मूलतः कन्नड़ भाषी मगर मुंबई में पली बढ़ी वेदिका कुमार ने अपने अभिनय करियर की शुरूआत स्कूल दिनों में ही तमिल फिल्म से की थी. फिर ब्रेक लेकर लंदन जाकर एमबीए की पढ़ाई पूरी की. फिर अभिनय में व्यस्त हो गयी. अब तक वह दक्षिण भारत की चारों भाषाओं की ‘शिवलिंगा, ‘परदेसी’ व ‘कंचना 3’ सहित बाइस फिल्में कर अपनी एक अलग पहचान बना चुकी हैं. अब इमरान हाशमी और रिषि कपूर के साथ वह फिल्म‘द बौडी’ से बौलीवुड में कदम रख रही हैं. जीतू जोसफ निर्देशित फिल्म ‘द बौडी 13 दिसंबर को प्रदर्शित हो रही है.
प्रस्तुत है उनसे हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंशः
दक्षिण की चारों भाषाओं की फिल्में की है. किस भाषा को आपने सीखा ?
लगभग चारो भाषाएं सीख ली. हिंदी में बात करती हूं. अंग्रेजी आती है. क्योंकि मेरी शिक्षा अंग्रेजी माध्यम में हुई. मराठी मुझे आती है. तमिल मैंने सीखी है. मैं आधी दक्षिण भारतीय यानी कि कन्नड़िया हूं, इसलिए मुझे कन्नड़ भाषा आती है. मलयालम और तेलगू में थोड़ी बातचीत कर लेती हूं.
दक्षिण भारत में आप लगभग बाइस फिल्में कर चुकी हैं. यह किस तरह की फिल्में रही ?
मैंने दक्षिण भारत में कमर्शियल फिल्मों से शुरूआत की. पर फिर मुझे कुछ अलग तरह की फिल्में करने का अवसर मिला, जिससे मेरी छवि एक परफौर्मेंस ओरिएंटेड किरदार करने वाली अभिनेत्री की बनी. उदाहरण के तौर पर मैने राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त निर्देशक बाला के साथ 2013 में मैंने पीरियड तमिल फिल्म ‘परदेसी’ की थी, इस फिल्म में मेरा किरदार 1930 की डार्क स्किन वाली तमेलियन व गांव की लड़की अंगम्मा का था. यह परफार्मेंस ओरिएंटेड और फुल ट्रांसफारमेशन वाला किरदार था. यह फिल्म मेरे कैरियर की टर्निंग प्वाइंट रही. उसके बाद मैंने कई पीरियड फिल्में की. हौरर फिल्में की हैं, जहां मैं पजेस्ड हो जाती हूं. इसके बाद मुझे ए आर रहमान सर की संगीत प्रधान फिल्म ‘‘काव्या थलाइवन” मिली, जो कि वसंत बाला निर्देशित एक बायोग्राफिकल तमिल फिल्म थी. 1940 की पृष्ठभूमि वाली फिल्म ‘’काव्या थलाइवन’’ एक ड्रामा आर्टिस्ट गनकोकिलम वदि वंबई की कहानी थी, जिसमें मैं कई रूप बदलती हूं. इसमें पृथ्वीराज और सिद्धार्थ मेरे सह कलाकार थे. मैंने ए आर रहमान के साथ यह मेरी दूसरी फिल्म थी. जबकि ए आर रहमान के साथ पढ़ाई के लिए इंग्लैंड जाने से पहले 2008 में ‘सकरकट्टी’ की थी. फिर मैंने 2014 में ही कन्नड़ हौरर फिल्म ‘’शिवलिंगा’’ की. तो मुझे बेहतरीन व चुनौतीपूर्ण किरदार निभाने के अवसर काफी मिले.
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आपने बौलीवुड में बहुत देर में कदम रखा?
मैंने स्कूल के दिनो में ही दक्षिण भारत की फिल्में करनी शुरू कर दी थी. उसके बाद से मुझे वहां लगातार परफार्मेंस ओरिएंटेड किरदार व फिल्में मिलती रही. तो मैं वहां काम करती रही. जबकि मैं सदैव बौलीवुड में हिंदी फिल्में करना चाहती थी. सही किरदार व सही मौके का इंतजार था, जो कि अब फिल्म ‘’द बौडी’’ से मिला है. वैसे इससे पहले भी मुझे कुछ हिंदी फिल्मों के प्रस्ताव मिले थे, पर उनकी पटकथा ने मुझे काम करने के लिए उत्साहित नहीं किया.
फिल्म ’द बौडी’ क्या है?
यह फिल्म एक सफल स्पैनिश फिल्म का हिंदी रूपांतरण है. यह रोमांचक फिल्म है.
फिल्म ‘द बौडी’ में किस तरह का किरदार निभाया है?
मैंने अब तक इस तरह का किरदार किसी भी फिल्म में नहीं निभाया है. इस फिल्म में मैने इमरान हाशमी की प्रेमिका रितु का किरदार निभाया है.रितु कालेज में पढ़ने वाली लड़की है. इमरान हाशमी शादीशुदा है. तो एक शादीशुदा इंसान के साथ एक्स्ट्रा मार्टियल संबंधों की जटिलताओं से रितु को जूझना पड़ता है.
‘द बौडी’से क्या उम्मीदें हैं?
मैं सकारात्मक सोच लेकर चलती हूं. इस फिल्म के प्रदर्शन से पहे ही मेरे पास दो बेहतरीन हिंदी फिल्मों के आफर आए हैं, जिन पर मैं विचार कर रही हूं.
नृत्य के प्रशिक्षण का अभिनय में कब और कैसे फायदा मिलता है?
देखिए, हर भारतीय फिल्म में नृत्य तो होता ही है. भारत नाट्यम बहुत ही एक्सप्रेशन वाला नृत्य है. हर मुद्रा में एक्सप्रेशन होता है. जब हम बचपन से भारत नाट्यम करते रहते हैं, तो वह कहीं न कहीं आपके चेहरे के भावों को एक्टिव रखता है. यह बात हर बार अभिनय में हमारी मदद करता है. नृत्य के चलते अभिनय करते समय किरदार के अनुरूप भाव @एक्सप्रेशन देना आसान हो जाता है.
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सोशल मीडिया पर आप क्या लिखना पसंद करती हैं ?
इमानदारी से कहूं तो सोशल मीडिया पर हमें खुद को जोड़कर रखना पड़ता है, क्योकि हमारे शुभ चिंतक व हमारे फैंन्स चाहते हैं कि हम उन्हे पल पल की जानकारी देते रहे. मैं हर दूसरे दिन कुछ तस्वीरें पास्ट करती रहती हूं. अपनी फिल्म को भी प्रमोट करती हूं. पर यह ध्यान रखती हूं कि इसकी आदत नही पड़नी चाहिए. मैंने सोशल मीडिया पर पोलियो के प्रति जागरूकता लाने के लिए भी कुछ पोस्ट किया था. कावेरी नदी के मुद्दे का भी समर्थन किया था. कभी कभी अन्याय के खिलाफ अपनी राय रखती हूं.
क्या सोशल मीडिया के फैंस बाक्स आफिस पर असर डालते हैं ?
शायद होता है, मगर किस हद तक होता है,यह मुझे नहीं पता.