केंद्र सरकार ने 2022 तक शहरी गरीबों के लिए बनाए जाने वाले घरों की संख्या में कमी की है. ऐसा राज्य सरकारों द्वारा किए गए ताजे आंकलन को ध्यान में रखकर किया गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पहले जहां देश में 1.8 करोड़ नए घर बनाने की जरूरत थी, वहीं अब सरकार ने 1.2 करोड़ नए घर बनाने की बात कही है. 1.8 करोड़ नए घर बनाने का अनुमान 2012 के प्रोजेक्शन पर आधारित था. मंत्रालय ने देश के अलग-अलग हिस्सों में अगले 18 महीनों के दौरान कम से कम 6-8 प्राजेक्ट्स बनाने के लिए रोडमैप की घोषणा की है.

आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि कुछ राज्य अभी आंकड़े जुटा रहे हैं. हमारा लक्ष्य आवासों के निर्माण में तेजी लाने का है. उनके आंकड़ो के अनुसार ऐसे बहुत से बेघर परिवार हैं, जिन्हे घर मुहैया करा दिया गया है. उन्होंने कहा इसके लिए सरकार नई टेक्नोलौजी लाएगी ताकि घरों का निर्माण तेजी से होने के साथ ही उनकी क्वालिटी भी बेहतर हो सके. केंद्र सरकार के प्लान के मुताबिक, शहरी गरीबों के लिए सस्ते आवास बनाने और टेक्नालौजी प्रदर्शन के लिए ग्लोबल कंपनियों को बुलाया जाएगा. फिर इनमें से कुछ कंपनियों का चयन किया जाएगा.

मंत्रालय सस्ते हाउजिंग कंस्ट्रक्शन के लिए टेक्नोलौजी चैलेंज का आयोजन करेगा और ग्लोबल कंपनियों को 'कम से कम कीमत और कम से कम समय' में घर बनाने का मौका देगी. निर्माण के लिए घरेलू नियमों का पालन के साथ स्थानीय मेटेरियल का इस्तेमाल किया जाएगा. यह पहल प्रधानमंत्री आवास योजना प्रौजेक्ट का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य 2022 तक सभी गरीब परिवारों को घर देना है.

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