कांग्रेस हिमाचल प्रदेश विधानसभा में नए चेहरों को मैदान में उतार सकती है. चुनाव से ठीक पहले पार्टी की अंदरूनी रिपोर्ट में पता चला है कि वहां स्थिति अच्छी नहीं है. पार्टी ने सख्त फैसले नहीं लिए, तो हार तय है. बता दें की पिछले कई चुनाव से राज्य में सत्ता परिवर्तन होता रहा है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि मौजूदा स्थितियों के मुताबिक हिमाचल में कांग्रेस चुनाव लड़ती नहीं दिख रही है. पार्टी को चुनाव में बने रहना है, तो उसे उम्मीदवार बदलने होंगे.
विधायकों से नाराजगी
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पिछली बार 36 सीट जीती थी. पार्टी सूत्रों का कहना है कि यदि सभी विधायको को टिकट दिया गया तो पार्टी आधी से भी कम सीट जीत पाएगी. कई विधायकों के खिलाफ जबरदस्त नाराजगी है.
चेहरे बदलने से नाराजगी कम
हिमाचल प्रदेश में वोट प्रतिशत में पांच फीसदी का फर्क सत्ता बदल देता है. ऐसे में पार्टी को नए चेहरों को मैदान में उतारकर मतदाताओं की नाराजगी को कम कर सकती है. इसका सीधा फायदा विधानसभा चुनाव में भी मिलेगा.
टिकट कटने से अधिक नुकसान नहीं
पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि हिमाचल प्रदेश में विधायकों के टिकट कटने से अधिक नुकसान नहीं होगा. क्योंकि, उनके भाजपा में शामिल होकर उम्मीदवार बनने की संभावना कम है. हिमाचल प्रदेश में भाजपा के पास अपने उम्मीदवार है. ऐसे में वह निर्दलीय चुनाव लड़ते भी हैं, तो अधिक नुकसान नहीं कर पाएंगे. मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के लिए भी यह चुनाव आसान नहीं होगा. अभी जो स्थिति है उसके मुताबिक ज्यादा मार्जिन से चुनाव जीतना उनके लिए चुनौती होगी. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 43 फीसदी वोट मिले थे.