प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल का तीन साल में तीसरी बार फेरबदल होने जा रहा है, लेकिन रक्षा मंत्रालय में यह चौथा बदलाव होगा. सरकार और भाजपा के शीर्ष स्तर पर सबसे ज्यादा माथापच्ची नए रक्षा मंत्री के नाम को लेकर हो रही है. इसके लिए कई दौर की बातचीत हो चुकी है पर किसी नाम को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है. सुरेश प्रभु और पीयूष गोयल का नाम इसके लिए आगे चल रहा है.

रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार देख रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को ही साफ कर दिया था कि वह ज्यादा दिनों तक रक्षा मंत्री नहीं रहेंगे. सूत्रों का कहना है कि जेटली से रक्षा मंत्रालय का प्रभार लेकर पीयूष गोयल या सुरेश प्रभु को सौंपने की चर्चा हो रही है. गोयल के ऊर्जा मंत्री के तौर पर अच्छे कामकाज को देखते हुए उन्हें प्रोन्नत करने की बात काफी दिनों से चल रही है.

अहम रक्षा सौदों के चलते रक्षा मंत्री का पद बेहद संवेदनशील है. साथ ही पाकिस्तान के साथ सीमा पर तनाव और चीन के साथ बनते-बिगड़ते रिश्तों के बीच पूर्णकालिक रक्षा मंत्री की जरूरत महसूस की जा रही है. पिछले तीन साल के दौरान करीब एक साल रक्षा मंत्रालय का कार्यभार जेटली के पास अतिरिक्त प्रभार के रूप में रहा है.

दिन भर चला अटकलों का दौर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपनी कैबिनेट में फेरबदल करेंगे, लेकिन इससे पहले शुक्रवार को दिनभर कयासों और अटकलों का दौर चलता रहा. कैबिनेट से हटाने और शामिल करने के नए-नए पैमाने तय किए जाते रहे, जिसमें कैबिनेट के मंत्री और सरकार के आला अफसर भी शामिल रहे. कई मंत्रियों के इस्तीफे और त्यागपत्र देने की पेशकश की खबरों के बीच कुछ मंत्री वक्त से पहले ही दफ्तर पहुंच गए.

मंत्रालयों में चहल-पहल सामान्य रही, लेकिन अधिकतर मंत्री और अफसर एक-दूसरे से फेरबदल की जानकारी लेने में व्यस्त रहे. अब बदलाव का समय तय होने के बाद कई मंत्रियों का मंत्रालय के कामकाज में मन नहीं लगा. वह पूरे दिन दूसरे मंत्रियों और पार्टी नेताओं को फोन कर यह जानने में जुटे रहे कि इस फेरबदल की सूची में कहीं उनका नाम तो नहीं है. उनकी लाल बत्ती बरकरार है या नहीं. उनका मंत्रालय तो नहीं बदला गया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में जब भी फेरबदल की बात होती है तो केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह की चर्चा शामिल होती है. इस बार भी उनका मंत्रालय बदले जाने की अटकलें हैं, लेकिन अभी वह बिहार के दौरे पर हैं.

दो विभाग संभालने में मुश्किल

एनडीए सरकार के बनने के वक्त अरुण जेटली को रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन उनके लिए वित्त और रक्षा दोनों विभागों को संभालना मुश्किल हो रहा था. इसलिए गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को दिल्ली लाकर रक्षा मंत्री बनाया गया था. ईमानदार छवि वाले पर्रिकर को रक्षा मंत्री बनाए जाने के फैसले की काफी सराहना हुई थी.

रेल मंत्रालय से विदाई तय

सुरेश प्रभु की रेल मंत्रालय से विदाई लगभग तय मानी जा रही है. हाल में दो रेल हादसों के बाद प्रभु ने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर इस्तीफे की पेशकश की थी. उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन हादसे के बाद प्रभु ने मंत्रालय का कोई कामकाज नहीं किया है. यहां तक कई महाप्रबंधकों व रेलवे बोर्ड सदस्य की नियुक्ति संबंधी फाइल को भी आगे नहीं बढ़ाया है. प्रभु के सेल स्टाफ ने अहम फाइलें निपटा दी हैं.

गडकरी की चर्चा

रेलवे बोर्ड के सदस्यों से लेकर दूसरे अधिकारी नया रेल मंत्री कौन बनेगा, यह जानने के लिए बेहद उत्सुक हैं. रेल भवन में चर्चा है कि सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को रेल मंत्री बनाने की अटकलें अधिक हैं.

आखिरी विस्तार होगा

अगले लोकसभा चुनाव से पहले यह आखिरी विस्तार हो सकता है, इसलिए इसमें बड़ी संख्या में मंत्री शामिल किए जा सकते हैं. केंद्रीय मंत्रियों की संख्या लगभग 30 व राज्यमंत्रियों की संख्या लगभग 50 तक पहुंच सकती है.

मिशन 2019 को ध्यान में रखकर फेरबदल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कसौटी पर खरा न उतरने और अपने मंत्रालयों में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने की वजह से आधा दर्जन मंत्रियों को हटाया जाना लगभग तय है. कुछ मंत्रियों को संगठन की जरूरतों के हिसाब से हटाया जा रहा है. मंत्रिमंडल में फेरबदल मिशन 2019 की तैयारियों से जुड़ा है, जिसमें सरकार व संगठन को उसके अनुरूप बनाना है.

सूत्रों के अनुसार, कौशल विकास मंत्रालय का गठन प्रधानमंत्री मोदी के नए भारत के निर्माण की संकल्पना से किया गया था लेकिन इस विभाग के मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी अभी तक अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर सके. साथ ही बिहार में जदयू के साथ आने और उसे सरकार में हिस्सेदारी देने के लिए भी बिहार से मंत्री कम करने थे. ऐसे में रूड़ी को इस्तीफा देने को कहा गया. स्वास्थ्य राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मंत्रालय व पार्टी दोनों स्तरों पर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे.

रूडी-कुलस्ते को संगठन में मिलेगी अहम जिम्मेदारी

सूत्रों के अनुसार राजीव प्रताप रूड़ी व फग्गन सिंह कुलस्ते को संगठन में अहम काम दिया जाएगा. रूड़ी को राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता बनाए जाने की चर्चा है. कुलस्ते को भी प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी मिल सकती है. संजीव बालियान को भी संगठन के काम में लगाया जाएगा.

कलराज पर भारी पड़ी उम्र, बंडारू नहीं कर पाए काम

कलराज मिश्र का मंत्रालय भी ज्यादा प्रभावी काम नहीं कर पा रहा था और वे 75 साल की आयु को भी पार कर गए थे. उत्तर प्रदेश के चुनाव में जातीय समीकरणों को देखते हुए उनको मंत्री बनाए रखा गया था. बंडारू दत्तात्रेय भी मंत्रालय में ठीक से काम नहीं कर पा रहे थे. महेंद्र नाथ पांडे को संगठन के कारण इस्तीफा देना पड़ा है.

‘परफॉर्मेंस’ बेहतर बनाने पर जोर

केंद्रीय मंत्रिमंडल के संभावित फेरबदल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मंत्रियों के साथ मंत्रालयों के ‘परफॉर्मेंस’ को भी बेहतर बनाने की कोशिश कर सकते हैं. ताकि, मंत्रालयों में आपसी समन्वय बढ़े और विकास की गति तेज हो. मोदी कई बार प्रभावशाली सरकार की वकालत कर चुके हैं. मंत्रिमंडल में रविवार को होने वाले बदलावों में मंत्रालयों के बीच बेहतर समन्वय का ध्यान रखा जाएगा. माना जा रहा है कि फेरबदल में आपस में जुड़े मंत्रलयों की जिम्मेदारी एक मंत्री को सौंपी जा सकती है, जिससे कामकाज में तेजी आए. प्रधानमंत्री का यह प्रयोग ऊर्जा के मामले में सफल रहा है. ऊर्जा से संबंधित सभी मंत्रालयों की जिम्मेदारी केंद्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पीयूष गोयल के पास है. संबंधित मंत्रलयों के साथ होने से ऊर्जा क्षेत्र में तेजी से काम हुआ है. ऐसे में मोदी मंत्रिमंडल फेरबदल के दौरान कुछ और मंत्रलयों में आपसी तालमेल बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं. इससे कार्यक्रमों के क्रियान्वयन और काम में तेजी आएगी.

यह कयास भी हैं कि सड़क एवं परिवहन मंत्रलय और रेल मंत्रलय का प्रभार एक ही मंत्री को सौंपा जा सकता है, क्योंकि रेल भी परिवहन से जुड़ा है. साथ ही राजमार्गों के निर्माण में रेलवे लाइन पर पुल और अंडरपास बनाने की इजाजत मिलने में दो मंत्रालयों के सामंजस्य की वहज से देर लगती है.

सहयोगी दलों से दो मंत्रियों को जगह

विस्तार में जदयू से दो मंत्रियों को शामिल किए जाने की उम्मीद है. सूत्रों के अनुसार जदयू से आरसीपी सिंह व संतोष कुमार को मंत्री बनाया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक, शिवसेना से आनंद राव अडसूल या अनिल देसाई को मंत्री बनाया जा सकता है. तेलुगुदेशम अपने हिस्से में एक और मंत्री चाहती है. अन्नाद्रमुक के बारे में अभी फैसला होना बाकी है. अन्नाद्रमुक से एम थंबीदुरई, वी मैत्रेयन व पी वेणुगोपाल के नामों की चर्चा है.

नाकामी को छुपाने के लिए मंत्रिमंडल में बदलाव : शर्मा

केंद्रीय मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल को कांग्रेस ने विफलता छुपाने की कोशिश करार दिया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार की आर्थिक नीतियों ने अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचाया है. मंत्रिमंडल में फेरबदल से जीडीपी के आंकड़े नहीं बदल जाएंगे. यह नाकामी छुपाने की कोशिश है. शर्मा ने कहा कि भाजपा के पास योग्य व्यक्तियों की कमी है. ऐसे में इस बदलाव से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. मंत्रिमंडल फेरबदल के बारे में सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार होता है, वह जिसे चाहे मंत्री बना या हटा सकते हैं. सरकार को हर मोर्चे पर विफल रहने का आरोप लगाते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि मंत्रिमंडल में बदलाव से सरकार पर लगा नाकामी का ठप्पा नहीं हटेगा.

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