में तीन लड़कियों से प्रेम करता है लेकिन तीनों जगह उसे निराशा ही हाथ लगती है फिल्म के अंत में वह उन सभी लड़कियों को जिससे उसने कभी प्यार किया था, अपना आखिरी शो दिखाने को दिखाता है वो दर्शकों को विश्वास दिलाता है कि वो फिर से आएगा और पहले से भी ज्यादा हँसाएगा और उसी जगह उसकी जान चली जाती है. यह फिल्म राजकपूर के फ़िल्मी सफ़र की बतौर मुख्य अभिनेता आखिरी फिल्म थी. उसके बाद उन्होंने फिल्मों से संन्यास ले लिए और बाद के फिल्मों में वह एक चरित्र में ही नजर आये.