पटना से सटे नौबतपुर गांव का रहने वाला 27 साल का मनोज पंडित कोई नौकरी नहीं करता था, पर उस के घर वाले पिछले 2-3 सालों से उस पर शादी करने का दबाव बना रहे थे. उस के परिवार वालों की यह सोच थी कि जब मनोज की शादी हो जाएगी, तो उस के सिर पर जिम्मेदारियां बढ़ेंगी और उस के बाद वह कोई न कोई काम करने ही लगेगा. पर आज मनोज की शादी हुए 8 साल गुजर गए हैं और 35 साल का मनोज अभी भी बेरोजगार ही है. ज्यादा उम्र हो जाने और किसी तरह के काम का कोई तजरबा नहीं होने की वजह से अब उसे कोई काम मिलना मुश्किल ही लगने लगा है.

मनोज के दोस्तरिश्तेदार भी उसे सलाह देते हैं कि कोई छोटीमोटी दुकान खोल ले, जिस से कुछ कमाई हो सके, पर वह अब भी नौकरी पाने के लिए हाथपैर मार रहा है, लेकिन कामयाबी नहीं मिल रही है.

मनोज की बड़ी बेटी 6 साल की हो गई है और छोटा बेटा 4 साल का. बच्चों के बड़े होने के साथसाथ खर्च भी बढ़ता जा रहा है. मनोज के पिता की खेती की कमाई से ही मनोज, उस के बीवीबच्चों का गुजारा जैसेतैसे चल रहा है. मनोज को यह बात कचोटती रहती है कि उसे हर छोटे से छोटे खर्च के लिए अपने बूढ़े बाप का मुंह देखना पड़ता है.

समाज और परिवार में आमतौर पर यह सुनने को मिलता है कि शादी के बाद बीवीबच्चों की जिम्मेदारी आने के बाद लड़का कमाने ही लगता है. लोग यह मुफ्त की सलाह बांटते रहते हैं, ‘आप का बेटा कुछ काम कर रहा है या नहीं? उस की शादी कर दो. सिर पर जिम्मेदारी आएगी, तो कमाने लगेगा. अमुक शख्स का बेटा कोई काम नहीं करता था, शादी होने के बाद उसे नौकरी मिल गई.’

कभी कोई यह कहता फिरता है कि उस का बेटा कम दिमाग है. वह ज्यादा पढ़लिख भी नहीं पाया. 40 साल की उम्र हो गई है. वह कुछ काम भी नहीं करता है. हो सकता है कि शादी के बाद उस के दिमाग में कुछ सुधार आ जाए और वह किसी कामधंधे पर लग जाए.

लड़का बेरोजगार है, कोई कामधंधा नहीं कर रहा है, तो उस के परिवार वाले उसे किसी रोजगार पर लगाने के बजाय उस की शादी करनेकराने पर जोर देते हैं. ऐसा करने के पीछे उन की यही सोच होती है कि शादी के बाद जवाबदेही और जिम्मेदारी सिर पर आएगी, तो कमाने लगेगा. पर परिवार वालों की इस सोच का अकसर उलटा ही नतीजा देखने को मिलता है.

बेरोजगार लड़के की शादी करने के बाद ज्यादातर मामलों में यही होता है कि एकसाथ कई जिंदगियां तबाह हो जाती हैं. सब से खराब हालत तो लड़की की ही होती है, जिस के मांबाप सबकुछ जानते हुए भी उस के गले में फटा ढोल बांध देते हैं और समझते हैं कि उन की जिम्मेदारी तो पूरी हो गई.

बेरोजगार पति अपनी पत्नी की जरूरतें भी पूरी नहीं कर पाता है और उसे घरपरिवार के तानेउलाहने भी सुनने पड़ते हैं. छोटीछोटी जरूरतों के लिए भी उसे सासससुर या मायके का मुंह देखना पड़ता है. नागपुर शहर की रहने वाली गौतमी के मांबाप ने भी एक बेरोजगार लड़के से शादी करा कर उस की जिंदगी तबाह कर डाली. आज गौतमी अपनी बदहाली और समाज के उलाहनों को सुनसुन कर आंसू बहा रही है और उस के मातापिता भी सिर पीट रहे हैं.

कालेज की पढ़ाई के बाद बाकी लड़कियों की तरह गौतमी ने भी अपनी शादी के सपने देखे थे. वह खुद का घर बसाने की उधेड़बुन में लगी रहती थी. उस के सारे सपने उस समय टूट गए, जब उस की शादी एक कम दिमाग लड़के से तय कर दी गई.

गौतमी ऐसी शादी के लिए कतई तैयार नहीं थी, पर उस के मांबाप ने उसे समझाया कि लड़के का अपना मकान है. उस के पिता बड़े सरकारी अफसर हैं. गांव में भी काफी जमीनजायदाद है. लेकिन आज कोई भी गौतमी के काम नहीं आ रहा है.

मगध यूनिवर्सिटी के प्रोफैसर अरुण कुमार प्रसाद कहते हैं कि आज भी कई लड़की वाले लड़के की कमाई और आगे का कैरियर देखने के बजाय लड़के के पिता की कमाई के साथसाथ खानदानी जमीनजायदाद देख कर अपनी बेटी की शादी बेरोजगार लड़के से करने को तैयार हो जाते हैं. ऐसी बेकार सोच वाले लड़की के मातापिता अपनी लाड़ली की जिंदगी को बसाने के बजाय बरबाद कर डालते हैं. उसे जिंदगीभर रोनेबिलखने के लिए छोड़ देते हैं.

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के कांटी ब्लौक की रहने वाली दीपिका साहू बताती है कि साल 2007 में उस की शादी पटना के एक लड़के से की गई. उस के पिता ने शादी में अच्छाखासा खर्च भी किया. शादी से पहले लड़के के बारे में पता किया गया, तो लड़के के पिता ने बताया था कि लड़का कोलकाता में चाय कंपनी में काम करता है और 30 हजार रुपए तनख्वाह मिलती है.

दीपिका के पिता जब लड़के के बारे में पता करने के लिए कोलकाता गए और लड़के के दफ्तर के पास पहुंच कर उस के मोबाइल फोन पर बात की, तो लड़के ने कहा कि वह बौस के साथ किसी काम से बाहर निकला हुआ है. आंधे घंटे में पहुंच जाएगा.

थोड़ी देर बाद लड़का वहां पहुंचा और उस ने दीपिका के पिता से सड़क पर खड़ेखड़े ही बातें कीं और कहा कि आज उस के दफ्तर में बहुत लोग आए हुए हैं, इसलिए वह उन्हें दफ्तर में नहीं बिठा सकता. दीपिका के पिता को तसल्ली हो गई कि लड़का चाय कंपनी में काम करता है और घर वापस आ कर शादी की तैयारियों में जुट गए. शादी के बाद पता चला कि लड़का कहीं कोई नौकरी नहीं करता है. उस के परिवार वालों ने लड़की वालों को झांसे में रख कर शादी कर दी.

लड़के के मांबाप ने यह सोच कर उस की शादी करा दी कि उस के सिर पर परिवार का बोझ पड़ेगा, तो वह कमाने लगेगा, पर लड़का शादी के बाद भी मटरगश्ती में ही लगा रहा. उस की कई जगह नौकरी भी लगवाई गई, पर वह कहीं टिक ही नहीं सका.

पटना सिविल कोर्ट के पारिवारिक मामलों के वकील अभय कुमार बताते हैं कि अदालतों में ऐसे कई मामले सुनवाई के लिए पड़े हुए हैं, जिन में लड़की या उस के परिवार वालों ने लड़के वालों पर शादी के नाम पर धोखाधड़ी करने का केस दर्ज किया है. बेरोजगार पति जबतब अपनी बीवी पर यह दबाव डालता रहता है कि वह मायके से रुपए मांग कर लाए. शादी के बाद लड़की अपने मांबाप से रुपए मांगने में शर्म महसूस करती है और अपने पिता को परेशान नहीं करना चाहती है. इसी बात को ले कर शुरू हुई तूतूमैंमैं झगड़े में बदलती है और फिर मामला घर की दहलीज से निकल कर कोर्ट तक पहुंच जाता है.

पुलिस अफसर अशोक कुमार कहते हैं कि बेरोजगार लड़के की शादी करने से उस के मांबाप को भी परहेज करना चाहिए और लड़की के मातापिता को चाहिए कि वे बेटी की शादी में कमाऊ लड़के को ढूंढ़ें, न कि लड़के के बाप की कमाई और दौलत को देख कर किसी नकारा के साथ बेटी का रिश्ता जोड़ दें. ऐसा कर के मांबाप एकसाथ कई जिंदगियों को तबाह कर डालते हैं.

इन बातों का रखें ध्यान

* बेटी की शादी पक्की करते समय लड़के का रोजगार जरूर देखें, न कि उस के बापदादा की कमाई देखें.

* लड़के की पढ़ाईलिखाई, नौकरी, तनख्वाह और उस के आगे के कैरियर का पता कर के ही बेटी की शादी तय करें.

* लड़के की तनख्वाह कम भी हो तो चलेगा, क्योंकि काम करने वाला तरक्की का रास्ता खुद बना ही लेता है.

* इस घिसीपिटी सोच को बदलें कि शादी के बाद लड़के पर जिम्मेदारियां आएंगी, तो वह कमाई करने लगेगा.

* अगर सही समय पर काम नहीं मिलता है, तो ज्यादातर लड़कों में बैठ कर खाने और बापदादा की कमाई पर मौज करने की आदत पड़ जाती है.

* अगर लड़के की नौकरी नहीं लग रही हो, तो उसे कोई दुकान, दूध का बूथ, साइबर कैफे वगैरह शुरू करने के लिए समझाएं. इस में कुछ शुरुआती माली मदद भी कर दें. कारोबार जमने के बाद ही उस की शादी के बारे में सोचें.

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