भारतीय जनता पार्टी बारबार यह दावा करती है कि वह जाति की राजनीति नहीं करती. इसके बाद भी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मंत्रिमंडल के विस्तार में जाति का असर साफ देखा जा सकता है. मंत्रिमंडल विस्तार में 23 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई. उनमें सबसे अधिक 6 मंत्री ब्राहमण समाज से लिये गये. भाजपा ने अपने सवर्ण वोट बैंक में दूसरा स्थान वैश्य वर्ग को दिया वैश्य बिरादरी से 3 को मंत्री बनाया गया. ठाकुर वर्ग से केवल 2 लोगों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई. पिछड़ी जातियों में एक गंर्जर, एक पाल, दो कर्मी, दो जाट, एक राजभर, एक कश्यप और एक लोध के अलावा अनुसूचित जाति के 3 लोगों को मंत्रिमंडल में षामिल किया गया. मंत्रिमंडल विस्तार के साथ योगी मंत्रिमंडल की संख्या बढ़कर 56 हो गई है.
56 मंत्रियों में सवर्ण वर्ग से 27 मंत्रियों में सबसे अधिक ब्राहमण वर्ग से है. इसके अलावा 21 मंत्री पिछडे वर्ग से और 7 अनुसूचित जाति से है. मुख्यमंत्री ठाकुर बिरादरी से है. जातिय संतुलन के लिये ब्राहमण वर्ग और पिछड़ा वर्ग से एकएक उप मुख्यमंत्री है. 2017 में सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद योगी आदित्यनाथ पर ठाकुर बिरादरी के संरक्षण देने के आरोप तेजी से मुखर हुये. प्रशासनिक स्तर से लेकर शुरू हुआ यह प्रचार इतना तेजी से आगे बढा कि मंत्रिमंडल विस्तार में ठाकुर बिरादरी को दरकिनार कर केवल 2 लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया.
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अगर देखा जाए तो खुद योगी आदित्यनाथ को ठाकुर बिरादरी से होने के कारण मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया. योगी आदित्यनाथ को उनकी कट्टर हिन्दुत्व वाली छवि के कारण मुख्यमंत्री बनाया गया. जिससे भाजपा धर्म की राजनीति को हवा दे सके. मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके खिलाफ जाति का अस्त्र प्रयोग होने लगा. ज्यादातर प्रदेशवासियों को इसके बाद ही पता चला कि योगी आदित्यनाथ ठाकुर जाति के है. जाति के दुष्प्रचार से दबाव में आये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंत्रिमंडल विस्तार के जरीये अपनी छवि बदलने की कोशिश की है. 2019 के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने आत्मविश्वास के साथ काम करने की बात जरूर करती है पर वह जाति के गणित को छोड़ना नहीं चाहती है.
इस जातिय गणित की सबसे बड़ी वजह उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 13 सीटों पर उपचुनाव होने वाले है. भाजपा इन सभी सीटों को जीतना चाहती है. इस वजह से उसने जातिय समीकरण में पिछड़ा वर्ग की विभिन्न जातियों और दलितों को सबसे अधिक महत्व दिया है. यह बात और है कि पिछड़ी जातियों की संख्या भले ही ज्यादा दिख रही हो पर उनको महत्वपूर्ण पदों पर नहीं रखा गया है.
यही नहीं भाजपा ने अपनी सहयोगी अपना दल को भी दरकिनार कर दिया है. 2014 के केन्द्रीय सरकार के मंत्रिमंडल में अपना दल की अनुप्रिया पटेल को शामिल किया गया था. 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद भी उनको मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई. समझा जा रहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में अपना दल के आशीश सिंह को जगह दी जा सकती है पर उनको मंत्रिमंडल में शामिल ना करके यह जता दिया गया कि अपना दल के साथ की भाजपा को दरकार नहीं रह गई है.
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