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जानें कैसे फेसबुक की एक गलती से हैक हो सकता है आपका डाटा

एंटी वायरस साफ्टवेयर बनाने वाली मशहूर कंपनी कैसपर्सकी लैब के एक रिसर्चर ने ऐसे मालवेयर का पता लगाया है जो कि फेसबुक मैसेंजर के माध्यम से आपके डिवाइस पर अटैक करता है. सुरक्षा फर्म तेजी से फेसबुक मैसेंजर पर फैल रहे इस मालवेयर का पता लगाने में असक्षम है. सुरक्षा फर्म यह पता भी नहीं लगा पाई कि यह आखिर फैल कैसे रहा है.

कैसपर्सकी की रिपोर्ट के मुताबिक मैलवेयर चोरी हुए क्रेडेंशियल्स, हाइजैक हुए ब्राउजर या क्लिक-जैकिंग के माध्यम से फैल सकता है. सुरक्षा फर्म अभी भी इसका पता लगाने में लगी है कि कैसे यह वायरस फैल रहा है. यह वायरस एक लिंक के माध्यम से फैल रहा है. यह वायरस डेविड वीडियो के नाम से आता है, इसमें एक लिंक दिया हुआ होता है. यह वायरस सोशल इंजीनियरिंग का नतीजा है. यह यूजर को एक पौइंट पर क्लिक करने के लिए कहता है, यह पौइंट गूगल डौक्स का है.

यह गूगल डौक एक मूवी प्ले करने की तरह दिखाई देता है. इसमें यूजर की प्रोफाइल पिक्चर का भी इस्तेमाल होता है. इसकी वजह से यूजर इस पर क्लिक करने के लिए उत्साहित होता है. जब यूजर इसपर क्लिक करता है तो वायरस उन वेबसाइटों का डेटा ले लेता है जो यूजर के ब्राउजर में चली होती हैं.

कैसपर्सकी ब्लौग पोस्ट के मुताबिक वायरस मूल रूप से वेबसाइटों के एक सेट के माध्यम से यूजर के ब्राउजर को मूव करता है, ट्रैकिंग कुकीज का इस्तेमाल करता है, आपकी गतिविधि पर नजर रखता है, आपके लिए कुछ विज्ञापन दिखाता है और यहां तक ​​कि कुछ मामलों में लिंक पर क्लिक करने के लिए सोशल इंजीनियर्स का इस्तेमाल करता है.

वायरस को किसी ट्रोजन्स से लिंक नहीं किया जा सकता है. सुरक्षा खतरे में रहने का अंदेशा होता है, लेकिन यह यूजर को ट्रैक कर रहा होता है. सुरक्षा एजेंसी ने पाया है कि यह भाषा, लोकेशन, औपरेटिंग सिस्टम, ब्राउजर इंफोर्मेशन, इंस्टौल किए हुए प्लग-इन और कुकीज से यूजर्स को ट्रैक करता रहता है. कैसपर्सकी के मुताबिक नए वायरस बनाने वाले लोगों को अवांछित विज्ञापन और कई फेसबुक खातों तक पहुंच प्राप्त करने का पैसा मिल रहा है.

एपल आईफोन 8 को लेकर अटकलों का बाजार गरम, 12 सितम्बर को होगा लौन्च

एपल अपने नये आईफोन 8 पर जोरों से काम कर रही है. लौन्च से पहले इसे लेकर अटकलों का बाजार गरम है. फ्रेंच वेबसाइट ‘मेक फार एवर’  के मुताबिक आईफोन एठ 12 सितम्बर को लौन्च होगा और 22 सितम्बर से बाजार में सेल के लिए भी उपलब्ध हो जाएगा. ऐसी उम्मीद है कि आईफोन 8 कंपनी का सबसे इनोवेटिव आईफोन होने के साथ ही ये अबतक का सबसे मंहगा आईफोन होगा. न्यूयार्क टाईम्स की मानें तो आईफोन के प्रीमियम माडल आईफोन 8 की कीमत अमेरिका में 999 डालर( लगभग 64000 रुपए) होगी.

पिछली लीक रिपोर्ट्स के मुताबिक आईफोन 8 में 5.8 इंच वाली ओल्डग्लास स्क्रीन होगी. इसकी मदद से ये स्क्रीन अनलाक करने के लिए, फिंगरप्रिंट्स को रिप्लेस कर फेसरीड कर पाएगा. आईफोन 8 ऐसा पहला फोन होगा जिसमे 3D कैमरा होने के साथ आपको वायरलेस चार्जिंग की सुविधा भी दी जाएगी. ये नया नेक्सट जनरेशन स्मार्टफोन होगा. हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

इस पर सस्पेंस बरकरार है कि आईफोन 8 में एपल स्क्रीन फिंगरप्रिंट सेंसर तकनीक देगी या नहीं. एक रिपोर्ट के मुताबिक क्वालकाम की इन स्क्रीन फिंगरप्रिंट्स के तकनीक की शिपिंग में देरी हो सकती है. ऐसे में उम्मीद है कि एपल टच आईडी सेंसर तकनीक आईफोन 8 में नहीं देगा.

रिपोर्ट की माने तो इस फोन का आपरेटिंग सिस्टम आइओएस 11 अपडेट के साथ आएगा जिससे सिरी और ज्यादा स्मार्ट हो जाएगा. इसके फेस स्कैनर के बारे में काफी बाते की जा रही है.

सरकारी बैंकों के विलय के लिए सरकार ने की ये व्यवस्था

मोदी सरकार बैंकों के उपर जोर दे रही है क्योंकि आज की तारीख में दुनिया के शीर्ष पर जितने भी बैंक हैं उनमें एक भी भारतीय बैंक शामिल नहीं है. देश में इस समय 21 सरकारी बैंक है. सरकार कह चुकी है कि देश में भले ही कम बैंक हो, पर जितने भी बैंक होंगे उनका बेहद मजबूत होना जरूरी है.

बैंको के विलय के पहले चरण मे भारतीय स्टेट बैंक में उसके पांच सहयोगी बैंकों जैसे स्टेट बैंक आफ पटिलाया, स्टेट बैंक आफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक आफ हैदराबाद, स्टेट बैंक आफ मैसूर और स्टेट बैंक आफ त्रावणकोर के साथ भारतीय महिला बैंक को मिलाया जा चुका है. अब उसी के साथ कई और छोटे बैंकों को बड़े बैंकों के साथ मिलाये जाने की खबरें हैं.

सरकारी बैंकों के विलय के लिए रास्ता तैयार हो गया है. मंत्रिमंडल की ओर से मंजूर किये गए प्रस्ताव के तहत विलय का प्रस्ताव वैकल्पिक व्यवस्था के समक्ष लाया जाएगा. यह वैकल्पिक व्यवस्था एक अंतर मंत्रालीय समूह व्यवस्था होगी. अंतिम फैसले के लिए उसे केद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा. अंत में भारत सरकार, रिजर्व बैंक के साथ राय-मशवरा कर विलय का औपचारिक तौर पर ऐलान करेगा. फिलहाल, अभी ये तय नहीं कि अंतर मंत्रालीय समूह व्यवस्था में कौन-कौन लोग होंगे, लेकिन यह उम्मीद की जा रही है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली इसके मुखिया होंगे.

चर्चा है कि विभिन्न छोटे और मझौले सरकारी बैंकों को एक बड़े सरकारी बैंक में मिला दिया जाएगा. सरकारी बैंकों की कुल संख्या ज्यादा से ज्यादा 10 तक सीमित रखने की कोशिश की जा रही है

बैंकों को मजबूत और प्रतिस्पर्धी बैंक बनाने का फैसला पूरी तरह से व्यावसायिक हितों पर आधारित है. वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि विलय को लेकर अभी कोई समय-सीमा तय नहीं की गयी है. साथ ही ये भी तय नहीं है कि कुल कितने बैंक रहेंगे.

सरकार का दावा है, कम लेकिन मजबूत सरकारी बैंक रखे जाने की बात तो 1991 में ही की गयी थी, लेकिन इस सोच पर अमल मई 2016 में हुआ था तब, जब छह बैंकों को भारतीय स्टेट बैंक के साथ मिलाने का फैसला हुआ था. ये विलय रिकार्ड समय में पूरा हुआ जबकि स्टेट बैंक आफ सौराष्ट्र और स्टेट बैंक आफ इंदौर के भारतीय स्टेट बैंक में विलय में बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ा था.

सरकार का कहना है कि भारतीय स्टेट बैंक आज एकीकृत बैंक बन चुका है जिसकी लगभग 24 हजार शाखाएं, 59 हजार से ज्यादा एटीएम, और 50 हजार से ज्यादा बिजनेस करेस्पोंडेंट है. बैंक की 70 फीसदी से ज्यादा शाखाएं अर्द्धशहरी और ग्रामीण इलाकों में है.

राम रहीम के आश्रम में पढ़ाता था ये बिग बौस कंटेस्टेंट

रेप के दोषी करार दिए जाने के बाद राम रहीम को 20 साल की सजा सुनाई गई है. सोशल मीडिया पर लोग उनके खिलाफ गुस्सा निकाल रहे हैं. ऐसे में बिग बौस में नजर आ चुके एक कंटेस्टेंट ने भी उन पर निशाना साधा है.

बता दें कि ये कंटेस्टेंट हैं नवीन प्रकाश जो बिग बौस 10 में नजर आए थे. नवीन की एंट्री बिग बौस में कौमन कंटेस्टेंट के तौर पर हुई थी. वह इंडियावालों की टीम में थे.

नवीन एक टीचर हैं. नवीन ने 26 अगस्त को एक फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि वह राम रहीम के अड्डे (आश्रम को उन्होंने सही शब्द नहीं माना है) पर आईएस (IAS) की तैयारी कर रहे छात्रों को पढ़ाने जाते थे और उन्हें वहां कुछ ठीक महसूस नहीं होता था.

नवीन ने इस पोस्ट को शेयर करने की अपील करते हुए लिखा कि इसे उन लोगों तक पहुंचाना जरूरी है जिन्होंने उनकी चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया. दरअसल, नवीन ने वहां लोगों को अं‍धभक्त‍ि छोड़कर किताबों और तर्क को अपनाने की सलाह दी थी.

लोगों ने उनकी नहीं सुनी. हालांकि इसकी वजह भी नवीन ने अपने फेसबुक अकाउंट पर इस पोस्ट के जरिए बता ही दी है कि बाबाओं के पास हम चप्पल के साथ अपना दिमाग भी बाहर निकाल कर जाते हैं.

औनलाइन पैसे ट्रांसफर करने से पहले जरूर जान लें ये बातें

नोटबंदी के फैसले के बाद देश के फाइनेंशियल इकोसिस्टम में क्रांतिकारी बदलाव आया है. 9 नवंबर 2016 के बाद से डिजिटल ट्रांजेक्शन की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है. इस फैसले के बाद लोगों के पास नकदी के संकट को देखते हुए एनईएफटी, आरटीजीएस, ई-वालेट और यूपीआई ग्राहकों की मदद करने वाले विकल्पों के तौर पर तेजी से उभरे हैं. हालांकि इन तमाम विकल्पों के बीच ग्राहक अब इस दुविधा में हैं कि इनमे से किस विकल्प को चुनना उनके लिए बेहतर होगा. इसलिए कोई भी विकल्प चुनने से पहले जान लें ये बातें.

क्या होता है NEFT

राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) एक बैंक खाते से दूसरे में फंड ट्रांसफर करने का सबसे आम तरीका है. इसमें ट्रांसफर किए जाने वाली फंड राशि पर कोई भी लिमिट लागू नहीं है. इसकी प्रक्रिया भी आसान होती है.

एनईएफटी ट्रांसफर पर शुल्क लिया जाता है, जो कि कर के साथ-साथ 2.50 रुपए से लेकर 25 रुपए तक हो सकता है. एक बार में एनईएफटी के जरिए अधिकतम 10 लाख रुपए तक भेजे जा सकते हैं.

क्या है RTGS

रीयल टाइम ग्रास सेटलमेंट (RTGS) बैंकों में फंड ट्रांसफर का एक तरीका है, जो व्यक्तिगत खाता धारकों या समूह में ग्राहकों को किया जाता है. इसके तहत जब फंड प्राप्त किया जाता है, तभी उसे आगे भुगतान या ग्राहक के निर्देशानुसार अन्य उपयोग के लिए बढ़ा दिया जाता है. इस फंड को आगे प्रक्रिया के लिए नहीं टाला जाता.

यह फंड ट्रांसफर एक और अन्य तरीके से एनईएफटी से अलग होता है. एनईएफटी के तहत फंड ट्रांसफर एक निर्धारित समय पर ही होता है. मसलन, कार्यदिवस के दौरान हर एक घंटे पर इसके तहत फंड ट्रांसफर होते हैं, जबकि आरटीजीएस फंड को तत्काल ट्रांसफर करने के लिए प्रक्रिया में लगा दिया जाता है.

इसके तहत भेजा जाने वाला न्यूनतम अमाउंट 2 लाख रुपए होता है, बाकी अधिकतम में इस पर कोई सीमा नहीं है. आरटीजीएस में रिलय टाइम बेस पर पैसा ट्रांसफर किया जा सकता है इसीलिए इसमें शुल्क भी ज्यादा लिया जाता है.

क्या है UPI

यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) सर्विस अप्रैल 2016 में शुरू की गई थी. यूपीआई यूजर के बैंक अकाउंट से जुड़ा रहता है. इसलिए जब भी आपको कोई ट्रांसेक्शन करना हो तो आपको हर बार जानकारियां नहीं इनपुट करना पड़ेगा. जैसे ही आप यूपीआई के लिए रजिस्टर करते हैं तो आपको एक वर्चुअल आईडी, टीपिन या एमपिन मिलता है, जिससे आप ट्रांजेक्शन्स कर सकते हैं.

यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के जरिए आप औनलाइन तरीके से पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं. इसे नेशनल पेमेंट कारपोरेशन आफ इंडिया (एनसीपीआई) ने बनाया है और उसका दावा है कि यूपीआई के जरिए आप केवल एसएमएस के जरिए भी रकम ट्रांसफर कर सकते हैं.

फेसबुक पर अपलोड करते हैं फोटो तो ये खबर आपके लिए ही है

फेसबुक पर जब आप फोटो शेयर करते हैं तो अक्सर आपने गौर किया होगा कि फोटो की क्वालिटी वही नहीं रहती जो कि आपने अपने डेस्कटाप पर देखी थी. वहीं फेसबुक देखने के दौरान आपने इस बात को भी नोटिस किया होगा कि कुछ फोटो बहुत अच्छे दिखाई देते हैं जबकि वही फोटो किसी दूसरे के शेयर में डल हो जाता है.

क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है. फेसबुक पर अपलोड किए गए फोटो की क्वालिटी क्यों खराब हो जाती है या फिर क्यों फोटो डल हो जाते हैं? फेसबुक पर करीब 35 करोड़ नए फोटो रोज अपलोड होते हैं.

इतने ज्यादा फोटो अपलोड होने की वजह से ज्यादा डेटा स्टोर होगा तो साइट धीमी पड़ सकती है, यहां तक कि क्रैश भी हो सकती है. इससे बचने के लिए फेसबुक आपके फोटो को औटोमैटिकली एक डिफाल्ट साइज में बदल देता है.

बता दें कि रेग्युलर फोटो के लिए फेसबुक के डिफाल्ट साइज 720px, 920px, 2048px हैं, जबकि कवर फोटो के यह साइज (851×315)px है. इसके साथ ही फेसबुक हाई क्वालिटी फोटो को कम्प्रेस करके उनकी क्वालिटी भी गिरा देता है.

यदि आप चाहते हैं कि फेसबुक पर जो फोटो अपलोड करें उसकी क्वालिटी खराब न हो तो उसका भी उपाए है. ऐसे में आप अपने फोटो को अपलोड करने से पहले नीचे दिए गए टिप्स आजमा सकते हैं.

हाई क्वालिटी फोटो का करें चुनाव

आप जब फेसबुक से फोटो शेयर करते हैं बगैर कुछ देखे एल्बम में फोटो अपलोड कर देते हैं. परंतु वहां एक विकल्प होता है हाई क्वालिटी फोटो का. एल्बम में फोटो अपलोड करने के समय इस विकल्प का चुनाव करें. इससे आपके फोटो की क्वालिटी बनी होगी. हाई क्वालिटी फोटो का विकल्प आपको सिर्फ अल्बम के औप्शन में ही दिखाई देगा. अगर आप फोटो अपलोड का विकल्प चुनते हैं तो नहीं मिलेगा.

पिक्सल का भी रखें ध्यान

फेसबुक ने भी यह जानकारी दी है कि यदि आप हाईक्वालिटी पिक्चर फेसबुक पर अपलोड करना चाहते हैं तो कम से कम 2048 पिक्सल के फोटोग्राफ का चुनाव करें और अल्बम में हाई क्वालिटी का विकल्प चुनें. इससे आपके फोटोग्राफ की क्वलिटी बनी रहेगी.

पिक्चर मोड और साइज

फेसबुक पर फोटो अपलोड के समय यह भी ध्यान रखें कि पिक्चर जेपीईजी फार्मेट में हो और पिक्चर का मोड आरजीबी हो. इससे फेसबुक पर शेयर किए गए फोटोग्राफ बिल्कुल अच्छी क्वालिटी में प्रदर्शित होंगे. वहीं यह भी ध्यान दें कि जिस फोटोग्राफ को आप फेसबुक पर अपलोड कर रहे हों वह 100 केबी से कम का हो. इससे ज्यादा का हुआ तो फेसबुक आपके फोटो को कंप्रेस कर देगा.

कवर फोटो का भी रखें ध्यान

यदि आप चाहते हैं कि आपके फेसबुक के कवर फोटो की भी क्वलिटी बनी रहे तो आप इसके लिए 851X315 पिक्सल के फोटोग्राफ का चुनाव करें. आपका फोटो जस के तस फेसबुक कवर में अपलोड होगा.

पिक्चर मोड और साइज

फेसबुक पर फोटो अपलोड के समय यह भी ध्यान रखें कि पिक्चर जेपीईजी फार्मेट में हो और पिक्चर का मोड आरजीबी हो. इससे फेसबुक पर शेयर किए गए फोटोग्राफ बिल्कुल अच्छी क्वालिटी में प्रदर्शित होंगे. वहीं यह भी ध्यान दें कि जिस फोटोग्राफ को आप फेसबुक पर अपलोड कर रहे हों वह 100 केबी से कम का हो. इससे ज्यादा का हुआ तो फेसबुक आपके फोटो को कंप्रेस कर देगा.

डायरेक्ट लिंक शेयर करें

दूसरे वेबसाइट पर जब कुछ अच्छे फोटोग्राफ दिखाई देते हैं तो उपभोक्ता पहले उसे डाउनलोड कर तब फेसबुक पर शेयर करते हैं. इससे भी फोटो की क्वलिटी खराब होगी. फोटो डाउनलोड करने के बजाए अच्छा है कि आप सीधा उसी लिंक को फेसबुक पर शेयर कर दें. इससे फोटो की क्वालिटी वही बनी रहेगी जो पहले थी.

थर्ड पार्टी होस्ट साइड

यदि आप चाहते हैं कि आप जो फोटो फेसबुक पर शेयर करें वह बेहद उच्च क्वलिटी को हो तो आप थर्ड पाटी होस्टिंग साइट का सहारा ले सकते हैं. फ्लिकर, इमगर और सैमसंग सहित कई ऐसे साइट हैं जहां आप बड़े फोटोग्राफ रख सकते हैं और उसे सीधा फेसबुक पर शेयर कर सकते हैं.

फोटो करें शेयर करें

यदि आपको फेसबुक पर कुछ अच्छे फोटोग्राफ नजर आते हैं तो फेसबुक अकाउंट से ही उसे सीधा शेयर कर दें. बजाए इसके के डेस्कटाप पर डाउनलोड और फिर से उसे रीअपलोड करने के. डाउनलोड और रीअपलोड में भी फोटोग्राफ की क्वालिटी खराब होती है.

अनुष्का नहीं इस लड़की के साथ डांस कर विराट ने मनाया जीत का जश्न

टीम इंडिया ने श्रीलंका को पांच मैचों की वनडे सीरीज के पहले तीन मैचों में हराकर टेस्ट के बाद वनडे सीरीज पर भी अपना कब्जा कर लिया है. जीत के बाद अपने जश्न के लिए मशहूर टीम इंडिया के कप्तान डांस करते नजर आ रहे है.

इसी बीच सोशल मीडिया पर पार्टी का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें आप विराट की डांस पार्टनर को देखकर खुश हो जाएंगे. विराट ने इस जश्न में अनुष्का शर्मा के साथ नहीं बल्कि एक छोटी सी बच्ची के साथ डांस किया. विराट पार्टी में हमेशा से दिलकश डांस करते हैं. श्रीलंका के खिलाफ जीत के बाद विराट ने डांसिंग फ्लोर पर दो साल की एक नन्हीं बच्ची के साथ बेहद प्यारा डांस किया. यह बच्ची टीम इंडिया के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी की दो साल की बेटी आईराह है.

मोहम्मद शमी ने दोनों के डांस का वीडियो अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया. डांस करते हुए शमी की 2 साल की बेटी बड़ी ही क्यूट लग रही है. मस्ती में डांस करते हुए आईराह अपने हाथ यहां-वहां हिलाने लगती है तो विराट कोहली भी उन्हें कापी करने लगते हैं. आईराह गोल-गोल घूमकर डांस करती है तो कोहली भी उनका साथ देते हैं और खुद भी गोल-गोल घूमना शुरू कर देते हैं. दोनों के इस क्यूट डांस का यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है.

आपको बता दें कि टीम इंडिया श्रीलंका को पहले 3 वनडे में हरा कर वनडे सीरीज अपने नाम कर चुकी है. अब अगले दो मैच महज औपचारिक मात्र रह गए हैं. चौथा वनडे 31 अगस्त को कोलंबो में खेला जाएगा.

प्रेम और प्रेमविवाह के बीच की इस खाई को आप भी समझिए

दिल्ली के एक होटल में 2 युवाओं ने 14 जुलाई को आत्महत्या कर ली और चूंकि उन्होंने कोई नोट नहीं छोड़ा, सो, यही लगता है कि उन्हें डर रहा होगा कि उन का प्यार दोनों के घर वाले स्वीकार न करेंगे. उन की उम्र अभी ऐसी न थी कि वे शादी कर घर बसा लेते पर प्यार की पार्टनरशिप चालू हो गई थी बिना शर्तों के पहचाने जाने.

प्यार में यही खराबी है कि शर्तें बाद में लिखी जाती हैं, पार्टनरशिप पहले हो जाती है. आम पार्टनरशिप में शर्तों की लंबी लिस्ट बन जाती है और भविष्य में परेशानी हो तो लिस्ट ले कर अदालत का दरवाजा खटखटाया जा सकता है. अभी हाल में बर्गर की बादशाह कंपनी मैक्डोनल्ड और उस की भारतीय सहयोगी विक्रम बक्शी की कंपनी के बीच पार्टनरशिप का विवाद चल रहा है और उन का विवाह टूटने पर है. लेकिन आत्महत्या की नौबत आएगी, ऐसा नहीं लगता.

शर्तों वाला प्यार दरअसल प्यार की भावना के खिलाफ होता है. पर दिक्कत है कि शर्तों का पिटारा दोनों के मन में होता है जो प्यार के परिपक्व होने पर या विवाह होने के बाद परतदरपरत खुलता है. दोनों को नहीं मालूम होता कि उस का पार्टनर प्यार और उस के बाद विवाह से क्याक्या चाहेगा और उसे कैसे पूरा किया जाएगा.

सदियों पुराने धर्मों ने शादी के बाद के तो कुछ नियम बना रखे हैं पर प्यार के बाद के नियमों के बारे में वे चुप हैं या उसे नकारते हैं. शायद उन्हें एहसास है कि प्यार के नियमकानून बनाना कठिन है. इसलिए वे कहते हैं कि भई, प्यार मत करो, शादी कर लो, फिर हम देख लेंगे.

प्यार के नियम बहुत जरूरी हैं और 21वीं सदी में उन्हें फिर से लिखना जरूरी है क्योंकि अब लड़का व लड़की दोनों आजाद हैं, स्वावलंबी हैं और बराबर के सक्षम हैं. अब पार्टनरशिप बराबर की होती है जिस में त्याग कम, सहयोग ज्यादा होता है. लेकिन इस टेढ़ी खीर से निबटना अब मुश्किल हो गया है. प्यार के दौरान ही ब्रेकअप, बदला, हिंसा, रोनाधोना अब आम है क्योंकि प्यार के दौरान किसे क्या करना है, यह किसी को नहीं मालूम.

मजाक नहीं, सीरियसली, कंपनी अदालतों और वैवाहिक अदालतों की तरह अब प्यार की अदालतें भी खुलनी चाहिए. इन्हें सरकारें बनाएं, जरूरी नहीं. कालेज, औफिस, एनजीओ प्यार की अदालतों को चला सकते हैं. इन अदालतों में प्रेमी युगल अपनी शिकायतें ले कर जाएं और किसी तीसरे से फैसला पाएं कि दोनों में से किसे, कब, क्या करना चाहिए या नहीं करना चाहिए. प्रेम तो विवाह की नींव है और विवाह समाज को बल व मजबूती देने वाला किला. देश की उन्नति में सफल विवाहित नागरिक सफल उद्योगों की तरह जरूरी हैं.

युवाओं पर गिद्द नजरें और धर्मरक्षा के नाम पर खड़ा होता बखेड़ा

अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले यात्रियों की बस पर आतंकवादियों का हमला साफ करता है कि देश में अभी धर्मयुद्ध के थमने के आसार नहीं हैं और यह भी पक्का है कि इस में काफी युवाओं का भविष्य मिट्टी में मिलेगा. 2002 में गोधरा में एक ट्रेन में आग लगने के कारण हुई 59 यात्रियों की मौतों के लिए मुसलिम समुदाय को जिम्मेदार ठहरा कर महीनों तक गुजरात के विभिन्न शहरों में आम निर्दोष मुसलिमों से बदला लिया गया था. तब भी हजारों युवाओं ने मारने में साथ दिया था और सैकड़ों मरे थे.

धार्मिक विवादों में सदियों से युवा शिकार बनते रहे हैं. धर्मरक्षा के नाम पर जब भी कोई बखेड़ा खड़ा होता है, युवाओं को आगे कर दिया जाता है और बुजुर्ग, धर्म के दुकानदार, नेता, अमीरउमराव पीछे से संचालन करते रहते हैं. मरने वाले भी युवा ही होते हैं, मारने वाले भी. पश्चिमी एशिया में आतंकवाद की राह पर चल रहे इसलामिक स्टेट की विचाराधारा वाले मुसलिमों के दूसरे मुसलिमों के साथ युद्घ में मारने वाले मुसलमान, मरने वाले मुसलमान और शरणार्थी बने बच्चे भी मुसलमान, ज्यादातर युवा या युवा होने की दहलीज पर खड़े.

भारत में गौरक्षकों की जो फौज तैयार हो रही है उस में युवा ही हैं. वे गुट बना कर किसी भी पशु व्यापारी को रोक कर मारपीटने का हक रखते हैं क्योंकि सरकारों ने पुलिस से कह रखा है कि इस तरह के मामलों में वह आंख मूंद कर रखे. पशु व्यापारियों को नुकसान होता है, वह अलग. पर बड़ी महत्त्व की बात यह है कि युवाओं को हिंसा की लत पड़ जाती है. उन्हें यह एहसास हो जाता है कि कानून के कागजी महल में छेद करना बहुत आसान है.

अमरनाथ यात्रियों की मौत अगर एक नया देशव्यापी संघर्ष शुरू कर दे तो आश्चर्य न होगा. यहां धर्म का बारूद तो तैयार है. बस, चिनगारी की जरूरत है. देश में जगहजगह आग लगने लगे तो शिकार युवाओं के सपने होंगे. प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष तो बयान देते रह जाएंगे पर जिन्हें अभी 50-60 साल जीना है उन का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा.

2017 में देश सैकड़ों वर्ष पुराने धर्म के नाम पर अपनी युवाशक्ति को बरबाद करेगा तो निश्चित ही हम आगे बढ़ने के बजाय गरीबी, गंदगी की ओर बढ़ेंगे और युवाओं की आशा कि हम चीन, यूरोप, अमेरिका, सिंगापुर जैसे बसेंगे, हवा में बह जाएगी.

बैनर ने पकड़वाया कातिल, हत्या की ये है हैरतअंगेज कहानी

पटना गया रेलवे लाइन के पास कई टुकड़ों में मिली लाश की गुत्थी को एक बैनर ने सुलझा दिया. 45 साला गीता की लाश के कुछ टुकड़े सरस्वती पूजा के लिए बने बैनर में लिपटे मिले थे. उस बैनर पर फ्रैंड्स क्लब, कुसुमपुर कालोनी, नत्थू रोड, परसा बाजार लिखा हुआ था.

इस गुत्थी को सुलझाने के लिए सदर अनुमंडल पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार मंडल की अगुआई में जक्कनपुर थाना इंचार्ज अमरेंद्र कुमार झा और परसा बाजार थाना इंचार्ज नंदजी प्रसाद व दारोगा रामशंकर की टीम बनाई गई.

पूछताछ के बाद पता चला कि उस बैनर को रंजन और मेकैनिक राजेश अपने साथ ले कर गए थे. पुलिस ने तुरंत राजेश को दबोच लिया. राजेश से पूछताछ करने के बाद कत्ल की गुत्थी चुटकियों में हल हो गई. गीता का कत्ल उस के अपनों ने ही कर डाला था. कत्ल से ज्यादा दिल दहलाने वाला मामला लाश को ठिकाने लगाने के लिए की गई हैवानियत थी.

गीता के पति उमेश चौधरी, बेटी पूनम देवी और दामाद रंजन ने मिल कर गीता का कत्ल किया था. रंजन और उस के दोस्त राजेश ने मिल कर लाश को 15 छोटेछोटे टुकड़ों में काटा. उमेश, पूनम और राजेश को पुलिस ने दबोच लिया है, जबकि रंजन फरार है. हत्या में इस्तेमाल किए गए 3 धारदार हथियार भी पुलिस ने बरामद कर लिए हैं. रंजन और राजेश ने गीता की लाश को चौकी पर रखा और हैक्सा ब्लेड से सब से पहले सिर को धड़ से अलग किया. सिर को काटने के बाद खून का फव्वारा बहने लगा, तो खून को एक प्लास्टिक के टब में जमा कर लिया और टौयलेट के बेसिन में डाल कर फ्लश चला दिया. उस के बाद लाश के दोनों हाथपैरों को काटा गया.

गीता की बोटीबोटी काट कर उसे कई पौलीथिनों में बांध कर दूरदूर अलगअलग जगहों पर फेंक दिया. धड़ को कुसुमपुर में ही पानी से भरे एक गड्ढे में फेंक दिया गया. सिर को जक्कनपुर थाने के पास गया फेंका गया. वहीं पर हत्या में इस्तेमाल किए गए गड़ांसे और हैक्सा ब्लेड वगैरह को फेंक दिया गया.

हाथपैरों के टुकड़ों को पटनागया पैसेंजर ट्रेन में रख कर रंजन और राजेश पुनपुन रेलवे स्टेशन पर उतर गए. पटनागया पैसेंजर टे्रन जब गया स्टेशन पहुंची, तो रेलवे पुलिस ने एक डब्बे में लावारिस बैग बरामद किया. उस बैग में हाथपैर के टुकड़े मिलने से गया पुलिस ने 18 अप्रैल को पटना पुलिस को सूचित किया. पटना पुलिस को धड़ और सिर पहले ही मिल चुके थे. शरीर के सभी हिस्सों को जोड़ने के बाद पता चला कि वह एक ही औरत की लाश है.

हत्यारों द्वारा गीता के जिस्म के टुकड़ों को अलगअलग जगहों पर फेंकने की वजह से हत्या के मामले को 3 थानों में दर्ज कराना पड़ा. गया के जीआरपी थाने में हाथपैर मिलने का, परसा बाजार में सिर मिलने का और पटना के जक्कनपुर थाने में धड़ मिलने का मामला दर्ज किया गया. पटना के एसएसपी मनु महाराज कहते हैं कि अपराधी चाहे कितनी भी चालाकी कर ले, कोई न कोई सुबूत पुलिस के लिए छोड़ ही जाता है.

गीता की हत्या करने वालों ने भी कानून की पकड़ से बचने के लिए पूरा उपाय किया था, पर उस के दामाद ने ऐसा सुबूत छोड़ दिया कि पुलिस आसानी से उन तक पहुंच गई.

कत्ल के 40 घंटे के भीतर पटना सदर पुलिस की टीम ने पूरे मामले का खुलासा कर दिया. 3 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया. गीता का कत्ल कर उमेश अपनी बेटी पूनम के साथ मसौढ़ी चला गया था. उस के बाद रंजन ने अपने साथ काम करने वाले दोस्त राजेश को घर पर बुलाया और उस की मदद से लाश को टुकड़ों में काट डाला. इस के बदले में रंजन ने उसे 20 हजार रुपए देने का लालच दिया था.

17 अप्रैल की रात को पूनम ने अपनी मां गीता को चिकन खाने के लिए घर पर बुलाया था. वहां उमेश और रंजन पहले से मौजूद थे. पूनम ने चिकन में नींद की गोलियां मिला दी थीं. खाना खाने के बाद गीता बेहोश हो गई. तकरीबन 5 घंटे के बाद गीता को होश आया, तो उसे काफी कमजोरी महसूस हो रही थी.

गीता ने कमरे में इधरउधर देखा, तो कोई नजर नहीं आया. किसी तरह से उस ने अपने मोबाइल फोन से तुरंत अपने प्रेमी अरमान को फोन किया और बताया कि उस की तबीयत काफी खराब लग रही है. इसी बीच गीता का दामाद रंजन कमरे में पहुंच गया और उस ने गीता को मोबाइल फोन पर किसी से बात करते हुए सुन लिया. रंजन ने गुस्से में आ कर गीता का गला दबा कर उसे मार डाला.

पुलिस की छानबीन में पता चला है कि गीता का अरमान नाम के शख्स से नाजायज रिश्ता था. इस वजह से पति और बेटी ने मिल कर उस की हत्या कर डाली.

गीता हर महीने अपने पति उमेश से रुपए लेने पहुंच जाती थी और उस से उस की तनख्वाह का बड़ा हिस्सा ले कर अपने प्रेमी अरमान को दे देती थी. पिछले 20 सालों से गीता और अरमान के बीच नाजायज रिश्ता था. गीता का पति उमेश सचिवालय के भवन निर्माण विभाग में ड्राफ्टमैन था.

55 साल के उमेश की शादी 30 साल पहले मसौढ़ी के तरेगाना डीह की रहने वाली गीता से हुई थी. शादी के बाद गीता ससुराल में रहने लगी और उन के 3 बच्चे भी हुए. कुछ सालों के बाद उमेश लकवे का शिकार हो गया. पति की बीमारी का फायदा उठाते हुए गीता ने अपने पड़ोसी अरमान से दोस्ती बढ़ानी शुरू कर दी और उस के बाद जिस्मानी रिश्ते भी बने. वह ज्यादा से ज्यादा समय अरमान के साथ ही गुजारती थी.

गीता की इस हरकत से उमेश और उस की बेटियां गुस्से में रहती थीं. उन्होंने कई दफा गीता को समझाने और परिवार को संभालने की बात की, पर गीता पर उन की बातों का कोई असर नहीं होता था. यही वजह थी कि गीत का इतनी बेरहमी से कत्ल किया गया. गांव वालों के ताने सुन कर उमेश परेशान रहने लगा था और उस ने अपना पुश्तैनी घर भी छोड़ दिया था. उस के बाद उमेश ने कुसुमपुर वाला घर भी छोड़ दिया. कभीकभी वह मसौढ़ी में अपनी ससुराल वाले घर में रहता था, तो कभी पटना में रहता था.

एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि हत्यारों ने हत्या में इस्तेमाल किए गए गंड़ासे और हैक्सा ब्लेड को फ्लैक्स में लपेट कर फेंका था. बैनर पर कुसुमपुर फ्रैंड्स क्लब का पता लिखा हुआ था. उसी पते के सहारे पुलिस कुसुमपुर पहुंची और फ्रैंड्स क्लब का पता कर के हत्यारों तक आसानी से पहुंच गई.

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