Download App

आखिर क्यों यह गोल्ड मेडलिस्ट करना चाहता है सरकारी नौकरी

देश के प्रतिष्ठित खेल सम्मान अर्जुन अवार्ड से सम्मानित पैराओलम्पिक खिलाडी और रियो चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल विजेता मरियप्पन थांगवेलु इन दिनों अपने परिवार को मदद करने के लिए किसी नौकरी की तलाश में हैं. मरियप्पन थांगवेलु देश के उन 17 खिलाडियों में शामिल हैं, जिन्हें खेल क्षेत्र में श्रेष्ठ अर्जुन अवार्ड से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों सम्मानित किया गया है. गोल्ड मेडल जितकर देश लौटने के बाद इस खिलाड़ी ने देशवासियों का दिल जीत लिया था. आज के समय में जितना जल्दी हो सके वो कोई सरकारी नौकरी कर परिवार की मदद करना चाहते हैं.

मां कुछ दिनों पहले तक बेचती थी सब्जी

अर्जुन अवार्ड विजेता मरियप्पन थांगवेलु तमिलनाडु के एक मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखते हैं. मरियप्पन थांगवेलु को यहां तक पहुंचने में उनकी मां का सराहनीय योगदान रहा है. मैडल जीतने से पहले तक इस खिलाड़ी की मां ने तमिलनाडु के एक स्थानीय बाजार में सब्जी बेचकर थांगवेलु को इस काबिल बना दिया कि आज देश की हर मां अपने बेटे को वहां देखना चाहती है जहां आज थांगवेलु पहुंच चुके हैं.

परिवार में दो जवान भाई के अलावा मां हैं

हालांकि इस पैराओलम्पिक खिलाड़ी का परिवार छोटा है. परिवार में दो जवान बेरोजगार भाई के अलावा मां है. मरियप्पन थांगवेलु कोई सरकारी नौकरी कर अपने परिवार की जिम्मेवारी अपने कंधे पर लेना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि वो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री समेत कई लोगों को इस मामले में पत्र लिख चुके हैं, लेकिन कोई संतुष्टि पूर्ण जबाब नहीं मिला है. अर्जुन अवार्ड विजेता खिलाडी ने कहा कि वो सरकारी नौकरी करना चाहते हैं ताकि अपने दो भाई और मां की देखभाल कर सके. उन्होंने बताया कि प्राईज के तौर पर मिले पैसे से अपनी मां के लिए जमीन का टुकड़ा खरीदा ताकि वो चावल और सब्जी ऊगा पाए, इसके अलावा कुछ पैसा फिक्स कर दिया. अर्जुन अवार्ड के साथ मिले 5 लाख रूपए के बजाय इस खिलाडी ने सरकारी नौकरी को ज्यादा प्राथमिकता दिया.

पैराओलम्पिक में मेडल जीत बनाया रिकौर्ड

टी-42 वर्ग की प्रतियोगिता में थंगावेलु ने 1.89 मीटर ऊंची छलांग लगाकर गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया और इसके साथ ही यह गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय खिलाडी बन गए. पैराओलंपिक में भारत को इससे पहले दो स्वर्ण पदक मिल चुके हैं. 1972 में हीडलबर्ग में आयोजित पैराओलंपिक में मुरलीकांत पेटकर ने तैराकी में और देवेंद्र झाझरिया ने 2004 के एथेंस पैराओलंपिक के दौरान भाला फेंक में गोल्ड मेडल जीते थे. पांच साल के थे जब एक सड़क हादसे में उनका पैर खराब हो गया था.

एटीएम से अगर निकले नकली नोट, तो जानिए क्या करें

क्‍या आप के साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप एटीएम गए हों आप ने कुछ रुपये निकाले हों पर जब आप किसी को वो रुपये दे रहें हो तो आप को पता चले कि वो नोट नकली है. एटीएम से नकली नोट निकलने की हर रोज पूरे देश से शिकायत आती रहती है. अक्‍सर बैंक, एटीएम से नकली नोट निकलने की बात स्वीकार नहीं करते हैं जिससे कस्टमर को नुकसान उठाना पड़ता है. इसके अलावा कई बार एटीएम से कटे-फटे, स्टेपल लगे नोट भी निकल आते हैं जिससे भी परेशानी होती है.

अगर आपको लगता है कि आपके पर्स में नकली नोट होने की कोई संभावना नहीं है तो आप अंधेरे में हैं. आरबीआई ने अपनी सालाना रिपोर्ट में बताया कि 7,62,072 नकली नोटों का पता लगाया गया जिसमें से 96 प्रतिशत कमर्शल बैंकों को मिले. जानिए, अगर आपका नोट बैंक नकली बता कर जब्त करे या एटीएम से नकली नोट निकले तो क्या करें.

एटीएम के गार्ड से करें शिकायत

अगर एटीएम से कैश निकालते वक्त आपको लगे कि नकली नोट आ गया है तो आप एटीएम में मौजूद गार्ड से इसके बारे में शिकायत कर सकते हैं. एटीएम में गार्ड के पास एक रजिस्टर होता है जिस पर आपको नोट का नंबर, ट्रांजैक्शन आईडी नंबर, तारीख और समय लिखकर के साइन करने होते हैं. आप उस रजिस्टर पर गार्ड के साइन भी लें. फिर अपनी शिकायत का एक फोटो मोबाइल से लें और जिस ब्रांच से वो एटीएम कनेक्टेड है वहां जाकर भी मैनेजर को अपनी बात कहें. नकली नोट की लिखित में शिकायत दर्ज करवाएं.

आप एटीएम के सीसीटीवी कैमरे में नकली नोट दिखाना ना भूलें.

बैंक जारी करेगा नया नोट

रिजर्व बैंक औफ इंडिया की गाइडलाइंस के मुताबिक हर बैंक में नकली नोट की जांच के लिए स्कैनर लगाना जरूरी है. आपकी शिकायत पर बैंक नोट की जांच कराएगा. अगर सही में नोट नकली पाएगा तो वो उसे आपसे ले लेगा और बदले में बैंक आपको अपनी तरफ से नया नोट जारी करेगा.

आरबीआई को करें मेल

कई बार बैंक आपकी इन मामलों में शिकायत दर्ज करने में आनाकानी करते हैं. ऐसे में आप आरबीआई के पास लिखित में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इसके लिए आपको आरबीआई की तरफ से नियुक्त बैंकिंग लोकपाल में शिकायत भेजनी होगी. आरबीआई के सभी रीजनल आफिस में इसके लिए अलग से डिपार्टमेंट बना हुआ है. आप आरबीआई को ई-मेल भी भेज सकते हैं. ई-मेल एड्रेस आपको बैंक की ब्रांच में लिखा हुआ मिल जाएगा.

एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं आप

नकली नोट मिलने के केस में आप पुलिस के पास जाकर भी एफआईआर दर्ज करा सकते हैं. एफआईआर दर्ज कराते वक्त पुलिस को सारे ठोस सबूत सौंपे.

क्या व्हाट्सऐप के ये 5 फीचर आपके लिए भी बन गए हैं मुसीबत

व्हाट्सऐप, मैसेजिंग का दूसरा नाम बन चुका है. व्हाट्सऐप की टक्कर में मौजूद हाईक, आईमैसेज, वाइबर इसकी लोकप्रियता के आस-पास भी नहीं पहुंच सके. लेकिन इसी पौपुलर मैसेजिंग ऐप की एक डार्क साइड भी है. जहां यूजर्स इसके एक पहलू से अवगत हैं, वहां ये भी जरूरी हो जाता है की उन्हें इसका दूसरा पहलू भी पता हो. आइए जानें इस बारे में.

रिप्लाई करना हो गया है अनिवार्य

हम में से कई यूजर्स कई बार व्हाट्सऐप पर आने वाले मैसेज का रिप्लाई देना नहीं चाहते हैं, लेकिन फिर भी देना पड़ता है. क्योंकि आप ये बहाना नहीं कर सकते कि मैंने मैसेज देखा ही नहीं. आपके इस बहाने की तैयारी व्हाट्सऐप ने पहले ही लास्ट सीन फीचर के जरिए कर ली थी. लास्ट सीन में आप कितने बजे तक व्हाट्सऐप पर औनलाइन थे, नजर आ जाता है. हालांकि इसको हाइड करने का औप्शन है, लेकिन फिर आप दूसरों का लास्ट सीन भी नहीं देख सकेंगे. अब या तो रिप्लाई करें या फिर लास्ट सीन हाइड करें, फैसला आपके हाथ में है.

ब्लू टिक मौन्स्टर

ब्लू टिक जैसे फीचर के आने के बाद लोगों में बातचीत से ज्यादा गलतफहमियां होने लगी हैं. इस फीचर से सेन्डर को पता चल जाता है की मैसेज पढ़ लिया गया है. समय से रिप्लाई ना आने पर लोगों में बिना बात के गलतफहमियां पैदा हो जाती हैं. इससे लोग अपना अच्छा समय व्यर्थ की बातों में खराब कर देते हैं.

ग्रुप मैसेजिंग

व्हाट्सऐप ग्रुप चैट फीचर को इस सोच के साथ पेश किया गया था की जब जरुरत हो तो लोगों को जोड़कर जरूरी मैसेज एक-साथ दे दिया जाए. लेकिन आज के समय में ग्रुप फीचर जोक्स फौरवर्ड करने से ज्यादा कुछ नहीं रह गया. इसका सही इस्तेमाल बहुत कम किया जा रहा है.

स्पैमिंग

जहां एक तरफ व्हाट्सऐप को मौडर्न कम्यूनिकेशन टूल माना जाता है. वहीं, यही वह टूल है जिसमें सबसे ज्यादा स्पैम मैसेज आते हैं. ऐसे टेक्स्ट में आपको सौभाग्य के लिए मैसेज फौरवर्ड करने को कहा जाता है. इसी ऐप के जरिए सबसे ज्यादा झूठे मैसेज भी फैलते हैं.

वीडियो स्टेटस में क्या लगाऊं

आप जानते होंगे कि पहले व्हाट्सऐप में सिर्फ टेक्स्ट स्टेटस फीचर था, फिर इसे अपग्रेड कर वीडियो और फोटो स्टेटस कर दिया गया. जब यूजर्स ने इसका विरोध किया तो अब आपके पास टेक्स्ट और वीडियो दोनों औप्शन है. वीडियो स्टेटस में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन ये सिर्फ 24 घंटे के लिए ही शेड्यूल रहता है और इसके बाद अपने आप हट जाता है. ज्यादातर यूजर्स के पास इतना समय नहीं होता कि हर रोज इस स्टेटस को अपडेट कर सकें. कुल मिलाकर इस स्टेटस फीचर का यूज बहुत कम यूजर्स करते हैं.

ये व्हाट्सऐप के कुछ ऐसे पहलू हैं जिससे हम रोजाना दो-चार होते हैं. जिन्हें चाह कर भी हम इग्नोर नहीं कर सकते. तो जहां इस मैसेजिंग ऐप के कुछ फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हैं.

मोदी मंत्रिमंडल : तीन साल में तीसरा फेरबदल और फिर भी जारी है माथापच्ची

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल का तीन साल में तीसरी बार फेरबदल होने जा रहा है, लेकिन रक्षा मंत्रालय में यह चौथा बदलाव होगा. सरकार और भाजपा के शीर्ष स्तर पर सबसे ज्यादा माथापच्ची नए रक्षा मंत्री के नाम को लेकर हो रही है. इसके लिए कई दौर की बातचीत हो चुकी है पर किसी नाम को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है. सुरेश प्रभु और पीयूष गोयल का नाम इसके लिए आगे चल रहा है.

रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार देख रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को ही साफ कर दिया था कि वह ज्यादा दिनों तक रक्षा मंत्री नहीं रहेंगे. सूत्रों का कहना है कि जेटली से रक्षा मंत्रालय का प्रभार लेकर पीयूष गोयल या सुरेश प्रभु को सौंपने की चर्चा हो रही है. गोयल के ऊर्जा मंत्री के तौर पर अच्छे कामकाज को देखते हुए उन्हें प्रोन्नत करने की बात काफी दिनों से चल रही है.

अहम रक्षा सौदों के चलते रक्षा मंत्री का पद बेहद संवेदनशील है. साथ ही पाकिस्तान के साथ सीमा पर तनाव और चीन के साथ बनते-बिगड़ते रिश्तों के बीच पूर्णकालिक रक्षा मंत्री की जरूरत महसूस की जा रही है. पिछले तीन साल के दौरान करीब एक साल रक्षा मंत्रालय का कार्यभार जेटली के पास अतिरिक्त प्रभार के रूप में रहा है.

दिन भर चला अटकलों का दौर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपनी कैबिनेट में फेरबदल करेंगे, लेकिन इससे पहले शुक्रवार को दिनभर कयासों और अटकलों का दौर चलता रहा. कैबिनेट से हटाने और शामिल करने के नए-नए पैमाने तय किए जाते रहे, जिसमें कैबिनेट के मंत्री और सरकार के आला अफसर भी शामिल रहे. कई मंत्रियों के इस्तीफे और त्यागपत्र देने की पेशकश की खबरों के बीच कुछ मंत्री वक्त से पहले ही दफ्तर पहुंच गए.

मंत्रालयों में चहल-पहल सामान्य रही, लेकिन अधिकतर मंत्री और अफसर एक-दूसरे से फेरबदल की जानकारी लेने में व्यस्त रहे. अब बदलाव का समय तय होने के बाद कई मंत्रियों का मंत्रालय के कामकाज में मन नहीं लगा. वह पूरे दिन दूसरे मंत्रियों और पार्टी नेताओं को फोन कर यह जानने में जुटे रहे कि इस फेरबदल की सूची में कहीं उनका नाम तो नहीं है. उनकी लाल बत्ती बरकरार है या नहीं. उनका मंत्रालय तो नहीं बदला गया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में जब भी फेरबदल की बात होती है तो केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह की चर्चा शामिल होती है. इस बार भी उनका मंत्रालय बदले जाने की अटकलें हैं, लेकिन अभी वह बिहार के दौरे पर हैं.

दो विभाग संभालने में मुश्किल

एनडीए सरकार के बनने के वक्त अरुण जेटली को रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन उनके लिए वित्त और रक्षा दोनों विभागों को संभालना मुश्किल हो रहा था. इसलिए गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को दिल्ली लाकर रक्षा मंत्री बनाया गया था. ईमानदार छवि वाले पर्रिकर को रक्षा मंत्री बनाए जाने के फैसले की काफी सराहना हुई थी.

रेल मंत्रालय से विदाई तय

सुरेश प्रभु की रेल मंत्रालय से विदाई लगभग तय मानी जा रही है. हाल में दो रेल हादसों के बाद प्रभु ने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर इस्तीफे की पेशकश की थी. उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन हादसे के बाद प्रभु ने मंत्रालय का कोई कामकाज नहीं किया है. यहां तक कई महाप्रबंधकों व रेलवे बोर्ड सदस्य की नियुक्ति संबंधी फाइल को भी आगे नहीं बढ़ाया है. प्रभु के सेल स्टाफ ने अहम फाइलें निपटा दी हैं.

गडकरी की चर्चा

रेलवे बोर्ड के सदस्यों से लेकर दूसरे अधिकारी नया रेल मंत्री कौन बनेगा, यह जानने के लिए बेहद उत्सुक हैं. रेल भवन में चर्चा है कि सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को रेल मंत्री बनाने की अटकलें अधिक हैं.

आखिरी विस्तार होगा

अगले लोकसभा चुनाव से पहले यह आखिरी विस्तार हो सकता है, इसलिए इसमें बड़ी संख्या में मंत्री शामिल किए जा सकते हैं. केंद्रीय मंत्रियों की संख्या लगभग 30 व राज्यमंत्रियों की संख्या लगभग 50 तक पहुंच सकती है.

मिशन 2019 को ध्यान में रखकर फेरबदल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कसौटी पर खरा न उतरने और अपने मंत्रालयों में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने की वजह से आधा दर्जन मंत्रियों को हटाया जाना लगभग तय है. कुछ मंत्रियों को संगठन की जरूरतों के हिसाब से हटाया जा रहा है. मंत्रिमंडल में फेरबदल मिशन 2019 की तैयारियों से जुड़ा है, जिसमें सरकार व संगठन को उसके अनुरूप बनाना है.

सूत्रों के अनुसार, कौशल विकास मंत्रालय का गठन प्रधानमंत्री मोदी के नए भारत के निर्माण की संकल्पना से किया गया था लेकिन इस विभाग के मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी अभी तक अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर सके. साथ ही बिहार में जदयू के साथ आने और उसे सरकार में हिस्सेदारी देने के लिए भी बिहार से मंत्री कम करने थे. ऐसे में रूड़ी को इस्तीफा देने को कहा गया. स्वास्थ्य राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मंत्रालय व पार्टी दोनों स्तरों पर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे.

रूडी-कुलस्ते को संगठन में मिलेगी अहम जिम्मेदारी

सूत्रों के अनुसार राजीव प्रताप रूड़ी व फग्गन सिंह कुलस्ते को संगठन में अहम काम दिया जाएगा. रूड़ी को राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता बनाए जाने की चर्चा है. कुलस्ते को भी प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी मिल सकती है. संजीव बालियान को भी संगठन के काम में लगाया जाएगा.

कलराज पर भारी पड़ी उम्र, बंडारू नहीं कर पाए काम

कलराज मिश्र का मंत्रालय भी ज्यादा प्रभावी काम नहीं कर पा रहा था और वे 75 साल की आयु को भी पार कर गए थे. उत्तर प्रदेश के चुनाव में जातीय समीकरणों को देखते हुए उनको मंत्री बनाए रखा गया था. बंडारू दत्तात्रेय भी मंत्रालय में ठीक से काम नहीं कर पा रहे थे. महेंद्र नाथ पांडे को संगठन के कारण इस्तीफा देना पड़ा है.

‘परफॉर्मेंस’ बेहतर बनाने पर जोर

केंद्रीय मंत्रिमंडल के संभावित फेरबदल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मंत्रियों के साथ मंत्रालयों के ‘परफॉर्मेंस’ को भी बेहतर बनाने की कोशिश कर सकते हैं. ताकि, मंत्रालयों में आपसी समन्वय बढ़े और विकास की गति तेज हो. मोदी कई बार प्रभावशाली सरकार की वकालत कर चुके हैं. मंत्रिमंडल में रविवार को होने वाले बदलावों में मंत्रालयों के बीच बेहतर समन्वय का ध्यान रखा जाएगा. माना जा रहा है कि फेरबदल में आपस में जुड़े मंत्रलयों की जिम्मेदारी एक मंत्री को सौंपी जा सकती है, जिससे कामकाज में तेजी आए. प्रधानमंत्री का यह प्रयोग ऊर्जा के मामले में सफल रहा है. ऊर्जा से संबंधित सभी मंत्रालयों की जिम्मेदारी केंद्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पीयूष गोयल के पास है. संबंधित मंत्रलयों के साथ होने से ऊर्जा क्षेत्र में तेजी से काम हुआ है. ऐसे में मोदी मंत्रिमंडल फेरबदल के दौरान कुछ और मंत्रलयों में आपसी तालमेल बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं. इससे कार्यक्रमों के क्रियान्वयन और काम में तेजी आएगी.

यह कयास भी हैं कि सड़क एवं परिवहन मंत्रलय और रेल मंत्रलय का प्रभार एक ही मंत्री को सौंपा जा सकता है, क्योंकि रेल भी परिवहन से जुड़ा है. साथ ही राजमार्गों के निर्माण में रेलवे लाइन पर पुल और अंडरपास बनाने की इजाजत मिलने में दो मंत्रालयों के सामंजस्य की वहज से देर लगती है.

सहयोगी दलों से दो मंत्रियों को जगह

विस्तार में जदयू से दो मंत्रियों को शामिल किए जाने की उम्मीद है. सूत्रों के अनुसार जदयू से आरसीपी सिंह व संतोष कुमार को मंत्री बनाया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक, शिवसेना से आनंद राव अडसूल या अनिल देसाई को मंत्री बनाया जा सकता है. तेलुगुदेशम अपने हिस्से में एक और मंत्री चाहती है. अन्नाद्रमुक के बारे में अभी फैसला होना बाकी है. अन्नाद्रमुक से एम थंबीदुरई, वी मैत्रेयन व पी वेणुगोपाल के नामों की चर्चा है.

नाकामी को छुपाने के लिए मंत्रिमंडल में बदलाव : शर्मा

केंद्रीय मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल को कांग्रेस ने विफलता छुपाने की कोशिश करार दिया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार की आर्थिक नीतियों ने अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचाया है. मंत्रिमंडल में फेरबदल से जीडीपी के आंकड़े नहीं बदल जाएंगे. यह नाकामी छुपाने की कोशिश है. शर्मा ने कहा कि भाजपा के पास योग्य व्यक्तियों की कमी है. ऐसे में इस बदलाव से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. मंत्रिमंडल फेरबदल के बारे में सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार होता है, वह जिसे चाहे मंत्री बना या हटा सकते हैं. सरकार को हर मोर्चे पर विफल रहने का आरोप लगाते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि मंत्रिमंडल में बदलाव से सरकार पर लगा नाकामी का ठप्पा नहीं हटेगा.

वीडियो : तो इस वजह से टीम इंडिया जीत रही है सारे मैच

भारतीय टीम ने श्रीलंका के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज का चौथा मैच 168 रनों से जीत लिया. भारत ने सीरीज में 4-0 से बढ़त बना ली है. पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम ने 375 रनों का पहाड़ जैसा स्कोर बनाया. भारत की तरफ से रोहित शर्मा और कप्तान विराट कोहली ने शानदार शतकीय पारी खेली और दूसरे विकेट के लिए 219 रनों की साझेदारी निभाई.

मैच के बाद उप कप्तान रोहित शर्मा ने बीसीसीआई टीवी के लिए कप्तान कोहली का इंटरव्यू लिया. रोहित शर्मा ने कोहली से पूछा कि आपकी कप्तानी में टीम लगातार जीत रही है इसके पीछे क्या कारण है तो कोहली ने कहा, “खिलाड़ियों के अंदर अच्छा प्रदर्शन करने की जो भूख है, उसी की वजह से हम जीत हासिल कर रहे हैं. एक-दो मैच में अच्छा खेलने के बाद भी वह रुकते नहीं हैं और आगे के मैचों में बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करते हैं. इससे मेरा काम काफी आसान हो जाता है. मैं केवल फील्ड लगाता हूं, बाकी सब खिलाड़ी ही करते हैं.”

रोहित ने फिर कोहली से पूछा कि आपको मेरे साथ खेलकर कैसा लगा तो कोहली कहते हैं कि रोहित के साथ खेलते समय बहुत ही मजा आता है. हम बल्लेबाजी का मजा ले रहे थे और स्कोरबोर्ड पर ध्यान नहीं दे रहे थे. हमने साथ में कई बड़ी साझेदारियां बनाई हैं और ये भी उनमें से एक थी.

कोहली का कहना है कि आज टीम जिस भी मुकाम पर है उसमें खिलाड़ियों के साथ साथ सपोर्ट स्टाफ का भी बड़ा योगदान है. करीब साढ़े तीन मिनट के इस इंटरव्यू में रोहित शर्मा कोहली से खूब सवाल जवाब करते हैं. आप भी देखें ये वीडियो.

मैं 21 साल की हूं. मेरे स्तनों का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है. मेरे निप्पल का आकार भी ठीक नहीं है. बताएं क्या करूं.

सवाल
मैं 21 वर्षीय अविवाहिता हूं. मेरे स्तनों का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है. मेरे निप्पल का आकार भी ठीक नहीं है. इस कारण मैं हीनभावना से ग्रस्त रहती हूं. मेरा वजन 52 किलोग्राम और लंबाई 5 फुट 6 इंच है. बताएं क्या करूं?

जवाब
घबराने की जरूरत नहीं है. शादी के बाद जब बच्चा होगा और आप उसे फीडिंग कराएंगी तब निप्पल ठीक हो जाएंगे.

बादशाहो : ऐसी फिल्में तो सत्तर और अस्सी के दशक में बनती थी

आपातकाल की पृष्ठभूमि में प्यार, धोखा, गुस्सा, नफरत, बदले की कहानी व एक्शन से भरपूर मिलन लूथरिया की फिल्म ‘‘बादशाहो’’ बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं डालती. सत्तर व अस्सी के दशक में इस तरह की कहानी पर तमाम मसाला फिल्में बन चुकी हैं. सिर्फ आपातकाल की पृष्ठभूमि बताने से कहानी असरदार नहीं बनती.

फिल्म ‘‘बादशाहो’’ की कहानी शुरू होती है 1973 में जयपुर की महारानी गीतांजली के महल में चल रही एक पार्टी से. इस पार्टी में शासक दल के बड़े नेता संजीव (प्रियांशु चटर्जी) भी मौजूद हैं, जो कि महारानी से नाराज होकर महल से बाहर निकलते हैं. दो साल बाद आपातकाल लगने पर संजीव सेना को आदेश देते हैं कि अब महाराज नहीं रहे, इसलिए जयपुर के राजमहल की तलाशी लेकर महारानी गीतांजली के पास मौजूद सारा सोना जब्त करके दिल्ली के सरकारी खजाने में जमा किया जाए.

सेना का अफसर सैन्य बल के साथ राजमहल पहुंचता है. उसे जो कुछ मिलता है, उसकी जानकारी वह संजीव को देता रहता है. सोना मिलने के बाद महारानी को जेल भेज दिया जाता है. जेल के बाहर महारानी को छुड़ाने के लिए हंगामा होता है. इसी हंगामे में बदमाश भवानी सिंह (अजय देवगन) गिरफ्तार होकर जेल के अंदर पहुंचते हैं, जहां महारानी गीतांजली उनसे अपना सोना सरकारी खजाने तक पहुंचने से पहले वापस लाकर देने के लिए कहती हैं. पता चलता है कि भवानी सिंह कभी राजमहल में ही रहा करता था. वह महाराजा का अतिविश्वासपात्र था. महाराजा की मौत के बाद महारानी ने उस पर विश्वास किया था. दोनों के बीच कुछ ज्यादा ही अच्छे संबंध रहे हैं. पर एक गांव के जलाए जाने पर भवानी सिंह को अहसास हुआ था कि महारानी ने अपने चेहरे पर कई मुखौटे ओढ़ रखे हैं. तब वह महल से दूर चला गया था. पर अब वह महारानी की मदद के लिए तैयार है.

महारानी की सेक्रटरी संजना (ईशा गुप्ता) भी भवानी सिंह के साथ हैं. इसके अलावा भवानी सिंह ने महारानी के सोने को सरकारी खजाने में पहुंचने से पहले ही लूट लेने के मकसद से अपने सहयोगी दलिया (इमरान हाशमी) तथा ताला खोलने में माहिर तिकला (संजय मिश्रा) को बुला लिया है.

सरकार ने जब्त सोने आर्मी ट्रक में भरकर दिल्ली लाने की जिम्मेदारी सैन्य अधिकारी व कमांडो सहर (विद्युत जामवाल) को दी है. यह ट्रक व सैन्य अधिकारी चलते हैं. रास्ते में भवानी सिंह अपने साथियों के साथ सभी को हराकर ट्रक पर कब्जा कर भागते हैं. रास्ते में एक पुलिस अफसर (शरद केलकर) उनका पीछा करता है. अंततः एक जंगल में जाकर भवानी सिंह व उसके साथी सारा सोना पिघलाकर उसे ऊंटो पर लादकर चल देते हैं. इधर पता चलता है कि कमांडो सहर तो महारानी गीतांजली से मिला हुआ है.

अंततः सारा सोना उस गांव में जाकर बंट जाता है, जिस गांव को जलाने का आदेश कभी महारानी गीतांजली ने दिया था. खैर, अब आर्मी कहां गयी, महारानी कहां गयी, कुछ स्पष्ट नहीं होता. पर एक खंडहर में भवानी सिंह व उसके साथी आपस में बातें करते हुए नजर आते हैं.

अस्वाभाविक दृश्यों से भरपूर तितर बितर व अति कमजोर  पटकथा से युक्त फिल्म ‘‘बादशाहो’’ में आकर्षण वाला कोई मामला नही है. किरदारों का चरित्र चित्रण भी गड़बड़ है. अति कमजोर कहानी व पटकथा वाली यह फिल्म बोर ही करती है. संजीव के किरदार को संजय गांधी जैसा लुक दिया गया जिसकी वजह महज फिल्म को आपातकाल की पृष्ठभूमि से जोड़ना रहा या कुछ और यह फिल्मकार ही बेहतर जानते होंगे.

फिल्म की लोकेशन अच्छी है. कैमरामैन ने कुछ अच्छे दृश्य कैमरे में कैद किए हैं. जहां गीत संगीत का सवाल है, तो फिल्म का एक गाना ‘‘मेरे रश्के  कमर..’ ही ठीक है. जहां तक अभिनय का सवाल है, तो अजय देवगन कुछ कमाल नहीं दिखा पाए. इमरान हाशमी निराश करते हैं. ईलियाना डिक्रूजा जरुर अच्छी लगी हैं. विद्युत जामवाल का अभिनय भी ठीक ही है. संजय मिश्रा के हिस्से कुछ संवाद अच्छे आ गए हैं और उनकी परफार्मेंस भी अच्छी है.

दो घंटे तीस मिनट की अवधि वाली फिल्म का निर्माण मिलन लूथरिया, भूषण कुमार व किशन कुमार ने किया है. फिल्म के लेखक रजत अरोड़ा, निर्देशक मिलन लूथरिया, संगीतकार तनिष्क बागची व अंकित तिवारी तथा कलाकार हैं-अजय देवगन, इमरान हाशमी, ईलियाना डिक्रूजा, शरद केलकर, संजय मिश्रा, ईशा गुप्ता व अन्य.

बायोपिक के लिए किसी ने लिए 1 रुपये, तो किसी ने 60 करोड़

बौलीवुड में इन दिनों बायोपिक का दौर चल रहा है. असल जिंदगी के लोगों की कहानी और संघर्ष को बड़े परदे पर फिल्म के माध्यम से दिखाना अब एक ट्रेंड बन गया है. अब दर्शक भी अपनी पसंद बदल कर असली जिंदगी के हीरो के बारे में अधिक जानना चाहते हैं. इसलिए बौलीवुड के एक्टर्स भी इस तरह के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं.

वो अपनी फिल्मों के जरिये उन लोगो के जीवन के सच और संघर्ष लोगों को दिखाने की कोशिश कर रहे हैं जो काल्पनिक नहीं है. ये बायोपिक फिल्में ज़्यादातर खिलाड़ियों के जीवन पर बनी हैं. लेकिन अगर हम आपसे पूछे की क्या आप जानते हैं, इनमें से कुछ खिलाडियों ने अपनी जीवन पर फिल्म बनाने के लिए पैसों की मांग भी की है. वहीं कुछ ने तो एक भी पैसा नहीं वसूला.

भाग मिल्खा भाग

मिल्खा सिंह एक ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने 1958 में भारत को कौमनवेल्थ खेल में गोल्ड मैडल दिला कर विश्व भर में भारत का नाम रोशन किया है. उनकी इस उपलब्धि और संघर्ष को डायरेक्टर ओम प्रकाश मेहरा ने बड़े परदे पर फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ के रूप में उतार दिया था. मिल्खा सिंह ने इसके लिए उनसे सिर्फ 1 रुपये चार्ज किये थे. मिल्खा सिंह की कहानी को बहुत पसंद किया गया और फिल्म ने अच्छा कारोबार भी किया था. इस फिल्म के लिए फरहान अख्तर को बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर और आईफा अवार्ड से सम्मानित किया गया था.

मैरी कौम

बौक्सर मैरी कौम पर बनी ये फिल्म अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि थी. उनके ऊपर फिल्म बनाये जाने के लिए इन्हें 25 लाख रुपये दिए गये थे. फिल्म में मैरी कौम का किरदार प्रियंका चोपड़ा ने निभाया था. इस फिल्म ने 100 करोड़ से ज़्यादा की कमाई की थी.

एम.एस.धोनी : द अनटोल्ङ स्टोरी

जब इस फिल्म का ऐलान हुआ था उसके बाद से लोग इस फिल्म को देखने के लिए पागल हो गये थे और हो भी क्यों न, इंडियन क्रिकेट टीम के सबसे पौपुलर खिलाड़ी के ऊपर फिल्म बनने वाली थी. फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत ने धोनी का किरदार निभाया था. इस फिल्म में दिशा पटानी के साथ अन्य कई कलाकारों ने काम किया था जिसे लोगों ने खूब पसंद किया. फिल्म ने अच्छी कमाई भी की. लेकिन क्या आप जानते हैं इस फिल्म को बनाए जाने के लिए धोनी ने 60 करोड़ जैसी बड़ी रकम की मांग की थी.

पान सिंह तोमर

सेना के जवान रहते हुए इंटरनेशनल एथलीट और फिर बागी बने पान सिंह तोमर की जिंदगी पर बनी इस फिल्म ने नाम और पैसा खूब कमाया था. इस फिल्म में पान सिंह का किरदार इरफान खान ने बखूबी निभाया था. पान सिंह का असल किरदार परदे पर दिखाने के लिए उनके परिवार को 15 लाख की रकम दी गई थी.

सचिन, ए बिलियन ड्रीम

जब हम क्रिकेट के बारे में सोचते हैं तो एक नाम सबसे ऊपर आता है, वो हैं क्रिकेट के भगवान, मास्टर ब्लास्टर कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर. सचिन पर कोई फिल्म हो और उनके फैंस देखने न जाए ऐसा होना थोड़ा मुश्किल है. यही वजह रही होगी कि फिल्म ‘सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स’ ने केवल दो दिन में 17 करोड़ से अधिक की कमायी कर ली थी. ये फिल्म कोई फीचर फिल्म नहीं बल्कि एक डौक्यूमेंट्री थी. ऐसी खबर थी कि सचिन ने इस डौक्यूमेंट्री को बनाये जाने के फिल्म मेकर्स से 40 करोड़ की बड़ी रकम मांगी थी.

अजहर

फिल्म अज़हर पौपुलर क्रिकेटर मोहम्मद अजरुद्दीन के जीवन पर आधारित थी. फिल्म बौक्स औफिस पर कोई कमाल नहीं कर पाई थी. इस फिल्म के लिए अजरुद्दीन ने एक भी पैसा नहीं लिया था. उनका मकसद अपनी असली कहानी को दर्शकों तक पहुंचना था. क्योंकि आज भी उनका नाम मैच फिक्सिंग जैसे मामले में जोड़ा जाता है.

दंगल

फिल्म दंगल एक ऐसे पिता और बेटियों की असल कहानी थी, जिसे लोग परदे पर देख कर अपने घर की कहानी से जोड़ने लगे थे. हरियाणा के रहने वाले पहलवान महावीर फोगाट के किरदार को आमिर खान ने इस कदर निभाया था कि फिल्म ने अभी तक के सारे रिकौर्ड तोड़ दिए हैं. इस फिल्म के लिए महावीर फोगाट को 80 लाख के करीब दिए गए थे.

कपिल शर्मा के शो पर लगा ब्रेक, जानें इसकी वजह

इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहे कपिल शर्मा के फैंस के लिए एक और बुरी खबर है. सोनी चैनल की ओर से कपिल शर्मा के ‘द कपिल शर्मा शो’ को बंद करने का फैसला किया गया है. चैनल का यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब कपिल शर्मा की तबीयत खराब होने के चलते शो की शूटिंग बार-बार कैंसिल हो रही थी.

कपिल शर्मा की तबीयत उनके लिए मुश्किल बनती जा रही है. खराब तबीयत का असर उनके शो पर साफ दिख रहा है. अब सोनी चैनल के औफिशल प्रवक्ता ने कहा है कि कपिल काफी समय से बीमार चल रहे हैं, ऐसे में हमने निर्णय लिया है कि शो को कुछ समय के लिए रोक दिया जाए. जैसे ही कपिल ठीक होते हैं, हम फिर से शूटिंग शुरू कर देंगे.

उन्होंने कहा कि हम कपिल के साथ अपने रिश्ते की इज्जत करते हैं और हम कामना करते हैं कि कपिल जल्द से जल्द ठीक हो जाएं और दोबार काम पर लौट सकें. बता दें कि कपिल ने खराब तबीयत के चलते शाहरुख खान जैसे सितारों के साथ शूटिंग करने में असमर्थता जताई थी.

सूत्रों के मुताबिक, कपिल के शो की टाइमिंग में भी बदलाव किया गया है. अब यह शो 9 बजे की बजाय शाम 8 बजे आएगा. 9 बजे से कृष्णा अभिषेक का नया शो ड्रामा कंपनी आएगा. जब तक कपिल के शो के लिए नए एपिसोड की शूटिंग नहीं होती, तब तक पुराने एपिसोड को फिर से दिखाया जाएगा.

कंगना रनोट ने तल्ख लहजे में की ऋतिक से माफी की मांग

देखा जाए तो कंगना रनोट और ऋतिक रोशन के बीच हुए विवाद को लंबा अरसा हो गया है और दोनों ही अपने अपने करियर को लेकर आगे बढ़ चुके हैं, लेकिन एक बार फिर कंगना ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी. हाल ही में एक टीवी शो में महमान बनीं कंगना ने इंटरव्‍यू के दौरान तल्ख लहजे में ऋतिक से पब्लिकली माफी की मांग की है. कंगना ने हाल ही में दो अलग-अलग जगहों पर अपने इंटरव्‍यू में ऋतिक रोशन और उनके पिता के साथ हुए विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

कंगना ने अपने को-स्‍टार रहे ऋतिक के साथ हुए ई-मेल के विवाद पर कहा, मेरे नाम पर घटिया और वाहियात मेल रिलीज किए गए जिन्हें आज भी लोग गूगल कर पढ़ते और चटकारे लेते हैं.  ईमेल लीक होने की वजह से मुझे तनाव हुआ, मेंटल और इमोशनल ट्रामा हुआ. रातों तक मैं रोती थी और मुझे नींद भी नहीं आती थी. मैंने जितनी बेइज्जती सही है उसका कोई हिसाब नहीं है. इस बदतमीजी के लिए मुझे उनसे माफी चाहिए.

एक वीडियो में कंगना कह रही हैं, ‘मैं उनसे बहुत प्यार करती थी. जो कविता मैंने उनके लिए लिखी थी उन्होंने उसका इस्तेमाल मेरी इमेज को खराब करने के लिए किया. यह किसी दूसरी मौत से कम नहीं है.’

बता दें कि कंगना और ऋतिक के बीच यह विवाद तब शुरू हुआ जब ऋतिक रोशन ने फिल्‍म प्रमोशन के दौरान दिए एक इंटरव्‍यू में उन्‍हें ‘सिली एक्‍स’ कह कर पुकारा था. जिसके बाद कंगना ने भी ऋतिक को लीगल नोटिस भेजा था.

आपको बता दें कि फिल्म ‘काइट्स’ के दौरान ऋतिक रोशन और कंगना की मुलाकात हुई थी. जिसके बाद यह जोड़ी ‘कृष-3’ में भी साथ नजर आई. कंगना अब जल्‍द ही फिल्‍म ‘सिमरन’ में और फिल्‍म ‘मणिकर्णिका: द क्‍वीन आफ झांसी’ में नजर आने वाली हैं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें