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हैप्पी बर्थडे मुमताज

आज बौलीवुड अभिनेत्री मुमताज का जन्मदिन है. एक दौर था जब चुलबुली, हंसमुख और नटखट मुमताज परदे पर आतीं तो सबकी धड़कनें रुक जाया करतीं थीं. हर कोई मुमताज की अदाओं और अदाकारी का दीवाना था. लेकिन, साठ और सत्तर के दशक की इस हसीन नायिका को जैसे आज भुला दिया गया है. 69 साल की मुमताज आज अपने वतन और कर्म भूमि मुंबई से हजारों किलोमीटर दूर लंदन में रह रहीं हैं. आइये जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें.

भारत की आजादी के साल यानि कि साल 1947 में 31 जुलाई को मुंबई में जन्मीं मुमताज का सपना एक अभिनेत्री बनने का ही था.

मुमताज की मां नाज और आंटी निलोफर दोनों ही एक्टिंग की दुनिया में सक्रिय थीं, लेकिंन वे महज जूनियर आर्टिस्ट के ही रूप में काम किया करतीं थीं. 60 के दशक में मुमताज ने भी फिल्मों में छोटे-मोटे रोल करने शुरू कर दिए थे.

दारा सिंह की हीरोइन

उनकी किस्मत बदली तब जब दारा सिंह जैसे स्टार बौलीवुड का हिस्सा बने. दारा सिंह जैसे बुलंद किरदार के साथ काम करने से उस दौर की एक्ट्रेस बचतीं थीं. इसी का फायदा उठाया मुमताज ने और उन्होंने एक के बाद एक सोलह फिल्में दारा सिंह के साथ कीं. क्या आप यकीन करेंगे कि इन सोलह फिल्मों में दस फिल्में जबर्दस्त हिट साबित हुईं. यहां से सफर शुरू हो गया मुमताज की कामयाबी का.

राजेश खन्ना के साथ मिली बुलंदी

दारा सिंह के बाद फिर उन्हें मिला देश के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना का साथ और यह दौर अभिनेत्री मुमताज की ज़िन्दगी का गोल्डन टाइम साबित हुआ.

राजेश खन्ना का टूटा दिल

राजेश खन्ना और मुमताज का एक साथ परदे पर दिखना कामयाबी की गारंटी मानी जाती थी. इस जोड़ी ने 'दो रास्ते', 'सच्चा-झूठा', 'आपकी कसम', 'अपना देश' 'प्रेम कहानी', 'दुश्मन', 'बंधन' और 'रोटी' जैसी सफल और यादगार फिल्मों में काम किया.

कहा जाता है कि ये जोड़ी वास्तविक जिन्दगी में भी काफी करीब थी. साल 1974 में जब मुमताज ने मयूर मधवानी से शादी की तब राजेश खन्ना का दिल टूट गया. राजेश खन्ना नहीं चाहते थे कि मुमताज अभी शादी करें.

शादी के बाद मुमताज ने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया. उन्होंने अपने पंद्रह साल के करियर में 108 फिल्में कीं और इनमें से ज्यादातर फिल्में हिट ही साबित हुईं.

ब्रेस्ट कैंसर को मात

अपने दौर में टौप पर रहीं मुमताज ने हालांकि 1989 में 'आंधियां' फिल्म से दूसरी पारी खेलनी चाही लेकिन इस फिल्म के फ्लौप हो जाने के बाद उन्होंने इंडस्ट्री को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. बाद में उन्हें ब्रेस्ट कैंसर हो गया जिससे वो एक फाइटर की तरह बाहर निकलीं.

अवार्ड्स

गौरतलब है कि साल 1971 में संजीव कुमार के साथ 'खिलौना' फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड मिला. इसके अलावा साल 1996 में उन्हें फिल्मफेयर ने लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया. साल 2005 में मुमताज की बड़ी बेटी नताशा की शादी एक्टर फरदीन खान से हुई.

आज भूल गए सब

दारा सिंह और राजेश खन्ना की मौत पर मीडिया ने मुमताज से ज़रूर संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन, सच तो यही है कि आज मुमताज एक भुला दी गयीं स्टार हैं.

पांच साल पहले मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में मुमताज ने कहा था कि उनके आस-पास चारों तरफ पानी ही पानी है लेकिन वो खुद बहुत प्यासी हैं और अकेली भी ग्लैमर और चकाचौंध से दूर.

तस्वीरों में ये भी देखिए कि, बला की खूबसूरत ये अभिनेत्री अब कैसी दिखती हैं.

बच्‍चे के बैंक खाते के बारे में जानते हैं आप?

जब आपके बच्चे युवा होने लगें तो अपने बच्चों के नाम पर बचत और निवेश शुरू करना हमेशा बेहतर होता है. नियमित आधार पर एक छोटी सी राशि की बचत के साथ शुरू कर सकते हैं. कोई भी निवेश करने के लिए अनुशासित बचत की आदत बहुत आवश्यक है.

यदि बचत करना मुश्किल है, तो नाबालिग के नाम पर एक अलग से खाता शुरू कर सकते हैं और एक आवर्ती डिपॉजिट शुरू कर सकते हैं. जिससे पैसे की बचत करने में मदद मिलेगी और इसका इस्तेमाल भविष्य में शुल्क भुगतान या कोई भी निवेश करने के लिए किया जा सकता है.

यहां एक अवयस्क बैंक खाते के बारे में जानने योग्य 5 स्मार्ट बातें :

बना रहता है क्रेडिट

बैंकों को इस तरह के नाबालिगों के खातों जैसे बचत डिपॉजिट खातों को खोलने के लिए अनुमति दी जाती है जिसमें संरक्षक के रूप में माता होती है. चूंकि अभिभावक को यह राशि निकालने की अनुमति नहीं होती है इसलिए ये हमेशा क्रेडिट में रहते हैं. ताकि उनके खाते में राशि बनी रहे और अनावश्यक चीजों के लिए यह खर्च न हो.

अपना खाता बच्‍चा खुद कर सकता है संचालित

10 वर्ष की आयु से ऊपर वाले नाबालिग अपनी इच्छा से बैंक खाते को खोल तथा संचालित कर सकते हैं. तो वहीं बैंक के पास जोखिम प्रबंधन प्रणालियों पर नज़र रखने के लिए उम्र और राशि के मामले में सीमा तय करने के लिए सभी अधिकार हैं.

मिलती हैं सारी सुविधाएं

आप इंटरनेट बैंकिंग, डेबिट कार्ड, चैक बुक सुविधा जैसी अतिरिक्त बैंकिंग सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं. नाबालिग के नाम पर अभिभावाक को चेक बुक जारी की जाएगी.

पैरेंट्स ही संचालित करें बच्‍चे का खाता

बालिग होने पर नाबालिग को खाते में शेष राशि की पुष्टि करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि खाता वास्‍तविक अभिभावाक द्वारा ही संचालित किया गया है.

सिग्‍नेचर की कॉपी है जरुरी

हस्ताक्षर का नवीन नमूना और अन्य निर्देश प्राप्त करने चाहिए और सभी कार्य करने के लिए इन्हें रिकार्ड में रखना चाहिए. ऐसे खाते अपने बच्चे को पैसे का महत्व समझाने और खर्च करने की आदत को नियंत्रण करने के लिए खोला जा सकता है.

जरुरी दस्‍तावेज

नाबालिग के लिए बैंक अकाउंट खुलवाने के लिए निम्‍म दस्‍तावेजों की आवश्‍यकता होती है :

– जन्म प्रमाण

– तिथि जन्म पंजीकरण प्रमाण पत्र

– जन्म तिथि दर्शाता हुआ रिपोर्ट कार्ड

– फोटो और जन्मतिथि का उल्लेख करता हुआ स्कूल आईडी कार्ड

अभिभावक के लिए जरुरी दस्‍तावेज

बच्‍चे के अकाउंट को खुलवाने के बच्‍चे के साथ-साथ माता-पिता के दस्‍तावेजों की भी जरुरत होती है.

– अभिभावाक द्वारा हस्ताक्षर किया जाने वाला नाबालिग का घोषणापत्र

– अभिभावाक का फोटो

– खाता खोलने के फार्म पर हस्ताक्षर

– यदि वह वास्‍तविक अभिभावक नहीं है तो उसे अदालत द्वारा नियुक्त किया जाना चाहिए   

टैक्‍सेशन

नाबालिग खाते से अर्जित ब्याज आय को अभिभावक की आय के साथ जोड़ा जाएगा और आयकर स्लैब के अनुसार उस पर टैक्स लगाया जाता है.

फोन में न करें इन अकाउंट से लौग इन..!

ज्यादातर ऐप्स साइन अप कराने से पहले उपयोगकर्ता की पर्सनल डिटेल्स मांगती हैं. जैसे यूजर्स या उपयोगकर्ता की उम्र, जन्म तिथि, ईमेल पता और फोन नंबर. यूजर्स इन डिटेल्स को मैन्युअल रूप से दर्ज कर सकते हैं या यूजर्स उन ऐप्स को सोशल नेटवर्क जैसे कि गूगल, फेसबुक या ट्विटर पर उपलब्ध डाटा का उपयोग करने की अनुमति दे सकते हैं. जिसके द्वारा ऐप्स को आपको बार-बार साइन इन करने की जरुरत नहीं होती.

इस प्रोसेस को सोशल लौग-इन के रूप में भी जाना जाता है और स्मार्टफोन यूजर्स आसानी से लॉग इन कर पाते हैं. इसके अलावा इस प्रोसेस से यूजर्स को बार-बार लौग इन होने के झंझट से मुक्ति मिलती है और समय की भी बचत होती है.

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस तरह से लौग इन करने पर आपकी प्राइवेसी को खतरा होता है. इसके साथ आपकी प्राइवेट डिटेल्स की जानकारी इन ऐप्स को मिल जाती है. ऐप डेवलपर्स यूजर्स के परमिशन के बिना नए तरीकों से अन्य ऐप्स तक पहुंच प्राप्त करने का प्रयास करते हैं.

यूजर्स की पर्सनल डिटेल्स की रखते है जानकरी

हाल ही के एक अध्ययन में पता चला है कि प्ले स्टोर पर हजारों एप्लिकेशन यूजर्स की संवेदनशील जानकारी तक पहुंचने की कोशिश करते है. इसके अलावा ये ऐप्स यूजर्स की निजी जानकरियों को दूसरे ऐप्स के साथ साझा करते हैं, जिन्हें उपयोगकर्ता की अनुमति के बिना साझा किया जाता है. सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से इन ऐप्स को लौग इन करने का मतलब है कि आप अपनी निजी जानकारियों को खुद उन ऐप्स को दे रहे हैं.

ऐसे करें एक्सेस

कुछ सोशल मीडिया प्लेटफौर्म्स जैसे की फेसबुक, गूगल प्लस यह सुनिश्चित करते हैं कि कही ये ऐप्स यूजर्स के निजी जानकरियों का दुरुपयोग तो नहीं कर रहे हैं. यूजर्स ऐसे ऐप्स की जानकरी इस तरह से ले सकते हैं.

इसे फेसबुक से एक्सेस करने के लिए,

मैन्यू > अकाउंट सेटिंग्स > ऐप्स पर जाएं. गूगल प्लस से एक्सेस करने के लिए, गूगल+ साइन-इन के साथ मेनू-> अकाउंट-> एप्लिकेशन पर जाएं. किसी भी नए ऐप को लौग इन करने के लिए सोशल मीडिया अकाउंट का इस्तेमाल ना करना ही बेहतर होगा.

अकाल्पनिक

रक्षाबंधन से एक रोज पहले ही मयंक को पहली तन्ख्वाह मिली थी. सो, पापामम्मी के उपहार के साथ ही उस ने मुंहबोली बहन चुन्नी दीदी के लिए सुंदर सी कलाई घड़ी खरीद ली.

‘‘सारे पैसे मेरे लिए इतनी महंगी घड़ी खरीदने में खर्च कर दिए या मम्मीपापा के लिए भी कुछ खरीदा,’’ चुन्नी ने घड़ी पहनने के बाद पूछा.

‘‘सब के लिए खरीदा है, दीदी, लेकिन अभी दिया नहीं है. शौपिंग करने और दोस्तों के साथ खाना खाने के बाद रात में बहुत देर से लौटा था. तब तक सब सो चुके थे. अभी मां ने जगा कर कहा कि आप आ गई हैं और राखी बांधने के लिए मेरा इंतजार कर रही हैं, फिर आप को जीजाजी के साथ उन की बहन के घर जाना है. सो, जल्दी से यहां आ गया, अब जा कर दूंगा.’’

‘‘अब तक तो तेरे पापा निकल गए होंगे राखी बंधवाने,’’ चुन्नी की मां ने कहा.

‘‘पापा तो कभी कहीं नहीं जाते राखी बंधवाने.’’

‘‘तो उन के हाथ में राखी अपनेआप से बंध जाती है? हमेशा दिनभर तो राखी बांधे रहते हैं और उन्हीं की राखी देख कर तो तूने भी राखी बंधवाने की इतनी जिद की कि गीता बहन और अशोक जीजू को चुन्नी को तेरी बहन बनाना पड़ा.’’ चुन्नी की मम्मी श्यामा बोली.

‘‘तो इस में गलत क्या हुआ, श्यामा आंटी, इतनी अच्छी दीदी मिल गईं मुझे. अच्छा दीदी, आप को देर हो रही होगी, आप चलो, अगली बार आओ तो जरूर देखना कि मैं ने क्या कुछ खरीदा है, पहली तन्ख्वाह से,’’ मयंक ने कहा. मयंक के साथ ही मांबेटी भी बाहर आ गईं. सामने के घर के बरामदे में खड़े अशोक की कलाई में राखी देख कर श्यामा बोली, ‘‘देख, बंधवा आए न तेरे पापा राखी.’’

‘‘इतनी जल्दी आप कहां से राखी बंधवा आए पापा?’’ मयंक ने हैरानी से पूछा.

‘‘पीछे वाले मंदिर के पुजारी बाबा से,’’ गीता फटाक से बोली.

मयंक को लगा कि अशोक ने कृतज्ञता से गीता की ओर देखा. ‘‘लेकिन पुजारी बाबा से क्यों?’’ मयंक ने पूछा. ‘‘क्योंकि राखी के दिन अपनी बहन की याद में पुजारी बाबा को ही कुछ दे सकते हैं न,’’ गीता बोली. ‘‘तू नाश्ता करेगा कि श्यामा बहन ने खिला दिया?’’ ‘‘खिला दिया और आप भी जो चाहो खिला देना मगर अभी तो देखो, मैं क्या लाया हूं आप के लिए,’’ मयंक लपक कर अपने कमरे में चला गया. लौटा तो उस के हाथ में उपहारों के पैकेट थे.

‘‘इस इलैक्ट्रिक शेवर ने तो हर महीने शेविंग का सामान खरीदने की आप की समस्या हल कर दी,’’ अपना हेयरड्रायर सहेजती हुई गीता बोली. ‘‘हां, लेकिन उस से बड़ी समस्या तो पुजारी बाबा का नाम ले कर तुम ने हल कर दी,’’ अशोक की बात सुन कर अपने कमरे में जाता मयंक ठिठक गया. उस ने मुड़ कर देखा, मम्मीपापा बहुत ही भावविह्वल हो कर एकदूसरे को देख रहे थे. उस ने टोकना ठीक नहीं समझा और चुपचाप अपने कमरे में चला गया. बात समझ में तो नहीं आई थी पर शीघ्र ही अपने नए खरीदे स्मार्टफोन में व्यस्त हो कर वह सब भूल गया.

एक रोज कंप्यूटर चेयरटेबल खरीदते हुए शोरूम में बड़े आकर्षक डबलबैड नजर आए. मम्मीपापा के कमरे में थे तो सिरहाने वाले पलंग मगर दोनों के बीच में छोटी मेज पर टेबललैंप और पत्रिकाएं वगैरा रखी रहती थीं. क्यों न मम्मीपापा के लिए आजकल के फैशन का डबलबैड और साइड टेबल खरीद ले. लेकिन डिजाइन पसंद करना मुश्किल हो गया. सो, उस ने मम्मीपापा को दिखाना बेहतर समझा. डबलबैड के ब्रोशर देखते ही गीता बौखला गई, ‘‘हमें हमारे पुराने पलंग ही पसंद हैं, हमें डबलवबल बैड नहीं चाहिए.’’

‘‘मगर मुझे तो घर में स्टाइलिश फर्नीचर चाहिए. आप लोग अपनी पसंद नहीं बताते तो न सही, मैं अपनी पसंद का बैडरूम सैट ले आऊंगा,’’ मयंक ने दृढ़स्वर में कहा.

गीता रोंआसी हो गई और सिटपिटाए से खड़े अशोक से बोली, ‘‘आप चुप क्यों हैं, रोकिए न इसे डबलबैड लाने से. यह अगर डबलबैड ले आया तो हम में से एक को जमीन पर सोना पड़ेगा और आप जानते हैं कि जमीन पर से न आप आसानी से उठ सकते हैं और न मैं.’’

‘‘लेकिन किसी एक को जमीन पर सोने की मुसीबत क्या है?’’ मयंक ने झुंझला कर कहा, ‘‘पलंग इतना चौड़ा है कि आप दोनों के साथ मैं भी आराम से सो सकता हूं.’’ ‘‘बात चौड़ाई की नहीं, खर्राटे लेने की मेरी आदत की है, मयंक. दूसरे पलंग पर भी तुम्हारी मां मेरे खर्राटे लेने की वजह से मुंहसिर लपेट कर सोती है. मेरे साथ एक कमरे में सोना तो उस की मजबूरी है, लेकिन एक पलंग पर सोना तो सजा हो जाएगी बेचारी के लिए. इतना जुल्म मत कर अपनी मां पर,’’ अशोक ने कातर स्वर में कहा. ‘‘ठीक है, जैसी आप की मरजी,’’ कह कर मयंक मायूसी से अपने कमरे में चला गया और सोचने लगा कि बचपन में तो अकसर कभी मम्मी और कभी पापा के साथ सोता था और अभी कुछ महीने पहले अपने कमरे का एअरकंडीशनर खराब होने पर जब फर्श पर गद्दा डाल कर मम्मीपापा के कमरे में सोया था तो उसे तो पापा के खर्राटों की आवाज नहीं आई थी.

मम्मीपापा वैसे ही बहुत परेशान लग रहे थे, जिरह कर के उन्हें और व्यथित करना ठीक नहीं होगा. जान छिड़कते हैं उस पर मम्मीपापा. मम्मी के लिए तो उस की खुशी ही सबकुछ है. ऐसे में उसे भी उन की खुशी का खयाल रखना चाहिए. उस के दिमाग में एक खयाल कौंधा, अगर मम्मीपापा को आईपैड दिलवा दे तो वे फेसबुक पर अपने पुराने दोस्तों व रिश्तेदारों को ढूंढ़ कर बहुत खुश होंगे.

हिमाचल में रहने वाले मम्मीपापा घर वालों की मरजी के बगैर भाग कर शादी कर के, दोस्तों की मदद से अहमदाबाद में बस गए थे. न कभी स्वयं घर वालों से मिलने गए और न ही उन लोगों ने संपर्क करने की कोशिश की. वैसे तो मम्मीपापा एकदूसरे के साथ अपने घरसंसार में सर्वथा सुखी लगते थे, मयंक के सौफ्टवेयर इंजीनियर बन जाने के बाद पूरी तरह संतुष्ट भी. फिर भी गाहेबगाहे अपनों की याद तो आती ही होगी.

‘‘क्यों भूले अतीत को याद करवाना चाहता है?’’ गीता ने आईपैड देख कर चिढ़े स्वर में कहा, ‘‘मुझे गड़े मुर्दे उखाड़ने का शौक नहीं है.’’ ‘‘शौक तो मुझे भी नहीं है लेकिन जब मयंक इतने चाव से आईपैड लाया है तो मैं भी उतने ही शौक से उस का उपयोग करूंगा,’’ अशोक ने कहा.

‘‘खुशी से करो, मगर मुझे कोई भूलाबिसरा चेहरा मत दिखाना,’’ गीता ने जैसे याचना की.

‘‘लगता है मम्मी को बहुत कटु अनुभव हुए हैं?’’ मयंक ने अशोक से पूछा.

‘‘हां बेटा, बहुत संत्रास झेला है बेचारी ने,’’ अशोक ने आह भर कर कहा.

‘‘और आप ने, पापा?’’

‘‘मैं ने जो भी किया, स्वेच्छा से किया, घर वाले जरूर छूटे लेकिन उन से भी अधिक स्नेहशील मित्र और सब से बढ़ कर तुम्हारे जैसा प्यारा बेटा मिल गया. सो, मुझे तो जिंदगी से कोई शिकायत नहीं है,’’ अशोक ने मुसकरा कर कहा. कुछ समय बाद मयंक की, अपनी सहकर्मी सेजल मेहता में दिलचस्पी देख कर गीता और अशोक स्वयं मयंक के लिए सेजल का हाथ मांगने उस के घर गए. ‘‘भले ही हम हिमाचल के हैं पर वर्षों से यहां रह रहे हैं, मयंक का तो जन्म ही यहीं हुआ है. सो, हमारा रहनसहन आप लोगों जैसा ही है, सेजल को हमारे घर में कोई तकलीफ नहीं होगी, जयंतीभाई,’’ अशोक ने कहा. ‘‘सेजल की हमें फिक्र नहीं है, वह अपने को किसी भी परिवेश में ढाल सकती है,’’ जयंतीभाई मेहता ने कहा. ‘‘चिंता है तो बस उस के दादादादी की, अपनी परंपराओं को ले कर दोनों बहुत कट्टर हैं. हां, अगर शादी उन के बताए रीतिरिवाज के अनुसार होती है तो वे इस रिश्ते के लिए मना नहीं करेंगे.’’

‘‘वैसे तो हम कोई रीतिरिवाज नहीं करने वाले थे, पर सेजल की दादी की खुशी के लिए जैसा आप कहेंगे, कर लेंगे,’’ गीता ने सहजता से कहा, ‘‘आप बस जल्दी से शादी की तारीख तय कर के हमें बता दीजिए कि हमें क्या करना है.’’ सब सुनने के बाद मयंक ने कहा, ‘‘यह आप ने क्या कह दिया, मम्मी, अब तो उन के रिवाज के अनुसार, सेजल की मां, दादी, नानी सब को मेरी नाक पकड़ कर मेरा दम घोंटने का लाइसैंस मिल गया.’’ 

गीता हंसने लगी, ‘‘सेजल के परिवार से संबंध जोड़ने के बाद उन के तौरतरीकों और बुजुर्गों का सम्मान करना तुम्हारा ही नहीं, हमारा भी कर्तव्य है.’’

गीता बड़े उत्साह से शादी की तैयारियां करने लगी. अशोक भी उतने ही हर्षोल्लास से उस का साथ दे रहा था.

शादी  से कुछ रोज पहले, मेहता दंपत्ती उन के घर आए. ‘‘शादी से पहले हमारे यहां हवन करने का रिवाज है, जिस में आप का आना अनिवार्य है,’’ जयंतीभाई ने कहा, ‘‘आप को रविवार को जब भी आने में सुविधा हो, बता दें, हम उसी समय हवन का आयोजन कर लेंगे. वैसे हवन में अधिक समय नहीं लगेगा.’’ ‘‘जितना लगेगा, लगने दीजिए और जो समय सेजल की दादी को हवन के लिए उपयुक्त लगता है, उसी समय  करिए,’’ गीता, अशोक के बोलने से पहले ही बोल पड़ी. ‘‘बा, मेरा मतलब है मां तो हमेशा हवन ब्रह्यबेला में यानी ब्रैकफास्ट से पहले ही करवाती हैं.’’ जयंतीभाई ने जल्दी से पत्नी की बात काटी, कहा, ‘‘ऐसा जरूरी नहीं है, भावना, गोधूलि बेला में भी हवन करते हैं.’’ ‘‘सवाल करने का नहीं, बा के चाहने का है. सो, वे जिस समय चाहेंगी और जैसा करने को कहेंगी, हम सहर्ष वैसा ही करेंगे,’’ गीता ने आश्वासन दिया.

‘‘बस, हम दोनों के साथ बैठ कर आप को भी हवन करना होगा. बच्चों के मंगल भविष्य के लिए दोनों के मातापिता गठजोड़े में बैठ कर यह हवन करते हैं,’’ भावना ने कहा.

गीता के चेहरे का रंग उड़ गया और वह चाय लाने के बहाने रसोई में चली गई. जब वह चाय ले कर आई तो सहज हो चुकी थी. उस ने भावना से पूछा कि और कितनी रस्मों में वर के मातापिता को शामिल होना होगा?

‘‘वरमाला को छोड़ कर, छोटीमोटी सभी रस्मों में आप को और हमें बराबर शामिल होना पड़ेगा?’’ भावना हंसी, ‘‘अच्छा है न, कुछ देर को ही सही, भागदौड़ से तो छुट्टी मिलेगी.’’ ‘‘दोनों पतिपत्नी का एकसाथ बैठना जरूरी होगा?’’ गीता ने पूछा. ‘‘रस्मों के लिए तो होता ही है,’’ भावना ने जवाब दिया. ‘वैसा तो हिमाचल में भी होता है,’’ अशोक ने जोड़ा, ‘‘अगर वरवधू के मातापिता में से एक न हो तो विवाह की रस्में किसी अन्य जोड़े चाचाचाची वगैरा से करवाई जाती हैं.’’

‘‘बहनबहनोई से भी करवा सकते हैं?’’ गीता ने पूछा.

‘‘हां, किसी से भी, जिसे वर या वधू का परिवार आदरणीय समझता हो,’’ भावना बोली.

मयंक को लगा कि गीता ने जैसे राहत की सांस ली है. मेहता दंपती के जाने के बाद गीता ने अशोक को बैडरूम में बुलाया और दरवाजा बंद कर लिया. मयंक को अटपटा तो लगा पर उस ने दरवाजा खटखटाना ठीक नहीं समझा. कुछ देर के बाद दोनों बाहर आ गए और गीता फोन पर नंबर मिलाने लगी. ‘‘हैलो, चुन्नी…हां, मैं ठीक हूं…अभी तुम और प्रमोदजी घर पर हो, हम मिलना चाह रहे हैं, तुम्हारे भाई की शादी है. भई, बगैर मिले कैसे काम चलेगा… यह तो बड़ी अच्छी बात है…मगर कितनी भी देर हो जाए आना जरूर, बहुत जरूरी बात करनी है.’’ फोन रख कर गीता अशोक की ओर मुड़ी, ‘‘चुन्नी और प्रमोद दोस्तों के साथ बाहर खाना खाने जा रहे हैं, लौटते हुए यहां आएंगे.’’

‘‘ऐसी क्या जरूरी बात करनी है दीदी से जिस के लिए उन्हें आज ही आना पड़ेगा?’’ मयंक ने पूछा.

गीता और अशोक ने एकदूसरे की ओर देखा. ‘‘हम चाहते हैं कि तुम्हारे विवाह की सब रस्में तुम्हारी चुन्नी दीदी और प्रमोद जीजाजी निबाहें ताकि मैं और गीता मेहमानों की यथोचित आवभगत कर सकें,’’ अशोक ने कहा. ‘‘मेहमानों की देखभाल करने को मेरे बहुत दोस्त हैं और दीदीजीजा भी. आप दोनों की जो भूमिका है यानी मातापिता वाली, आप लोग बस वही निबाहेंगे,’’ मयंक ने दृढ़ स्वर में कहा.

‘‘उस में कई बार जमीन पर बैठना पड़ता है जो अपने से नहीं होता,’’ गीता ने कहा. ‘‘जमीन पर बैठना जरूरी नहीं है, चौकियां रखवा देंगे कुशन वाली.’’

‘‘ये करवा देंगे वो करवा देंगे से बेहतर है चुन्नी और प्रमोद से रस्में करवा ले,’’ गीता ने बात काटी. ‘‘तेरी चाहत देख कर हम बगैर तेरे कुछ कहे सेजल से तेरी शादी करवा रहे हैं न, अब तू चुपचाप जैसे हम चाहते हैं वैसे शादी करवा ले.’’ ‘‘कमाल करती हैं आप भी, अपने मांबाप के रहते मुंहबोली बहनबहनोई से मातापिता वाली रस्में कैसे करवा लूं्?’’ मयंक ने झल्ला कर पूछा. ‘‘अरे बेटा, ये रस्मेंवस्में सेजल की दादी को खुश करने को हैं, हम कहां मानते हैं यह सब,’’ अशोक ने कहा. ‘‘अच्छा? पुजारी बाबा से राखी किसे खुश करने को बंधवाते हैं?’’ मयंक ने व्यंग्य से पूछा और आगे कहा, ‘‘मैं अब बच्चा नहीं रहा पापा, अच्छी तरह समझ रहा हूं कि आप दोनों मुझ से कुछ छिपा रहे हैं. आप को बताने को मजबूर नहीं करूंगा लेकिन एक बात समझ लीजिए, अपनों का हक मैं मुंहबोली बहन को कभी नहीं दूंगा.’’

‘‘अब बात जब अपनों और मुंहबोले रिश्ते पर आ गई है, गीता, तो हमें मयंक को असलियत भी बता देनी चाहिए,’’ अशोक मयंक की ओर मुड़ा, ‘‘मैं भी तुम्हारा अपना नहीं. मुंहबोला पापा, बल्कि मामा हूं. गीता मेरी मुंहबोली बहन है. मैं किसी पुजारी बाबा से नहीं, गीता से राखी बंधवाता हूं. पूरी कहानी सुनना चाहोगे?’’ स्तब्ध खड़े मयंक ने सहमति से सिर हिलाया.

‘‘मैं और गीता पड़ोसी थे. हमारी कोईर् बहन नहीं थी, इसलिए मैं और मेरा छोटा भाई गीता से राखी बंधवाते थे. अलग घरों में रहते हुए भी एक ही परिवार के सदस्य जैसे थे हम. जब मैं चंडीगढ़ में इंजीनियरिंग कर रहा था तो मेरे कहने पर और मेरे भरोसे गीता के घर वालों ने इसे भी चंडीगढ़ पढ़ने के लिए भेज दिया. वहां यह रहती तो गर्र्ल्स होस्टल में थी लेकिन लोकल गार्जियन होने के नाते मैं इसे छुट्टी वाले दिन बाहर ले जाता था.

‘‘मेरा रूममेट नाहर सिंह राजस्थान के किसी रजवाड़े परिवार से था, बहुत ही शालीन और सौम्य, इसलिए मैं ने गीता से उस का परिचय करवा दिया. कब और कैसे दोनों में प्यार हुआ, कब दोनों ने मंदिर में शादी कर के पतिपत्नी का रिश्ता बना लिया, मुझे नहीं मालूम. जब मैं एमबीए के लिए अहमदाबाद आया तो गीता एक सहेली के घर पर रह कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी. नाहर चंडीगढ़ में ही मार्केटिंग का कोर्स कर रहा था. ‘‘मुझे होस्टल में जगह नहीं मिली थी और मैं एक दोस्त के घर पर रहता था. अचानक गीता मुझे ढूंढ़ती हुई वहां आ गई. उस ने जो बताया उस का सारांश यह था कि उस ने और नाहर ने मंदिर में शादी कर ली थी और उस के गर्भवती होते ही नाहर उसे यह आश्वासन दे कर घर गया था कि वह इमोशनल ब्लैकमेल कर के अपनी मां को मना लेगा और फिर सबकुछ अशोक को बता कर अपने घर वालों को सूचित कर देना. ‘‘उसे गए कई सप्ताह हो गए थे और ढीले कपड़े पहनने के बावजूद भी बढ़ता पेट दिखने लगा था. दिल्ली में कुछ हफ्तों की कोचिंग लेने के बहाने उस ने घर से पैसे मंगवाए थे और मेरे पास आ गई थी. मैं और गीता नाहर को ढूंढ़ते हुए बीकानेर पहुंचे. नाहर का घर तो मिल गया मगर नाहर नहीं, वह अपने साले के साथ शिकार पर गया हुआ था. घर पर उस की पत्नी थी. सुंदर और सुसंस्कृत, पूछने पर कि नाहर की शादी कब हुई, उस ने बताया कि चंडीगढ़ जाने से पहले ही हो गई थी. नाहर के आने का इंतजार किए बगैर हम वापस अहमदाबाद आ गए.

‘‘समय अधिक हो जाने के कारण न तो गीता का गर्भपात हो सकता था और न ही वह घर जा सकती थी. मैं उस से शादी करने और बच्चे को अपना नाम देने को तैयार था. लेकिन न तो यह रिश्ता गीता और मेरे घर वालों को मंजूर होता न ही गीता अपने राखीभाई यानी मुझ को पति मानने को तैयार थी. ‘‘नाहर से गीता का परिचय मैं ने ही करवाया था, सो दोनों के बीच जो हुआ, उस के लिए कुछ हद तक मैं भी जिम्मेदार था. सो, मैं ने निर्णय लिया कि मैं गीता से शादी तो करूंगा, उस के बच्चे को अपना नाम भी दूंगा लेकिन भाईबहन के रिश्ते की गरिमा निबाहते हुए दुनिया के लिए हम पतिपत्नी होंगे, मगर एकदूसरे के लिए भाईबहन. इतने साल निष्ठापूर्वक भाईबहन का रिश्ता निबाहने के बाद गीता नहीं चाहती कि अब वह गठजोड़ा वगैरा करवा कर इस सात्विक रिश्ते को झुठलाए. मैं समझता हूं कि हमें उस की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए.’’

‘‘जैसा आप कहें,’’ मयंक ने भर्राए स्वर में कहा, ‘‘आप ने जो किया है, पापा, वह अकाल्पनिक है, जो कोई सामान्य व्यक्ति नहीं महापुरुष ही कर सकता है.’’ कुछ देर बाद वह लौटा और बोला, ‘‘पापा, मैं सेजल की दादी से बता कर आता हूं. हम दोनों अदालत में शादी करेंगे और फिर शानदार रिसैप्शन आप दे सकते हैं. दादी को सेजल ने कैसे बताया, क्या बताया, मुझे नहीं मालूम. पर आप की बात सुन कर वह तुरंत तैयार हो गई.’’

गीता और अशोक ने एकदूसरे को देखा. उन के बेटे ने उन की इज्जत रख ली.

इन 5 भारतीय खिलाड़ियों ने श्रीलंका के खिलाफ किया टेस्ट डेब्यू

भारत और श्रीलंका के बीच तीन टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला टेस्ट श्रीलंका के गाल में खेला जा रहा है. इस टेस्ट में भारत जीत की ओर अग्रसर है. भारत-श्रीलंका के बीच खेले गए इस पहले मैच में ही कई रिकॉर्ड बन गए.

आपको बता दें कि गाल टेस्ट में भारत और श्रीलंका के बीच खेल जा रहे पहले टेस्ट में हार्दिक पांड्या ने शानदार डेब्यू किया है. पहली पारी में शानदार फिफ्टी जड़ने के साथ ही पांड्या ने खुद पर जताए कप्तान कोहली के भरोसे को सही साबित किया है.

पांड्या ने पहले मैच की पहली पारी में शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने टेस्ट करियर का पहला अर्धशतक जड़ा साथ ही अपने नाम एक ऐसा रिकॉर्ड भी कर लिया है, जो आजतक कोई भारतीय खिलाड़ी नहीं कर पाया है.

पांड्या ने अपने नाम रिकॉर्ड के तौर पर एक ऐसा करिश्मा किया है, जिसे सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी जैसे बड़े–बड़े बल्लेबाज भी नहीं कर पाए हैं. दरअसल, हार्दिक पांड्या ऐसे पहले भारतीय क्रिकेटर बन गए हैं, जिन्होंने अपने टेस्ट डेब्यू में तीन छक्के जड़े हैं.

पांड्या ने अपनी इस 50 रन की पारी में तीन छक्के लगाए. और ऐसा कारनामा करने वाले वह भारत के पहले बल्लेबाज बन गए हैं.

सिर्फ पांड्या ही नहीं, दोनों देशों के टेस्ट क्रिकेट के 35 साल के इतिहास में कई भारतीय खिलाड़ियों ने अपने करियर की शुरूआत की. जानें किन खिलाड़ियों ने श्रीलंका के खिलाफ अपना डेब्यू टेस्ट मैच खेला.

एमएस धोनी

धोनी ने टेस्ट करियर की शुरूआत चेन्नई में श्रीलंका के खिलाफ की थी. श्रीलंका 3 टेस्ट के लिए भारत के दौरे पर थी. नवंबर 2005 में धोनी ने जयपुर में हुए टेस्ट में श्रीलंका के खिलाफ 183 रनों की धमाकेदार पारी खेली थी.

डेब्यू मैच में धोनी ने सिर्फ 30 रन ही बनाए थे. पहली पारी में भारतीय टीम महज 167 रनों पर ही सिमट गई थी. इसके बाद दिल्ली में हुए सीरीज के दूसरे टेस्ट में धोनी ने अपना पहला टेस्ट अर्धशतक लगाया. धोनी ने 2014-15 में हुए ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया.

सुरेश रैना

2008 के बाद से रैना ने बल्लेबाजी के मध्यक्रम में अपनी खास जगह बनाई. टी-20 प्लेयर के तौर पर रैना काफी प्रभावी रहे. 2010 में उन्हें श्रीलंका दौरे के लिए टेस्ट टीम में चुना गया.

सीरीज के पहले टेस्ट में तो उन्हें मौका नहीं मिला, लेकिन दूसरे टेस्ट में युवराज सिंह के बीमार होने की वजह से उन्हें मौका मिला. रैना 6वें नंबर पर सचिन का साथ निभाने आए और अपने पहले ही टेस्ट में शतकीय पारी (120) खेल डाली.

तीसरे टेस्ट में युवराज के फिट होने के बावजूद रैना को मौका दिया गया. इस बाएं हाथ के बल्लेबाज ने दोनों पारियों में क्रमशः 62 और नाबाद 41 रन बनाए.

भरत अरुण

अरुण फिलहाल टीम इंडिया के बॉलिंग कोच हैं. वह तमिलनाडु के रणजी प्लेयर थे. उन्हें 1986-87 में श्रीलंका खिलाफ 3 टेस्ट और 1 वनडे मैच के लिए चुना गया था. उन्हें कानुपर में पहला टेस्ट खेलने का मौका मिला, लेकिन वह अपनी पहली गेंद फेंकते वक्त ही फिसल गए. हालांकि, इसके बाद भी वह 76 रन देकर 3 विकेट लेने में सफल रहे और यही उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बन गया.

नागपुर में दूसरा टेस्ट वह खेल नहीं सके, लेकिन कटक में हुए तीसरे टेस्ट में उन्हें मौका मिला. पहली पारी में 26 रन देकर उन्होंने 1 विकेट लिया. दूसरी पारी में उन्होंने 2 ओवरों में 14 रन दिए. भारत ने मैच पारी और 67 रनों से जीत लिया. इसके बाद अरुण भारत के लिए एक भी टेस्ट नहीं खेल सके.

आशीष नेहरा

नेहरा को भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच एशियन टेस्ट चैंपियनशिप के लिए चुना गया था. टूर्नामेंट के दूसरे टेस्ट में उन्हें मौका मिला. पहला टेस्ट उन्होंने कोलंबो में श्रीलंका के खिलाफ खेला.

नेहरा ने मर्वन अटापट्टू को अपना पहला शिकार जरूर बनाया, लेकिन इसके बाद मैच में वह एक भी विकेट नहीं ले सके. मैच दूसरी पारी तक पहुंचा ही नहीं. 2001 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुए टेस्ट तक वह टीम से दूर रहे. हालांकि, इसके बाद 2004 तक वह टेस्ट टीम का नियमित हिस्सा रहे. नेहरा ने करियर का आखिरी टेस्ट रावलपिंडी में पाकिस्तान के खिलाफ खेला और इसमें उन्हें यासिर हमीद के रूप में एकमात्र विकेट मिला था. नेहरा ने टेस्ट करियर में कुल 44 विकेट लिए हैं. 2001 में हरारे में जिम्बाब्वे के खिलाफ 4/72 उनका सर्वश्रेष्ठ टेस्ट प्रदर्शन रहा है.

प्रज्ञान ओझा

2008 और 2009 के आईपीएल सीजन में डेक्कन चार्जर्स की तरफ से शानदार क्रिकेट खेलने के बाद प्रज्ञान को एशिया कप के लिए टीम इंडिया में शामिल किया गया. उस साल ही उन्हें श्रीलंका के खिलाफ होने वाली सीरीज के लिए टेस्ट टीम में शामिल किया गया. प्रज्ञान को कानपुर में हुए दूसरे टेस्ट में अमित मिश्रा की जगह मौका दिया गया. मिश्रा ने पहले टेस्ट की एक पारी में ही 200 से ज्यादा रन दिए थे.

भुवनेश्वर में पैदा हुए इस खिलाड़ी ने अपने पहले टेस्ट की पहली पारी में 23 ओवर का स्पेल किया और 37 रन देकर 2 विकेट चटकाए. दूसरी पारी में उन्होंने 2 विकेट लिए. भारत ने पारी और 144 रनों से मैच जीत लिया.

क्या! बीसीसीआई ने कोहली से मांगा इस्तीफा

मौजूदा समय में क्रिकेट के सबसे कमाऊ क्रिकेटर विराट कोहली के लिए बीसीसीआई ने एक फरमान जारी किया है. सूत्रों की मानें तो विराट कोहली को ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) का मैनेजर पद छोड़ने के लिए कहा गया है. बता दें कि विराट कोहली फिलहाल श्रीलंका टूर पर हैं और गाल टेस्ट खेल रहे हैं. इसी दौरान बीसीसीआई ने उन्हें यह संदेश भेजा है.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के नियम के कौन्फ्लिक्ट औफ इंटरेस्ट के अनुसार, खिलाड़ियों को प्राइवेट फर्म में काम नहीं करने की बात कही गई है. सुप्रीम कोर्ट की क्रिकेट प्रशासक समिति (सीओए) ने बोर्ड को यह स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी खिलाड़ी किसी सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के पद पर नहीं रह सकता है. इसी के तहत बीसीसीआई ने विराट से पद त्यागने के लिए कहा है.

हितों के टकराव के मुद्दे पर कोहली से पहले सुनील गावस्कर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे भारत के कई दिग्गज क्रिकेटर भी सवालों के घेरे मे आ चुके हैं. आने वाले समय में विराट के अलावा कई अन्य खिलाड़ियों के लिए भी यह फरमान जारी हो सकता है.

देखा जाए तो विराट के लिए ये काम मुश्किल भी नहीं होगा. भारतीय कप्तान को जहां आईपीएल से करोड़ों मिलते हैं, वहीं बीसीसीआई का सलाना कौन्ट्रैक्ट और ब्रांड्स से भी मोटी कमाई होती है. वे कमाई के मामले में पूर्व कप्तान और अपने साथी क्रिकेटर महेंद्र सिंह से भी आगे हैं.

विराट कोहली ने कई स्थानीय टूर्नामेंटों में ओएनजीसी का प्रतिनिधित्व किया है. कप्तान के अलावा बीसीसीआई ने अजिंक्य रहाणे, चेतेश्वर पुजारा सहित करीब सौ भारतीय क्रिकेटरों को सख्त चेतावनी जारी की है. जो किसी न किसी रूप में सार्वजनिक क्षेत्र के फर्म से जुड़े हुए हैं. इस मुद्दे पर नई दिल्ली में होने वाली अगला एसजीएम में चर्चा की जाएगी.

भारतीय क्रिकेटरों को हमेशा से ही रेलवे, ओएनजीसी, एयर इंडिया, एचपीसीएल, इंडियन ऑयल, बीएसएनएल, ऑडिट एंड एक्साइज और इनकम टैक्स ऑफिसों में अवैतनिक पद दिए जाते रहे हैं.

बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा कि यह विषय होने वाली बैठक में जरुर चर्चा में होगा और इस पर गहनता से विचार किया जाने वाला है. हम सिर्फ खिलाड़ियों को लेकर ही बैठक नहीं करने वाले है बल्कि कुछ और कंफ्लिक्ट औफ इंटरेस्ट के मामले हैं, जिनपर चर्चा करेंगे. भारतीय खिलाड़ियों को कई कंपनियों में जैसे ओएनजीसी, एयर इंडिया, एचपीसीएल, इंडियन ऑयल आदि ने अपनी कम्पनियों में पद से नवाजा हुआ है.

कार लोन से जुड़े सवालों के जवाब खोज रही हैं आप?

कारों की घरेलू मांग का 70 फीसद विभिन्न बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं के ऑटो लोन के जरिये पूरा होता है. मध्यवर्ग के लिए कार खरीदने का यह सबसे सुविधाजनक तरीका है. ऐसा करने से न तो आपकी जेब पर बोझ पड़ता है और न ही निवेश के मौके कम होते हैं. चूंकि बाजार में बहुत से कर्जदाता उपलब्ध हैं. ऐसे में कार लोन लेने से पहले किसी भी ग्राहक को कुछ महत्वपूर्ण सवाल पूछने चाहिए.

कार लोन की ब्याज दर फिक्स्ड होती है या फ्लोटिंग?

कारों की घरेलू मांग का 70 फीसद विभिन्न बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं के ऑटो लोन के जरिये पूरा होता है. मध्यवर्ग के लिए कार खरीदने का यह सबसे सुविधाजनक तरीका है. ऐसा करने

कारों की घरेलू मांग का 70 फीसद विभिन्न बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं के ऑटो लोन के जरिये पूरा होता है. मध्यवर्ग के लिए कार खरीदने का यह सबसे सुविधाजनक तरीका है. ऐसा करने से न तो आपकी जेब पर बोझ पड़ता है और न ही निवेश के मौके कम होते हैं. चूंकि बाजार में बहुत से कर्जदाता उपलब्ध हैं. ऐसे में कार लोन लेने से पहले किसी भी ग्राहक को कुछ महत्वपूर्ण सवाल पूछने चाहिए.

– कार लोन की ब्याज दर फिक्स्ड है या फ्लोटिंग?

– कार लोन पर प्रोसेसिंग शुल्क क्या है?

– क्या कार लोन में पार्ट पेमेंट और प्री पेमेंट शुल्क का प्रावधान है?

– चेक बाउंस होने पर कितना शुल्क या दंड है?

– क्या डुप्लीकेट एनओसी के लिए ऋणदाता शुल्क लेता है?

– क्या बैंक द्वारा ऑटो लोन पर कोई छिपा शुल्क या दंड लिया जाता है?

ब्याज दरें दो प्रकार की होती हैं…

– फ्लोटिंग और

– फिक्स्ड.

फ्लोटिंग : फ्लोटिंग दर बैंक की आधार दर के साथ जुड़ी होती है और कर्ज की अवधि में इसमें बदलाव हो सकता है.

फिक्स्ड : फिक्स्ड ब्याज दर में कर्ज की पूरी अवधि में ब्याज दर अपरिवर्तित रहती है.

यदि आपको लगता है कि आने वाले सालों में ब्याज दरें घट सकती हैं तो आपको फ्लोटिंग दर का चयन करना चाहिए अन्यथा फिक्स्ड दर पर कर्ज लेना ठीक है.

प्रोसेसिंग शुल्क या आवेदन शुल्क आपके दस्तावेजों की प्रोसेसिंग के लिए लगाया जाने वाला शुल्क होता है. कुछ बैंकों का प्रोसेसिंग शुल्क निश्चित होता है, जबकि कुछ का प्रोसेसिंग शुल्क इस बात से तय होता है कि आप किस श्रेणी की कार के लिए कर्ज ले रहे हैं या आपको कार ऋण के तौर पर कितनी राशि चाहिए. ग्राहकों को केवल ब्याज दर में आंशिक अंतर होने पर किसी खास बैंक की तरफ आकर्षित होने से बचना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि ब्याज दर में भले ही आपको अंतर लगे. लेकिन आपकी मासिक किस्त में यह अंतर बेहद मामूली होता है. ब्याज दर में 25 आधार अंकों का अंतर कार लोन पर मात्र 12 रुपये प्रति लाख का फर्क देता है.

चैट करते करते ऐसे पता करें किसी की भी लोकेशन

आज कल तो हर कोई सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए बहुत लोगों से जुड़े रहते हैं. आप भी अपने दोस्तों से भले ही न मिलें, लेकिन उनसे फेसबुक और व्हाट्सएप पर बातें हमेशा करते रहते हैं. क्या आपने कभी ये सोचा है कि चैटिंग के अलावा फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए कई बातों का पता लगाया जा सकता है?

आपको बता दें कि आप फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए अपने किसी भी परिचित, अपनी गर्लफैंड या अपने बौयफ्रैंड और दोस्त की लोकेशन जान सकते हैं. तो हम आज आपको एक ऐसी ट्रिक बताने जा रहे हैं, जिसके द्वारा आप सामने वाले व्यक्ति की लोकेशन का आसानी से पता लगा सकते हैं. इसके लिए आपको नीचे दिए कुछ आसान से उपाय करने होंगे.

ये काम हम आईपी एड्रेस की मदद से करते हैं. तो ऐसे करते हैं आईपी एड्रेस से लोकेशन को ट्रेस :

1. सबसे पहले तो जिसका आप लोकेशन पता करना चाहते हैं, अपने उस दोस्त या व्यक्ति से चैट करना शुरू करिए, ताकि आप इसका IP एड्रेस जान सकें. यहां ये जरूर सुनिश्चित कर लें कि आपके कंप्यूटर में चल रही सभी एप्स बंद हो. अब कीबोर्ड में Win+R को प्रेस करें.

2. अब यहां cmd टाइप करके, एंटर का बटन दबाएं.

3. अब एंटर करने के बाद में कमांड प्रोम्प्ट में netstat-an टाइप करें और एंटर करें.

4. अब उस व्यक्ति का IP एड्रेस नोट कर लें.

5. अब आपको इस लिंक के साथ IP एड्रेस को टाइप कर उसको स्कैन करना होगा, जिससे आप लोकेशन जान सकते है.

फिल्मों के बाद अब टीवी पर भिड़ेंगे शाहरुख-सलमान

20 अक्टूबर 2006 को सलमान खान की फिल्म ‘जानेमन’ और शाहरुख खान की फिल्म ‘डौन’ एक ही दिन सिनेमाघरों में पहुंची थी. यानी कि तब सलमान खान और शाहरुख खान की भिड़ंत बौक्स औफिस पर हुई थी. इस भिड़ंत में सलमान खान की फिल्म ‘जानेमन’ को बौक्स औफिस पर असफलता के साथ ही काफी नुकसान उठाना पड़ा था.

यदि एक अंग्रेजी वेब साइट की खबर पर यकीन किया जाए, तो अब पूरे ग्यारह वर्ष बाद एक बार फिर सलमान खान और शाहरुख खान की भिड़ंत होने वाली है. मगर इस बार यह भिड़ंत फिल्मों के माध्यम से बौक्स औफिस पर नहीं बल्कि टीवी पर होने वाली है. जी हां! सलमान खान और शाहरुख खान सितंबर माह में अलग अलग चैनलों पर टीवी कार्यक्रम का संचालन करते हुए नजर आएंगे. मजेदार बात यह है कि इन दोनों के टीवी शो एक ही दिन एक ही समय पर अलग अलग चैनलों पर प्रसारित होने वाला है.

सूत्रों के अनुसार शाहरुख खान ‘स्टार प्लस’ के लिए पूरे विश्व में लोकप्रिय टाक शो ‘टीईडी टाक्स : नई सोच’ के भारतीय करण का संचालन करते हुए नजर आएंगे, जिसका निर्माण ‘फर्मेंटल मीडिया इंडिया’ कर रहा है. जबकि उसी वक्त ‘कलर्स’ चैनल पर ‘बिग बौस’ का सीजन ग्यारह प्रसारित होगा, जिसका संचालन सलमान खान करेंगे.

सूत्रों के मुताबिक सलमान खान ‘बिग बौस सीजन ग्यारह’ के प्रोमो के लिए 30 जुलाई, रविवार के दिन शूटिंग करने वाले हैं. आपको बता दें कि ‘बिग बौस सीजन ग्यारह’ का प्रसारण ‘कलर्स’ चैनल पर 17 या 24 सितंबर से शुरू होगा. तो दूसरी तरफ शाहरुख खान टीवी शो ‘टीईडी टाक्स : नई सोच’ के लिए 19 अगस्त को शूटिंग शुरू करेंगे. सूत्रों की मानें तो शाहरुख खान हर दिन दो एपिसोड की शूटिंग करते हुए सिर्फ सात दिन के अंदर 14 एपिसोड की शूटिंग पूरी करेंगे.

सूत्र दावा कर रहे है कि शाहरुख खान को इस टाक शो का संचालन करने के लिए एक सप्ताह के लिए तीस करोड़ की राशि मिलने वाली है. शाहरुख खान के इस टाक शो का प्रसारण सितंबर माह से हर रविवार रात 9 बजे ‘स्टार प्लस’ पर होगा.

सूत्रों के अनुसार टाक शो ‘टीईडी टाक्स : नई सोच’ के हर एपिसोड में विश्व में बसे भारतीय मूल की तीन बड़ी हस्तियां भाषण देंगे, बात करेंगे. यह स्पीकर अपनी निजी जिंदगी के अनुभवों को बांटते हुए प्रेरणा दायक स्पीच देने वाले हैं. इतना ही नहीं दर्शकों को बांधने के लिए हर एपिसोड में संगीतकार ए आर रहमान अपना मैलोडियस संगीत परोसेंगे.

जब से सलमान खान और शाहरुख खान के एक साथ टीवी पर आने की खबरें गर्म हुई हैं, तब से चर्चाएं शुरू हो गयी हैं कि कौन किसे मात देगा. लोग दावा कर रहे हैं कि सलमान खान का पलड़ा भारी है. वह ‘बिग बौस’ के कई सुपरहिट सीजन दे चुके हैं. जबकि शाहरुख खान अब तक टीवी पर असफल ही होते रहे हैं. ज्ञातब्य है कि शाहरुख खान अतीत में टीवी पर ‘कौन बनेगा करोड़पति’, ‘पांचवीं पास’, ‘सबसे सुहाना कौन’ और ‘जोर का झटका’ जैसे असफल टीवी कार्यक्रमों का संचालन कर चुके हैं.

इतना ही नहीं बौलीवुड के साथ साथ टीवी इंडस्ट्री में चर्चाएं गर्म हैं कि शाहरुख खान के इस टीवी शो से जुड़ने की खबर को महज फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल’ को ध्यान में रखकर छिपाकर रखा जा रहा है. अब इसके क्या मायने हैं, यह हमें पता नहीं चल पाया. मगर यह सच है कि ‘टीईडी टाक्स : नई सोच’ का निर्माण कर रही कंपनी ‘फर्मेंटल मीडिया इंडिया’ ने भी इस टीवी शो को लेकर चुप्पी साध रखी है.

आशका गोराड़िया ने की अपने अमेरिकन प्रेमी ब्रेंट के संग सगाई

टीवी जगत की मशहूर अदाकारा आशका गोराड़िया ने अंततः सभी चर्चाओं पर विराम लगाते हुए अपने अमेरिकन प्रेमी ब्रेंट गोबल के संग 27 जुलाई को मुंबई में अपने पारिवारिक सदस्यों व अतिनजदीकी दोस्तों की मौजूदगी में एक दूसरे को रिंग पहनाकर सगाई कर ली.

3 दिसंबर 2017 को अहमदाबाद में यह दोनों धार्मिक रीति रिवाजों के साथ शादी के बंधन में बंधने वाले हैं. आशका गोराड़िया और ब्रेंट एक साथ नृत्य प्रधान टीवी रियालिटी शो ‘‘नच बलिए सीजन 8’’ में नजर आ चुके हैं. सूत्र बताते है कि पिछली बार जब क्रिसमस के समय आशका गोराड़िया छुट्टियां मनाने के लिए अमरीका गयी थी, तभी ब्रेंट ने अपने पूरे परिवार के समक्ष बड़े रोमांटिक अंदाज में आशका गोराड़िया के सामने अपने प्रेम का इजहार करते हुए, गुजराती स्टाइल में भारत में ही उनसे शादी करने का निर्णय सुनाया था.

जब हमने इस संबंध में आशका गोराड़िया से बात की तो आशका ने कहा – ‘‘ये सच है कि हमारी सगाई हो चुकी है. हम अहमदाबाद में शादी करेंगे क्योंकि अहमदाबाद शहर से मेरा काफी करीबी जुड़ाव है. मैने 16 साल अहमदाबाद में बिताए हैं. मैं चाहती हूं कि मेरे ससुराल पक्ष के लोग अहमदाबाद आकर गुजराती रीति रिवाजों के साथ ही गुजराती ट्रेडीशनल गरबा व मेहमान नवाजी का लुत्फ उठाएं.’’

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