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इंदू सरकार : आपातकाल पर बनी सतही फिल्म

बौलीवुड में एक गंभीर राजनीतिक फिल्म की कल्पना करना बेवकूफी ही है. ऐसे में 1975 से 1977 के बीच के 21 माह के आपाकाल के दिनों में घटे घटनाक्रमों पर बनी मधुर भंडारकर की फिल्म ‘‘इंदू सरकार’’ से बहुत ज्यादा उम्मीदें करना निरर्थक ही है. क्योंकि हमारे देश का राजनीतिक माहौल ही कुछ इस तरह का है. यदि फिल्मकार अपनी फिल्म को सत्यपरक बनाने के लिए फिल्म में किसी नेता का नाम ले ले, तो राजनेता उसकी चमड़ी ही नहीं मांस तक उधेड़ने में कसर बाकी नहीं रखेंगे. यही समस्या फिल्म ‘‘इंदू सरकार’’ के साथ भी है. वैसे मधुर भंडारकर उस वक्त इस फिल्म को बना पाए हैं, जब ‘कांग्रेस’ विरोधी सरकार है. फिर भी इस फिल्म को कांग्रेस का कोपभाजन बनना पड़ा.

फिल्म ‘‘इंदू सरकार’’ की कहानी इंदू नामक महिला के नजरिए से चलती है. इंदू (कीर्ति कुल्हारी) एक अनाथ लड़की है. वह कवितांए लिखती है, मगर हकलाती भी है. उसकी जिंदगी में एक पुरुष नवीन सरकार (तांता राय चौधरी) आता है, जिसकी महत्वाकांक्षा एक बहुत बड़ा ब्यूरोक्रेट्स बनना है. वह एक चाटुकार है. नवीन सरकार के साथ शादी कर वह इंदू सरकार बन जाती है. 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लग जाता है. फिर विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी, तुर्कमानगेट कांड, नसबंदी जैसे कई घटनाक्रम घटित होते हैं. नवीन सरकार नेताओं की हां में हां मिलाना शुरू करते हैं. मगर इंदू सरकार नैतिकता व एक स्वस्थ विचारधारा के साथ अपनी अलग राह चुनती है. परिणामतः उसकी खूबसूरत जिंदगी बदल जाती है. वह भी नानाजी (अनुपम खेर) के साथ अंडरग्राउंड होकर आपातकाल के खिलाफ जंग का हिस्सा बनती है. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. अंततः 21 माह बाद आपातकाल खत्म होता है.

यूं तो आपातकाल के 21 माह के दौरान घटित घटनाक्रमों पर कई किताबें उपलब्ध हैं, फिर भी वर्तमान पीढ़ी के लिए आपातकाल की भयावहता को समझने मे यह फिल्म अच्छा साधन बन सकती है. क्योंकि मधुर भंडारकर ने तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश पर आपातकाल थोपे जाने के बाद जिस तरह से आम लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन किया गया, से लेकर इंदिरा गांधी की उनके बेटे संजय गांधी रूपी कमजोरी व संजय गांधी के दुःखद व गलत निर्णयों, जबरन नसबंदी, विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी, पूरे देश में आतंक का माहौल जैसे घटनाक्रमों व भयावहता का अपनी फिल्म में बेहतरीन चित्रण किया है.

मधुर भंडारकर ने बड़ी चालाकी से कहानी का केंद्र इंदू सरकार (कीर्ति कुलहारी) नामक एक अनाथ व साधारण मगर बहुत ही ज्यादा साहसी व दिलेर महिला के इर्द गिर्द बुना है. हम जानते हैं कि इंदिरा गांधी को एक खास इंसान ‘इंदू’ नाम से बुलाता था. इसी तरह फिल्म में संजय गांधी का किरदार तो रखा है, मगर उसे ‘चीफ’ (नील नितिन मुकेश) नाम दिया है. इसी तरह से दूसरे वास्तविक किरदारों के नाम बदले गए हैं. यदि मधुर भंडारकर ने इन नामों को फिल्म में रखा होता और इंदू सरकार के इर्द गिर्द के किरदारों को सही रूपों में अहमियत के साथ पेश किया होता, तो आपातकाल की पृष्ठभूमि पर ‘इंदू सरकार’ ज्यादा बेहतर फिल्म हो सकती थी. कुल मिलाकर मधुर भंडारकर ‘फैशन’ या ‘पेज थ्री’ जैसा जादू रचने में असफल रहे हैं. ‘इंदू सरकार’ बहुत ज्यादा गहरा प्रभाव छोड़ने मे असफल रहती है.

फिल्म की कहानी व पटकथा कुछ कमजोरियों के बावजूद  बेहतर है. इंटरवल के बाद फिल्म निर्देशक के हाथ से फिसलती हुई नजर आती है. लगता है कि इस कमी को पूरा करने के लिए जबरन कव्वाली ठूंसी गयी है. फिल्म कई जगह इतनी तेज भागती है कि कुछ संवाद उसमें खो जाते हैं. आपातकाल के समय छोटे शहरों व गांवों में घटित घटनाक्रम ज्यादा भयावह थे, जिनकी उपेक्षा की गयी है. फिल्मकार मधुर भंडारकर जिस तरह के कथा कथन के लिए जाने जाते हैं, उसका अभाव फिल्म ‘‘इंदू सरकार’’ में नजर आता है.

फिल्म के एडीटर की अपनी कमियों के चलते भी फिल्म कमजोर हुई है. फिल्म के कैमरामैन कीयको नकहरा बधाई के पात्र हैं. फिल्म का गीत संगीत उत्तम है. इंदू सरकार के चुनौतीपूर्ण किरदार में कीर्ति कुल्हारी ने जबरदस्त परफार्मेंस दी है. अपनी भावनाओं, जिंदगी की दुविधाओं के बीच के संघर्ष के दृश्यों में उनकी अभिनय क्षमता इस तरह से निखर कर आयी है कि यदि उन्हे राष्ट्रीय पुरस्कार मिल जाए, तो गलत नहीं होगा. तांता राय चौधरी ने भी अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है.

दो घंटे 19 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘इंदू सरकार’’ का निर्माण भरत शाह और भंडारकर इंटरटेनमेंट द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है. फिल्म के निर्देशक मधुर भंडारकर, लेखक मधुर भंडारकर, पटकथा लेखक अनिल पांडेय व मधुर भंडाकर, संवाद संजय छैल, संगीतकार अनु मलिक, कैमरामैन कीयको नकहरा तथा कलाकार हैं-कीर्ति कुल्हारी, नील नितिन मुकेश, सुप्रिया विनोद, तांता राय चौधरी, अनुपम खेर आदि.

मुबारकां : बेहतरीन अभिनय से सजी फिल्म

सिनेमा का मकसद दर्शक के चेहरे पर मुस्कुराहट लाना और उसे मनोरंजन प्रदान करना होता है. इस मकसद को पूरी करने में फिल्म ‘‘मुबारकां’’ सक्षम है, जो कि फिल्मकार अनीस बजमी की अपनी खास शैली की पारिवारिक फिल्म है.

पारिवारिक रोमांटिक कामेडी फिल्म ‘‘मुबारकां’’ की कहानी करण व चरण के इर्द गिर्द घूमती है. जुड़वा भाई करण व चरण के माता पिता की बचपन में ही लंदन में ही एक कार दुर्घटना में मौत हो गयी थी. तब लंदन में ही रह रहे इनके चाचा करतार सिंह (अनिल कपूर) ने करण को लंदन में रह रही अपनी बहन (रत्ना पाठक) को तथा चरण को पंजाब में रह रहे अपने भाई बलदेव सिंह (पवन मल्होत्रा) को दे दिया था. जिसके चलते जुड़वा भाई होते हुए भी करण व चरण ममेरे व फुफुरे भाई बन गए तथा करतार सिंह करण के मामा और चरण के चाचा बन गए.

लंदन में पले बढ़े करण (अर्जुन कपूर) को स्वीटी (ईलियाना डिक्रूजा) से प्यार है. दोनों की मुलाकातें लंदन में ही हुई थी. पढ़ाई पूरी कर स्वीटी वापस पंजाब भारत लौट आती है, तो उसके पीछे पीछे करण भी अपने मामा बलदेव व भाई चरण के साथ रहने चंडीगढ़, पंजाब आ जाता है. एक दिन करण की मां का संदेष आता है कि उन्होंने करण की शादी लंदन में ही सिंधू की बेटी बिंकल (आथिया शेट्टी) से करने का फैसला किया है. इसलिए करण बिंकल को देखने के लिए आ जाए. मगर करण अभी शादी करने से मना कर देता है और चरण को चरण के पिता के साथ लंदन भेज देता है.

इधर चरण को चंडीगढ़ में ही वकालत कर रही एक मुस्लिम लड़की नफीसा कुरेशी (नेहा शर्मा) से प्यार है. वह लंदन पहुंचकर अपने करतार चाचा से सच बयां कर मदद मांगता है. करतार कहता है कि वह सिंधू के सामने उसे ड्रग्स लेने वाला साबित कर देंगे, तो सिंधू खुद ही अपनी बेटी बिंकल की शादी उससे नही करेंगे. मगर बिंकल से मिलते ही चरण पहली नजर में ही उसे अपना दिल दे बैठता है. जब तक चरण यह बात अपने चचा करतार को बताता तब तक तो करतार की वजह से सिंधू का बेटा परमीत उसे ड्रग्स लेने वाला मान लेता है. उसके बाद सिंधू, बलदेव को अपशब्द कहता है. बलदेव, सिंधू को अपशब्द कहता है और फिर भाई बहन के बीच भी झगड़े हो जाते हैं.

बलदेव कसम खाता है कि वह एक माह के अंदर पच्चीस तारीख तक अपने बेटे चरण की शादी बिंकल से भी अच्छी लड़की से करके दिखा देंगे और चंडीगढ़ वापस लौट आते हैं. एक दिन गुरुद्वारे में बलदेव की मुलाकात स्वीटी व उसके पिता से होती है. दोनों के बीच बातचीत होती है. दूसरे दिन बलदेव, चरण व करण के साथ स्वीटी के घर पहुंच जाता है. स्वीटी को लगता है कि करण के मामा करण का रिश्ता लेकर आए हैं. इसलिए वह वह तुरंत हां कर देती है. अब बलदेव उसी वक्त चरण व स्वीटी की शादी की तारीख 25 को तय कर देते हैं. इससे स्वीटी व करण दोनों परेशान होते हैं.

जब चरण को पता चलता है कि स्वीटी से करण प्यार करता है, तो वह भी परेशान हो जाता है. उधर करण की मम्मी, सिंधू को खुश करने के लिए बिंकल की शादी करण से 25 को ही करने का निर्णय ले लेती है. अब करण व चरण दोनों करतार सिंह से मदद मांगते हैं. तब करतार सिंह सबसे पहले बलदेव को डेस्टीनेशन वेडिंग के लिए तैयार कर चरण की लंदन में शादी करने के लिए राजी करता है. अब सब लंदन पहुंच जाते हैं. फिर शुरू होता है हास्य घटनाक्रमों का सिलसिला. अंततः बलदेव व उनकी बहन के बीच पुनः रिश्ता जुड़ता है और करण की स्वीटी से, चरण की बिंकल से तथा नफीसा की परमीत से शादी होती है.  

‘‘प्यार तो होना ही था’’, ‘‘नो एंट्री’’, ‘‘वेलकम’’, ‘‘सिंह इज किंग’’ जैसी फिल्मों के निर्देशक अनीस बजमी ने एक बार फिर फिल्म ‘‘मुबारकां’’ में अपने बेहतरीन निर्देशकीय कौशल का परिचय दिया है. फिल्म में पारिवारिक रिश्तों की अहमियत व रिश्तों को जोड़े रखने की बात बड़ी खूबसूरती से कही गयी है. इतना ही नहीं वर्तमान पीढ़ी जिस तरह से प्रेमी या प्रेमिका को कपड़ों की तरह बदलती रहती है, उस पर भी निर्देशक व लेखक ने कटाक्ष करते हुए सही सलाह भी दी है. मगर फिल्म कहीं भी बोर नहीं करती. फिल्म के संवाद काफी आकर्षक हैं. फिल्म की कहानी व पटकथा को बड़ी खूबसूरती से बुना गया है, मगर इंटरवल के बाद फिल्म कुछ ज्यादा ही लंबी हो गयी है. इंटरवल के बाद के हिस्से को एडीटिंग टेबल पर कसा जाना चाहिए था. फिल्म का क्लायमेक्स और बेहतर हो सकता था.

अनीस बजमी इस बात के लिए बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने एक साफ सुथरी ऐसी पारिवारिक फिल्म बनायी है, जिसे पूरा परिवार निःसंकोच एक साथ बैठकर देख सकता है. अन्यथा अमूमन फिल्मकार अपनी हास्य फिल्म में द्विअर्थी संवाद भरकर दर्शक को हंसाने का असफल प्रयास करते हैं.

फिल्म के कैमरामैन हिमान धमीजा भी बधाई के पात्र हैं. लोकेशन बहुत बेहतरीन चुनी गयी हैं. फिल्म का गीत संगीत भी आकर्षक है. मगर फिल्म में जरुरत से ज्यादा गाने रखे गए हैं. गानों की वजह से कई जगह फिल्म कमजोर भी होती है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो पवन मल्होत्रा और अनिल कपूर ने बेहतरीन परफार्मेस दी है. कई दृश्यों में पवन मल्होत्रा ने तो अनिल कपूर व दूसरे कलाकारों को भी मात दिया है. दोहरी भूमिका निभाते हुए अर्जुन कपूर ने साबित कर दिया कि एक अच्छी पटकथा, दमदार किरदार और अच्छा निर्देशक हो तो, वह अपने अभिनय का मुरीद हर किसी को बना सकते हैं. दोहरी भूमिका में दोनों किरदारों के बीच दूरी बनाए रखना कलाकार के लिए मुश्किल होता है. मगर एक ही चेहरा होने के बावजूद करण व चरण दोनों काफी अलग उभरकर आते हैं. इसे अर्जुन कपूर के अभिनय की खूबी ही कही जाएगी. कई दृश्यों में वह स्वाभाविक लगे हैं.

ईलियाना डिक्रूजा ने साबित किया कि उनके अंदर काफी काफी संभावनाएं हैं. अपनी पहली फिल्म ‘हीरो’ के मुकाबले इस फिल्म में आथिया शेट्टी ने अच्छा अभिनय किया है. यह एक अलग बात है कि उनका किरदार लंबा नहीं है. मगर इस फिल्म से आथिया शेट्टी ने यह दिखाया कि यदि निर्देशक चाहे तो उनसे बेहतरीन अभिनय करवा सकता है. रत्ना पाठक शाह, नेहा शर्मा, राहुल देव, करण कुंद्रा आदि ने भी अपने किरदारों के साथ न्याय किया है.

दो घंटे 36 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘मुबारकां’’ का निर्माण   अश्विन वर्दे, मुराद खेतानी, सुविदेश शिंगड़े, निर्देशक अनीस बजमी, लेखक राजेश चावला, कहानीकार बलविंदर सिंह जंजुआ व रूपिंदर चहल, पटकथा लेखक बलविंदर सिंह जंजुआ व गुरमीत सिंह, संगीतकार रिषी रिच, अमाल मलिक व गौरव रोशिन, कैमरामैन हिमान धमीजा तथा कलाकार हैं-अनिल कपूर, अर्जुन कपूर, ईलियाना डिक्रूजा, आथिया शेट्टी, राहुल देव, पवन मल्होत्रा, रत्ना पाठक व नेहा शर्मा.

प्रो कबड्डी लीग : मैच देखने से पहले जरूर जान लें ये 10 नियम

‘ले पंगा’ थीम के साथ शुरू हुआ प्रो कबड्डी लीग का पांचवा संस्करण 28 जुलाई यानी की आज से शुरू हो रहा है. यह प्रो कबड्डी लीग का सबसे बड़ा संस्करण होगा जो तीन महीने चलेगा. पिछले सीजन के मुकाबले इस सीजन में 4 नई टीमों की एंट्री हुई है. जिनमें यूपी योद्धा, हरियाणा स्टीलर्स, तमिल थलाइवा और गुजरात फॉर्च्यून जाइंट्स के नाम शामिल हैं.

प्रो-कबड्डी लीग सीजन 5 के उद्घाटन समारोह में बौलीवुड की कई मशहूर हस्तियां भी शिरकत करेंगी. अभिनेता अक्षय कुमार, राणा दग्गुबाती और क्रिकेट दिग्गज सचिन तेंदुलकर सहित विभिन्न क्षेत्रों के बड़े नाम इस समारोह में हिस्सा लेंगे. पांचवें संस्करण की शुरुआत हैदराबाद में हो रही है, जिसमें दक्षिण भारतीय फिल्म जगत के कई सितारे मौजूद रहेंगे.

इस उद्घाटन समारोह में खेल जगत से भी कई जाने-माने लोग शामिल होंगे. हाल ही में इंडोनेशिया ओपन और सिंगापुर ओपन बैडमिंटन टूर्नामेंट जीत कर सुर्खियां बटोरने वाले बैडमिंटन खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत, उनके गुरु और दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद, बी. साई प्रणीत और 2008 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले बैडमिंटन खिलाड़ी गुरु साईदत्त भी उपस्थित रहेंगे.

आईसीसी महिला विश्व कप-2017 के फाइनल में पहुंचने वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज भी अपनी उपस्थिति से इस समारोह की शोभा बढ़ाएंगी.

इस दौरान, लीग का पहला मैच तेलुगू टाइटंस और तमिल थलाइवा तथा यू-मुंबा और पुनेरी पल्टन के बीच खेला जाएगा. लीग का फाइनल मैच 28 अक्टूबर को चेन्नई में खेला जाएगा.

नए सीजन के साथ कई नियमों में भी बड़ा बदलाव किया गया है. लीग चरण में 132 मैच खेले जाएंगे. हर टीम को 22 मैच खेलने का मौका मिलेगा. उनमें से 15 इंट्रा-जोन और सात इंटर-जोन मैच होंगे. खेल के प्रत्येक स्थल में कुल 11 मैच होंगे और वहीं प्रत्येक टीम के लिए कुल छह घरेलू मैच होंगे. लेकिन नए सीजन देखने से पहले कुछ मुख्य नियम हैं जिनका जानना आपके लिए बेहद अहम होगा.

कबड्डी का मैच देखने से पहले जरूर जानें इन 10 नियमों को.

– मैच में टॉस महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा क्योंकि विजेता टीम के पास पहले रेड करने या मैट का हॉफ चुनने का मौका होगा.

– किसी भी रेडर के लिए अंक हासिल करना आवश्यक होगा. अगर रेडर कोई अंक अर्जित नहीं करता या गंवाता, तो उसे खाली रेड माना जाएगा.

– एक खिलाड़ी को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके शरीर का कोई भी हिस्सा फील्ड के बाहर नहीं छूए, वरना उसे आउट घोषित किया जाएगा.

– एक रेडर को अपने विरोधियों के हाफ में प्रवेश करने से पहले ही “कबड्डी कबड्डी” बोलना होगा, जिससे कि रेफरी को लगे कि वो एक ही सांस में ये कर रहा है.

– रेड करने वाली टीम की ओर से एक समय पर एक ही रेडर विपक्षी टीम के हाफ में प्रवेश कर सकता है.

– आक्रमण करने वाले रेडर को बालों या कपड़े से नहीं पकड़ा जाना चाहिए. ऐसे परिदृश्य में वह नॉट आउट माना जाएगा और विपक्षी टीम के डिफेंडरों को दोषियों मानते हुए आउट घोषित किया जाएगा.

– किसी भी सूरत में डिफेंडर रेडर को “कबड्डी कबड्डी” बोलने से नहीं रोक सकते. यदि ऐसा कुछ होता है, तो आक्रमण करने वाले खिलाड़ी को आउट नहीं माना जाएगा.

– आक्रमण करने वाली टीम के रेडर को मैट की बाउंड्री लाइन पार करने की अनुमति नहीं होगी. यदि ऐसा होता है, तो विरोधी टीम को एक तकनीकी आधार पर एक अंक और रेड करने का मौका दिया जाएगा.

– रेडर के अपने हाफ में पहुंचने के बाद विपक्षी टीम को 5 सेकेंड के भीतर ही अपने रेडर को अटैक करने के लिए भेजना होगा, अन्यथा दूसरी टीम को एक तकनीकी अंक मिल जाएगा.

– जब कोई रेडर विपक्षी टीम के हाफ में पहुंच जाता है, इस दौरान विपक्षी टीम का कोई भी डिफेंडर आक्रमण करने वाली टीम के हाफ को नहीं छू सकता है, ऐसी स्थिती में रेड करने वाली टीम को एक तकनीकी अंक मिल जाएगा.

ज्यादा फायदे के लिए करें इन जगहों पर निवेश

हर कोई चाहता है कि मासिक वेतन के अलावा भी उसकी कोई इनकम हो. कई बार अचानक खर्च का बोझ इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि आप अपनी वित्तीय योजनाएं बना नहीं पाते हैं. ज्यादातर लोग जो प्राइवेट जॉब करते हैं, वो अपने मासिक खर्च को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं और महीने के अंत में परेशानियां उठानी पड़ती हैं.

तो आइये, क्यों न ऐसे तरीकों के बारे में सोचें, जो आपको हर महीने एक्स्ट्रा इनकम यानी अतिरिक्त आमदनी प्रदान करे. अगर आपके पास कोई एक मुश्‍त रकम आ गई है या आने वाली है, तो उसे बेतरतीब खर्च करने के बजाये ऐसी जगह पर निवेश करें, जिससे आपकी हर महीने इनकम हो. प्राइवेट जॉब वालों के लिये ये विकल्प इसलिये भी अच्‍छे हैं, क्‍योंकि अगर दुभाग्यवश नौकरी छूट जाती है, या दूसरी नौकरी ज्वाइन करने में समय लगता है, तो आपके घर के मूलभूत खर्च रुकेंगे नहीं.

ये हैं वो निवेश जिनसे होती है निरंतर रूप से मासिक आय…

म्यूचुअल फंड एमआईपी

म्यूचुअल फंड में एक मासिक आय का भी प्लान होता है. इसमें कई प्रकार की अलग-अलग योजनाएं हैं, जो आपको बेहतर लगे, आप उसमें निवेश कर सकते हैं.

सीनियर सिटीजेन सेविंग स्कीम

डाक घर एवं कुछ बैंकों में ऐसी योजनाएं हैं, जिनमें 5 साल के मेच्योरिटी पीरियड के बाद 8.6 प्रतिशत सालाना की दर से ब्याज मिलता है. आप ऐसे अकाउंट खोल सकते हैं.

बैंक फिक्सड डिपॉजिट

जो लोग जोखिम नहीं लेना चाहते हैं, वे बैंक के उन फिक्स्‍ड डिपॉजिट को चुन सकते हैं, जिनमें मासिक, त्रैमासिक या पुन:निवेश करने पर आय होती है.

डिविडेंड म्यूचुअल फंड

डिविडेंड म्यूचुअल फंड में निवेश करके आप एक नियमित अंतराल में उसका लाभांश प्राप्‍त कर सकते हैं.

रीयल इस्‍टेट

अगर आपके पास इतना धन है कि आप मकान या फ्लैट खरीद सकते हैं. तो उसमें आप निवेश करिये और किराये पर उठा दीजिये.

पोस्ट ऑफिस

एमआईएस पोस्ट ऑफिस की मासिक स्कीम के अंतर्गत आप 7.80 प्रतिशत की वार्षिक ब्याज दर से मासिक आय प्राप्‍त कर सकते हैं.

मेरे पति के मेरी बहन के साथ संबंध हैं. वहीं मेरी बेटी के ट्यूशन टीचर मेरे साथ संबंध बनाना चाहते हैं. मैं क्या करूं.

सवाल

मैं 31 वर्षीय विवाहिता व 2 बेटियों की मां हूं. मेरी शादी को 16 वर्ष हो चुके हैं. मैं अपनी शादीशुदा जिंदगी से खुश नहीं हूं. मेरे पति मेरी बड़ी बहन से प्यार करते हैं. उन दोनों में अवैध संबंध भी हैं. यह बात मुझे 4 सालों से मालूम है पर चाह कर भी मैं कुछ नहीं कर पाई, क्योंकि मेरे पति बहुत ही तानाशाही प्रवृत्ति के हैं. बातबात पर उन का गुस्सा बेकाबू हो जाता है. मैं उन का विरोध करने के बारे में सोच भी नहीं सकती. इसलिए देख कर बस कुढ़ती रहती हूं. वे मेरी बेटियों पर भी ध्यान नहीं देते.

मेरी बेटी जिस अध्यापक से पिछले 9 सालों से पढ़ी रही है उन्होंने जब नोटिस किया कि मैं परेशान हूं तो मेरी परेशानी की वजह जाननी चाही. जानने के बाद वे मुझ से काफी हमदर्दी रखने लगे हैं. मैं भी उन्हें चाहने लगी हूं. 6 महीने पहले जब उन्होंने कहा कि मेरे साथ अपनी खुशियां बांटना चाहते हैं, तो मैं सुन कर दंग रही गई. मैं उन से नजदीकियां बढ़ने से जो इस तरह के रिश्तों में बढ़नी स्वाभाविक है डरती हूं. बताइए मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

4 साल पहले आप को अपने पति के अवैध संबंधों की बाबत मालूम चल गया था, तो आप को इस का विरोध करना चाहिए था. पति कितने भी बड़े तानाशाह क्यों न रहे हों, इस तरह की ज्यादती के लिए आवाज न उठा कर आप ने उन्हें खेलनेखाने की खुली छूट दे दी. पति से खौफ खाती रहीं तो भी आप अपनी  बहन को अपने ही घर में जमा डालने के डांटफटकार लगा सकती थीं अब भी समय है, उसे लताडे़, उस के पति से शिकायत करें. अपने मायके वालों को भी उस की करतूत बताएं. इतना करने से वह आप के रास्ते से हट जाएंगी.

रही अपनी बेटी के अध्यापक की बात तो उन से आप को अपनी निजी बात शेयर नहीं करनी चाहिए थी. वे आप से जो हमदर्दी जता रहे हैं वह आप की बेचारगी पर तरस खा कर. वे मौके का फायदा उठाना चाहते हैं. ऐसे अवसरवादी व्यक्ति से आप को सावधान रहना चाहिए. बाहर खुशियां तलाशने के बजाय अपनी खोई खुशियों को संजाने का प्रयास करना चाहिए. आप को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि आप पर 2 बेटियों की भी जिम्मेदारी है. आप कहती हैं कि आप के पति अपनी बेटियों पर ध्यान नहीं देते तो ऐसे में तो आप की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है. अत: समझदारी से काम लें.

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

राज कपूर की 67 साल पुरानी चीज बनी रणबीर की अनमोल धरोहर

कुछ ही दिनों पहले रणबीर कपूर की फिल्म जग्गा जासूस रिलीज हुई है. पिछले कुछ दिनों में अपनी फिल्म के प्रमोशन से लेकर अपने परिवार के एक और सदस्य आदर जैन के बॉलीवुड लॉन्च के मौकों पर रणबीर कई बार कई ईवेंट्स में नजर आए हैं और मीडिया से रुबरु होते रहे हैं.

यूं तो हर किसी को अपने परिवार में सबसे लगाव होता है, चाहे वे बौलीवुड के सितारे हों या कोई आम इंसान. लेकिन अभिनेता रणबीर कपूर को अपने दादा राज कपूर से खासा लगाव था और आज वे उन्हें बहुत मिस करते हैं. वे आए दिन उनकी यादें लोगों से सांझा करते रहते हैं.

यहां खास बात ये है कि अपने दादा, अभिनेता राज कपूर की एक 67 साल पुरानी अनमोल धरोहर को रणबीर ने हमेशा के लिए अपने पास सहेज कर रखा हुआ है.

पिछले दिनों ही मुंबई में हो रहे एक इवेंट के दौरान रणबीर कपूर ने बताया कि बहुत समय पहले उनके एक प्रशंसक ने उन्हें एक ऑटोग्राफ भेजा था, जो कि उनके दादा राज कपूर का है और इसे राज कपूर ने उसे साल 1950 में दिया था.

रणबीर कपूर ने कहा कि जब उनकी पहली फिल्म 'सावरिया' रिलीज हुई थी, तब हरियाणा के एक व्यक्ति ने मुझे एक चीज भेजी, जो मेरी अब तक कि सबसे अनमोल कीमती वस्तु बन गई है और यही मेरे जीवन का मंत्र भी बन गया है. रणबीर कहते हैं कि राज कपूर का ये ऑटोग्राफ अब उनसे कभी जुदा नहीं होगा.

आगे उन्होंने ये भी बताया कि इस ऑटोग्राफ के साथ एक बात और कही गई है, जिसे वे अपने जीवन को मंत्र समझते हैं कि  "विनम्रता किसी भी कलाकार के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण गुण होता है’’

यहां तक तो सारी बातें अच्छी हैं, पर एक और इवेंट में पहुचें रणबीर कपूर ने फिर अपने पूर्वजों को एक अलग ही अंदाज में याद किया, पर रणबीर आपकी ये बात शायद बौलीवुड के कई और कलाकारों को नागंवारा हो सकती थी और आपको भी कुछ सितारों की नफरत का सामना करना पड़ सकता है.

खुद कपूर खानदान की चौथी पीढ़ी, रणबीर कपूर को लगता है कि बौलीवुड में वंशवाद सबसे ज्यादा है. आपके परिवार के कारण भले ही आपको फिल्म मिल जाए लेकिन बाकी सब तो आपकी प्रतिभा पर ही निर्भर करता है.

बौलीवुड में वंशवाद और भाई-भतीजावाद को लेकर खूब बहस होती रही है, जिसमें अक्सर वो स्टार जरूर निशाना बनते रहे हैं जो फिल्मी परिवार से आते हैं. अभी कुछ समय पहले ही अभिनेत्री कंगना रणौत इसी भाई-भतीजावाद पर अपने बयानों को लेकर काफी चर्चा में थी.

ये बात आपको बताने वाली नहीं है कि रणबीर कपूर अपने परिवार की चौथी पीढ़ी हैं, जो फिल्मों में हैं, फिर भी अब वे लोगों को बता रहे हैं कि सबसे ज्यादा वंशवाद बौलीवुड में है. रणबीर ये बात तो सबको पता है, इसमें बताने वाली कोई बात नहीं थी.

ये बात उन्होंने खास करके एक फेसबुक चैट के दौरान कही थी, जब वे अपनी रिलीज हो चुकी फिल्म जग्गा जासूस के प्रमोशन के सिलसिले में कटरीना कैफ के साथ बातचीत के लिए आये थे.

वैसे रणबीर ने वंशवाद की बात को लेकर अपना ही उदहारण दिया, लेकिन ये भी कहा कि इस इंडस्ट्री में आने के लिए उनके परदादा पृथ्वीराज कपूर ने खूब मेहनत की थी. आगे अपनी बातों में उन्होंने ये भी जोड़ दिया कि यहां तक आने के लिए उनके परदादा ने जमकर मेहनत की थी तो दादा जी को काम मिला और फिर इसलिए ही उनके पिता को. और अब इसी कारण उन्हें मिल भी रहा है.

महिला विश्व कप में बनें ये खास 5 रिकार्ड

महिला क्रिकेट विश्व कप में भले ही भारतीय टीम हार गई हो लेकिन खिलाड़ियों ने देश का दिल जीत लिया है. कल तक जहां लोगों को टीम के खिलाड़ियों का नाम तक पता नहीं होता था, आज वही लोग उन महिला खिलाड़ियों का गुणगान कर रहे हैं. जिस तरह अचानक से महिला क्रिकेट को लेकर देश में माहौल बदला है उसे देखकर कहा जा सकता है कि महिला क्रिकेट के अच्छे दिन अब आने वाले हैं.

‘क्रिकेट को पहले केवल पुरुष क्रिकेट के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब समय तेजी से बदल रहा है और हो सकता है कि 20 से 30 साल बाद कोई यह सोचे कि क्या पुरुष भी क्रिकेट खेलते हैं. यह वास्तव में बहुत बड़ी उपलब्धि है जिससे पूरा देश खुश है.’ यह भारत के खेल मंत्री विजय गोयल के शब्द हैं.

2017 महिला विश्व कप सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि बाकी और देशों के लिए भी उपलब्धि है. इस साल महिला क्रिकेट को अच्छी कवरेज मिली और लोकप्रियता भी. महिला विश्वकप 2017 को भले ही इंग्लैंड ने जीता है, लेकिन इस बार दुनिया भर में महिला क्रिकेट चर्चा का विषय रहा है.

जब एक महीने पहले आईसीसी महिला विश्वकप 2017 शुरू हुआ था, तब किसी को ये नहीं पता था कि इस टूर्नामेंट में इतने रिकार्ड बन जाएंगे. लेकिन जैसे-जैसे टूर्नामेंट आगे बढ़ता गया इसमें कई बेहतरीन फील्डिंग, शानदार बल्लेबाजी, हैरान कर देने वाले गेंदबाजी स्पेल देखने को मिले.

इन महिला क्रिकेटरों ने इस विश्व कप में कई ऐसे रिकार्ड बनाएं हैं, जिनकी वजह से आप इनकी उपलब्धियों को दरकिनार नहीं कर सकते हैं. हम आपको इस टूर्नामेंट में बने 5 रिकार्ड्स के बारे में बताते हैं.

महिला वनडे क्रिकेट में लगातार 5 अर्धशतक का रिकार्ड

भारत भले ही विश्वकप के फाइनल में मुकाबले में हार गया हो लेकिन टुर्नामेंट के पहले मैच में ही भारतीय टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ जीत हासिल की थी. इस मैच में कप्तान मिताली राज ने शानदार 71 रन की पारी खेली थी. जबकि स्मृति मंधाना ने 90 रन की पारी खेली.

मिताली राज ने इसी पारी के साथ ही लगातार सात अर्धशतक बनाने का रिकार्ड अपने नाम दर्ज करवा लिया. मिताली ने इंग्लैंड की कप्तान शेर्लोट एडवर्ड्स और ऑस्ट्रेलियाई लिंडसे रीलर और एलिस पेरी के 6 अर्धशतकों का रिकार्ड तोड़ दिया. मिताली ने 70, 64, 73, 51, 54, 62 व 71 रन की पारियां दर्ज हैं.

इस टूर्नामेंट में एलिस पेरी ने लगातार 5 अर्धशतक बनाए, सेमीफाइनल में पेरी भारत के खिलाफ 38 रन पर आउट हो गयीं थीं. वहीं पुरुष क्रिकेटरों में जावेद मियांदाद ने ही एकमात्र क्रिकेटर रहे हैं, जिन्होंने लगातार 5 अर्धशतक बनाए थे.

महिला वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन

भारतीय महिला टीम की कप्तान ने हाल ही में सम्पन्न हुए महिला विश्वकप में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकार्ड अपने नाम दर्ज करवाया है. इससे पहले इंग्लैंड की बल्लेबाज शेर्लोट एडवर्ड्स के नाम ये रिकार्ड दर्ज था. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ग्रुप स्टेज में मिताली ने ये कारनामा किया.

मिताली ने मैच के 29वें ओवर की चौथी गेंद पर कवर ड्राइव खेलकर एक रन लिया और उनके नाम ये रिकार्ड दर्ज हो गया. इसके साथ ही मिताली 6000 रन बनाने वाली पहली महिला खिलाड़ी बन गयी.

फुल मेंबर के खिलाफ बना उच्च स्कोर

साल 2013 में इंग्लैंड की विकेटकीपर बल्लेबाज सराह टेलर ने श्रीलंका के खिलाफ 171 रन की पारी खेली थी. लेकिन इस विश्वकप में जहां हरमनप्रीत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 171 रन की पारी खेलकर टेलर की बराबरी की तो वहीं श्रीलंका की चमारी अट्टापट्टू ने इसी विश्वकप में ऑस्ट्रेलिया के ही खिलाफ 178 रन की पारी खेली. जो आईसीसी के फुल मेंबर के खिलाफ उच्च स्कोर है. जबकि हरमनप्रीत का शतक विश्वकप में भारत की ओर से बनाया गया व्यक्तिगत सर्वाधिक स्कोर है.

महिला वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा अर्धशतक

महिला विश्वकप की शुरुआत में भारत और इंग्लैंड के बीच हुए मुकाबले में भारत ने 35 रन से जीत दर्ज की थी. जिसमें स्मृति मंधाना ने 90 रन की पारी खेली. इसी मैच में कप्तान मिताली राज ने 73 गेंदों में 71 रन की पारी खेली थी. उनकी इस पारी के साथ ही वह वनडे में सबसे ज्यादा अर्धशतक बनाने वाली महिला बल्लेबाज बन गयीं. मिताली ने शेर्लोट एडवर्ड्स के 46 अर्धशतकों का रिकार्ड तोड़ दिया. मिताली के नाम अब 49 अर्धशतक दर्ज हो गये हैं.

बिना रन बने ही गिर गए चार विकेट

2017 महिला विश्वकप में कई मुकाबले बेहद नजदीकी हुए. लेकिन कई मैच तो पूरी तरह एकतरफा हो गये. वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका का मुकाबला बेहद नजदीकी वाला रहा था. जिसमें विंडीज को प्रोटीस ने 48 रन पर ऑलआउट कर 10 विकेट से मैच जीत लिया था. दक्षिण अफ्रीका की कप्तान डेन वैन निकर्क ने इतिहास रचते हुए बिना रन दिए 4 विकेट चटकाए. ऐसा पुरुष व महिला क्रिकेट के किसी भी फॉर्मेट में पहली बार हुआ है.

राग देश : ऐतिहासिक घटनाक्रम का घटिया प्रस्तुतिकरण

इतिहास के किसी भी पन्ने को सेल्यूलाइड के परदे पर जीवंत करना एक फिल्मकार के लिए सबसे बड़ी चुनाती होती है. पर फिल्म ‘‘राग देश’’ के लेखक व निर्देशक तिग्मांशु धुलिया यहां पर बुरी तरह से असफल रहे हैं. ‘‘राग देश’’ देखने के बाद इस बात का एहसास ही नहीं होता कि यह फिल्मकार ‘पान सिंह तोमर’ जैसी फिल्म बना चुका है.

यह एक काल खंड की फिल्म है, जिसकी कहानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की सेना ‘‘इंडियन  नेशनल आर्मी’’ के तीन जवानों के इर्द गिर्द घूमती है. इन्हें ब्रिटिश सरकार ने 1945 में लाल किले में मुकदमा चलाकर हत्या का अपराधी घोषित किया था. इन सैनिकों ने बर्मा की सीमा पर ब्रिटिश सेना के खिलाफ युद्ध लड़ा था.

मेजर जनरल शाह नवाज खान (कुणाल कपूर), लेफ्टीनेंट कर्नल गुरबख्श ढिल्लों (अमित साध) और कर्नल प्रेम सहगल (मोहित मारवाह) 1942 में सुभाष चंद्र बोस की ‘आजाद हिंद फौज’ यानी कि नेशनल इंडियन आर्मी की अगुवाई कर रहे थें. इनका मकसद ब्रिटिश सेना से लड़कर हिंदुस्तान को आजाद कराना था. दुर्भाग्यवश एक प्लेन दुर्घटना में सुभाष चंद्र बोस का निधन हो गया. तब इन तीन जवानों ने दूसरे सैनिकों से अपना साथ देने के लिए कहा. कुछ विरोध करने लगे, तो उन्हें मौत के घाट उतार दिया. ब्रिटिश इंडियन आर्मी ने इन्हें बंधक बनाकर इन पर मुकदमा चलाया. मशहूर जज भूलाभाई देसाई (केनी देसाई) ने इनका मुकदमा लड़ा. पर यह अपराधी माने गएं. लेकिन हिंसात्मक दंगे न बढ़े, इसलिए इन्हें छोड़ दिया गया.

तिग्मांशु धुलिया निर्देशित इतिहास के खास काल खंड पर बनी यह फिल्म रोमांचित नहीं करती है. यह फिल्म दर्शकों को बांधकर नहीं रख पाती है. इंटरवल तक तो दर्शक किसी तरह सब्र रख पाता है, मगर इंटरवल के बाद दर्शक सोचने लगता है कि यह फिल्म कब खत्म होगी. यहां तक की इंटरवल के बाद का कोर्ट रूम ड्रामा भी बहुत सतही स्तर का है. फिल्म का कथा कथन बहुत कमजोर है और यह फिल्म फीचर फिल्म की बनिस्पत एक डॉक्यूमेंटरी मात्र बनकर रह गयी है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर भी यह फिल्म ठीक से बात नहीं करती है. एक ऐतिहासिक घटनाक्रम का घटिया प्रस्तुतिकरण है. पटकथा में कसाव के अलावा काफी मेहनत की जरुरत नजर आती है.

फिल्म का गीत संगीत काफी कमजोर है. फिल्म के तीनों मुख्य कलाकारों कुणाल कपूर, अमित साध व मोहित मारवाह ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है. मगर इस फिल्म में कुणाल कपूर की परफार्मेंस बहुत ही साधरण रही. फिल्म के लिए शोध कार्य करने वाली टीम ने फिल्म के कास्ट्यूम वगैरह पर अच्छा काम किया है. फिल्म के एडीटर ने भी फिल्म को बिगाड़ने में अपनी भूमिका निभायी है.

लाल किले का सेट बहुत ही ज्यादा बनावटी नजर आता है. दो घंटे सत्रह मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘राग देश’’ का निर्माण गुरदीप सिंह सपल द्वारा किया गया है. ‘राग देश’ के निर्देशक व पटकथा लेखक तिग्मांशु धुलिया, कैमरामैन रिषि पंजाबी, संगीतकार राणा मजुमदार, सिद्धार्थ पंडित, रेवंट, धर्मा विश हैं तथा कलाकार हैं कुणाल कपूर, अमित साध, मोहित मारवाह, केनी देसाई, केनी बासुमतारी, कंवलजीत सिंह, मृदुला मुराली, जाकिर हुसैन, राजेश खेरा, अली शाह व अन्य.

अपने स्मार्टफोन जैक की खराबी को ऐसे दूर करें

सोचिए आप नया स्मार्टफोन खरीदें और खरीदने के तुरंत बाद ही अगर वो खराब हो जाए तो आप क्या करेंगे? कई बार ऐसा होता है कि आपके नए स्मार्टफोन का हेडफोन जैक काम नहीं कर रहा होता है. जिसे आपको ठीक करने के लिए शॉप पर जाना पड़ता है. अगर आप भी इस तरह की किसी परेशानी से गुजर रहे हैं तो आप अपने स्मार्टफोन जैक को घर बैठे भी ठीक कर सकते हैं.

इन आसान सी बातों को ध्यान में रखकर आप आराम से हैडफोन जैक को ठीक कर सकते हैं :

1. हेडफोन  की जानकारी

इसके लिए पहले ये चेक कर लें कि कहीं आपके स्मार्टफोन का हेडफोन तो टूटा हैं. हेडफोन को चेक करने के लिए किसी भी 3.5MM जैक में अपने हेडफोन को यूज करके देखें. आपको हेडफोन के बारे में पता चल जाएगा.

2. ब्लूटूथ कनेक्टिविटी

कई बार ऐसा होता है कि आपका स्मार्टफोन स्पीकर और किसी दूसरे डिवाइस से ब्लूटूथ से कनेक्ट रहता है जिसकी जानकारी आपको नहीं होती है. इसलिए सबसे पहले यह जांच लें कि कहीं आपका स्मार्टफोन किसी डिवाइस से ब्लूटूथ के जरिए कनेक्ट तो नहीं हैं.

3. जैक की सफाई

कई यूजर्स को इस बात की जानकारी नहीं है कि हेडफोन जैक में धूल-मिट्टी और गंदगी जाने से भी परेशानी हो सकती है. इसलिए हमेशा हेडफोन जैक को साफ करते रहना चाहिए. जिसके बाद हेडफोन जैक काम करने लगेगा.

4. फोन सेटिंग्स

ऑडियो जैक कई बार फोन की सेटिंग की गड़बड़ी की वजह से भी काम नहीं करता है. इसके लिए फोन की सेटिंग में जाकर चेक करें और ऑडियो ओपन कर इसके वॉल्यूम को देख लें कि साउंड कहीं कम या म्यूट तो नहीं है. अगर ये तब भी काम नहीं करें तो फोन को एक बार रिस्टार्ट कर लें.

5. सर्विस सेंटर

अगर फोन का हेडफोन जैक इन टिप्स को फॉलो करके भी ठीक नहीं हुआ है, तो फोन को किसी भी रिपेरिंग स्टोर पर ले जाने से बेहतर होगा कि फोन को सर्विस सेंटर में दिखाएं.

दुनियाभर में छाया बीबर का फीवर

कनाडाई पौप सिंगर जस्टिन बीबर के आज दुनिया में करोड़ों प्रशंसक हैं. इस साल भारत से उन का नाता तब जुड़ा, जब 10 मई, 2017 को एक प्रमोशनल टूर (पर्पज वर्ल्ड टूर) पर अपनी मां पैट्रिशिया मैलेट के साथ वे मुंबई पहुंचे. 9 मार्च, 2016 को सिएटल से शुरू हुआ यह वर्ल्ड टूर 24 सितंबर को जापान के टोक्यो में खत्म हुआ.

मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में आयोजित कंसर्ट में बीबर ने करीब 50 हजार युवाओं के बीच अपने कई हिट पौपसौंग जैसे कि ‘सौरी…’, ‘कोल्ड…’, ‘वाटर…’, ‘आई विल शो यू…’, ‘व्हेयर आर यू नाउ…’, ‘बौयफ्रैंड’ और ‘बेबी…’ गा कर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया. बीते कई वर्षों में यह पहला मौका था, जब किसी विदेशी पौप सिंगर को ले कर भारत में इतना जबरदस्त उत्साह देखने को मिला.

इस उत्साह के पीछे असल में बीबर की कई खासीयतें रही हैं. बीबर युवा हैं और कई विवादों से उन का नाता है. सिंगिंग स्टाइल उन का खास है और कई मुद्दों पर उन की राय सब से अलग है.

इन बातों ने जस्टिन को इतना चर्चित बना दिया कि आयोजकों को मुंबई के शो पर 100 करोड़ रुपए खर्च करने में कोई परेशानी नहीं हुई. दावा है कि मुंबई में हुआ जस्टिन का कंसर्ट अब तक का सब से महंगा कंसर्ट है, जिस में जस्टिन की फीस, ट्रैवलिंग, होटल व अन्य चीजों पर करीब 30 करोड़ और स्टेडियम में लगाए गए सैट आदि पर 26 करोड़ रुपए खर्च हुए. बिजनैस पत्रिका फोर्ब्स के मुताबिक, ‘वर्ष 2016 में जस्टिन बीबर ने 5.6 करोड़ डौलर यानी करीब 358 करोड़ रुपए की कमाई की थी और अब इस में और इजाफा हो सकता है.’

कौन हैं जस्टिन

महज 23 साल के ग्रैमी अवार्ड विजेता और दुनिया की सब से ताकतवर हस्ती की लिस्ट में एक मुकाम रखने वाले जस्टिन की जिंदगी की कहानी उन्हीं की तरह दिलचस्प है. जस्टिन की सफलता की कहानी 11 साल पहले 2006 में शुरू हुई थी, जब उन की मां ने उन्हें कुछ गाते हुए सुना और अपने फोन से उन का वीडियो बना लिया. इस वीडियो को उन्होंने यूट्यूब पर जस्टिन के पिता को शेयर कर दिया. यह वीडियो धीरेधीरे चर्चा में आया, लेकिन चमत्कार तब हुआ, जब एक बिजनैसमैन स्कूटर ब्रौन उभरते हुए गायकों की तलाश में यूट्यूब पर वीडियो सर्च कर रहे थे.

उन्होंने जस्टिन की मां पैट्रिशिया द्वारा शेयर किया गया वीडियो देखा और फिर उन से संपर्क साध कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. वर्ष 2007 के मशहूर गायक क्रिश ब्राउन के हिट गीत ‘विद यू…’ को गा कर जस्टिन लोगों की नजर में आ गए और उसी साल एक टैलेंट हंट शो में उन्होंने एकसाथ सारे जजों को अपना मुरीद बना लिया.

कनाडा के छोटे से कसबे स्ट्रैटफोर्ड (ओंटैरिओ) में 1 मार्च, 1994 को जन्मे जस्टिन वैसे तो पिता जेरमी जैक बीबर और पैट्रिशिया मैलेट की संतान हैं, पर उन का पालनपोषण पैट्रिशिया की मदद से सौतेले पिता ब्रूस और सौतेली मां डायने ने किया. फिलहाल जस्टिन अपनी जैविक मां पैट्रिशिया के साथ ही रहते हैं, क्योंकि पैट्रिशिया ने ही छोटी सी नौकरी के जरिए मेहनत कर के जस्टिन को पालापोसा है.

गीतसंगीत से जस्टिन का लगाव स्ट्रैटफोर्ड स्थित सौवें कैथलिक स्कूल में ही हुआ था. वहां उन्होंने पियानो, ड्रम गिटार और ट्रंपेट बजाना सीखा. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 में जस्टिन ने स्टैनफोर्ड में आयोजित एक स्थानीय गीतसंगीत प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था और दूसरा स्थान हासिल किया था.

सोशल मीडिया की पैदाइश है जस्टिन

घर पर गाने गुनगुनाने और प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के बाद मां पैट्रिशिया ने जस्टिन के कई वीडियो सोशल मीडिया पर डाले, जिस से जस्टिन चर्चा में आए. एक प्रकार से जस्टिन सोशल मीडिया की पैदाइश हैं, क्योंकि उन के कैरियर और उन्हें दुनिया में चर्चा में लाने में यूट्यूब का काफी योगदान रहा, पर सब से खास बात यह है कि जस्टिन को सोशल मीडिया से चिढ़ है. जस्टिन को पता है कि सोशल मीडिया ने ही उन्हें इतनी कामयाबी दिलाई है, लेकिन इस की वजह से निजी जिंदगी में पड़ने वाले खलल को ले कर वे परेशान रहते हैं. ट्विटर पर भी उन के करीब साढ़े 9 करोड़ फालोअर हैं.

इंस्टाग्राम पर होने वाली ट्रोलिंग यानी उन की हर गतिविधि पर कमैंटबाजी से परेशान हो कर अगस्त, 2016 में जस्टिन ने अपना अकाउंट ही डिलीट कर दिया था. जस्टिन का यह कदम प्रेरणादायक है. इस से उन्होंने यह साबित कर दिया कि सोशल मीडिया को खुद पर हावी न होने दें. आज जिस तरह से किशोर हर वक्त स्मार्टफोन, कंप्यूटर या लैपटौप पर इंटरनैट के जरिए किसी न किसी वैबसाइट पर चैटिंग करते रहते हैं, जस्टिन इस प्रवृत्ति के विरोधी हैं.

जस्टिन में क्या है खास

जस्टिन बीबर में ऐसा क्या खास है, जो युवा उन के दीवाने हैं. जस्टिन जब भारत आए तो उन के शो के टिकट 5 हजार रुपए से ले कर 76 हजार रुपए तक में बिके, जो लोग जस्टिन के शो के महंगे टिकट नहीं खरीद सकते थे, उन्हें ईएमआई का विकल्प दिया गया. मुंबई में जस्टिन को ले कर दीवानगी का आलम यह था कि उन के शो में आम दर्शकों के अलावा बौलीवुड के जानेमाने कलाकार भी पहुंचे. बीबर को देखने बौलीवुड अभिनेत्री आलिया भट्ट, श्रीदेवी, जैकलीन फर्नांडिस, बिपाशा बसु, रवीना टंडन, महिमा चौधरी, मलाइका अरोड़ा और फिल्म निर्मातानिर्देशक अरबाज खान भी पहुंचे.

दावा किया गया कि दिल्ली की 12 साल की एक लड़की अक्षिता राजपाल अकेली हवाई सफर कर मुंबई जस्टिन का शो देखने पहुंची, हालांकि बाद में पता चला कि उस के साथ मांबाप तो नहीं, लेकिन कुछ पारिवारिक मित्र गए थे. बहरहाल, मुंबई में शो के सफल आयोजन के बाद जस्टिन ने अपने प्रशंसकों का आभार व्यक्त किया और कहा, ‘‘थैंक्यू इंडिया, मैं फिर आऊंगा.’’

वैसे हाल में जस्टिन को ले कर सब से ज्यादा उतावलापन ब्राजील में दिखा. वहां उन का शो अप्रैल, 2017 में होना था, लेकिन उन के फैन स्टेडियम के बाहर 5 महीने पहले से ही कैंप लगा कर डेरा जमाए बैठ गए. फैंस के 100 युवाओं के इस ग्रुप के लोग बारीबारी से रात को वहां आ कर सोते थे, ताकि जिस दिन आयोजित हो, तो उन्हें बैठने के लिए सब से अच्छी जगह मिल सके.

विवादों से नाता

यह अजीब बात है कि दुनिया में जो चर्चित लोग हैं, कई विवादों के साथ भी उन का नाम जुड़ जाता है. जस्टिन बीबर भी इस से अलग नहीं हैं. उन के साथ भी कई विवाद जुड़े हुए हैं. बेतरतीबी से कार चलाने, पड़ोसियों से झगड़ा करने, फैंस पर थूकने और कई विवादास्पद बयान देने के कारण जस्टिन को कोसा भी जाता है. वैसे उन्हें कानून तोड़ने के कारण सब से पहले 2014 में गिरफ्तार किया गया था.

2014 में कैलिफोर्निया स्थित उन के एक पड़ोसी ने बीबर पर अंडे फेंकने का आरोप लगाया था, जिस से काफी नुकसान हुआ था. इस के लिए बीबर को काफी बड़ा हर्जाना चुकाना पड़ा था.

हालांकि बीबर की कई हरकतें उन के फैंस को नागवार गुजरीं. जैसे, वर्ष 2013 में उन पर होटल की बालकनी से नीचे मौजूद फैंस की भीड़ पर थूकने का आरोप लगा था, लेकिन जस्टिन इस से साफ मुकर गए. हालांकि जस्टिन की कुछ हरकतें नजरअंदाज नहीं की जा सकीं, जैसे वर्ष 2013 में

बीबर जब नीदरलैंड्स में कौंसर्ट से पहले अपने दोस्तों के साथ ‘द ऐन फ्रैंक हाउस’ गए थे तो वहां उन्होंने गैस्ट बुक में लिखा, ‘ट्रूली इंस्पिरिंग टू बी ऐबल टू कम हियर. ऐन वौज अ ग्रेट गर्ल. होपफुली शी वुड हेव बीन अ बिलीबर.’ गैस्टबुक में ‘बिलीबर’ लिखने से काफी नाराजगी फैली, क्योंकि माना गया कि इस तरह उन्होंने ऐन फ्रैंक को अपना दीवाना बताने की कोशिश की.

उल्लेखनीय है कि जस्टिन बीबर के प्रशंसकों के लिए आमतौर पर बिलीबर शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. इस घटना को लोगों ने जस्टिन के अहंकार से जोड़ा. जस्टिन को कानून तोड़ने के लिए जाना जाता है. जैसे वर्ष 2014 में अमेरिका स्थित डिज्नी वर्ल्ड में लाइन में खड़े होने के बजाय उन्होंने इस के लिए व्हीलचेयर का इस्तेमाल किया. जस्टिन ने इस के लिए तर्क दिया, ‘आई डोंट डू लाइंस.’ ऐसा लगा कि वे यह कहना चाहते हैं कि मैं लाइन में लगने के लिए नहीं, अपने पीछे लाइन लगवाने में यकीन करता हूं. जस्टिन फैंस के साथ फोटो या सैल्फी खिंचवाने से भी परहेज करते हैं. इस के बारे में बीबर का कहना है कि इस से उन्हें एहसास होता है जैसे कि वे कोई ‘जू एनिमल’ यानी ‘चिडि़याघर में रखा कोई जानवर’ हैं.

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