सतयुग से ले कर कलयुग तक नारी को छलने का काम पुरुषों ने किया. शारीरिक शोषण के लिए गंधर्व विवाह और फर्जी कोर्ट मैरिज तक धोखे में रख कर की. हर युग में महिला को ही दोषी ठहराया गया. कानून से ले कर समाज तक पुरुष की जगह नारी को ही दोषी माना गया. उन्नाव कांड में भी इस की झलक देखने को मिल रही है.

पूरे देश में उत्तर प्रदेश ही ऐसा प्रदेश है जहां धर्म का राज है. राज्य के  मुखिया के तौर पर गोरखनाथ रक्षा पीठ के महंत योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री की कुरसी पर आसीन हैं. मुख्यमंत्री के रूप में अपनी कुरसी पर बैठने से पहले मुख्यमंत्री के सरकारी आवास को पवित्र गंगाजल से शुद्ध भी किया गया था. 2017 से 2019 के बीच गंगा में बहुत सारा पानी बह गया है. पूरे प्रदेश में गाय और गंगा की पूजा हो रही है.

एक तरह से पूरे प्रदेश में रामराज्य की अवधारणा को जमीन पर उतार दिया गया है. उस युग का जाति और वर्ग आज फिर सत्ता वाले का बड़ा पैतरा बन गया है. धर्म के इस राज में अपराध का अधर्म छाया हुआ है. प्रदेश की राजधानी लखनऊ से महज 60 किलोमीटर दूर उन्नाव जिले में पिछड़ी विश्वकर्मा जाति की लड़की से प्रेमविवाह, उत्पीड़न और विरोध करने पर जिंदा जला देने की घटना घट जाती है. समाज और प्रशासन से खिन्न परिवार ने हिंदू रीतिरिवाज के बजाय लड़की को दफनाने का रास्ता अपनाया.

यह वही उन्नाव है जहां एक और संत सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज सांसद हैं. ऐसा नहीं है कि उन्नाव में महिला हिंसा की यह पहली घटना है. इस के पहले भाजपा के ही विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को लड़की से बलात्कार, उस के पिता की हत्या की साजिश और लड़की पर जानलेवा हमले के आरोप में अदालत ने दोषी करार दिया है.

इन 2 बड़ी घटनाओं को छोड़ दें तो उन्नाव में ऐसी तमाम और घटनाएं भी रहीं जिन में महिलाओं के साथ हिंसा हुई. देखा जाए तो यह हाल पूरे उत्तर प्रदेश का है. आंकड़ों को देखें तो महिलाओं के साथ हिंसा की सब से अधिक घटनाएं उत्तर प्रदेश में हो रही हैं. उन्नाव में रेप के बाद जलाने की घटना में भले ही प्रशासन ने तेजी दिखाई हो पर अधिकतर घटनाओं को पुलिस दबाने का प्रयास करती है.

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रसूखदारों का दबाव

उत्तर प्रदेश में अपराध का ग्राफ भी तेजी से बढ़ा है. 2015 में यह आंकड़ा 35,908 था जो 2016 में 11 फीसदी से भी अधिक बढ़ा और अपराध की संख्या बढ़ कर 49,262 पर पहुंची. 2017 में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा ने सारे रिकौर्ड तोड़ दिए और आंकड़ा 56 हजार पर पहुंच गया है. पूरे देश में महिलाओं के साथ हो रही हिंसा में अकेले उत्तर प्रदेश का 15.6 प्रतिशत का योगदान रहा है. 2017 के एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में बलात्कार के बाद महिलाओं के मर्डर की संख्या सब से ज्यादा सामने आई है.

2017 में ऐसे 67 मामले सामने आए थे. दहेज उत्पीड़न मामले में भी महिलाओं को प्रताडि़त करने के मामलों में भी उत्तर प्रदेश सब से आगे है.

सभी 29 राज्यों के आंकड़ों पर ध्यान दें तो 2017 में महिलाओं के साथ हुई हिंसा के 34,5989 मामले सामने आए हैं. यह 2016 के 33,8954 मामलों के मुकाबले काफी ज्यादा हैं. उत्तर प्रदेश में अपराध इसलिए बढ़े हुए हैं क्योंकि यहां पुलिस पीडि़त की मदद करने से पहले यह देखती है कि मामला किस के खिलाफ है. रसूखदार मामलों में पीडि़त के बजाय पुलिस आरोपित के साथ खड़ी नजर आती है.

कुलदीप सेंगर ही नहीं, शाहजहांपुर में भाजपा के ही पूर्व केंद्रीय मंत्री और राममंदिर आंदोलन के सारथी संत स्वामी चिन्मयानंद के मामले में भी ऐसा हुआ. ला कालेज में कानून की पढ़ाई कर रही लड़की ने जब स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ शारीरिक शोषण का मुकदमा लिखाया तो लड़की के खिलाफ ब्लैकमेलिंग का मुकदमा लिख कर उसे भी जेल भेज दिया.

गैरबिरादरी में प्रेम का हश्र

उन्नाव में हिंदूपुर गांव में लड़की को जलाने की घटना बताती है कि उत्तर प्रदेश जाति और धर्म की बेडि़यों में जकड़ा हुआ है. 20 साल की पिछड़ी जाति की लड़की के साथ ब्राह्मण जाति के लड़के का प्रेम होता है. लड़की पिछड़ी जाति के गरीब परिवार से थी और लड़का गांव के प्रभावशाली परिवार का था. गंवई प्रेमसंबंधों के बाद लड़की के शादी पर जोर दिए जाने के बाद 19 जनवरी, 2018 को नोटरी शपथपत्र के जरिए शिवम त्रिवेदी ने उस से शादी कर ली. दोनों अपने गांव से दूर रायबरेली शहर के साकेत नगर में रहने लगे.

घरवालों का दबाव पड़ा तो शिवम शादी से मुकरने लगा. दोनों के बीच सुलह कराने के लिए लड़की को मंदिर में ले जा कर गैंगरेप किया गया. 12 दिसंबर, 2018 को लड़की लालगंज कोतवाली मुकदमा दर्ज कराने पहुंची. वहां पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया. 20 दिसंबर को लड़की ने एसपी रायबरेली को रजिस्टर्ड डाक से अपना शिकायती पत्र भेजा. इस की भी कोई सुनवाई नहीं हुई.

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पुलिस से निराश हो कर पीडि़त लड़की ने रायबरेली में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराने के लिए पत्र दिया. 10 जनवरी, 2019 को मजिस्ट्रेट ने एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया. इस के बाद भी पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया. 26 फरवरी को कोर्ट की अवमानना का नोटिस दिया गया. तब पुलिस ने दबाव में आ कर 5 मार्च को मुकदमा दर्ज किया. उस के बाद पीडि़ता मुख्यमंत्री से शिकायत करने पहुंची तो

22 सितंबर को आरोपियों ने कोर्ट में सरैंडर कर दिया. पुलिस के देर से मुकदमा दर्ज करने और लचर जांच के चलते ही आरोपियों को जल्दी जमानत मिल गई.

लड़की को इस बात की हैरानी थी कि इतनी जल्दी शिवम जमानत पर कैसे जेल से बाहर आ गया. लड़की ने अपने परिवार को यह बात बताई और कहा कि कल वह रायबरेली जा कर अपने वकील से मिल कर पता करेगी कि यह कैसे हो गया. रायबरेली जाने के लिए लड़की को कानपुर से रायबरेली जाने वाली ट्रेन सुबह 5 बजे मिलनी थी.

जलने के बाद चरित्र हनन

3 दिसंबर, 2019 की सुबह पीडि़त लड़की ट्रेन पकड़ने के लिए अपने घर से निकली. घर से बिहार स्टेशन करीब 2 किलोमीटर दूर था. पीडि़त लड़की सुबह 4 बजे घर से निकली. जाड़े का समय था. रास्ते में अंधेरा भी था. लड़की के पिता ने उसे स्टेशन छोड़ने के लिए कहा तो उस ने बूढ़े पिता की परेशानी को देखते हुए उन्हें मना कर दिया. खुद ही घर से निकल गई.

गांव से स्टेशन के रास्ते में कुछ रास्ते ऐसे थे जहां कोई नहीं रहता था. इसी जगह पर लड़की पर मिट्टी का तेल छिड़क कर आग लगा दी गई. लड़की खुद को बचाने के लिए मदद की तलाश में दौड़ रही थी. जली हालत में लड़की खुद को बचाने के लिए दौड़ी तो आग और भड़क गई और उस के कपड़े जल कर जिस्म से चिपक गए.

रास्ते में एक जगह कुछ लोग दिखे तो लड़की वहीं गिर पड़ी. लड़की के कहने पर रास्ते पर रहने वालों ने 112 नंबर पर जानकारी दी. शिकायत पर पहुंची पुलिस को लड़की ने जली हालत में पुलिस और प्रशासन को अपने ऊपर मिट्टी का तेल डाल कर जलाने वालों के नाम बताए. 90 फीसदी जली हालत में लड़की को पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और फिर देश की राजधानी दिल्ली इलाज के लिए ले जाया गया. पीडि़त लड़की ने जिंदगी और मौत के बीच 3 दिन संघर्ष करने के बाद दम तोड़ दिया. लड़की के पिता को दुख है कि घटना के दिन वह उसे छोड़ने स्टेशन तक क्यों नहीं गए. लड़की खुद अपनी लड़ाई लड़ रही थी. इस कारण वह विश्वास में थे. इस के पहले वह उसे छोड़ने स्टेशन तक जाते थे.

शिवम त्रिवेदी और दूसरे आरोपियों के परिवार के लोग घटना का तर्क देते कहते हैं कि गुनाह उन के घरवालों ने नहीं किया, उन को साजिश के तहत फंसाया जा रहा है. वे कहते हैं कि लड़की को जलाने की घटना जिस समय की है उस समय उन के लड़के घरों में सो रहे थे. पुलिस ने उन को सोते समय घर से पकड़ा है. अगर उन्होंने अपराध किया होता तो आराम से घर में सो नहीं रहे होते.

इन के समर्थक बताते हैं कि जेल से शिवम के छूटने के बाद लड़की ने उस को फिर से जेल भिजवाने की धमकी दी. इस के बाद खुद पर मिट्टी का तेल डाल कर खुद को जलाने का काम किया. ये लोग सोशल मीडिया पर इस बात का प्रचार भी कर रहे हैं कि शिवम को फंसाने और जेल भिजवाने के नाम पर 15 लाख रुपए की फिरौती लड़की मांग रही थी. इस में से 7 लाख रुपए शिवम के परिवार वाले दे भी चुके थे.

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दबाव में जागी सरकार

उन्नाव की घटना पर सरकार तब जागी जब कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया से ले कर उन्नाव पहुंचने तक विरोध दर्ज किया. समाजवादी पार्टी नेता पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की विधानसभा के बाहर धरनाप्रदर्शन किया और बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने प्रदेश के राज्यपाल से मिल कर उत्तर प्रदेश में महिला अपराध पर अपनी शिकायत दर्ज कराई. राजनीतिक दलों के साथ समाज के लोग भी सड़कों पर उतरे और सरकार के खिलाफ विरोधप्रदर्शन किया. इस के बाद भी भाजपा सरकार में मंत्री धन्नी सिंह ने कहा, ‘‘समाज अपराधशून्य तो रामराज में भी नहीं रहा.’’

उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले को हलका करने के लिए लड़की के घरवालों को मुआवजा देने का काम किया. लड़की के घरपरिवार वालों को 25 लाख रुपए की आर्थिक मदद, गांव में 2 मकान और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया गया. उन्नाव के मामले के बाद तमाम ऐसी घटनाएं प्रकाश में आने लगीं. इन घटनाओं से समाज की हकीकत का पता चलता है. इस बार रेप कांड सामाजिक है. समाज उन्नाव जिले की घटना को प्रेमप्रसंग मान कर दरकिनार कर रहा है.

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, जहां प्रेम को रोकने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा शपथ ग्रहण करते ही ‘एंटी रोमियो दल’ का गठन किया गया था. मामला एक ही धर्म के लोगों का था. ऐसे में ‘एंटी रोमियो दल’ और पुलिस के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं थी.

धर्म आधारित सत्ता तो रामायण और महाभारत काल से ही छले जाने पर औरत को ही दोषी मानती थी. अहल्या को पत्थर बना दिया जाना, सीता को घर से निकाला जाना और कुंती का पुत्र को त्याग करने जैसी बहुत सी घटनाएं उदाहरण हैं. ऐसे में उन्नाव के हिंदूपुर गांव की पिछड़ी जाति की लड़की के जलने के बाद भी समाज सच नहीं मान रहा तो कोई बड़े आश्चर्य वाली बात नहीं है.

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