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बेरोजगार को न दें बेटी, वरना जिंदगी हो जाएगी खराब

पटना से सटे नौबतपुर गांव का रहने वाला 27 साल का मनोज पंडित कोई नौकरी नहीं करता था, पर उस के घर वाले पिछले 2-3 सालों से उस पर शादी करने का दबाव बना रहे थे. उस के परिवार वालों की यह सोच थी कि जब मनोज की शादी हो जाएगी, तो उस के सिर पर जिम्मेदारियां बढ़ेंगी और उस के बाद वह कोई न कोई काम करने ही लगेगा. पर आज मनोज की शादी हुए 8 साल गुजर गए हैं और 35 साल का मनोज अभी भी बेरोजगार ही है. ज्यादा उम्र हो जाने और किसी तरह के काम का कोई तजरबा नहीं होने की वजह से अब उसे कोई काम मिलना मुश्किल ही लगने लगा है.

मनोज के दोस्तरिश्तेदार भी उसे सलाह देते हैं कि कोई छोटीमोटी दुकान खोल ले, जिस से कुछ कमाई हो सके, पर वह अब भी नौकरी पाने के लिए हाथपैर मार रहा है, लेकिन कामयाबी नहीं मिल रही है.

मनोज की बड़ी बेटी 6 साल की हो गई है और छोटा बेटा 4 साल का. बच्चों के बड़े होने के साथसाथ खर्च भी बढ़ता जा रहा है. मनोज के पिता की खेती की कमाई से ही मनोज, उस के बीवीबच्चों का गुजारा जैसेतैसे चल रहा है. मनोज को यह बात कचोटती रहती है कि उसे हर छोटे से छोटे खर्च के लिए अपने बूढ़े बाप का मुंह देखना पड़ता है.

समाज और परिवार में आमतौर पर यह सुनने को मिलता है कि शादी के बाद बीवीबच्चों की जिम्मेदारी आने के बाद लड़का कमाने ही लगता है. लोग यह मुफ्त की सलाह बांटते रहते हैं, ‘आप का बेटा कुछ काम कर रहा है या नहीं? उस की शादी कर दो. सिर पर जिम्मेदारी आएगी, तो कमाने लगेगा. अमुक शख्स का बेटा कोई काम नहीं करता था, शादी होने के बाद उसे नौकरी मिल गई.’

कभी कोई यह कहता फिरता है कि उस का बेटा कम दिमाग है. वह ज्यादा पढ़लिख भी नहीं पाया. 40 साल की उम्र हो गई है. वह कुछ काम भी नहीं करता है. हो सकता है कि शादी के बाद उस के दिमाग में कुछ सुधार आ जाए और वह किसी कामधंधे पर लग जाए.

लड़का बेरोजगार है, कोई कामधंधा नहीं कर रहा है, तो उस के परिवार वाले उसे किसी रोजगार पर लगाने के बजाय उस की शादी करनेकराने पर जोर देते हैं. ऐसा करने के पीछे उन की यही सोच होती है कि शादी के बाद जवाबदेही और जिम्मेदारी सिर पर आएगी, तो कमाने लगेगा. पर परिवार वालों की इस सोच का अकसर उलटा ही नतीजा देखने को मिलता है.

बेरोजगार लड़के की शादी करने के बाद ज्यादातर मामलों में यही होता है कि एकसाथ कई जिंदगियां तबाह हो जाती हैं. सब से खराब हालत तो लड़की की ही होती है, जिस के मांबाप सबकुछ जानते हुए भी उस के गले में फटा ढोल बांध देते हैं और समझते हैं कि उन की जिम्मेदारी तो पूरी हो गई.

बेरोजगार पति अपनी पत्नी की जरूरतें भी पूरी नहीं कर पाता है और उसे घरपरिवार के तानेउलाहने भी सुनने पड़ते हैं. छोटीछोटी जरूरतों के लिए भी उसे सासससुर या मायके का मुंह देखना पड़ता है. नागपुर शहर की रहने वाली गौतमी के मांबाप ने भी एक बेरोजगार लड़के से शादी करा कर उस की जिंदगी तबाह कर डाली. आज गौतमी अपनी बदहाली और समाज के उलाहनों को सुनसुन कर आंसू बहा रही है और उस के मातापिता भी सिर पीट रहे हैं.

कालेज की पढ़ाई के बाद बाकी लड़कियों की तरह गौतमी ने भी अपनी शादी के सपने देखे थे. वह खुद का घर बसाने की उधेड़बुन में लगी रहती थी. उस के सारे सपने उस समय टूट गए, जब उस की शादी एक कम दिमाग लड़के से तय कर दी गई.

गौतमी ऐसी शादी के लिए कतई तैयार नहीं थी, पर उस के मांबाप ने उसे समझाया कि लड़के का अपना मकान है. उस के पिता बड़े सरकारी अफसर हैं. गांव में भी काफी जमीनजायदाद है. लेकिन आज कोई भी गौतमी के काम नहीं आ रहा है.

मगध यूनिवर्सिटी के प्रोफैसर अरुण कुमार प्रसाद कहते हैं कि आज भी कई लड़की वाले लड़के की कमाई और आगे का कैरियर देखने के बजाय लड़के के पिता की कमाई के साथसाथ खानदानी जमीनजायदाद देख कर अपनी बेटी की शादी बेरोजगार लड़के से करने को तैयार हो जाते हैं. ऐसी बेकार सोच वाले लड़की के मातापिता अपनी लाड़ली की जिंदगी को बसाने के बजाय बरबाद कर डालते हैं. उसे जिंदगीभर रोनेबिलखने के लिए छोड़ देते हैं.

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के कांटी ब्लौक की रहने वाली दीपिका साहू बताती है कि साल 2007 में उस की शादी पटना के एक लड़के से की गई. उस के पिता ने शादी में अच्छाखासा खर्च भी किया. शादी से पहले लड़के के बारे में पता किया गया, तो लड़के के पिता ने बताया था कि लड़का कोलकाता में चाय कंपनी में काम करता है और 30 हजार रुपए तनख्वाह मिलती है.

दीपिका के पिता जब लड़के के बारे में पता करने के लिए कोलकाता गए और लड़के के दफ्तर के पास पहुंच कर उस के मोबाइल फोन पर बात की, तो लड़के ने कहा कि वह बौस के साथ किसी काम से बाहर निकला हुआ है. आंधे घंटे में पहुंच जाएगा.

थोड़ी देर बाद लड़का वहां पहुंचा और उस ने दीपिका के पिता से सड़क पर खड़ेखड़े ही बातें कीं और कहा कि आज उस के दफ्तर में बहुत लोग आए हुए हैं, इसलिए वह उन्हें दफ्तर में नहीं बिठा सकता. दीपिका के पिता को तसल्ली हो गई कि लड़का चाय कंपनी में काम करता है और घर वापस आ कर शादी की तैयारियों में जुट गए. शादी के बाद पता चला कि लड़का कहीं कोई नौकरी नहीं करता है. उस के परिवार वालों ने लड़की वालों को झांसे में रख कर शादी कर दी.

लड़के के मांबाप ने यह सोच कर उस की शादी करा दी कि उस के सिर पर परिवार का बोझ पड़ेगा, तो वह कमाने लगेगा, पर लड़का शादी के बाद भी मटरगश्ती में ही लगा रहा. उस की कई जगह नौकरी भी लगवाई गई, पर वह कहीं टिक ही नहीं सका.

पटना सिविल कोर्ट के पारिवारिक मामलों के वकील अभय कुमार बताते हैं कि अदालतों में ऐसे कई मामले सुनवाई के लिए पड़े हुए हैं, जिन में लड़की या उस के परिवार वालों ने लड़के वालों पर शादी के नाम पर धोखाधड़ी करने का केस दर्ज किया है. बेरोजगार पति जबतब अपनी बीवी पर यह दबाव डालता रहता है कि वह मायके से रुपए मांग कर लाए. शादी के बाद लड़की अपने मांबाप से रुपए मांगने में शर्म महसूस करती है और अपने पिता को परेशान नहीं करना चाहती है. इसी बात को ले कर शुरू हुई तूतूमैंमैं झगड़े में बदलती है और फिर मामला घर की दहलीज से निकल कर कोर्ट तक पहुंच जाता है.

पुलिस अफसर अशोक कुमार कहते हैं कि बेरोजगार लड़के की शादी करने से उस के मांबाप को भी परहेज करना चाहिए और लड़की के मातापिता को चाहिए कि वे बेटी की शादी में कमाऊ लड़के को ढूंढ़ें, न कि लड़के के बाप की कमाई और दौलत को देख कर किसी नकारा के साथ बेटी का रिश्ता जोड़ दें. ऐसा कर के मांबाप एकसाथ कई जिंदगियों को तबाह कर डालते हैं.

इन बातों का रखें ध्यान

* बेटी की शादी पक्की करते समय लड़के का रोजगार जरूर देखें, न कि उस के बापदादा की कमाई देखें.

* लड़के की पढ़ाईलिखाई, नौकरी, तनख्वाह और उस के आगे के कैरियर का पता कर के ही बेटी की शादी तय करें.

* लड़के की तनख्वाह कम भी हो तो चलेगा, क्योंकि काम करने वाला तरक्की का रास्ता खुद बना ही लेता है.

* इस घिसीपिटी सोच को बदलें कि शादी के बाद लड़के पर जिम्मेदारियां आएंगी, तो वह कमाई करने लगेगा.

* अगर सही समय पर काम नहीं मिलता है, तो ज्यादातर लड़कों में बैठ कर खाने और बापदादा की कमाई पर मौज करने की आदत पड़ जाती है.

* अगर लड़के की नौकरी नहीं लग रही हो, तो उसे कोई दुकान, दूध का बूथ, साइबर कैफे वगैरह शुरू करने के लिए समझाएं. इस में कुछ शुरुआती माली मदद भी कर दें. कारोबार जमने के बाद ही उस की शादी के बारे में सोचें.

साड़ी और गाउन देगा ग्लैमरस लुक, आज ही ट्राई करें ग्लैमरस साड़ी गाउन

अगर आप साड़ी पहनने की शौकीन हैं, लेकिन 6 गज की साड़ी पहनने और उसे मैनेज करने में असहज महसूस करती हैं, तो ट्राई करें ग्लैमरस साड़ी गाउन. साड़ी और गाउन के कौंबिनेशन से बना साड़ी गाउन काफी स्टाइलिश नजर आता है. इसे मैनेज करना भी बहुत आसान होता है.

मगर साड़ी गाउन का चुनाव करते वक्त किन बातो का रखें ध्यान, यह जानते हैं फैशन डिजाइनर प्रीति सिंघल से:

क्यों पहनें साड़ी गाउन

ऐवरग्रीन और हमेशा फैशन में इन रहने वाले साड़ी गाउन को पहनना और मैनेज करना बहुत ही आसान है. चूंकि इस में प्लीट्स के साथ ही ब्लाउज और पल्लू भी अटैच्ड होता है, इसलिए इसे दूसरी ड्रैस की तरह आसानी से मिनटों में पहना जा सकता है और सब कुछ अटैच्ड होने की वजह से प्लीट्स या पल्लू खुलने का डर भी नहीं होता है और यह आसानी से बौडी पर सैट हो जाता है.

कैसे चुनें परफैक्ट साड़ी गाउन

साड़ी गाउन खरीदते वक्त मार्केट में आप को इस के पैटर्न, स्टाइल और फैब्रिक में कई तरह की वैराइटी देखने को मिलेगी. ऐसे में अगर अपने लिए परफैक्ट साड़ी गाउन खरीदना चाहती हैं, तो निम्न बातों को जरूर ध्यान में रखें :

पैटर्न: मार्केट में साड़ी गाउन की बहुत वैराइटी उपलब्ध है. धोती, पैंट स्टाइल से ले कर फिश कट, लहंगा से ले कर स्ट्रेट कट. ऐसे में साड़ी गाउन के पैटर्न का चुनाव अपनी पर्सनैलिटी को ध्यान में रख कर करें. ऐसा पैटर्न चुनें, जो आप की बौडी शेप पर सूट करे जैसे अगर आप की हाइट कम है, तो स्ट्रेट या फिश कट साड़ी गाउन खरीदें. इस से आप लंबी नजर आएंगी और अगर आप की हाइट ज्यादा है, तो फ्लेयर्ड साड़ी गाउन खरीद सकती हैं.

ब्लाउज: साड़ी गाउन के ब्लाउज में भी काफी पैटर्न होते हैं जैसे वन शोल्डर, औफशोल्डर, स्लीवलैस, हाफस्लीव, फुलस्लीव, थ्रीफोर्थ स्लीव ब्लाउज आदि. इस के साथ ही नैकलाइन में भी डिफरैंट वैराइटी देखने को मिलती है जैसे राउंड, स्क्वेयर, ओवल, तो पैक नैकलाइन. ऐसे में पर्सनैलिटी को सूट करने वाले ब्लाउज के हिसाब से ही साड़ी गाउन का चुनाव करें.

डिजाइन: सिंपल ऐंड सोबर से ले कर सीक्वैंस, शीयर और ऐंब्रौयडरी वर्क वाले साड़ी गाउन भी बाजार में आसानी से मिलते हैं. इन का चुनाव ओकेजन के अनुसार करें जैसे शादीब्याह के खास मौके के लिए सीक्वैंस, शीयर या फिर ऐंब्रौयडरी वाले हैवी वर्क का साड़ी गाउन खरीदें, तो डे पार्टी, गैटटुगैदर के लिए सिंपल और सोबर डिजाइन वाला साड़ी गाउन खरीदें.

कलर्स: लाइट से ले कर डार्क, ब्राइट से ले कर डल कलर्स में साड़ी गाउन के कई औप्शंस मिलेंगे. लेकिन चयन ऐसे शेड का करें, जो आप की स्किनटोन से सूट करे. अगर आप गोरी हैं, तो रैड, पिंक, गोल्ड, सिल्वर जैसे शेड्स का साड़ी गाउन खरीदें. अगर आप का रंग सांवला है, तो लाइट या पेस्टल शेड्स का साड़ी गाउन ट्राई करें. कुछ गाउन ड्यूअल शेड, कंट्रास्ट कलर्स व मल्टी शेड्स में भी बनाए जाते हैं. इन्हें भी ट्राई किया जा सकता है.

फैब्रिक

नैट से ले कर सिल्क, ब्रोकेट से ले कर जौर्जेट फैब्रिक में भी साड़ी गाउन उपलब्ध हैं. अलगअलग फैब्रिक में इन का लुक भी काफी डिफरैंट नजर आता है. ऐसे में फैब्रिक का चुनाव साड़ी गाउन के लुक और मौसम को ध्यान में रख कर किया जा सकता है. वैसे फ्लो वाले फैब्रिक से बना साड़ी गाउन सब से खूबसूरत नजर आता है. इस के साथ ही ब्लाउज के लिए ट्रांसपैरेंट फैब्रिक का सलैक्शन भी साड़ी गाउन को सैक्सी लुक देता है.

स्मार्ट आइडियाज

साड़ी गाउन में कंप्लीट लुक के लिए इन स्मार्ट आइडियाज को जरूर फौलो करें:

ज्वैलरी सलैक्शन: साड़ी गाउन के साथ हैवी ज्वैलरी पहनने की भूल न करें. इयररिंग्स, ब्रेसलेट और रिंग काफी है.

हेयरस्टाइल: परफैक्ट लुक के लिए बालों का हाई या लो बन बना लें. चाहें तो स्ट्रेटनिंग करवा कर बालों को खुला भी छोड़ सकती हैं.

मेकअप लुक: गौडी लुक से बचने के लिए डार्क शेड की लिपस्टिक लगाएं या फिर स्मोकी आई मेकअप करें. दोनों को हाईलाइट न करें.

ट्रैंडी फुटवियर: स्लिम लुक के लिए साड़ी गाउन के साथ हाईहील पैंसिल फुटवियर पहनें. सिंपल गाउन के साथ सोबर और हैवी गाउन के साथ ज्वैल्ड फुटवियर.

क्यूट क्लच: अपने लुक को कंप्लीट करने के लिए साड़ी गाउन से मैच करता क्लच कैरी करना न भूलें.

अब विदेशी कंपनियां देश में बनाएंगी सस्ते मकान, जाने क्या है वजह

केंद्र सरकार ने 2022 तक शहरी गरीबों के लिए बनाए जाने वाले घरों की संख्या में कमी की है. ऐसा राज्य सरकारों द्वारा किए गए ताजे आंकलन को ध्यान में रखकर किया गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पहले जहां देश में 1.8 करोड़ नए घर बनाने की जरूरत थी, वहीं अब सरकार ने 1.2 करोड़ नए घर बनाने की बात कही है. 1.8 करोड़ नए घर बनाने का अनुमान 2012 के प्रोजेक्शन पर आधारित था. मंत्रालय ने देश के अलग-अलग हिस्सों में अगले 18 महीनों के दौरान कम से कम 6-8 प्राजेक्ट्स बनाने के लिए रोडमैप की घोषणा की है.

आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि कुछ राज्य अभी आंकड़े जुटा रहे हैं. हमारा लक्ष्य आवासों के निर्माण में तेजी लाने का है. उनके आंकड़ो के अनुसार ऐसे बहुत से बेघर परिवार हैं, जिन्हे घर मुहैया करा दिया गया है. उन्होंने कहा इसके लिए सरकार नई टेक्नोलौजी लाएगी ताकि घरों का निर्माण तेजी से होने के साथ ही उनकी क्वालिटी भी बेहतर हो सके. केंद्र सरकार के प्लान के मुताबिक, शहरी गरीबों के लिए सस्ते आवास बनाने और टेक्नालौजी प्रदर्शन के लिए ग्लोबल कंपनियों को बुलाया जाएगा. फिर इनमें से कुछ कंपनियों का चयन किया जाएगा.

मंत्रालय सस्ते हाउजिंग कंस्ट्रक्शन के लिए टेक्नोलौजी चैलेंज का आयोजन करेगा और ग्लोबल कंपनियों को ‘कम से कम कीमत और कम से कम समय’ में घर बनाने का मौका देगी. निर्माण के लिए घरेलू नियमों का पालन के साथ स्थानीय मेटेरियल का इस्तेमाल किया जाएगा. यह पहल प्रधानमंत्री आवास योजना प्रौजेक्ट का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य 2022 तक सभी गरीब परिवारों को घर देना है.

जब मेरा हमबिस्तरी का मन होता है, तो पत्नी तैयार नहीं होती. जब वह तैयार हो जाती है, तो मैं ठंडा पड़ जाता हूं. क्या करूं.

सवाल
मैं 26 साल का हूं और मेरी पत्नी 24 साल की है. जब मेरा हमबिस्तरी का मन होता है, तो वह तैयार नहीं होती. जब वह तैयार हो जाती है, तो मैं ठंडा पड़ जाता हूं. मैं क्या करूं?

जवाब
आमतौर पर औरतें देर से गरम होती हैं और देर तक गरम रहती हैं. इस के लिए आप को हड़बड़ी छोड़ कर तसल्ली से काम करना होगा. खुद पर काबू रख कर पहले फोर प्ले कर के उसे गरम करें और उस के बाद ही जिस्मानी संबंध बनाएं. धीरेधीरे आप माहिर हो जाएंगे.

इन स्मार्टफोन की कीमतों में आई भारी गिरावट, 25000 रुपये तक हुए सस्ते

आज हम आपको कुछ ऐसे ही स्मार्टफोन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी कीमतों में 3,000 रुपये से लेकर 25,000 रुपये तक की कटौती की गई है.

सैमसंग गैलेक्सी एस8 प्लस

इस फोन को 74,900 रुपये में लौन्च किया गया था. कंपनी ने इस स्मार्टफोन की कीमत में 9,090 रुपये तक की भारी कटौती कर दी है. इसे अब 65,900 रुपये खरीदा जा सकता है.

एचटीसी अल्ट्रा

एचटीसी ने इस स्मार्टफोन को 59,990 रुपये शुरुआती दामों में भारत में पेश किया था. अब इस स्मार्टफोन को 45,098 रुपये में औनलाइन खरीदा जा सकता है. इसमें 5.7 इंच की डिस्प्ले के साथ 4GB की रैम और 64GB की इंटरनल मैमोरी दी गई है. इसकी कीमत में 14,892 रुपये की कटौती की गई है.

विवो वी5 प्लस

इस स्मार्टफोन को कंपनी ने 25,990 रुपये में लौन्च किया था. अब इस स्मार्टफोन की कीमत में 3,000 रुपये की कटौती की गई है. इस स्मार्टफोन को 22,990 रुपये में खरीदा जा सकता है.

एलजी भी20

इस फोन को कंपनी ने पिछले साल दिसंबर में लौन्च किया था. इस स्मार्टफोन को 54,999 रुपये की कीमत के साथ लौन्च किया था. LG V20 की कीमत में 25,000 रुपये की कटौती की गई है. इसे अब 29,990 रुपये में खरीदा जा सकता है.

एचटीसी 10

इस स्मार्टफोन को 52,990 रुपये में लौन्च किया गया था, जिसके बाद इस स्मार्टफोन की कीमत में 10,000 रुपये की कटौती की गई है. वहीं, अब इस स्मार्टफोन को 42,990 रुपये में खरीदा जा सकता है.

सैंमसंग गैलेक्सी ए7

इस स्मार्टफोन को 33,490 रुपये की कीमत के साथ लौन्च किया गया था, जिसके बाद इस स्मार्टफोन की कीमत में 7,590 रुपये की कटौती कर दी गई. वहीं अब इस स्मार्टफोन को 25,900 रुपए में रुपये में खरीदा जा सकता है.

बच्चे का ख्याल रखने में आपकी मदद करेगा ये स्मार्ट स्पीकर

कुछ समय पहले अमेजन ने ‘ अमेजन इको’ लान्च किया था. इसमें 9.25 इंच लंबा सिलेंडर स्पीकर लगा है और इसका का वजन 1.05 किलो है. इसमें एलेक्जा नाम की वायस असिस्टेंट मौजूद है जो कमांड पर काम करती है. इसमें सात माइक्रोफोन लगे हैं. इसमें अमेजन एलेक्सिया वायर कंट्रोल को असिस्ट किया गया है. इस स्पीकर के पीछे काले रंग का एक म्यूट बटन दिया गया है.

अगर आप अपने बच्चे को लोरियां सुना कर थक गईं हैं तो घबराइये नहीं क्योंकि इसका हल भी एलेक्जा के पास है. इसके लिए बस आपको ‘एलेक्जा प्ले लिस्ट’ में जाकर कमांड देना होगा. इसमें अगर आप किसी लोरी या गाने का नाम बताकर उसे कमांड देते हैं तो भी एलेक्जा आपके पसंदीदा लोरी या गाने को प्ले कर देगी. अगर आपका बच्चा लोरियों से भी नहीं सोता तो अलेक्जा के पास इसको एक हल भी है. इसमें पानी के झरनों का साउंड के साथ कई प्यारे आर्टीफिशियल साउंड शामिल है जिससे बच्चा जरुर सुकून से सो जाएगा.

आइये जानते हैं कि कैसे ये एलेक्जा आपके बच्चे का ख्याल रखने के साथ अन्य कामों में आपकी मदद करेगा.

एलेक्जा का यूज करके आप रीमाइंडर लगा सकते हैं. ये रिमाइंडर समय-समय पर याद दिलाएगा कि आपके बच्चे ने समय पर दूध पिया या नहीं. ये याद रखने के लिए यह स्पीकर आपकी मदद कर आपका काम आसान कर देगा.

एलेक्जा वायस शापिंग करने और बच्चों से जुड़े सामान को खरीदने में भी आपकी मदद करती है. अगर घर में डायपर, वाइप्स जैसी चीज़े खत्म होने गयी है तो एलेक्जा से कहकर इन्हें आडर्र किया जा सकता है. इतना ही नहीं ये यूजर्स को चल रहा डिस्काउंट और बेस्ट डील्स के बारे में भी बताती है. इसके लिए यूजर को शापिंग अकाउंट में लौग इन करना होगा, जिसके बाद एलेक्जा के जरिए आप सामान आर्डर कर सकती है. इतना ही नहीं ये यूजर्स को चल रहे डिस्काउंट और बेस्ट डील्स के बारे में भी बताएगी.

अगर आपका खाना बनाने का दिल नहीं है या खाना बनाके थक गईं हैं तो आप पिज्जा हट या डोमीनोज से अलेक्जा की सहायता से पिज्जा आर्डर कर सकती हैं. इसके लिए भी बस आपको ‘एलेक्जा ओपेन डोमिनाज एण्ड प्लेस माई आर्डर’ या फिर ‘एलेक्जा ओपेन पिज्जा हट एण्ड प्लेस माई आर्डर’ में जाकर अलेक्जा को कमांड देना होगा.

अगले साल तक टली भंसाली की ‘पद्मावती’, जानें वजह

संजय लीला भंसाली की ड्रीम प्रोजेक्‍ट ‘पद्मावती’ का दर्शक बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. रणवीर-दीपिका की सुपरहिट जोड़ी एकबार फिर इस फिल्‍म में नजर आनेवाली है. लेकिन फैंस के लिए इस फिल्‍म से जुड़ी एक बुरी खबर आ रही है. फिल्‍म की रिलीज डेट अगले साल अप्रैल महीने तक के लिए टाल दी गई है. पहले यह फिल्‍म इसी साल 17 नवंबर को रिलीज होनेवाली थी.

इन कारणों से टली रिलीज

पद्मावती के पोस्टपोन होने की वजह बड़ी संख्या में स्पेशल इफैक्ट्स और स्टार कास्ट के कई सीन की शूटिंग न हो पाना है. फिलहाल, भंसाली के प्रोडक्शन हाउस ने फिल्म के पोस्टपोन होने की पुष्ट‍ि नहीं की है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट में ट्रेड एक्सपर्ट के हवाले से बताया जा रहा है कि फिल्म इस साल रिलीज होने की स्थ‍िति में नहीं है.

अप्रैल में होगी रिलीज

सूत्रों के अनुसार, अगले साल अप्रैल की किसी तारीख को फिल्म की रिलीज तय की जाएगी. अप्रैल में स्कूल की छुट्टियां होने का भी फिल्म को फायदा मिलेगा. ये फिल्म 150 करोड़ रुपए के बजट में बन रही है. इसलिए निर्माता हर लिहाज से इसकी रिकवरी के बारे में सोच रहे हैं. इसके पोस्ट प्रोडक्शन में भी लंबा वक्त लगने वाला है. फिल्म में युद्ध के कई सीन हैं, जिनमें वीएफएक्स का इस्तेमाल होना है.

स्टार कास्ट

बात दें कि ये महारानी पद्मावती की बायोपिक है. उनकी भूमिका में दीपिका पादुकोण नजर आने वाली हैं. रणवीर सिंह अलाउद्दीन खिलजी और शाहिद कपूर राजा रतन सिंह की भूमिका में होंगे. फिल्म में अदिति राव हैदरी भी नजर आएंगी.

फिल्म में आई कई मुश्किलें

भंसाली की ये फिल्म पहले ही मुश्किलों का सामना कर चुकी है. पहले भंसाली प्रोड्यूसर की तलाश करते रहे और फिर उसके बाद जयपुर में शूटिंग के दौरान विरोध प्रदर्शन हुआ. अब फिल्म एक बार फिर आठ महीने तक के लिए फिल्मी कैलेंडर से बाहर हो गई है.

हौकी के जादूगर की वो बातें, जो आपने पहले कभी नहीं सुनी होंगी

हौकी के जादूगर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त सन 1905 में हुआ. उनके जन्मदिवस को भारत के राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. हर साल आज ही के दिन सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए जाते हैं. यह पुरस्कार खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिए जाते हैं.

मेजर ध्यानचंद ने अतंरराष्ट्रीय हौकी में 400 गोल दागे. हालैंड में लोगों ने उनकी हाकी स्टिक तुड़वा कर देखी कि कहीं उसमें चुंबक तो नहीं लगा है. अपने 22 साल के हाकी करियर में उन्होंने अपने खेल से पूरी दुनिया को चमत्कृत किया. अपने जमाने में इस खिलाड़ी ने किस हद तक अपना लोहा मनवाया होगा इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वियना के स्पोर्ट्स क्लब में उनकी एक मूर्ति लगाई गई है जिसमें उनके चार हाथ और उनमें चार स्टिकें दिखाई गई हैं, मानों कि वो कोई देवता हों.

मेजर ध्यानचंद के बारे में कहा जाता है कि वह रात को प्रैक्टिस किया करते थे. उनके प्रैक्टिस का समय चांद निकलने के साथ शुरू होता था. इस कारण उनके साथी उन्हें चांद कहने लगे. दुनिया जिसे हाकी के जादूगर के नाम से जानती है वह अपने स्थानीय (बुंदेलखंड) लोगों के लिए ‘दद्दा’ हैं. मेजर ध्यानचंद के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार झांसी के उसी ग्राउंड में किया गया जहां वो हाकी खेलते थे. बुंदलेखंड के रहने वाले ध्यानचंद को आज भी वहां के लोग ‘दद्दा’ कहकर आत्मीय अंदाज में याद करते हैं.

14 अगस्त 1936 को भारत और जर्मनी के बीच बर्लिन ओलिंपिक के हाकी का फाइनल खेला जाना था. लेकीन लगातार बारिश होने की वजह से 40 हजार दर्शकों के बीच मैच अगले दिन 15 अगस्त को खेला गया. मैच से पहले मैनेजर पंकज गुप्ता ने अचानक कांग्रेस का झंडा निकाला. उसे सभी खिलाड़ियों ने सेल्यूट किया (उस समय तक भारत का अपना कोई झंडा नहीं था. वो गुलाम देश था.)

मैच देखने वालों में बड़ौदा के महाराजा और भोपाल की बेगम के साथ साथ जर्मन नेतृत्व के चोटी के लोग मौजूद थे. उस दिन जर्मन तानाशाह हिटलर भी मौजूद था. हाफ टाइम तक भारत सिर्फ एक गोल से आगे था. इसके बाद ध्यानचंद अपने स्पाइक वाले जूते और मोजे उतारकर नंगे पांव खेलने लगे. इसके बाद तो गोलों की झड़ी लग गई. भारत ने जर्मनी को 8-1 से हराया और इसमें तीन गोल ध्यान चंद ने किए. वहां ध्यानचंद ने ओलिंपिक में जर्मनी को धूल चटाकर स्वर्ण पदक जीता.

एक अंग्रेजी अखबार ने लिखा, “बर्लिन लंबे समय तक भारतीय टीम को याद रखेगा. भारतीय टीम ने इस तरह की हाकी खेली मानो वो स्केटिंग रिंक पर दौड़ रहे हों. उनके स्टिक वर्क ने जर्मन टीम को अभिभूत कर दिया”.

ओलिंपिक में ध्यानचंद के शानदार प्रदर्शन से प्रभावित होकर हिटलर ने उन्हें डिनर के लिए आमंत्रित किया. जर्मन तानाशाह ने उन्हें जर्मनी की फौज में बड़े पद का लालच भी दिया, लेकिन ध्यानचंद ने उसे ठुकरा दिया. उन्होंने दो टूक अंदाज में कहा कि ‘हिंदुस्तान ही मेरा वतन है और मैं वहीं के लिए आजीवन हाकी खेलता रहूंगा’.

1936 के बर्लिन ओलंपिक में उनके साथ खेले और बाद में पाकिस्तान के कप्तान बने आईएनएस दारा ने वर्ल्ड हाकी मैग्जीन के एक अंक में लिखा, “ध्यान के पास कभी भी तेज गति नहीं थी बल्कि वो धीमा ही दौड़ते थे. उनके पास गैप को पहचानने की गजब की क्षमता थी. वो इतनी तेजी और ताकत से शाट लगाते थे कि दुनिया के बेहतरीन से बेहतरीन गोल कीपर के लिए भी कोई मौका नहीं रहता था.”

1936 के ओलंपिक खेल शुरू होने से पहले एक अभ्यास मैच में भारतीय टीम जर्मनी से 4-1 से हार गई. ध्यान चंद अपनी आत्मकथा ‘गोल’ में लिखते हैं, “मैं जब तक जीवित रहूंगा इस हार को कभी नहीं भूलूंगा. इस हार ने हमें इतना हिला कर रख दिया कि हम पूरी रात सो नहीं पाए. हमने तय किया कि इनसाइड राइट पर खेलने के लिए आईएनएस दारा को तुरंत भारत से हवाई जहाज से बर्लिन बुलाया जाए.” दारा सेमी फाइनल मैच तक ही बर्लिन पहुंच पाए.

दारा ने बाद में लिखा, “छह गोल खाने के बाद जर्मन रफ हाकी खेलने लगे. उनके गोलकीपर की हाकी ध्यान चंद के मुंह पर इतनी जोर से लगी कि उनका दांत टूट गया. उपचार के बाद मैदान में वापस आने के बाद ध्यान चंद ने खिलाड़ियों को निर्देष दिए कि अब कोई गोल न मारा जाए. सिर्फ जर्मन खिलाड़ियों को ये दिखाया जाए कि गेंद पर नियंत्रण कैसे किया जाता है. इसके बाद हम बार बार गेंद को जर्मन डी में लेकर जाते और फिर गेंद को बैक पास कर देते. जर्मन खिलाड़ियों की समझ में ही नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है.

दो बार के ओलंपिक चैंपियन केशव दत्त ने बताया कि बहुत से लोग उनकी मजबूत कलाईयों ओर ड्रिब्लिंग के कायल थे. लेकिन उनकी असली प्रतिभा उनके दिमाग में थी. वो उस ढ़ंग से हाकी के मैदान को देख सकते थे जैसे शतरंज का खिलाड़ी चेस बोर्ड को देखता है. उनको बिना देखे ही पता होता था कि मैदान के किस हिस्से में उनकी टीम के खिलाड़ी और प्रतिद्वंदी मूव करेंगे. केशव दत्त कहते हैं, “जब हर कोई सोचता था कि ध्यानचंद शाट लेने जा रहे हैं तो वो गेंद को पास कर देते थे. ऐसा इसलिए कि विरोधी उनके इस मूव पर हतप्रभ रह जाएं.

1968 में भारतीय ओलंपिक टीम के कप्तान रहे गुरुबख्श सिंह ने बताया कि 1959 में भी जब ध्यानचंद 54 साल के हो चले थे, तब भी भारतीय हाकी टीम का कोई भी खिलाड़ी बुली में उनसे गेंद नहीं छीन सकता था.

ध्यानचंद के पुत्र अशोक कुमार जो कि 1972 के म्यूनिख ओलंपिक खेलो में कांस्य पदक विजेता रहें हैं, ने बताया कि एक बार जब उनकी टीम म्यूनिख में अभ्यास कर रही थी तब एक बुजुर्ग से शख्स एक व्हील चेयर से आएं और पूछा कि इस टीम में अशोक कुमार कौन हैं? जब मुझे उनके पास ले जाया गया तो उन्होंने मुझे गले से लगा लिया और भावपूर्ण ढ़ंग से अपनी टूटी फूटी अंग्रेजी में कहने लगे. तुम्हारे पिता बहुत महान खिलाड़ी थे. उनके हाथ में 1936 के खबरों की पीली हो चुकी कतरनें थी जिसमें मेरे पिता के खेल का गुणगान किया गया.

भारत लौटने के बाद ध्यानचंद के साथ एक मजेदार घटना हुई. फिल्म अभिनेता पृथ्वीराज कपूर ध्यानचंद के फैन थे. एक बार मुंबई में हो रहे एक मैच में वो अपने साथ नामी गायक कुंदन लाल सहगल को ले आए. हाफ टाइम तक कोई गोल नहीं हो पाया. सहगल ने कहा कि हमने दोनों भाइयों का बहुत नाम सुना है. मुझे ताज्जुब है कि आपमें से कोई आधे समय तक एक गोल भी नहीं कर पाया. रूप सिंह ने तब सहगल से पूछा कि क्या हम जितने गोल मारे उतने गाने आप हमें सुनाएंगे?

सहगल राजी हो गए. फिर क्या था दूसरे हाफ में दोनों भाइयों ने मिल कर 12 गोल दागे. लेकिन फाइनल विसिल बजने से पहले सहगल स्टेडियम छोड़ कर जा चुके थे. अगले दिन सहगल ने अपने स्टूडियो आने के लिए ध्यानचंद के पास अपनी कार भेजी. लेकिन जब ध्यानचंद वहां पहुंचे तो सहगल ने कहा कि गाना गाने का उनका मूड उखड़ चुका है. ध्यानचंद बहुत निराश हुए. अगले दिन सहगल खुद अपनी कार में उस जगह पहुंचे जहां उनकी टीम ठहरी हुई थी और उन्होंने उनके लिए 14 गाने गाए. और हर एक खिलाड़ी को एक एक घड़ी भी भेंट में दी.

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में नए चेहरों को उतारेगी कांग्रेस

कांग्रेस हिमाचल प्रदेश विधानसभा में नए चेहरों को मैदान में उतार सकती है. चुनाव से ठीक पहले पार्टी की अंदरूनी रिपोर्ट में पता चला है कि वहां स्थिति अच्छी नहीं है. पार्टी ने सख्त फैसले नहीं लिए, तो हार तय है. बता दें की पिछले कई चुनाव से राज्य में सत्ता परिवर्तन होता रहा है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि मौजूदा स्थितियों के मुताबिक हिमाचल में कांग्रेस चुनाव लड़ती नहीं दिख रही है. पार्टी को चुनाव में बने रहना है, तो उसे उम्मीदवार बदलने होंगे.

विधायकों से नाराजगी

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पिछली बार 36 सीट जीती थी. पार्टी सूत्रों का कहना है कि यदि सभी विधायको को टिकट दिया गया तो पार्टी आधी से भी कम सीट जीत पाएगी. कई विधायकों के खिलाफ जबरदस्त नाराजगी है.

चेहरे बदलने से नाराजगी कम

हिमाचल प्रदेश में वोट प्रतिशत में पांच फीसदी का फर्क सत्ता बदल देता है. ऐसे में पार्टी को नए चेहरों को मैदान में उतारकर मतदाताओं की नाराजगी को कम कर सकती है. इसका सीधा फायदा विधानसभा चुनाव में भी मिलेगा.

टिकट कटने से अधिक नुकसान नहीं

पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि हिमाचल प्रदेश में विधायकों के टिकट कटने से अधिक नुकसान नहीं होगा. क्योंकि, उनके भाजपा में शामिल होकर उम्मीदवार बनने की संभावना कम है. हिमाचल प्रदेश में भाजपा के पास अपने उम्मीदवार है. ऐसे में वह निर्दलीय चुनाव लड़ते भी हैं, तो अधिक नुकसान नहीं कर पाएंगे. मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के लिए भी यह चुनाव आसान नहीं होगा. अभी जो स्थिति है उसके मुताबिक ज्यादा मार्जिन से चुनाव जीतना उनके लिए चुनौती होगी. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 43 फीसदी वोट मिले थे.

वीरभद्र सिंह के लिए चुनाव आसान नहीं होगा

सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के लिए भी यह चुनाव आसान नहीं होगा. अभी जो स्थिति है उसके मुताबिक ज्यादा मार्जिन से चुनाव जीतना उनके लिए चुनौती होगी. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 43 फीसदी वोट मिले थे. जबकि भाजपा को 38 प्रतिशत वोट मिले.

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