दीप्ति और प्रमोद पाटनकर की अच्छीभली गृहस्थी थी, दोनों खूब खुश और सुखी थे. लेकिन जब दीप्ति का पूर्व मंगेतर मेहमान बन कर घर आया तो उस ने दीप्ति की ऐसी सोच बदली कि वह…
प्रमोद अनंत पाटनकर भारतीय जीवन बीमा निगम में अधिकारी थे. वह अपने परिवार के साथ ठाणे के उपनगर मीरा भायंदर स्थित शिवदर्शन सोसायटी में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी दीप्ति पाटनकर के अलावा लगभग 4 साल की एक बेटी थी. इस छोटे से परिवार में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी.
बात 15 जुलाई, 2019 की है. उस समय रात के करीब 11 बजे थे. दीप्ति की बेटी ननिहाल में थी. दीप्ति बेटी से मिल कर अपने फ्लैट पर लौटी तो दरवाजा बंद था. कई बार डोरबैल बजाने के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला तो उस ने पर्स में रखी दूसरी चाबी से दरवाजा खोला. उस ने अंदर जा कर देखा तो वहां का नजारा देख मुंह से चीख निकल गई. उस के पति प्रमोद अनंत पाटनकर की लाश फर्श पर पड़ी थी. उस के चीखनेचिल्लाने की आवाज सुन कर आसपड़ोस के लोग आ गए. उन सभी के मन में यह जिज्ञासा थी कि पता नहीं प्रमोदजी के फ्लैट में क्या हो गया. लोग फ्लैट के अंदर पहुंचे तो बैडरूम के फर्श पर प्रमोद पाटनकर की लाश देख कर स्तब्ध रह गए. फ्लैट का सारा सामान बिखरा पड़ा था. लोग समझ नहीं पा रहे थे कि यह सब कैसे हो गया.
दीप्ति ने उस समय अपने आप को किसी तरह संभाला और मामले की जानकारी करीब ही रहने वाले अपने पिता भानुदास भावेकर को दी. बेटी के फ्लैट में घटी घटना के बारे में सुन कर वह अवाक रह गए. उन्होंने रोतीबिलखती बेटी दीप्ति को धीरज बंधाया, फिर मामले की जानकारी स्थानीय नवघर थाने में दे दी साथ ही अपने परिवार के साथ दीप्ति के फ्लैट पर पहुंच गए.
हत्या की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी रामभाल सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. उन्होंने यह सूचना बड़े अधिकारियों के अलावा पुलिस कंट्रोल रूम व फोरैंसिक टीम को भी दे दी थी.
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घटनास्थल थाने से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर था, इसलिए पुलिस टीम 10 मिनट में वहां पहुंच गई. थानाप्रभारी जब घटनास्थल पर पहुंचे तब तक वहां सोसायटी के काफी लोग जमा हो चुके थे.
वह फ्लैट के अंदर गए, तो उन्हें कमरे में बैड के पास फर्श पर एक आदमी की लाश पड़ी मिली. लाश के पास बैठी एक महिला जोरजोर से रो रही थी. पता चला कि रोने वाली महिला का नाम दीप्ति है और लाश उस के पति प्रमोद अनंत पाटनकर की है.
थानाप्रभारी रामभाल सिंह ने लाश का निरीक्षण किया तो मृतक के गले पर निशान मिला, जिसे देख कर लग रहा था कि मृतक की हत्या गला घोंट कर की गई है. खुली अलमारी और पूरे फ्लैट में फैले सामान से स्पष्ट था कि वारदात शायद लूटपाट के इरादे से की गई होगी.
पुलिस ने जब प्रमोद पाटनकर की पत्नी दीप्ति से पूछताछ की तो उस ने बताया कि पति के आने के पहले वह अपनी बेटी से मिलने मायके चली गई थी. रात 11 बजे जब वह घर लौटी तो कई बार डोरबैल बजाने और आवाज देने के बाद भी फ्लैट का दरवाजा नहीं खुला, तब उस ने अपने पास मौजूद डुप्लीकेट चाबी से दरवाजा खोला. वह फ्लैट में गई तो उस की चीख निकल गई.
थानाप्रभारी रामभाल सिंह मौके की जांच कर ही रहे थे कि सूचना पा कर के थाणे के एसपी (ग्रामीण) शिवाजी राठौड़, डीएसपी शांताराम वलवी भी वहां पहुंच गए. उन के साथ फोरैंसिक टीम भी थी.
पहले फोरैंसिक टीम ने मौके से सबूत जुटाए. फिर पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. काररवाई निपट जाने के बाद थानाप्रभारी ने लाश पोस्टमार्टम के लिए बोरीवली के भगवती अस्पताल भेज दी. इस के साथ ही थाना नवघर में कत्ल की वारदात दर्ज कर ली गई.
वरिष्ठ अधिकारियों के जाने के बाद थानाप्रभारी ने कमरे का बारीकी से निरीक्षण किया. कमरे में रखी टेबल पर चाय के 2 खाली कप रखे मिले. जिन में से एक पर लिपस्टिक का निशान था. इस के अलावा बैड की चादर सिकुड़ी हुई थी और तकिए के नीचे कंडोम का पैकेट रखा था.
यह सब देख कर पुलिस ने अनुमान लगाया कि वहां आई महिला प्रमोद की जानपहचान की रही होगी. उसी ने मौका देख कर इस घटना को अंजाम दिया होगा. वह कौन थी, यह जांच का विषय था.
थानाप्रभारी ने थाने लौट कर इस घटना पर गंभीरता से विचारविमर्श करने के बाद जांच की जिम्मेदारी असिस्टेंट इंसपेक्टर साहेब पोटे को सौंप दी. दीप्ति का बयान दर्ज करने के बाद जांच अधिकारी पोटे केस की जांच में जुट गए. सब से पहले वह यह जानना चाहते थे कि फ्लैट में आने वाली वह महिला कौन थी, जिस के होंठों की लिपस्टिक चाय के कप पर लगी थी. वह महिला मृतक की जेब से नकदी व मोबाइल फोन भी ले गई थी.
इसी बीच पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई, रिपोर्ट में बताया गया कि प्रमोद पाटनकर की चाय में काफी मात्रा में नींद की गोलियां मिलाई गई थीं, इस के बाद उन की गला घोंट कर हत्या कर दी गई. यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस को इस मामले में किसी गहरे षडयंत्र की बू आने लगी.
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जांच अधिकारी ने एक बार फिर घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद दीप्ति पाटनकर से विस्तृत पूछताछ की तो उन्हें दीप्ति के बयानों पर शक हो गया.
लेकिन मामला एक प्रतिष्ठित परिवार से संबंधित होने की वजह से उन्होंने बिना सबूत के हाथ डालना ठीक नहीं समझा. वह दीप्ति की कुंडली खंगालने में जुट गए. इस मामले में उन्हें कामयाबी मिल गई.
43 वर्षीय प्रमोद पाटनकर महाराष्ट्र के जिला रायगढ़ के रहने वाले थे. अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद वह रोजीरोटी की तलाश में मुंबई आ गए थे. मुंबई में छोटामोटा काम करते हुए वह सरकारी नौकरी पाने की तैयारी करते रहे. कुछ दिनों बाद उन्हें भारतीय जीवन बीमा निगम में एक अधिकारी के पद पर नौकरी मिल गई.
नौकरी लगने के बाद प्रमोद के घर वालों ने उन का रिश्ता मीरा रोड के रहने वाले भानुदास भावेकर की बेटी दीप्ति भावेकर से तय कर दिया.
दीप्ति के घर वालों ने इस के पहले उस के लिए अपने संबंधी के लड़के समाधान पाषाणकर को देख रखा था. दीप्ति को भी समाधान बहुत पसंद था. दोनों साथ में मिलतेजुलते भी थे. लेकिन दीप्ति के परिवार वालों को समाधान पाषाणकर की तुलना में प्रमोद पाटनकर सही लगा. इसलिए उन्होंने दीप्ति की शादी प्रमोद के साथ कर दी.
परिवार और समाज के दबाव में दीप्ति को भी समाधान को भूलने के लिए मजबूर होना पड़ा. दीप्ति भावेकर मुंबई कालेज से एमबीए करने के बाद गोरेगांव के एक सरकारी स्कूल में शिक्षक की नौकरी करती थी, जहां उसे 25 हजार रुपए सैलरी मिलती थी.
शादी के बाद प्रमोद मीरा भायंदर स्थित शिवदर्शन सोसायटी के फ्लैट में पत्नी के साथ रहने लगे. प्रमोद और दीप्ति की अच्छीखासी सैलरी थी. उन्हें किसी भी तरह का आर्थिक अभाव नहीं था.
पतिपत्नी दोनों सुबह काम पर तो एक साथ निकलते, लेकिन लौटते अलगअलग समय पर थे. दीप्ति दोपहर के बाद घर आ जाया करती थी, जबकि प्रमोद शाम को. जिस प्यार और हंसीखुशी से उन दोनों का दांपत्य जीवन चल रहा था, वह आगे बढ़ते समय को मंजूर नहीं था.
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सन 2014 में समाधान पाषाणकर मुंबई की एक कंपनी के काम से मुंबई आया तो ठहरने के मकसद से दीप्ति के फ्लैट पर पहुंच गया. दीप्ति ने उस का दिल खोल कर स्वागत किया. समाधान दीप्ति की बुआ का बेटा था. दीप्ति उस के साथ बीते दिनों की जिन यादों को भुला चुकी थी, वह फिर ताजा हो गई थीं.