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दिलों का तो नहीं पता पर बौलीवुड के इन सुपरस्टार्स के घरों में है बहुत कम फासला

जरा सोचिए विद्या सुबह की कौफी लेकर शाहिद की पत्नी मीरा से बातें कर रही हैं. ट्विंकल खन्ना अक्षय कुमार को बाय कहने बाहर तक आयीं कि लिफ्ट में ऋतिक रोशन भी टकरा जायें.

अगर पुराने दौर में चलें तो अमिताभ, फिल्म चुपके-चुपके की तर्ज पर जया बच्चन को बौटनी पढ़ा रहे हों कि तभी हेमा और धर्मेंद्र उनके घर चाय पर आ जायें.

जाहिर है फिल्मी सितारों की ये कहानी भी फिल्मी और काल्पनिक ही हैं, लेकिन रियल लाइफ में इनका एक गहरा कनेक्शन फिर भी है. वो ये है कि ये बौलीवुड सितारे पड़ोसी हैं.

विद्या बालन और शाहिद कपूर

विद्या बालन और शाहिद कपूर ने अब तक केवल एक ही फिल्म में साथ काम किया है. रियल लाइफ में दोनों पड़ोसी हैं. मुंबई के जुहू इलाके में शाहिद और विद्या बालन का घर है. शाहिद जहां फर्स्ट फ्लोर पर रहते हैं, वहीं विद्या सेकेंड फ्लोर पर रहती हैं.

अक्षय, साजिद और रितिक

अक्षय कुमार जुहू में रहते हैं और उनके पड़ोसी एक और सुपरस्टार हैं और वह हैं रितिक. दोनों एक ही बिल्डिंग में अलग-अलग फ्लोर पर रहते हैं. यही नहीं, यहीं पास में ही निर्माता साजिद नाडियाडवाला भी रहते हैं.

सलमान खान, शाहरुख खान, फरहान और रेखा

मुंबई के बांद्रा के बैंड स्टैंड इलाके में कई स्टार्स रहते हैं, जिनमें शाहरुख खान और फरहान अख्तर के घर की चंद कदमों की है. शाहरुख के घर मन्नत से सलमान की गैलेक्सी भी अधिक दूर नहीं हैं. मन्नत और फरहान के घर विपासना के बीच ही गुजरे जमाने की अभिनेत्री रेखा का घर बसेरा स्थित है.

विवेक ओबरौय और गोविंदा

विवेक ओबरौय और गोविंदा ने भले ही कभी साथ में काम नहीं किया हो, लेकिन दोनों के बंगले जुहू में बिल्कुल आस-पास ही स्थित हैं. विवेक के पिता सुरेश ओबेरौय ने यह बंगला खरीदा था. वही गोविंदा ने अपने परिवार के लिए यह घर खरीदा था.

रणवीर सिंह और यामी गौतम

रणवीर सिंह का यूं तो घर खार इलाके में है, लेकिन इन दिनों वह गोरेगांव में एक अपार्टमेंट में शिफ्ट हुए हैं. चूंकि उन्हें पदमावती की शूटिंग के लिए फिल्मसिटी जाने में तकलीफ हो रही थी और खबर है कि इन दिनों इस बिल्डिंग में यामी गौतम भी रह रही हैं.

खबरें ये भी हैं कि रणवीर सिंह को उस कोलोनी के बच्चे बेहद प्यार करने लगे हैं, चूंकि वह जब भी बाहर आते हैं. बच्चे भीड़ लगाते हैं और रणवीर उन्हें कई बार चौकलेट्स भी देते हैं. कई बार उनके साथ थोड़ी मस्ती भी कर लेते हैं.

हेमा मालिनी, अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा, अनिल कपूर और जीतेंद्र

आपको ये जानकर भी हैरानी होगी, लेकिन सच यही है कि हेमा मालिनी, अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा, अनिल कपूर और जीतेंद्र सभी जुहू इलाके में बस चंद कदमों की दूरी पर ही रहते हैं.

अमिताभ के जहां तीन बंगले हैं. वही जीतेंद्र की बिटिया एकता कपूर का कृष्णा बंगला भी वहीं स्थित है. हेमा मालिनी भी उसी इलाके में रहती हैं. सनी देओल का बंगला भी इसी इलाके में है.

जैकी श्रौफ और आमिर खान

जैकी श्राफ और आमिर खान ने फिल्म धूम 3 में साथ काम किया है. जैकी आमिर के पिता के किरदार में थे. इन दिनों आमिर कार्टर रोड में फीडा वन अपार्टमेंट में रह रहे हैं और खास बात यह है कि जैकी श्रौफ अपने बेटे टाइगर और पूरे परिवार के भी इसी अपार्टमेंट की दूसरी विंग में रहते हैं. दोनों अच्छे दोस्त हैं और एक-दूसरे की पार्टियों में शामिल होते रहते हैं.

तब्बू, श्रीदेवी और असिन

असिन की हालांकि अब शादी हो चुकी है, लेकिन जब वे मुंबई में काम कर रही थीं, उस वक्त तब्बू और श्रीदेवी उनकी पड़ोसी थीं.
वे लोखंडवाला में ग्रीन एकड़ अपार्टमेंट में रहती थीं. असिन ने खुद बताया था कि तब्बू और श्रीदेवी ने उनका बहुत ख्याल रखा था.

सिर्फ युवी ही नहीं इनके नाम भी है 6 गेंद में 6 छक्के लगाने का रिकार्ड

क्रिकेट के मैदान में आपने छक्के लगते तो बहुत देखे होंगे, लेकिन बात अगर 6 गेंदो पर लगातार 6 छक्के लगाने की हो तो आपके जहन में सबसे पहले भारत के विस्फोटक बल्लेबाज युवराज सिंह का नाम आएगा.

युवराज ने टी 20 विश्व कप में 6 छक्के लगाकर पहला विश्व कप भारत के नाम किया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय क्रिकेट में यह कारनामा करने वाले युवराज पहले बल्लेबाज नहीं हैं. युवराज के अलावा दो और भारतीय बल्लेबाज ये कारनामा कर चुके हैं. आइए जानें उन भारतीय खिलाड़ियों के बारे में जिन्होंने 6 गेंदों पर लगातार 6 छक्के लगाए हैं.

रवि शास्त्री

भारत के मुख्य कोच रवि शास्त्री ये कारनामा करने वालों में से प्रथम स्थान पर हैं. उन्होंने 1984 में रणजी ट्राफी में बाम्बे और बरोदा के मैच में बाएं हाथ के स्पिनर तिलक राज के ओवर में यह कारनामा अपने नाम किया था. रवि शास्त्री ने इसी मैच में प्रथम श्रेणी क्रिकेट का सबसे तेज दोहरा शतक भी लगाया था.

युवराज सिंह

सिक्सर किंग के नाम से पहचाने जाने वाले भारत के विस्फोटक बल्लेबाज युवराज सिंह ने यह कारनामा 2007 के टी-20 विश्व कप में किया था. उन्होंने इंग्लैंड के स्टुअर्ट ब्रौड की गेंदों पर मैदान के चारों तरफ छक्के उड़ाए. इसके साथ-साथ उन्होंने भारतीय टीम का भी नाम रोशन कर दिया. ऐसा करने वाल युवराज सिंह चौथे बल्लेबाज और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के दूसरे बल्लेबाज बने.

सागर मिश्रा

भारत के प्रथम श्रेणी जिसे घरेलू क्रिकेट भी कहा जाता है सागर ने उसमें यह कगरनामा किया है. आपको बता दें सागर ने यह कारनामा टाइम्स शील्ड बी डिवीजन के एक मैच में किया है. इस मैच में सागर ने 46 गेंदों पर 96 रन बनाए है.

हाल ही में समपन्न हुए भारत-श्रीलंका टेस्ट मैच में हार्दिक पांड्या ने डेब्यू किया. अपने पहले टेस्ट में 49 गेंद में 50 रन बनाकर प्रशंसा बटोरने वाले भारतीय टीम के युवा बल्लेबाज हार्दिक पांड्या युवराज के एक खास रिकार्ड की बराबरी करना चाहते हैं. पांड्या भी युवराज की तरह एक ओवर में छह छक्के लगाना चाहते हैं.

चाचा नीतीश से मुकाबले पर चले तेजस्वी

लालू यादव के लाडले तेजस्वी यादव अपने चाचा नीतीश कुमार की राह पर चल निकले हैं. नीतीश कुमार के महागठबंधन तोड़ने के बाद बिहार विधान सभा में विरोधी दल के नेता बने तेजस्वी अब समूचे राज्य का दौरा करेंगे और जनता को बताएंगे कि नीतीश कुमार ने उनके ऊपर भ्रष्टाचार का गलत आरोप मढ़ कर महागठबंधन और जनादेश को लात मारी है. महागठबंधन के खलनायक नीतीश कुमार ही हैं. इसके साथ ही वह भाजपा भगाओ, देश बचाओ मुहिम से लोगों को जोड़ेंगे.

दिलचस्प बात यह है कि तेजस्वी ने नीतीश के खिलाफ दौरा शुरू करने के लिए नीतीश कुमार की पसंदीदा जगह चंपारण जिला को ही चुना है. गौरतलब है कि नीतीश कुामर चंपारण से ही अपने हर दौरे की शुरुआत करते रहें हैं.  तेजस्वी कहते हैं कि नीतीश कुमार भाजपा के गोद में जाने के लिए इतने उतावले थें कि उन्होंने 2015 के विधान सभा चुनाव में मिले जनादेश की भी लाज नहीं रखी. सब कुछ प्री-प्लांड था. इसलिए महात्मा गांधी की कर्म भूमि चंपारण से नीतीश और भाजपा गिरोह की पोल खोलने की शुरुआत करेंगे.

बिहार विधान सभा में बहुमत साबित करने के दिन तेजस्वी ने नीतीश कुमार के खिलाफ जम कर निशाना साधा. नीतीश ने भाजपा के साथ मिल कर भले ही बहुमत साबित कर दिया हो, पर उस दिन बिहार की राजनीति को एक आक्रामक युवा राजनेता भी मिल गया. तेजस्वी ने जब महागठबंधन तोड़ने और जनादेश के साथ धोखा करने का आरोप नीतीश पर लगाया तो नीतीश चुपचाप बैठे रहे. जब नीतीश की बोलने की बारी आयी तो उन्होंने यह कह कर तेजस्वी के तीखे सवालों से कन्नी काट ली कि वह सारे सवालों और आरोपों का जबाब समय आने पर देंगे.

राज्य के सियासी हलकों में यह चर्चा तेज हो गई है कि महागठबंधन के टूटने से लालू यादव को भले ही सियासी नुकसान हुआ हो, पर तेजस्वी जैसा दमदार नेता मिल गया. सियासी धुरंधर पिता के साये से इतर तेजस्वी का नया रूप सामने आया है. अब लालू निश्चिंत होकर अपनी सियासी विरासत तेजस्वी को सौंप सकते हैं.

बिहार में नीतीश कुमार भी भाजपा से हाथ मिला कर लालू और उनके परिवार के पीछे पड़ गए हैं. इससे पहले भाजपा, पप्पू यादव की पार्टी जाप और जीतनराम मांझी की पार्टी हम समेत कई विरोधी दल लालू के बेटों के पीछे पड़े हुए हैं. कोई उनपर अरबों रूपए की संपति बनाने का आरोप लगा रहा है तो कोई फर्जी कंपनियों के नाम पर बैंकों से बगैर ब्याज के कर्ज लेने का ठीकरा फोड़ रहा है. राजद सुप्रीमो लालू यादव विरोधियों के आरोपों पर सफाई दर सफाई दे रहे हैं, लेकिन उनके बेटों पर आरोपों की झड़ी बढ़ती ही जा रही है.

राजद सुप्रीमो लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव पिछले कुछ सालों से अपने पिता के सियासी हथकंडों को सीखने की कवायद में जी-जान से लगे हुए हैं. महागठबंधन टूटने के बाद तेजस्वी एक युवा नेता के रूप में उभर चुके हैं. तेजस्वी की खासियत यह है कि वह अपने पिता के दलितों और पिछड़ों की सियासत को आगे बढ़ाने के साथ-साथ राज्य की तरक्की की वकालत पुरजोर तरीके से करते हैं. राष्ट्रीय जनता दल में नई जान फूंकने के साथ ही पार्टी का ज्यादातर बोझ भी अपने मजबूत कंधों पर उठा लिया है. लालू की विरासत और राजनीति को संभालने में कामयाब होते देख विरोधी दलों की बेचैनी बढ़ने लगी है और इस वजह से लालू के बेटों को परेशान करने की कोशिशों में लग गए हैं.

दलित और पिछड़ों की राजनीति कर बिहार से लेकर दिल्ली तक अपना रौब और धौंस गांठने वाले लालू यादव के बेटे आंखें मूंद कर अपने पिता के राजनीतिक फार्मूले का इस्तेमाल करने के मूड में नहीं हैं. पिता जहां दलित और पिछड़ों को आवाज देने को ही अपनी कामयाबी मानते हैं, वहीं उनके बेटे साफ कहते हैं कि पिछड़ों को तालीम दिलाने के बाद ही वाजिब तरक्की हो सकेगी. पढ़ने के बाद हर कोई अपना रास्ता खुद बना ही लेता है, उसे किसी बैसाखी की दरकार ही नहीं पड़ती है.

उन्होंने बिहार के युवा वोटरों पर अपनी नजरें गड़ा रखी थी. तेजस्वी कहते थे कि युवाओं को राजनीति और मतदान के प्रति जागरुक करने की जरूरत है, क्योंकि वह राजनीति से कटा हुआ है और वोट डालने से कतराता है. बिहार में एक करोड़ 71 लाख 9 हजार 728 युवा वोटर हैं. इनमें 18 से 19 साल के वोटरों की संख्या 19 लाख के करीब है. 20 से 29 साल के वोटरों की संख्या एक करोड़ 53 लाख के आसपास है.  युवाओं को सियासत के प्रति जागरुक करने के बाद ही सियासत का तौर-तरीका बदलेगा और सूबे की असली तरक्की हो सकेगी.

बिहार की कुल आबादी 10 करोड़ 50 लाख है और 6 करोड़ 21 लाख वोटर हैं. इनमें 27 फीसदी अति पिछड़ी जातियां, 22.5 फीसदी पिछड़ी जातियां, 17 फीसदी महादलित, 16.5 फीसदी मुसलमान, 13 फीसदी अगड़ी जातियां और 4 फीसदी अन्य जातियां हैं. सूबे में अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित 38 सीटों के अलावा 60 ऐसीर विधान सभा सीट हैं जहां दलित निर्णायक स्थिति में हैं, क्योंकि वहां उनकी आबादी 16 से 30 फीसदी है.

गौरतलब है कि तेजस्वी यादव क्रिकेट खिलाड़ी बनना चाहते थे. दिल्ली अंडर-19 क्रिकेट टीम में खेलने के बाद उन्हे आईपीएल के दिल्ली डेयर डेविल्स टीम के लिए चुना गया था. क्रिकेट में कुछ खास जलवा नहीं दिखा पाने के बाद वह पिता के कंधे पर सवार होकर सियासत के अखाड़े में कूद पड़े थे और अब वह अपनी राजनीतिक जमीन बनाने की कवायद में जी-जान से लग गए हैं. तेजस्वी की कम एजुकेशन को लेकर भी विरोधी उन पर निशाना साधते रहे हैं, पर यह भी कड़वा सच है कि संसद और विधन सभाओं में कई ऐसे ऊंची-ऊंची डिग्रियां पाए नेता हैं जो सियासी तौर पर खास कामयाब नहीं हो सके हैं. राजनीतिक विचारक हेमंत राव कहते हैं कि यह सही है कि किसी भी क्षेत्र में कामयाबी के लिए बेसिक तालीम जरूरी है, लेकिन राजनीति में ऐसी सोच ज्यादातर झूठी ही साबित हुई है. राजनीति में कामयाबी के लिए सियासी समझ, जनता की नब्ज पर पकड़ और कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति का होना जरूरी है.

आ रही है गेंहू की शुगर फ्री किस्म

शुगर यानि डायबिटीज की बीमारी से त्रस्त लोग कुछ सालों बाद यह कहने मजबूर हो ही जाते हैं कि डायबिटीज ठीक होने बाली बीमारी नहीं, बल्कि शुगर मेनेज करने का सलीका है. जाहिर है उनका इशारा परहेज की तरफ होता है. इस बीमारी में लोग शक्कर तो शक्कर, आलू और चावल जैसी ज्यादा कार्बोहाइट्रेट वाली चीजों से भी परहेज करने लगते हैं. लेकिन गेहूं जैसे रोजमरराई अनाज से मुंह मोड पाना उनके लिए मुमकिन नहीं हो पाता. इस बीमारी के बढ़ने पर एक मुकाम ऐसा भी आता है कि गेहूं से भी शुगर बढ़ने लगती है, इसलिए हाट बाजारों में मरीज मोटे अनाज वाला आटा ढूंढते नजर आते हैं, जिसमे कार्बोहाइट्रेट कम होता है.

डायबिटीज से पीड़ितों के लिए एक अच्छी खबर मध्यप्रदेश के खंडवा शहर से आ रही है जहां के भगवंतराव मंडलोई एग्रीकल्चर कालेज के वैज्ञानिकों ने गेहूं की शुगर फ्री किस्म ईजाद करने में कामयाबी हासिल कर ली है. इस किस्म को ए-12 नाम दिया गया है. कालेज के डीन डा पीपी शास्त्री और कृषि वैज्ञानिक सुभाष रावत की मानें तो ए-12 किस्म की अपनी खूबियां हैं, मसलन इसमें गेहूं की दूसरी किस्मों के मुकाबले रेशे और छिलके की मात्रा ज्यादा है और इसके गुण बाजरे की तरह हैं. मेथी के आकार वाली यह किस्म पचती भी जल्दी है, इसमे प्रोटीन की मात्रा भी कम है.

पिछले साल सफल परीक्षणों के बाद इसे किसानों को वितरित किया गया है, जिससे किसान प्रोत्साहित हों और ज्यादा से ज्यादा रकबे में इसे बोएं. अगर संबंधित सरकारी एजेंसियों ने इस किस्म को मान्यता दी तो तय है बाजार में भी खासी हलचल मचेगी, क्योंकि आटा बनाने वाली कई नामी कंपनियां अभी लगभग शुगर फ्री आटा अलग अलग तरीके से प्रचार कर बेच रही हैं, लेकिन ग्राहक उनसे आश्वस्त नहीं हैं. ए-12 किस्म चूंकि प्रामाणिक तौर पर शुगर फ्री होगी, इसलिए इसका आटा हाथों हाथ बिकना तय है. जिस तेजी से डायबिटीज के मरीजों की तादाद बढ़ रही है उसे देखते ऐसी किसी किस्म की जरूरत भी महसूस हो रही थी.   

..तो इसलिए ओलंपिक में नहीं होगी क्रिकेट की एंट्री

ओलंपिक में क्रिकेट को शामिल करने की मांग पहले भी होती रही है, लेकिन इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया गया. इस बार जब आईसीसी खुद इसके लिए प्रयास कर रही है, ऐसे में दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड बीसीसीआई क्रिकेट के ओलंपिक में शामिल होने की राह में रोड़ा बना हुआ है.

अगर ओलंपिक में क्रिकेट शामिल होता है तो भारत के लिए मेडल की संख्या बढ़ने के पूरे-पूरे आसार हैं. लेकिन आपको यकीन नहीं होगा की बीसीसीआई नहीं चाहता कि ऐसा हो. ओलंपिक में क्रिकेट को शामिल करने के लिए सबकुछ ठीक चल रहा है, इंतजार है तो बस भारत की मंजूरी का. आईसीसी और आईओसी टी20 क्रिकेट को ओलंपिक में शामिल करना चाहते हैं. लेकिन बीसीसीआई इसके लिए सहमत नहीं है.

बीसीसीआई के ओलंपिक में शामिल न होने का मुख्य कारण उसकी स्वायत्ता खत्म होना है. बीसीसीआई नहीं चाहती कि उसकी स्वायत्ता पर कोई खतरा पैदा हो.

बीसीसीआई के विरोध का दूसरा कारण राजस्व है. अगर बीसीसीआई आईओए में शामिल होता है तो उसे अपना राजस्व बांटना होगा, जो बीसीसीआई बिल्कुल भी नहीं चाहता. आईसीसी, बीसीसीआई को राजी करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. बीसीसीआई जैसे धनी बोर्ड और भारत जैसी बड़ी टीम के बिना क्रिकेट के किसी बड़े टूर्नामेंट की कल्पना करना भी मुश्किल है.

आईओसी ने ओलंपिक खेलों में क्रिकेट को शामिल करने के लिए आईसीसी से बड़ी टीमों और उसके खिलाडियों के खेलने का आश्वासन मांगा है. ऐसे में आईसीसी के लिए भारत के बिना एक कदम चलना भी मुश्किल है. आईओसी पहले ही साफ कर चुका है कि जब तक बड़ी टीमों और उसके बड़े खिलाडियों के खेलने आश्वासन नहीं मिलता आईओसी, आईसीसी के ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं करेगा.

आईसीसी के पास सितंबर तक का समय है, जिसके भीतर उसे आईओसी को अपना फैसला बताना है, ताकि इसके आगे की प्रक्रिया को पूरा किया जा सके. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासकों की समिति ने बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी से क्रिकेट को ओलंपिक में शामिल करने संबंधित रिपोर्ट मांगी है.

बीसीसीआई अगर सहमत होता है तो 2024 के ओलंपिक में क्रिकेट को शामिल किया जा सकता है. ओलंपिक में क्रिकेट का आयोजन 1990 पेरिस ओलंपिक में किया गया था. 2024 पेरिस में होने वाला ओलंपिक एक बार फिर से ओलंपिक में क्रिकेट का वापसी स्थल बन सकता है. आईसीसी टी20 क्रिकेट को ओलंपिक में आयोजित करना चाहता है.

क्या रणवीर सिंह बनेंगे कपिल देव!

बौलीवुड में अफवाहों का दौर सदैव निर्बाध गति से चलता रहता है. इन दिनों बौलीवुड में चर्चाएं गर्म हैं कि असफल फिल्म ‘ट्यूबलाइट’ के बाद फिल्मकार कबीर खान और अभिनेता सलमान खान के बीच दूरियां बढ़ गयी हैं. इसलिए अब कबीर खान ने रणवीर सिंह के संग दोस्ती बढ़ानी शुरू की है.

बौलीवुड में यह चर्चा भी गर्म है कि कबीर खान बहुत जल्द 1983 विश्व कप विजय गाथा को चित्रित करने वाली फिल्म निर्देशित करने वाले हैं, जिसमें कपिल देव का किरदार रणवीर सिंह निभाने वाले हैं. मजेदार बात यह है कि रणवीर सिंह के प्रवक्ता ने इस चर्चा पर गोलमोल जवाब दिया है. मगर सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या 1983 के विश्व कप विजय गाथा पर फिल्म वास्तव में बनेगी.

सूत्रों के अनुसार ‘‘फैंटम फिल्मस’’ से जुड़े मधु मैंटोना ने इस फिल्म का निर्माण करने की बात कही थी. उनकी इस बात पर लोगों को यकीन भी हुआ क्योंकि मशहूर क्रिकेटर विवियन रिचर्ड और अभिनेता नीना गुप्ता की बेटी मासाबा, मधु मैंटोना की पत्नी है. इसलिए मधु के सभी क्रिकेटरों से संबंध है. वह क्रिकेटरों से फिल्म बनाने के अधिकार हासिल कर सकते हैं.

मगर सबसे बड़ा सवाल यह है कि अब बदले हुए हालातों में ‘‘फैंटम फिल्मस’’ की क्या स्थिति है. सर्वविदित है कि ‘‘फैंटम’’ में मधु मैंटोना के अलावा विक्रमादित्य मोटावणे, अनुराग कश्यप और विकास बहल चार भागीदार हैं. मगर पिछले दिनों एक तूफान का ऐसा झोंका आया था, जब यह चारो अलग हुए थे. उसके बाद से ‘‘फैंटम’’ की स्थिति क्या है, यह साफ नहीं है. दूसरी बात कंपनी के चारो भागीदार अलग होने के बाद भी मधु मैंटोना इस फिल्म का निर्माण कर रहे हैं या नहीं, इस बाबत कोई साफ तस्वीर सामने नहीं आ पायी है.

तो वहीं इन दिनों रणवीर सिंह के करियर की भी स्थिति डांवाडोल ही नजर आ रही है. ‘‘बाजीराव मस्तानी’’ की सफलता के बावजूद पिछले डेढ़ वर्ष से ‘पद्मावती’ के अलावा रणवीर सिंह के पास कोई फिल्म नहीं है. कहीं क्रिकेट पर इस फिल्म की चर्चा के पीछे रणवीर सिंह और कबीर खान का खुद को सूर्खियों में बनाए रखना मात्र मकसद तो नहीं.

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