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वह नादान नहीं थी : आखिर क्यों उस शादीशुदा औरत को लग गई ऐसी लत

रात के 10 बजे राजेंद्र सिंह ने कमबाइन मशीन खेतों के बाहर बने कमरे के पास खड़ी की और ट्यूबवैल की मोटर चला कर नहाने लगा. नहा कर उस ने खाना खाया और सोने के लिए चारपाई पर लेट गया, क्योंकि उसे सुबह जल्दी उठना था.

दिन भर कमबाइन मशीन चलातेचलाते बलजिंदर इतना थक जाता था कि चारपाई पर लेटते ही उसे नींद आ जाती थी. अभी उस ने आंखें मूंदी ही थीं कि उस के मोबाइल फोन की घंटी बज उठी. अलसाई आंखें खोल कर उस ने मोबाइल स्क्रीन को देखा.

रात के ठीक 11 बजे थे. उस ने फोन रिसीव कर के कान से लगाया तो दूसरी ओर से उस के छोटे भाई की पत्नी सोमपाल कौर की घबराई हुई आवाज उभरी. उस ने कहा, ‘‘सत्तश्री अकाल वीरजी, क्या अभि के पापा आप के पास हैं?’’

‘‘नहीं तो. क्यों क्या बात है?’’ राजेंद्र ने चिंतित स्वर में पूछा तो सोमपाल कौर ने कहा, ‘‘बलजिंदर काम से नहीं लौटे हैं, मुझे चिंता हो रही है.’’

राजेंद्र ने सोमपाल कौर की बात सुन कर उसे सांत्वना देते हुए कहा, ‘‘तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है. वह किसी यारदोस्त के पास बैठ गया होगा, थोड़ी देर में आ जाएगा.’’

‘‘लेकिन उन का फोन…’’

‘‘मैं ने कहा न, तुम सो जाओ. मैं सुबह घर आ कर देख लूंगा. चिंता की कोई बात नहीं है.’’ कह कर राजेंद्र ने फोन काट दिया. यह रात 11 बजे की बात थी.

जिला श्रीमुक्तसर साहिब के थाना सदर मटौल का एक गांव है खुन्नण कलां. इसी गांव के रहने वाले गुरमेज सिंह के 2 बेटे थे, 32 साल का राजेंद्र सिंह और 29 साल का बलजिंदर सिंह उर्फ बिल्ला. इस गांव की अधिकांश आबादी मेहनतमजदूरी करने वाले सिखों की है.

गरीब परिवार के होने के कारण राजेंद्र और बलजिंदर जाटों के खेतों में काम कर के गुजरबसर करते थे. मेहनत की बदौलत दोनों भाई घर खर्च चलाने के साथसाथ थोड़ीबहुत बचत भी कर लेते थे.

राजेंद्र सिंह की शादी करीब 11 साल पहले हुई थी. वह अपने बीवीबच्चों के साथ गांव में ही अलग मकान में रहता था. बलजिंदर की शादी 8 साल पहले फाजिल्का के गांव महुआणा बोदला निवासी थाना सिंह की बेटी सोमपाल कौर के साथ हुई थी. दोनों का 7 साल का एक बेटा अभि सिंह था.

राजेंद्र सिंह खेतों में कमबाइन से फसल काटने का काम करता था, जबकि बलजिंदर ट्रैक्टर चलाता था. सोमपाल कौर भी मजदूरी करती थी. वह थी तो सांवले रंग की, पर उस के तीखे नैननक्श और आकर्षक शरीर किसी को भी उस की ओर देखने को मजबूर कर सकते थे.

14 अप्रैल, 2017 की सुबह बलजिंदर रोज की तरह अपने काम पर गया तो लौट कर नहीं आया. उस की पत्नी सोमपाल कौर और भाई राजेंद्र सिंह रात भर उस के नंबर पर फोन करते रहे. उस के फोन की घंटी तो बजती थी, पर कोई फोन नहीं उठा रहा था. अगले दिन सुबह राजेंद्र सिंह घर पहुंचा और सोमपाल कौर से पूरी बात सुनने के बाद भाई की तलाश में निकल पड़ा.

राजेंद्र सिंह ने आसपास के गांवों में रहने वाले अपने रिश्तेदारों तथा उस के यारदोस्तों के यहां पता किया पर वह किसी के यहां नहीं गया था. बलजिंदर काफी हंसमुख और मिलनसार युवक था. वह गांव वालों के सुखदुख में काम आता था. इसलिए गांव के कई लोग और उस के दोस्त काफी परेशान थे और उस की तलाश में जुटे हुए थे.

लेकिन 3 दिनों तक ढूंढने के बाद भी बलजिंदर का कोई सुराग नहीं मिला. आखिर में ग्रामप्रधान और अन्य लोगों के कहने पर 19 अप्रैल, 2017 को राजेंद्र सिंह ने थाना सदर मलौट जा कर अपने भाई बलजिंदर सिंह की गुमशुदगी दर्ज करवा दी.

थाना सदर मलौट के थानाप्रभारी इंसपेक्टर परमजीत सिंह ने उसे आश्वासन दिया कि वह उस के भाई को ढूंढने की हर संभव कोशिश करेंगे. पुलिस अपना काम अपने तरीके से कर रही थी, पर राजेंद्र सिंह भी पुलिस के भरोसे नहीं बैठा था. उस की समझ में यह नहीं आ रहा था कि शाम 6 बजे तक घर लौटने वाला उस का भाई आखिर अचानक कहां गायब हो गया.

20 अप्रैल को राजेंद्र सिंह गांव के अपने दोस्तों हरदीप, बलजिंदर और जालंधर सिंह के साथ अपने भाई की तलाश कर के राजस्थान फीडर नहर के किनारे से गांव की ओर लौट रहा था तो भुल्लर गांव के पास उन्हें भयानक दुर्गंध का सामना करना पड़ा. जिज्ञासावश सभी ने नहर में झांक कर देखा तो नहर के किनारे सिर पर बांधने वाला केसरी रंग का पटका नजर आया था.

हालांकि वहां इतनी दुर्गंध थी कि खड़ा होना मुश्किल था. राजेंद्र सिंह के दोस्त नहर की ओर जाने से मना कर रहे थे, पर राजेंद्र सिंह पटका देख कर आगे जाना चाहता था. क्योंकि उस का भाई ज्यादातर केसरी रंग का ही पटका बांधा करता था. उस जगह नहर में बांध सा बना था, इसलिए वहां पानी रुका हुआ था.

राजेंद्र सिंह ने जब नीचे पानी में झांक कर देखा तो उसे नहर में एक लाश दिखाई दी. उस ने चिल्ला कर अपने दोस्तों को आवाज दी. सभी ने पानी में उतर लाश बाहर निकाली. वह लाश बलजिंदर सिंह की थी.

अपने जवान भाई की लाश देख राजेंद्र दहाड़े मार कर रोने लगा. उस के एक दोस्त ने जा कर यह सूचना थाना सदर मलौट पुलिस को दी. सूचना मिलते ही इंसपेक्टर परमजीत सिंह, सबइंसपेक्टर श्रवण सिंह, अजमेर सिंह, हैडकांस्टेबल गुरमीत सिंह, गुरजीत सिंह और कांस्टेबल रणदीप सिंह के साथ उस जगह पहुंच गए, जहां लाश पड़ी थी.

पुलिस ने लाश और पटका कब्जे में ले कर पंचनामा तैयार कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद थाने लौट कर बलजिंदर सिंह उर्फ बिल्ला की गुमशुदगी को लाश बरामदगी दिखा कर अज्ञात लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201/34 के तहत हत्या का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी.

शुरुआती जांच में इंसपेक्टर परमजीत सिंह ने सोमपाल कौर और उन के पड़ोसियों के बयान लिए. मृतक बलजिंदर के खास दोस्तों से भी पूछताछ की, पर उन्हें कोई सुराग नहीं मिला. मृतक बेहद मिलनसार था, उस की ना किसी से दुश्मनी थी, न लड़ाईझगड़ा. किसी से कोई लेनदेन भी नहीं था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो उस के अनुसार मृतक की हत्या गला घोंट कर की गई थी.  उस के पेट में नशे के अंश भी पाए गए.

पोस्टमार्टम के बाद लाश मृतक के घर वालों को सौंप दी गई. घर वालों ने उसी दिन उस का अंतिम संस्कार कर दिया. जांच में जब कहीं कोई बात सामने नहीं आई तो इंसपेक्टर परमजीत सिंह ने गांव के मुखबिरों का सहारा लिया. मुखबिरों ने टोह लेने के बाद बताया कि गांव के ही हरबंस सिंह की पत्नी परमजीत कौर और मृतक की पत्नी सोमपाल कौर में कुछ ज्यादा ही पट रही है.

परमजीत कौर को ले कर मृतक का अपनी पत्नी से कई बार झगड़ा भी हुआ था. वजह यह थी कि गांव में कोई भी परमजीत कौर को अच्छी नहीं समझता था. उस की गिनती गलत औरतों में होती थी. मुखबिर ने यह भी बताया कि इन दिनों सोमपाल कौर रोजाना परमजीत कौर के साथ काम करने गांव के ही जाट जमींदार गुरप्रीत सिंह उर्फ पिंदा के खेतों में जाती है और काम खत्म होने के बाद सोमपाल कौर अकेली ही पिंदा के घर पर कईकई घंटे गुजारती है.

इंसपेक्टर परमजीत सिंह ने सीधे परमजीत कौर पर हाथ डालने से पहले पिंदा के बारे में पता करवाया. पता चला कि पिंदा अय्याश किस्म का जमींदार है. उस का अपनी पत्नी से तलाक का केस चल रहा है. गांव की कई जरूरतमंद खूबसूरत औरतों से उस के संबंध हैं. बहलाफुसला कर काम दिलवाने के बहने परमजीत कौर ही उन औरतों को पिंदा के यहां ले आती थी.

परमजीत कौर, गुरप्रीत कौर और पिंदा के बारे में ठोस जानकारी मिलते ही इंसपेक्टर परमजीत सिंह ने गुपचुप तरीके से पूछताछ के लिए परमजीत कौर और पिंदा को थाने बुलवा लिया. पहले उन्होंने परमजीत कौर से पूछताछ करने का फैसला लिया. पूछताछ से पहले उन्होंने लेडी कांस्टेबल जसवीर कौर को उस के कमरे में भेजा.

लेडी कांस्टेबल ने धमकाते हुए परमजीत कौर को चेतावनी दी कि साहब बडे गर्ममिजाज हैं. उन की बात का सीधासच्चा जवाब नहीं दिया तो समझो तुम्हारी फांसी पक्की है. इसलिए वह जो भी पूछें, सचसच जवाब देना.

परमजीत सिंह ने परमजीत कौर पर मनोवैज्ञानिक दबाव डाल कर पूछा, ‘‘देखो, मैं जानता हूं कि बलजिंदर को तुम सब ने मिल कर क्यों और कैसे मारा है, फिर भी मैं तुम्हें इस शर्त पर बचा सकता हूं कि तुम अपने मुंह से मुझे पूरी बात बता दो. नहीं तो दूसरों के चक्कर में तुम भी फांसी…’’

‘‘नहीं…नहीं सरदार जी, मुझे फांसी नहीं चढ़ना है. मैं तो पहले ही बेवजह इस चक्कर में फंस गई.’’ परमजीत कौर ने इंसपेक्टर परमजीत सिंह की बात पूरी होने से पहले ही एक सांस में सच उगल दिया. उस का बयान लेने के बाद परमजीत सिंह ने पुलिस टीम भेज कर गांव से मृतक बलजिंदर की पत्नी सोमपाल कौर तथा कुलविंदर सिंह उर्फ भूप को थाने बुलवा लिया.

अगले दिन पुलिस ने परमजीत कौर, सोमपाल कौर, गुरप्रीत सिंह उर्फ पिंदा तथा कुलविंदर सिंह और भूप को बलजिंदर सिंह उर्फ बिल्ला की हत्या के आरोप में अदालत में पेश कर के 23 अप्रैल तक के लिए पुलिस रिमांड पर ले लिया.

रिमांड के दौरान चारों से पूछताछ में बलजिंदर की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह दूसरों की बातों में आ कर अपना घर बरबाद करने वाली बेअक्ल औरत की जुर्म भरी कहानी थी, जिस ने दूसरों के महलों के ख्वाब देख कर अपना झोपड़ा फूंक दिया था.

शादी के बाद सोमपाल कौर बड़ी खुश थी. बलजिंदर जैसा सुंदर, हृष्टपुष्ट, नेक, कमाऊ और मेहनती पति पा कर जैसे उसे सब कुछ मिल गया था. गरीब परिवार की बेटी गरीब परिवार में ही ब्याह कर आई थी. इसलिए उस के ना कोई ऊंचे ख्वाब थे, न कोई बड़ी महत्वाकांक्षा. बस 2 वक्त की रोटी और शांति से परिवार कर गुजारा होता रहे, यही उस की कामना थी.

बलजिंदर के लाख मना करने पर भी उस ने कंधे से कंधा मिला कर उस के साथ मेहनत की और पैसा जमा कर के कच्चे घर की जगह पक्का घर बनवा लिया. संतान के रूप में बेटा पैदा हुआ तो वह निहाल हो गई. कुल मिला कर सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. करीब 2 साल पहले उस ने लोगों के यहां काम करना बंद कर दिया था.

अब उस का सारा समय बेटे अभि के लालनपालन में गुजरता था. पतिपत्नी अपने इस जीवन से संतुष्ट थे. इसी बीच अचानक बलजिंदर बीमार हो गया. बीमारी की वजह से वह 2-3 महीने तक काम पर नहीं जा पाया, जिस से घर की आर्थिक स्थिति डगमगा गई.

पति से पूछ कर सोमपाल कौर ने दूसरे के खेतों में काम करना शुरू कर दिया. कुछ समय बाद बलजिंदर ठीक हो गया तो उस ने सोमपाल कौर को घर पर ही रहने के लिए कहा, पर सोमपाल ने पति को समझाते हुए कहा, ‘‘इस में हर्ज क्या है, घर पर मैं सारा दिन खाली ही बैठी रहती हूं. चार पैसे जमा हो जाएंगे तो भविष्य में बेटे के काम आएंगे.’’

सोमपाल कौर की बात सही थी. बलजिंदर चुप रह गया. अब पतिपत्नी दोनों सुबह अभि को स्कूल भेज कर काम पर निकल जाते. स्कूल से लौट कर अभि अपने ताया राजेंद्र के घर चला जाता था.

लगभग एक साल पहले की बात है. सोमपाल कौर शाम को काम से घर लौट रही थी तो रास्ते में पिंदा के खेत पड़ते थे. पिंदा की नजर उस पर पड़ी तो वह पहली ही नजर में उस का दीवाना हो गया. उस का पिछले 2 सालों से अपनी पत्नी से तलाक का मुकदमा चल रहा था. उस की रातें रंगीन करने का इंतजाम परमजीत कौर किया करती थी.

पिंदा ने जब सोमपाल कौर को देखा तब वह नहीं जानता था कि यह कौन है. उसे परमजीत कौर के माध्यम से पता चला कि वह अपने गांव की ही है तो उस ने परमजीत कौर के सामने नोट फेंकते हुए कहा कि उसे हर हाल में सोमपाल कौर चाहिए. परमजीत कौर ऐसे कामों में माहिर थी. उस ने सोमपाल कौर को फंसाने के लिए ऐसा जाल फेंका कि ना चाहते हुए भी वह परमजीत कौर की बातों में आ कर पिंदा के बिस्तर पर जा पहुंची.

धीरेधीरे दोनों को एकदूसरे के शरीर का ऐसा चस्का लगा कि दोनों साथ रहने के सपने देखने लगे. पिंदा ने सोमपाल कौर के लिए अपनी तिजोरी का मुंह खोल दिया था. गरीब परिवार की सोमपाल कौर को लगने लगा कि अब वह जमीनदारनी बनने वाली है. लेकिन बलजिंदर के रहते यह संभव नहीं था. फिर भी यह खेल जैसे-तैसे गुपचुप तरीके से चलता रहा. लेकिन ऐसा कब तक संभव था.

आखिर एक दिन यह खबर बलजिंदर के कानों तक पहुंच ही गई. उस ने सोमपाल कौर को प्यार से समझाते हुए कहा, ‘‘कल से तुम बाहर काम पर जाना बंद कर दो और घर में रह कर बेटे की परवरिश पर ध्यान दो. कमाने के लिए मैं काफी हूं.’’

लेकिन सोमपाल ने बलजिंदर का कहना मानने से इनकार कर दिया. इस बात को ले कर घर में तनाव रहने लगा क्योंकि सोमपाल कौर ने खेतों में काम करना बंद नहीं किया था. लेकिन अब उसे इस बात का डर सताने लगा था कि कभी भी कुछ भी हो सकता है. इसी बात को ध्यान में रख कर एक दिन उस ने पिंदा से कहा, ‘‘जो करना है जल्दी करो, क्योंकि अब मैं ज्यादा दिनों तक घर में बगावत नहीं कर सकती. हमारे रिश्तेदारों को भी खबर लग गई है.’’

‘‘बताओ, क्या करना है.’’ पिंदा ने सोमपाल को बांहों में भर कर कहा, ‘‘कहो तो बलजिंदर का काम तमाम कर देते हैं.’’

‘‘नहीं…नहीं…’’ घबरा कर सोमपाल कौर बोली, ‘‘यह ठीक नहीं है. अगर हम फंस गए तो मेरे बेटे अभि का क्या होगा?’’crime news in hindi

‘‘तुम चिंता मत करो, बलजिंदर को हम इस तरह से रास्ते से हटाएंगे कि किसी को हम पर शक नहीं होगा.’’

यह 2 अप्रैल की बात है. अगले दिन पिंदा के घर पर बलजिंदर की हत्या की योजना बनाई गई. इस योजना में पिंदा ने सोमपाल कौर के अलावा परमजीत कौर और गांव के ही कुलविंदर सिंह उर्फ भूप को पैसों का लालच दे कर शामिल कर लिया. योजना यह थी कि जिस दिन बलजिंदर का भाई राजेंद्र कमबाइन चलाने किसी दूसरे गांव जाए, उसी दिन यह काम कर दिया जाएगा.

गेहूं की कटाई शुरू हो चुकी थी. राजेंद्र बैसाखी वाले दिन पड़ोसी गांव लखमी रेहाणा चला गया. उसी दिन यानी 14 अप्रैल, 2017 की शाम जब बलजिंदर अपने काम से घर लौट रहा था तो रास्ते में उसे कुलविंदर सिंह और पिंदा मिल गए. बलजिंदर उन के साथ जाना नहीं चाहता था, पर बैसाखी मनाने के बहाने वे उसे जबरदस्ती घर ले गए.  परमजीत कौर और सोमपाल कौर दूसरे कमरे में मौजूद थीं.

वहां शराब का दौर चला और बलजिंदर को अधिक शराब पिला कर उसे नशे में कर दिया गया इस के बाद चारों उसे बातों में उलझा कर भुल्लर गांव के पास नहर पर ले गए. चूंकि बलजिंदर नशे का आदी नहीं था, इसलिए उस का दिमाग काम नहीं कर रहा था.

बलजिंदर वही कर रहा था, जो वे कह रहे थे. नशे की अधिकता की वजह से वह सीधा खड़ा भी नहीं हो पा रहा था. बहरहाल, नहर के पास पहुंच कर चारों ने उसी के सिर पर बंधे पटके को उस के गले में डाल कर कस दिया.

सोमपाल कौर ने उस के बाजू और परमजीत कौर ने उस की टांगें पकड़ीं. पिंदा और कुलविंदर ने दोनों ओर से पटका खींच कर गला कसा. इस के बाद लाश नहर में फेंक कर सभी अपनेअपने घर चले गए थे. योजनानुसार रात 11 बजे सोमपाल कौर ने राजेंद्र को फोन कर के बलजिंदर के घर न आने की जानकारी दी थी.

रिमांड अवधि समाप्त होने पर पुलिस ने चारों आरोपियों को एक बार फिर अदालत में पेश किया, जहां से सभी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

मोबाईल की बैटरी लाइफ बढ़ानी है, तो अपनाएं ये तरीका

स्मार्टफोन आज के जमाने में हर किसी के पास है ऐसे में ज्यादातर व्यक्ति अपने फोन को ना चाहते हुए भी खुद खराब करने में लगे रहते हैं. जब मन किया फोन को चार्ज मे लगा लिया. जब मन किया निकाल लिया, उसे चार्ज में सावधानी नाम की कोई चीज ही नहीं है.

स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां अब ज्यादा क्षमता वाली बैटरी के साथ हैंडसेट लौन्च कर रही हैं. इसके बावजूद भी मोबाइल ज्यादा देर तक नहीं चल पाता है. इसी के चलते हम आपको कुछ ऐसे आसान तरीके बताने जा रहे हैं जो फोन की बैटरी लाइफ को बढ़ाने में मदद करेंगी.

इन टिप्स को फौलो कर बैटरी बैकअप बढाएं

– अगर आप कार ड्राइव करते हैं तो अपने फोन को हमेशा कार के डैशबोर्ड से दूर रखें. साथ ही फोन को सनलाइट या हीट से भी बचाकर रखें. ऐसा इसलिए क्योंकि लिथियम आयन बैटरी को हीट से नुकसान पहुंचता है.

– फोन यूज करते समय यह ध्यान रखना चाहिए की फोन की बैटरी कभी भी पूरी तरह से खत्म न हो. फोन में जब 10 या 20 फीसद बैटरी रह जाए तो उसे चार्जिंग पर लगा दें.

– कई यूजर्स को यह भम्र होता है कि फोन को 100 फीसद तक चार्ज करना चाहिए. जबकि ऐसा नहीं है. हमेशा फोन को 100 फीसद चार्ज करना जरुरी नहीं होता.

– कई यूजर्स फोन पूरा चार्ज होने के बाद भी चार्जर प्लग नहीं निकालते हैं. ऐसा करना फोन के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है. यही नहीं, फोन को रात भर चार्जिंग पर लगाकर नहीं रखना चाहिए.

– वाइब्रेशन और हाई वौल्यूम मोड में रिंगटोन बैटरी की ज्यादा खपत करता है. ऐसे में वाइब्रेशन को औफ रखें और रिंग टोन वौल्यूम को भी लो रखें.

– अगर आपको यह लगता है कि सभी बैटरी सेवर एप फोन के लिए अच्छे होते हैं तो यह आपकी गलतफहमी है. हर बैटरी सेवर एप फोन के लिए अच्छी नहीं होती है. यह फोन की बैटरी को नुकसान पहुंचा सकती है.

– अगर फोन में बैटरी कम बची है तो फोन की बैकग्राउंड एप्स और वाई-फाई को बंद कर दें. कम बैटरी पर एप्स का इस्तेमाल करना बैटरी की खपत ज्यादा करता है.

वीडियो : दर्शक का सिर फोड़ने के लिए बल्ला ले दौड़ गए थे इंजमाम

क्रिकेट खेलते वक्त खिलाड़ियों का जोश सातवें आसमान पर रहता है और ऐसे वक्त पर भावनाओं का फूटना लाजमी है. कई बार मैदान में ही ये इमोशन खिलाड़ियों के गुस्से के तौर पर फूटकर बाहर आ जाता है. खेल का मैदान इतिहास में कई ऐसे विवादों का गवाह बन चुका है जब खिलाड़ी एक दूसरे को मारने के लिए उतारू हो गए हों. हालांकि मैदान के भीतर के विवाद दर्शकों और खिलाड़ियों के बीच भी कई बार देखे जा चुके हैं. कुछ ऐसा ही हुआ था भारत पाकिस्तान के बीच खेले गए एक मैच में.

दरअसल पाकिस्तान के इंजमाम उल हक मैच के दौरान एक दर्शक की हरकत से इतने परेशान हो गए कि वह उसे बैट उठाकर मारने के लिए दौड़े थे. यह बात 14 सितंबर 1997 की है जब भारत व पाकिस्तान के बीच सहारा कप का दूसरा वनडे मैच खेला जा रहा था. इस मैच में पाकिस्तान टीम ने पहले बल्लेबाजी की और पूरी टीम कुछ खास नहीं कर सकी और 116 रनों पर ढेर हो गई.

निराश और हताश इंजमाम मैच में कुछ खास नहीं कर सके और मात्र 10 रन (34 गेंद) के साथ पवेलियन लौट गए. उस मैच में कुछ दर्शकों को मैदान पर होमोफोन लाने की भी अनुमति दी गई थी जिसे लेकर वे अपनी टीम के खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ा रहे थे.

लेकिन इसी बीच मैदान पर जानें क्या हुआ कि दर्शकों ने फील्डिंग पर लगे खिलाड़ियों का मजाक बनाना शुरू कर दिया. यह सिलसिला पाकिस्तान की पारी से ही शुरू हो गया था. उन्होंने इसका सबसे पहला निशाना भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को बनाया और उनकी पत्नी संगीता बिजलानी को छोड़ने को लेकर मैदान में लोगों ने खूब फब्तियां कसीं.

उन्होंने बाद में देबाशीष मोहंती को निशाना बनाया और उन्हें कालिया कालिया कह कर चिढ़ाने लगे. लेकिन दोनों क्रिकेटर शांत होकर मैदान में खड़े रहे व किसी ने भी दर्शकों के इन नापाक हरकत का जवाब देना ठीक नहीं समझा.

लेकिन अब बात आई पाकिस्तानी खिलाड़ी इंजमाम उल हक की उन्हें लोग मोटा आलू, सड़ा आलू कह कर मैदान में चिढ़ाने लगे. इंजमाम इस बात को लेकर आग बबूला हो गए और दर्शकों पर टूट पड़े. यकीन नहीं आता तो देखें वीडियो.

बाद में मीडिया खबरों में पुष्टि हुई कि जिस दर्शक के ऊपर वे बल्ला लेकर टूट पड़े थे उसका नाम थिंड था जो एनआरआई था. कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि अगर भीड़ में मौजूद लोग व पुलिस इंजमाम को नहीं पकड़ती तो ये बात पक्की थी कि इंजमाम उसका सिर फोड़ देते.

लेकिन इसके बाद सबसे बड़ा सवाल जो कई दिनों तक चर्चा में रहा कि इंजमाम जो सीमा रेखा पर क्षेत्ररक्षण कर रहे थे उनके हाथ में बैट कहां से आया. बहरहाल इसके बारे में यह कहा गया कि यह बैट पाकिस्तान के 12वें खिलाड़ी ने इंजमाम को लाकर दिया था.

मैच में इस बवाल के मचने के चलते मैच को 40 मिनट के लिए रोकना पड़ा. इस दौरान भारत के कप्तान सचिन तेंदुलकर और पाकिस्तान के कप्तान रमीज राजा ने मैदान पर मौजूद दर्शकों को बिठाने के लिए विनती की. बाद में भारत ने इस मैच को बड़ी आसानी से जीत लिया.

बाद में जब एक साक्षात्कार में इंजमाम से पूछा गया कि आखिर हुआ क्या था तो इंजमाम ने बताया कि वह उसे मारने नहीं गए थे बल्कि बात करने गए थे कि आखिर वह मुझे अनाप शनाप क्यों बोल रहा है. उन्होंने बताया कि उसकी बातों से वे उत्तेजना में आ गए थे.

इंजमाम उल हक बाद में पाकिस्तान के कप्तान भी बनें और कई मैचों में पाकिस्तान के लिए मैच जिताऊ पारियां भी खेली. इंजमाम ने 2007 के विश्व कप के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था.

सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता पर अमेरिका में पेश हुआ प्रस्ताव

अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स (प्रतिनिधि सभा) में दो प्रभावी सांसदों द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के समर्थन में प्रस्ताव पेश किया गया. सांसदों ने कहा कि समय आ गया है कि बढ़ती वैश्विक समद्धि में भारत की भूमिका को स्वीकारा जाए.

प्रस्ताव को सदन की विदेश मामलों की समिति के वाइस रैंकिंग सदस्य और सांसद अमी बेरा और भारत तथा भारतीय अमेरिकियों पर बने संसदीय कॉकश के संस्थापक सांसद फ्रैंक पेलोन ने पेश किया. इसके जरिए सदन आधिकारिक रिकॉर्ड में भारत की दावेदारी का समर्थक करने वाला बन जाएगा.

बेरा ने कहा, ‘विश्व का प्राचीनतम और सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते अमेरिका और भारत समान मूल्यों को साझा करते हैं और कई क्षेत्रों में उनकी साझेदारी बढ़ रही है.

उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका के लिए रणनीतिक साथी के तौर पर महत्त्वूपर्ण भूमिका निभाता है. वह मजबूत स्तंभ है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य विश्व को उस प्रकार प्रतिबिंबित करते हैं जैसा वह 60 साल पहले था. समय आ गया है कि वैश्विक समद्धि में भारत की भूमिका को स्वीकार किया जाए.

दुष्प्रचार के लिए फर्जी तस्वीर पेश करने पर यूएन सख्त

संयुक्त राष्ट्र के मंच पर पाकिस्तान द्वारा फर्जी तस्वीर दिखाए जाने की घटना पर इस वैश्विक संस्था ने भी चिंता जताई है. संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष मिरोस्लाव लजाक ने स्पष्ट किया कि निश्चित तौर पर इसे रोकने के सुझावों पर विचार किया जाएगा. कुछ ही दिन पहले संयुक्त राष्ट्र में पाक की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने फलस्तीन के गाजा शहर की एक घायल लड़की की तस्वीर को कश्मीर की पीड़िता के रूप में पेश किया था.

जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने इस तस्वीर के माध्यम से भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाए थे. लजाक से पूछा गया कि क्या वैश्विक मंच पर फर्जी तस्वीर दिखाए जाने जैसी घटनाओं को रोकने के लिए वह कोई कदम उठाना चाहेंगे. इस पर उन्होंने कहा, ‘मैं निश्चित तौर पर आपके सुझाव के बारे में विचार करूंगा.’

पद का उपयोग करूंगा

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष मिरोस्लाव लजाक ने पाक की ओर से पेश की गई फर्जी तस्वीर मामले पर कहा कि यह कूटनीति का मामला है. ‘इसका जवाब मुझे नहीं देना है. यह संबंधित प्रतिनिधियों से जुड़ा मुद्दा है. मैं महासभा के अध्यक्ष के रूप में अपने पद का उपयोग करना चाहता हूं, इसका दुरुपयोग नहीं.’

चीन अपने पड़ोसियों के हितों का सम्मान करे

भारत के साथ डोका ला विवाद के समाधान के कुछ हफ्ते बाद चीन के सरकारी मुखपत्र का नजरिया बदलता दिख रहा है. उसने अपने ही देश को सलाह दे डाली है कि उसे पड़ोसियों के हितों का सम्मान करना चाहिए. साथ ही द्विपक्षीय विवादों को सुलझाना चाहिए ताकि वैश्विक प्रभाव की बीजिंग की कोशिश के विरोध को कम से कम किया जाए.

ग्लोबल टाइम्स में छपे संपादकीय में लिखा गया, ‘हमें अपने सिद्धांतों पर अडिग रहना चाहिए, लेकिन अपने पड़ोसियों के हितों का सम्मान करना चाहिए. इसमें कहा गया कि पड़ोसियों के साथ विवाद सुलझाना चीन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उसे अपनी महत्वाकांक्षाओं को हासिल करने के अपने प्रयासों का विरोध कम से कम करने की आवश्यकता है.’

भारत, जापान, वियतनाम और दक्षिण चीन सागर क्षेत्र के अन्य पड़ोसी देशों पर परोक्ष निशाना साधते हुए लेख में कहा गया कि कुछ पड़ोसी देश चीन के साथ समुद्री और भूमि विवादों को सुलझाने में कड़ा रूख अपना रहे हैं.

अच्छे दिन तो आए नहीं, अब ये बुरे दिन कब जाएंगे : कांग्रेस

सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने दावा किया है कि अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब होती जा रही है. सरकार इसकी वजह नहीं समझ पा रही है. पी चिदंबरम ने यशवंत सिन्हा के बयान का स्वागत करते हुए कहा कि उन्होंने सच बोलने की हिम्मत दिखाई है. कांग्रेस लगातार इस मुद्दे को उठाती रही है.

पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा आम लोग इस सरकार की नीतियों से परेशान हो गए हैं. वह यह कहने लगे हैं कि अच्छे दिन तो आए नहीं, ये बुरे दिन कब जाएंगे. अब वक्त आ गया है कि अर्थव्यवस्था को समझने वाले लोग और उद्योगपति डर छोड़ सच्चाई बताएं. उन्होंने कहा, दबी जुबान में भाजपा के नेता व सांसद यह बात कहते रहे हैं, पर खुलकर विरोध करने की हिम्मत नहीं दिखा पाते.

अब करिश्मे का इंतजार

पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने कहा कि सरकार दूसरी तिमाही में 5.7 जीडीपी का दावा कर रही है. पर इस विकास दर के साथ रोजगार के अवसर पैदा नहीं किए जा सकते. उन्होंने कहा कि रोजगार के लिए कम से आठ फीसदी की दर से विकास करना बेहद जरूरी है.

मुश्किल में देश की अर्थव्यवस्था: राहुल गांधी

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि देश की अर्थव्यवस्था मुश्किल में है, क्योंकि भाजपा सरकार आम लोगों की बात नहीं सुनती है. गुजरात के सुंदरनगर जिले में जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल ने भाजपा नेता यशवंत सिन्हा के एक आलेख का भी हवाला दिया, जिसमें ने सिन्हा कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था का विनाश कर दिया. कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों, युवाओं, श्रमिकों, कारोबारियों और महिलाओं की कभी सुनी ही नहीं, जो इस देश को चलाते हैं.

खुशखबरी: अब एसबीआई ग्राहकों की मदद करेगा एसआईए रोबोट

ग्राहकों की मदद के लिए एसबीआई ने सिया यानी एसआईए (स्टेट बैंक इंटेलीजेंट असिस्टेंट) रोबोट लांच किया है. जो एक आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस से लैस चैट बोट है. हो सकता है कि अगली बार अगर आप स्टेट बैंक के बैंकिंग प्रतिनिधि या कस्टमर केयर की मदद ले रहे हों तो आपकी मदद कोई व्यक्ति नहीं बल्कि रोबोट सिया कर रहा हो.

आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस बैंकिंग प्लेटफार्म पेजो ने यह चैटबोट पेश किया है. सिया आम बैंकिंग प्रतिनिधियों की तरह ग्राहकों की मदद करेगा और साथ ही ग्राहकों की समस्याओं के हल के साथ बेहद तेजी से सवालों का जवाब भी देगा. इससे बैंकिंग संवाद सेवा पर बढ़ते बोझ को कम किया जा सकेगा. सिया वैश्विक बैंकिंग सिस्टम में मौजूद अन्य चैटबोट से काफी उन्नत है.

पेजो के सीईओ श्रीनिवास जय ने बताया कि एसआईए रोबोट बैंकिंग उद्योग में एक क्रांति है. यह बैंक व ग्राहकों के बीच संवाद को नई दिशा देने का काम करेगा. यह एक दिन में करीब 8.64 करोड़ सवालों का जवाब देने में सक्षम है.

एसबीआई के मुख्य तकनीकी अधिकारी शिव कुमार भसीन ने कहा कि सिया एक ऐसा चैटबोट है जिसके जरिये ग्राहक और बैंक के बीच विभिन्न प्लेटफार्मो पर संपर्क करना बेहद ही आसान होगा. इससे बैंक की संचालन लागत में भी कमी आएगी. फिलहाल यह बैंक से जुड़े उत्पादों और सेवाओं की जानकारी देने का काम करेगा और बाद में इसका विस्तार होगा.

क्या है चैटबोट

इसे 11 नवंबर 2016 को सिटी यूनियन बैंक ने चेन्नई में लांच किया था, जो आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस से लैस भारत का पहला ’बैंक सहायक’ के रूप में कास करेगा. आपको बता दें कि चैटबोट आवाज या लिखित भाषा में संवाद करने वाला कंप्यूटर प्रोग्राम है. यह बैंकिंग, बीमा या किसी अन्य विषय में प्रशिक्षित विशेषज्ञ की तरह ग्राहकों की समस्याओं और सवालों का जवाब देता है. एआई यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस होने के कारण यह अपनी गलतियों से सीखता भी है.

आखिर क्या काम करेगा सिया

सिया एक दिन में 8.64 करोड़ जवाब देने के साथ यह 10 हजार इनक्वायरी प्रति सेकेंड का जवाब देगा. खाते में रकम, होम लोन पर ब्याज दर जैसे सवाल और यह खातों में लेनदेन के इतिहास की सूचना भी आपको देगा. बता दें कि यह 25 प्रतिशत गूगल की सर्च रिजल्ट के बराबर काम करेगा.

इसके द्वारा आपको हिंदी, अंग्रेजी समेत कई भाषाओं में जानकारी मिलेगी. संवेदनशील जानकारी सिर्फ स्क्रीन पर आएगी.

बिग बौस के एक एपिसोड के लिए इतने करोड़ लेते हैं बौलीवुड के दबंग खान

बिग बौस टीवी जगत का एक ऐसा शो है, जो लोगों को बेहद पसंद है. यही वजह है कि लोग साल भर इसका इंतजार करते हैं.

इसकी टीआरपी बढ़ने का एक और भी कारण है और वह है शो के होस्ट सलमान खान. हाल ही में उन्होंने बिग बौस के नए सीजन के लौंच इवेंट में मीडिया से बातचीत की, जिसमें उन्होंने बिग बौस से जुड़े हुए कई राज खोले.

उन्होंने इस मौके पर कहा कि वे हर बार शो होस्ट करने से मना करते हैं, लेकिन उन्हें वापस आना पड़ता है. उन्होंने ये भी कहा कि शो की टीआरपी के लिए उनका आना जरूरी है. इन दिनों बिग बौस को लेकर खबरें आ रही हैं कि सलमान खान शो के एक एपिसोड के लिए 11 करोड़ रूपए लेते हैं. इस सवाल पर कलर्स के सीईओ राज नायक ने कहा कि सलमान इतने कम पैसों में नहीं आते. वहीं सलमान ने इसका जवाब नहीं दिया.

इस मौके पर सलमान से सवाल किया गया कि उनका बेस्ट पड़ोसी कौन है? जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता नीचे वाले फ्लैट में रहते हैं और उनसे अच्छा पड़ोसी और कोई नहीं हो सकता, वही मेरे बेस्ट पड़ोसी हैं.

सलमान ने बिग बौस को टीवी का सबसे अच्छा और एंटरटेनिंग शो बताया और कहा कि उन्हें इस शो का कौन्सेप्ट बेहद पसंद है. बिग बौस का नया एपिसोड 1 अक्टूबर से रिले किया जाएगा. अब देखना ये है कि इस साल ये शो कितनी टीआरपी बटोरता है.

जल्दी करें, ये ई-कौमर्स साइट दे रही है हर प्रोडक्ट पर भारी डिस्काउंट

औनलाइन मार्केट में औफर्स की भरमार चल रही है. अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी वेबसाइट अच्छे खासे औफर्स दे रही हैं, लेकिन इस बीच आदित्य बिड़ला ग्रुप की तरफ से एक बुरी खबर आ रही है. आदित्य बिड़ला ग्रुप की औनलाइन शौपिंग वेबसाइट abof.com बंद होने जा रही है. इस वेबसाइट पर प्रोडक्ट्स पर अच्छे खासे डिस्काउंट दिए जा रहे हैं.

कंपनी की ओर से जारी किए गए बयान के मुताबिक साइट पर 15 नवंबर तक की आर्डर लिया जाएगा. इसके साथ ही कंपनी की ओर से अपील की गई है कि अगर किसी के भी पास कोई वाउचर या बैलेंस है तो उसका तुरंत इस्तेमाल कर लिया जाए.

कंपनी की ओर से साइट बंद करने के फैसले के पीछे की वजह भी बताई गई है जिसमें कहा गया है कि ई-कामर्स बाजार की बड़ी कंपनियां फ्लिफकार्ट और अमेजन की ओर से दिए जा रहे भारी डिस्काउंट की वजह से abof.com ग्राहकों के बीच अपनी पैठ नहीं बना पा रही है. माना जा रहा है कि अब तक कंपनी की नुकसान का सामना करना पड़ा है.

वहीं कंपनी की ओर से बयान में यह भी दावा किया गया है कि इस साइट में काम कर रहे 240 कर्मचारियों को ग्रुप के दूसरे में कामों में समायोजित किया जाएगा और अगर कोई कंपनी छोड़ता चाहता है तो उसे मुआवजे के तौर पर साढ़े चार महीने की सैलरी दी जाएगी.

ग्रुप ने पिछले साल इन्हीं कारणों के चलते Trendin.com को बंद कर दिया था. ग्रुप ने abof.com के शुभारंभ करते समय कहा था कि साइट डिस्काउंट की पेशकश नहीं करेगी, इसके बजाय अधिक फैशनेबल रेंज बेचेगी, लेकिन एक साल में ही पोर्टल पर लगभग 70% प्रोडक्ट्स डिस्काउंट के साथ उपलब्ध थे.

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में ई-कामर्स डिस्काउंट पर प्रोडक्ट्स की पेशकश का पर्याय बन गया है. जो दिवाली आने के पहले ही दिखाई दे रहा है. जहां फ्लिपकार्ट, अमेजन, पेटीएम, स्नैपडील और शौपक्ल्यूज जैसी कंपनियां मोबाइल से लेकर हर सामान पर भारी डिस्काउंट के साथ उपभोक्ताओं को लुभा रही हैं. इन सबके बीच अगर कोई और वेबसाइट डिस्काउंट या दूसरे औफर नहीं देगी तो उसका मार्केट में सर्वाइव करना मुश्किल है.

टी-20 में एकबार फिर अपना जलवा बिखेरेंगे एंड्रयू टाई

आस्ट्रेलिया ने भारत के साथ होने वाले अगले तीन टी-20 मैचों की सीरीज के लिए अपनी टीम में एक बदलाव किया है. बता दें कि पिछले हफ्ते आस्ट्रेलिया ने एशेज सीरीज को ध्यान में रखते हुए पैट कमिंस को वापस बुला लिया था. ऐसे में अब कमिंस की जगह पर टीम में बिग बैश और आईपीएल में अपनी शानदार गेंजबाजी से सबको प्रभावित करने वाले एंड्रयू टाई को शामिल किया गया है. यह टाई के लिए काभी बड़ा मौका है.

बताते चलें कि अगला टी-20 मैच 7 अक्टूबर को भारत और आस्ट्रेलिया के बीच टी-20 सीरीज का पहला मैच रांची में खेला जाएगा. दूसरा गुवाहाटी में और तीसरा मैच हैदराबाद में खेला जाएगा.

टाई की सबसे बड़ी खासियत है उनकी नुक्कल गेंद, जिसके इस्तेमाल से उन्होंने ज्यादातर विकेट लिए हैं. इस गेंद का इस्तेमाल स्पिनर्स करते हैं लेकिन तेज गेंदबाजी में इसका इस्तेमाल कर टाई बल्लेबाजों को बैकफुट पर ला देते हैं.

आपको बता दें कि एंड्रयू टाई ने फरवरी में आस्ट्रेलिया के लिए आखिरी बार टी-20 मैच खेला था. आईपीएल में खेलते हुए उनके कंधे में तकलीफ होने की वजह से वह क्रिकेट से दूर रहे हैं. बिग बैश लीग में पर्थ के लिए खेलते हुए उन्होंने 18 रन देकर 4 विकेट लिए, इसके अलावा आईपीएल में उन्होंने हैट्रिक लेकर सभी को अपना कमाल दिखा कर चौका दिया था. दो सीजन बेंच पर बैठने के बाद उनको गुजरात के लिए खेलने का मौका मिला और टाई ने हैट्रिक लेकर अपनी काबलियत साबित की.

जब पहली बार सचिन तेंदुलकर को करना पड़ा था स्लेजिंग का सामना

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के मैदान पर सचिन तेंदुलकर ने महज 16 साल की उम्र में कदम रख तो दिया था मगर इस दौरान उन्हें स्लेजिंग का भी शिकार होना पड़ा. ये उनका डेब्यू मैच था, जो टीम इंडिया अपने चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के खिलाफ खेल रहा था. सचिन जब मैदान पर उतरे तो पाकिस्तानी टीम ने उन्हें हल्के में लिया. पड़ोसी मुल्क को लगा कि ये बच्चा क्या कर पाएगा. मगर सचिन ने जो किया उसे पूरा विश्व कभी भुला नहीं सकता.

पेशावर में 1989 को खेले गए उस डेब्यू मैच में युवा सचिन का पाकिस्तानी फैंस ने मजाक बनाया. कुछ दर्शकों ने पोस्टर में ये लिखकर सचिन का मजाक उड़ाया, ‘दूध पीता बच्चा घर जाकर दूध पी’. मगर सचिन इन सबसे जरा भी विचलित नहीं हुए. सचिन ने मुश्ताक अहमद के ओवर में दो छ्क्के लगाए. छोटे से बच्चे की ऐसी शानदार बल्लेबाजी देखकर टीम के सीनियर खिलाड़ी अब्दुल कादिर गुस्से से लाल पीला हो गए.

अब्दुल कादिर सचिन के पास गए और बोले ‘बच्चों को क्यों मार रहे हो, हमें भी मार कर दिखाओ.’ सचिन ने कादिर की इस बात का मुंह से कोई जवाब नहीं दिया. कादिर जब गेंदबाजी करने आए तो सचिन ने उनके ओवर में तीन छक्के ठोक दिए और साबित कर दिया कि बचकाना खिलाड़ी कौन है. कादिर को अब तक अपनी गलती का एहसास हो चुका था. उन्होंने सचिन की बल्लेबाजी देखकर ताली बजाई और सचिन के सामने हाथ तक जोड़ लिए.

इस मामले पर एक टीवी चैनल को दिए एक इंटरव्यू में अब्दुल कादिर ने कहा था, ‘मुझे एक ही ओवर में इससे पहले किसी ने तीन छक्के नहीं मारे थे. यकीन मानिए मैंने अपने पूरे तजुर्बे के साथ गेंद डाली. लेकिन इस लड़के ने मेरी ही धुनाई कर दी.’

बता दें कि सचिन ने 463 वनडे खेलने वाले सचिन तेंदुलकर ने इस फौर्मेट में 86.23 की स्ट्राइक के साथ 18,426 रन बनाए हैं. इस दौरान उन्होंने 49 शतक समेत 96 अर्धशतक भी जमाए. वहीं बात अगर टेस्ट की करें तो 200 मैचों में इस खिलाड़ी ने 51 शतक और 68 अर्धशतक की मदद से 15,921 रन बनाएं. इस दौरान उनका औसत 53.78 रहा, टेस्ट क्रिकेट में सचिन 2 हजार से ज्यादा चौके लगाने वाले इकलौते खिलाड़ी हैं, उन्होंने टेस्ट मैचों में 2058 चौके जड़े.

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