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क्या शुरू होगा रीमेक फिल्मों का नया दौर

बौलीवुड में कुछ फिल्मों के रीमेक हो चुके हैं, इनमें से कुछ सफल तो कुछ असफल रहे हैं. पर सूत्रों के अनुसार रीमेक फिल्मों का नया दौर जोर शोर से शुरू होने वाला है. सूत्रों के अनुसार बौलीवुड से लंबे समय से जुड़े हुए दीपक मुकुट अब एक बार फिर सक्रिय हो रहे हैं. दीपक मुकुट ने अतीत में कई बड़े बड़े स्टार कलाकारों के साथ फिल्में बनायी थी. वह मशहूर वितरक व एक्जीबीटर भी रहे हैं. अभी भी वह बहुत बड़े फिल्म एक्जीबीटर हैं. बीच में वह फिल्म निर्माण करने की बजाय टीवी सीरियलों के निर्माण व सेटेलाइट चैनलों के साथ जुड़ गए थे.

कुछ वर्षों तक उन्होने सेटेलाइट चैनलों के लिए फिल्मों की खरीद फरोख्त का भी काम किया. पर विनय सप्रू व राधिका राव निर्देशित फिल्म ‘‘सनम तेरी कसम’’ से दीपक मुकुट एक बार फिर फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कूदे हैं. सूत्र बताते हैं कि अब दीपक मुकुट हर साल तीन उत्कृष्ट फिल्मों का निर्माण करना चाहते हैं.

इसी सिलसिले में जब हमने  दीपक मुकुट से उनकी भविष्य की योजनाओं पर बात की, तो दीपक मुकुट ने कहा-‘‘हमारा फिल्म इंडस्ट्री का बहुत लंबा अनुभव रहा है. मेरे पिता कमल मुकुट जी भी फिल्मों से जुड़े रहे हैं. हमने एक ही बात सीखी है कि करना है, तो कुछ अच्छा करो, अन्यथा न करो. हमने वही कोशिश फिल्म ‘सनम तेरी कसम’ में की है. यह एक साफ सुथरी संजीदा पारिवारिक तथा संगीतमय प्रेम कहानी वाली फिल्म है. इस साल हम तीन फिल्मों के निर्माण की घोषणा करने वाले हैं. हम पहले भी फिल्में बनाते रहे हैं. मैने पहले दूरदर्शन, ‘जीटीवी’ व ‘बी फार यू’ सहित कई चैनलों के लिए टीवी सीरियल बनाए हैं. हमने सेटेलाइट चैनलों के लिए फिल्मों की मार्केटिंग भी की है.

फिर मैं सेटेलाइट बिजनेस में चला गया. कई सेटेलाइट चैनलों के लिए ट्रेडिंग की है. आज मेरे पास 125 फिल्मों की नगेटिब और उनके अधिकार हैं. मैं इन फिल्मों के रीमेक बनाने वाला हूं. मेरे पास अपनी खुद की भी कुछ फिल्में हैं, जिनका रीमेक बनाना चाहता हूं. ‘‘चमेली की शादी’’, ‘‘नायक’, ‘‘बीस साल बाद’’, ‘‘सुरक्षा’’ के रीमेक बनाने के लिए काम शुरू कर चुका हूं. मैं हर साल कम से कम तीन बेहतरीन फिल्में बनाना चाहता हूं. अच्छा सिनेमा देना चाहता हॅू. ‘वैल्यू फार मनी ’में यकीन करता हूं. मैं खुद भी सिनेमा का पुराना दर्शक हूं.’’

दीपक मुकुट उन फिल्मकारों में से हैं, जो कि ‘ग्रैंड मस्ती’, ‘क्या सुपर कूल हैं हम 3’’ या ‘‘मस्तीजादे’’ जैसी फिल्मों के समर्थक नहीं है. दीपक मुकुट कहते हैं-‘‘मैं ऐसी फिल्मों का पक्षधार नहीं हूं. आज कुछ फिल्में पार्न कामेडी या सेक्स कामेडी या एडल्ट कामेडी के प्रचार के साथ रिलीज हो रही हैं. वह गलत है. हो सकता है कि इन फिल्मों को कुछ दर्शक मिल रहे हों, पर यह कहना कि हर दर्शक ऐसी फिल्में देखना चाहता है, पूरी तरह से गलत है. ऐसी फिल्मों की हर इंसान तारीफ भी नहीं करता है.’’

‘नीरजा’ के लिए भाइयों ने नहीं लिया पैसा

नीरजा भनोट के बलिदान पर बनी फिल्म नीरजा के लिए नीरजा के भाई अखिल और अनीष भनोट ने यह साफ किया है कि उन्होंने अपनी बहन पर बनी बायोपिक फिल्म नीरजा के लिए एक भी पैसा बतौप फीस या किसी प्रकार की रॉयल्टी नहीं ली है.

बॉलीवुड के इतिहास में यह पहली बार होगा कि किसी बायोपिक कैरेक्टर के रिलेटिव ने मुफ्त में फिल्म बनाने दी है. तीन साल पहले आई फिल्म भाग मिल्खा भाग याद है न ! इसी के दौरान मिल्खा सिंह ने फिल्म के लिए 1 रुपए शगुन के तौर पर लेने की बात सामने आई थी. जो अपने आप में एक महान कृत्य था. इसी के बाद से ही लोगों को पता चला कि किसी व्यक्ति के जीवन पर बनने वाली फिल्म जिसे बायोपिक फिल्म कहा जाता है उस पर फिल्म निर्माताओं को अच्छी खासी रकम उनके परिजनों को देना होता है.

फिल्म से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जब नीरजा के बलिदान पर फिल्म बनाने की योजना को लेकर टीम नीरजा के दोनों भाई से मिली थी तो दोनों भावुक हो गए थे. अपनी वीरांगना बहन की कहानी को देश की कहानी बनने को लेकर वो काफी रोमांचित हो उठे. पर जैसे ही निर्माताओं ने कहानी पर फिल्म बनाने के लिए निश्चित रकम की पेशकश की तो उन्होंने हाथ जोड़कर कहा कि वे ऐसा कहकर नीरजा के बलिदान को छोटा कर रहे हैं.

नीरजा मिडिल क्लास फैमिली से थीं और उनके जाने के बाद उनके परिजनों का इस प्रकार का बर्ताव आज भी यह बताता है कि संस्कार अगर कहीं कूट-कूटकर भरे हैं तो सामान्य लोगों के परिवार में ही हैं. सूत्र यह भी बताते हैं कि नीरजा के बलिदान को लेकर उनके परिवार में एक अलग का गर्व देखने को मिलता है पर घमंड उन्हें रत्ती भर नहीं है. परिवार के हर सदस्य ने फिल्म के कंटेट, सीन को अपनी तरफ से हरी झंडी दे दी है.

फिल्म के निर्माताओं का कहना है कि नीरजा भनोट की कहानी अभी तक चंद लोगों तक ही सीमित थी. लेकिन फिल्म के रिलीज होने साथ ही देश का हर बच्चा-बच्चा नीरजा की दिलेरी की दास्तां से वाकिफ होगा. और वाकिफ हो भी क्यों नहीं. जिस युवती ने अपनी जान की बाजी लगाकर 359 लोगों की जान बचाई हो. जिसके लिए उसे न तो ट्रेनिंग दी गई थी और न ही कोई हथियार. वो तो बस पैमएम की फ्लाइट की क्रू मेंबर थी. उसके बाकी के साथी मुसीबत के समय में उसका साथ छोड़कर भाग गए. ऐसे में उनकी शहादत पर पूरे देश को नाज़ होना बनता है.

फिल्म के निर्माता प्रसिद्ध फोटोग्राफर अतुल कासबेकर और निर्देशक राम माधवानी हैं. फिल्म 19 फरवरी को रिलीज होने वाली है.

रूममेट्स के साथ तालमेल जरूरी

जब हम गांवों से किसी बड़े शहर में आते हैं तो हमारे पास सपनों और इच्छाओं के सिवा कुछ नहीं होता. एक नए शहर में आ कर सपनों को साकार करने की कोशिश में सब से पहले हमें एक सुरक्षित आशियाने की तलाश रहती है. पर शहरों की बढ़ती आबादी ने एक ठिकाने की तलाश को न केवल मुश्किल बना दिया है बल्कि महंगा भी कर दिया है. यही वजह है कि एक ही फ्लैट या कमरे को 3-4 लोग मिल कर शेयर करते देखे जा सकते हैं.

जरूरी नहीं कि वे सब आपस में एकदूसरे को पहले से ही जानते हों. यह बिलकुल वैसा ही है जैसे हम स्कूल या कालेज के होस्टल में रहते थे, बस, फर्क इतना है कि कालेज के होस्टल की जिम्मेदारी वार्डन पर होती थी जबकि यहां हमें रहने और खाने की जिम्मेदारी खुद उठानी होती है. ग्रुप में रहने का यह तरीका न केवल सस्ता है बल्कि हमारी कई तरह की परेशानियों का हल भी है.

ग्रुप में युवकयुवतियां या केवल युवतियां या फिर केवल युवक भी हो सकते हैं. ये अलगअलग शहरों या प्रदेशों से आए हुए अलगअलग धर्म, संस्कृति या भाषा के भी हो सकते हैं. आपसी समझदारी और सामंजस्य के साथ शहरों में युवा अपने सपनों को साकार करने में जुट जाते हैं.

यहां मुश्किल तब आती है जब हम अपनी पुरानी आदतों से पीछा नहीं छुड़ा पाते और दूसरे दोस्तों के साथ सामंजस्य बैठाने में असमर्थ रहते हैं. हमारे बीच की छोटीमोटी मतभिन्नता कब गंभीर रूप ले लेती है, पता ही नहीं चलता. इस का परिणाम यह होता है कि ग्रुप में लड़ाईझगड़े या मनमुटाव हो जाता है और फलत: ग्रुप टूट जाते हैं.

ऐसे में फिर से हमें एक नए शहर में आने वाली मुसीबतों से दोचार होना पड़ता है. तो क्यों न हम ऐसी स्थिति आने से पहले ही यथार्थ को समझते हुए थोड़ी सी समझदारी दिखाएं और अपने रूममेट्स के साथ तालमेल बना कर रखें. यहां दी गई बातों पर अमल कर आप अपने रूममेट्स के साथ तालमेल बना सकते हैं :

– अगर फ्लैट में 2 कमरे हैं तो आप अलगअलग रूम में रह सकते हैं, लेकिन एक ही कमरा होने पर स्थान की कमी हो जाती है, जिस से सबकुछ व्यवस्थित रखना पड़ता है. ऐसे में ‘यह मेरा सामान है, फैला रहने दो’ जैसी बातें बोल कर अपनी जिम्मेदारी से मुंह न मोड़ें.- अगर आप ने रूम में साफसफाई के लिए कोई सहायक नहीं रखा है तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि घर में किसी प्रकार की गंदगी न बिखेरें. कम से कम अपने आसपास की सफाई जरूर कर लें. इस से आप के सफाई पसंद दोस्त को अच्छा लगेगा. वीकेंड पर आप सभी मिल कर किचन, बाथरूम जैसी जगहों को साफ कर सकते हैं. यह रूम में रहने वाले किसी एक मैंबर की जिम्मेदारी नहीं है कि वही सफाई पर ध्यान दे.

– इसी तरह घर की छोटीमोटी जिम्मेदारियों में अपना सहयोग देने के लिए सहर्ष तैयार रहें. आप की टालमटोल की आदत आप के सहयोगियों को नापसंद हो सकती है. वैसे भी सब्जी, दूध, राशन आदि लाने जैसे काम किसी एक के भरोसे न छोड़ें.

– अगर आप थोड़े लापरवाह हैं तो इस की सजा अपने दोस्तों को न दें. लापरवाही तो सभी करते हैं जैसे प्रैस, टीवी, कंप्यूटर चलता छोड़ देना, सुबह बिस्तर से उठने के बाद लाइट या पंखा बंद न करना, रात को गेट का दरवाजा बंद न करना जैसी बहुत सी छोटीमोटी जिम्मेदारियां हैं जिन्हें आप ने घर में भले ही न किया हो पर यहां नहीं चलेगा. वैसे भी अच्छी आदतें सीखने की कोई उम्र नहीं होती. इन की आदत डालिए और तनाव से बचिए.

– रुपएपैसे भी रूममेट्स के साथ रिश्ते बिगाड़ देते हैं. इसलिए समय पर रूम का किराया या अन्य खर्च का हिसाब करते रहें. पैसों के मामले में खुल कर हिसाबकिताब करें. इस में संकोच की गुंजाइश बिलकुल न रखें. आप का रूम में रहने पर कितना खर्च हो सकता है यह जान कर ही आप रहने जाएं अन्यथा बाद में हो सकता है कि आप को नुकसान उठाना पड़े. हां, उधार देने के मामले में भी सतर्क रहें. अगर आप रूममेट्स को पहले से नहीं जानते तो उधार देने से बचें.

– आप जितने भी लोग एक जगह रह रहे हों, ध्यान रहे आपस में एकदूसरे की बुराई कदापि न करें. कोई भी बात, चाहे वह अच्छी हो या बुरी, सब के सामने करें या रखें. अगर किसी की बात खटक रही हो तो आपस में बैठ कर इस का हल निकाला जा सकता है.

– अपने रूममेट्स की प्राइवेसी को सम्मान देना चाहिए. उन के हर पर्सनल मैटर को जानने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. अगर आप का दोस्त जरूरी समझेगा तो बता देगा. दूसरी बात अपने रूममेट्स की पर्सनल बातें किसी तीसरे तक न पहुंचाएं. ऐसा करना कई बार झगड़े की वजह बन जाता है.

 रूममेट्स के आने वाले दोस्तों या रिश्तेदारों से सही ढंग से पेश आना चाहिए. अगर रूममेट्स के रिश्तेदार या दोस्त अधिक आते हैं या परेशान करते हैं तो इस पर खुल कर बात करनी चाहिए. इस में शर्माने जैसी कोई बात नहीं है, क्योंकि यह घर आप का भी है.

– जब आप के रूममेट्स अलग धर्म और प्रदेशों से संबंध रखते हों तो उन का रहनसहन भी आप से भिन्न होगा ही. इसे इश्यू नहीं बनाना चाहिए. किसी के रीतिरिवाज, भाषा, सभ्यता और संस्कृति को ले कर मजाक या कमैंट पास नहीं करना चाहिए. दूसरों को आप के इस व्यवहार से ठेस पहुंच सकती है.

 अपने रूममेट्स के साथ एक स्वस्थ रिश्ता विकसित करने के लिए उन के दुखदर्द में सहयोगी बनना चाहिए. एकदूसरे को हमेशा इमोशनल सपोर्ट देते रहना चाहिए. अधिकतर अपना घर छोड़ कर काम के सिलसिले में दूसरे शहरों में रहने आते हैं, ऐसे में रूममेट्स में आपसी स्नेह होना जरूरी है. समय पर एकदूसरे के काम आना आप के रिश्तों को मजबूत करेगा और यह रूममेट्स से शुरू हुआ रिश्ता जीवन भर की दोस्ती के रिश्ते में भी बदल सकता है.   

नाइट शिफ्ट: सुरक्षित वातावरण जरूरी

आज कड़ी प्रतियोगिता का दौर है. ऐसे में उस का असर हर क्षेत्र पर पड़ना लाजिमी है, फिर चाहे वह मनोरंजन हो या जौब. नतीजा, कल तक जो नौकरी सुबह के 9 से शाम 5 बजे की होती थी आज देर रात से शुरू हो कर सुबह तक चलती है, खासकर कौरपोरेट, एमएनसी, आईटी व बीपोओ सैक्टर में. ऐसे में स्वास्थ्य के साथसाथ और भी कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं. ये समस्याएं न सिर्फ युवतियों के लिए बल्कि युवकों के लिए भी परेशानी का सबब बनती हैं. हां, यह बात अलग है कि युवकों की अपेक्षा युवतियों के लिए सुरक्षा का सवाल कहीं ज्यादा होता है.

कई साल पहले बेंगलुरु में एक बीपीओ में काम करने वाली युवती की इज्जत को कैब ड्राइवर ने तारतार कर दिया. बेंगलुरु ही क्यों, राजधानी दिल्ली में भी कई ऐसी वारदातों को कैब ड्राइवर अंजाम दे चुके हैं. अत: नाइट शिफ्ट में सब से जरूरी है सुरक्षा का खास ध्यान रखना. ऐसे में आप को निम्न पहलुओं को ध्यान में रखना होगा :

– जहां तक हो सके एकल वातावरण में काम न करें. एकल वातावरण से मतलब ऐसे औफिस में जहां युवतियों की संख्या युवकों के मुकाबले कम हो या फिर न के बराबर हो. नाइट शिफ्ट में काम करते समय हमेशा गरिमापूर्ण कपड़े पहनें.

– नाइट शिफ्ट में किस मानसिकता के सहयोगी आप के साथ काम करते हैं, उन का रवैया कैसा है, यह समझना भी जरूरी है. अगर आप को उन के व्यवहार पर शक है तो इस की वजह से मन ही मन घुटने के बजाय अपने सहयोगी को बताएं.

नाइट शिफ्टकर्मियों को आमतौर पर पिकअप और ड्रौपिंग की सुविधा मिलती है, ऐसे में आप को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है. वैसे तो नई गाइडलाइंस में इस बात की सख्त हिदायत दी गई है कि पिकअप और ड्रौपिंग के समय पहले और आखिर में कोई युवती नहीं होगी. मतलब ड्राइवर किसी भी युवती का पहले पिकअप नहीं कर सकता है और न ही सब से आखिर में ड्रौप करेगा. उस से पहले कैब में कोई पुरुष कर्मचारी जरूर होना चाहिए, साथ ही कंपनी की तरफ से एक सुरक्षागार्ड भी होगा. बावजूद इस के आप को अपनी सेफ्टी के लिए मानसिक स्तर पर हमेशा तैयार रहना चाहिए.

ड्राइवर यदि नियमों का पालन नहीं करता या फिर आनाकानी करता है तो इस की सूचना आप अपने औफिस में देना न भूलें.

कैब ड्राइवर से ज्यादा दोस्ती न गांठें और न ही उस से उखड़ेउखड़े रहें. बहुत से हादसों के जिम्मेवार सिर्फ कैब ड्राइवर ही होते हैं.

अपने मोबाइल में पुलिस कंट्रोलरूम और निकटवर्ती थाने का नंबर अवश्य रखें. औफिस में कार्यरत सहयोगियों के नंबर्स भी आप के पास होने चाहिए. आजकल कई ऐसे मोबाइल ऐप आ गए हैं जो खासतौर से महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं. इन ऐप्स को अपने मोबाइल में डाउनलोड कर के रखें.

घर से औफिस के रूट की जानकारी जरूर रखें. ऐसी कैब का चुनाव कभी न करें जो आप को घर से दूर ही ड्रौप कर देती है.

नाइट शिफ्ट के दौरान होने वाली पार्टी से बचें. अगर नहीं बच सकती तो पहले अपनी सुरक्षा को ले कर निश्चिंत हो लें, तभी पार्टी अटैंड करें.

पार्टी के दौरान ड्रिंक्स को ले कर खासतौर से सजग रहें. ड्रिंक्स में नशा मिलाना सब से आसान है.

बेशक आप के इर्दगिर्द सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम ही क्यों न हो, फिर भी अपने पर्स में छोटेमोटे औजार, मिर्च पाउडर आदि हमेशा रखें ताकि हमलावर पर तत्काल हमला किया जा सके.

मनोवैज्ञानिक जितेंद्र नागपाल कहते हैं कि कोई भी घटना अचानक नहीं होती, पहले से कुछ न कुछ प्रयोग जरूर किए जाते हैं. अत: जरा भी कहीं कुछ खटका लगे तो इग्नोर न करें बल्कि उस पर ऐक्शन लें और सतर्क रहें.

नाइट शिफ्ट व्यक्तिगत अनुभव

बिगड़ता है स्वास्थ्य

मैं एक नामी सौफ्टवेयर कंपनी टीसीएस में बतौर सौफ्टवेयर इंजीनियर 5 साल नाइट शिफ्ट में काम कर चुका हूं. नाइट शिफ्ट में काम करना वाकई कष्टदायक अनुभव रहा है. रात की शिफ्ट में काम करने के बाद मैं पूरा दिन इसी प्रयास में रहता कि मुझे अच्छी नींद आ जाए और रात को कोशिश यह होती कि मुझे  नींद न आए ताकि मैं ठीक से अपना काम कर सकूं.

लेकिन मेरे लिए दिन में सोना उतना ही कठिन था जितना कि रात को जागना.

ऐसे में मुझे अकसर ऐसा लगता कि मैं पूरे हफ्ते ठीक से कभी सो ही नहीं पाया हूं. नतीजा, अपनेआप को कभी फ्रैश फील नहीं कर पाता था और हमेशा चिड़चिड़ापन रहता. दिन में सोने के दौरान घर में या फिर आसपास अगर कोई कुछ कर रहा होता तो उस की वजह से नींद में बारबार खलल पड़ता. नींद न आने के बावजूद घर में अकेले पड़े रहने की मजबूरी होती. इस दौरान मेरे सभी दोस्त औफिस में होते थे.

नाइट शिफ्ट में काम करने से मेरे स्वास्थ्य पर भी असर पड़ने लगा था. खाने व सोने का सही समय न होने के कारण  पेट भी खराब रहने लगा था. मैं बैचलर होने की वजह से बाहर ही खाना खाता था, लेकिन देर रात कैंटीन बंद होने की वजह से मुझे मजबूरन ठेले पर खाना पड़ता था, जहां शुद्धता का बिलकुल ध्यान नहीं रखा जाता. मेरे कई दोस्त तो रात में जागने के लिए स्मोकिंग वगैरा का सहारा लेते थे.

कई बार तो नाइट शिफ्ट में भी औफिस औवर्स बदल जाते और तब देर रात औफिस जाना होता. ऐसे में असुरक्षा का साया हमेशा मुझे परेशान करता था. कुल मिला कर नाइट शिफ्ट की जौब को मैं किसी भी लिहाज से सही नहीं समझता. इसी वजह से मैं ने उस कंपनी को बदलने में अपनी भलाई समझी.

    – विकास कुमार झा, सौफ्टवेयर इंजीनियर

नाकाफी होती है सुरक्षा

मैं पिछले 7 साल से आईटी सौफ्टवेयर में काम कर रही हूं. नाइट शिफ्ट में जौब की मुख्य परेशानी शारीरिक और मानसिक स्तर पर तो होती ही है, लेकिन सब से मुख्य परेशानी युवतियों के लिए सुरक्षा को ले कर है. वैसे तो नाइट शिफ्ट में कैब की सुविधा होती है और उस में एक सुरक्षागार्ड भी मुहैया करवाया जाता है, लेकिन युवतियों की सुरक्षा के लिए यह काफी नहीं है और न ही युवतियां किसी भी लिहाज से इन के भरोसे खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं. वजह यह है कि न तो इन गार्ड्स को किसी भी आपातस्थिति से निबटने के लिए किसी किस्म की ट्रेनिंग दी जाती है और न ही सुरक्षा के लिए इन के पास कोई हथियार होता है, सिवा एक डंडे को छोड़ कर.

कुल मिला कर युवतियों की सुरक्षा न के बराबर ही होती है. तो अगर आप नाइट शिफ्ट में काम कर रही हैं तो आप को अपनी सुरक्षा अपने स्तर से करने के लिए हमेशा तैयार रहना होगा.

दूसरी मुख्य समस्या छुट्टियों को ले कर होती है. नाइट शिफ्ट शाम 6 बजे से शुरू हो कर सुबह 3-4 बजे तक होती है. अगर आप नाइट शिफ्ट कर रहे हैं तो आप को केवल 3 छुट्टियां ही मिलती हैं, गांधी जयंती, 26 जनवरी और 15 अगस्त. तमाम इंडियन फैस्टिवल्स को तो आप भूल जाइए. हालांकि नाइट शिफ्ट के दौरान प्रति शिफ्ट आप को ज्यादा पैसे मिलते हैं, लेकिन वह पैसे आप की दवा और बीमारी में कब लग जाते हैं आप को पता भी नहीं चलता.

– इंदु गौतम, आईटी सौफ्टवेयर

वाराणसी: वरुणा और अस्सी नदियों की कहानी

वाराणसी का पौराणिक नाम ‘काशी’ है. किंतु वर्तमान नाम ‘वाराणसी’ यहां की वरुणा और अस्सी नदियों पर रखा गया है. इसे बनारस नाम अंगरेजों के शासनकाल में दिया गया. गंगा नदी के पश्चिमी किनारे पर अर्द्धचंद्राकार में बसे इस शहर में इतने घाट बने हैं कि इसे घाटों का शहर भी कहा जाता है. दरअसल, यहां का हर घाट पंडों की कमाई का जरिया है जो मोक्ष और गंगा मैया के नाम पर दानदक्षिणा के रूप में भीख मांगते नजर आते हैं. सैलानियों को यहां के पंडों से बच कर सुबह के समय गंगा की खूबसूरती का मजा लेना चाहिए. यहां का कत्थक नृत्य घराना संगीत की दुनिया में अपनी विशेष पहचान रखता है.  बनारसी साड़ी अपनी चमक व डिजाइन के लिए देशभर में काफी लोकप्रिय है.

दर्शनीय स्थल

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय : लगभग 200 एकड़ क्षेत्र में फैले इस विश्वविद्यालय की स्थापना पंडित मदनमोहन मालवीय ने की थी, जिस के मूल में मुख्यत: संस्कृत, भारतीय कला की शिक्षा का उद्देश्य था. लेकिन आजकल यहां हर विषय पढ़ाया जाता है. यह भारत का सब से बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय भी है.

सारनाथ : वाराणसी से 10 किलोमीटर दूर सारनाथ एक बौद्ध स्थल है. यह बनारसगाजीपुर मार्ग पर स्थित है. यहां पर सम्राट अशोक के शासनकाल में बनाए गए अनेक स्तूप हैं. अशोक ने यहां एक स्तूप बनवाया था. इस स्तूप के समीप खंभे का निर्माण करवाया था जिस पर 4 शेर बने हुए हैं, जो आज भारत का राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न है.

सारनाथ संग्रहालय : सारनाथ में एक पुरातात्त्विक संग्रहालय भी है जहां बुद्ध की प्रतिमाएं और शिलालेख रखे हुए हैं. यहां पर प्राचीन काल के बरतन कुछ बेहतरीन चित्र, बौद्ध धर्म की महत्त्वपूर्ण घटनाओं का चित्रण मौजूद है. यहां गुप्त काल का सब से बड़ा संग्रह मौजूद है.

काशी विश्वनाथ मंदिर : इस मंदिर का निर्माण इंदौर की महारानी अहल्याबाई होल्कर ने 1717 में करवाया था. दशाश्वमेघ घाट के पास यह मंदिर एक संकरी गली में स्थित है.

भारत माता मंदिर : भारत माता को समर्पित यह बनारस का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां देवीदेवताओं की मूर्तियां मौजूद नहीं हैं. इस मंदिर में भारत का मानचित्र उकेरा गया है. एकमात्र ऐसा मंदिर होने के कारण पर्यटक इस की ओर खिंचे चले आते हैं.

घाट : बनारस के घाट पर्यटन स्थलों में प्रमुख स्थान रखते हैं. शाम-ए-अवध और सुबह-ए-बनारस का जवाब नहीं. बनारस का जीवन गंगा किनारे स्थित 100 से भी ज्यादा घाटों के इर्दगिर्द घूमता नजर आता है. सूर्य की पहली किरण जब अपना आंचल लहराती है तो इन घाटों की खूबसूरती देखते बनती है.        

सर्दियों में भी ऐसे मुस्कुराएगी आपकी त्वचा

सर्दी का प्रकोप अपने उफान पर है. इस मौसम में त्वचा संबंधी कई समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं. द नैशनल स्किन सैंटर के निदेशक डा. नवीन तनेजा के अनुसार, यदि त्वचा में नमी बननी रुक जाए और उस की भरपाई न हो, तो त्वचा की बाहरी परत पर हलकी दरारें दिखनी शुरू हो जाती हैं. लेकिन कुछ उपाय सर्दियों में त्वचा को साफ और सेहतमंद बनाए रखने में मदद कर सकते हैं:

डैंड्रफ

– डैंड्रफ की समस्या सर्दियों में ज्यादा बढ़ जाती है, इसलिए बालों को ऐंटीडैंड्रफ शैंपू से ही धोएं. शैंपू को 5 मिनट तक बालों में लगाए रखने के बाद सादे पानी से अच्छी तरह धो लें.

– सिर में तेल न लगाएं.

– बालों को सुखाने के लिए ब्लोअर का इस्तेमाल न करें.

– सर्दियों में बालों को चमकहीन होने से बचाने के लिए उन्हें हमेशा ढक कर रखें. सर्दियों में सिर को अकसर नहीं ढका जाता है. इसी कारण सर्द हवाओं से बालों की नमी सूख जाती है. इसलिए बाहर आतेजाते समय सिर को स्कार्फ या टोपी से जरूर ढकें.

– गरम पानी से न नहाएं, इस से बाल रूखे और बेजान हो जाते हैं.

– सर्दियों में बालों को स्वस्थ रखने के लिए शरीर में पानी का स्तर संतुलित रहना चाहिए. अत: खूब पानी पीएं.

हाथपैर

– गरम पानी का इस्तेमाल न करें. हम दिन में कई बार गरम पानी से हाथ धोते हैं. गरम पानी त्वचा को शुष्क बनाता है और उस की प्राकृतिक नमी छीन लेता है, इसलिए हाथपैरों को सादे पानी से ही धोएं.

– साबुन का इस्तेमाल त्वचा को तुरंत सूखा बना देता है, जिस से उस पर पपड़ी सी दिखने लगती है, इसलिए हलके या संतुलित साबुन का ही इस्तेमाल करें.

– त्वचा को सुखाने के लिए उसे धीरेधीरे तौलिए से पोंछें.

– त्वचा की नमी बनाए रखने के लिए उस पर लोशन या ग्लिसरीन का इस्तेमाल करें. रसोई का, टौयलेट का या कोई और काम करने के बाद त्वचा पर मौइश्चराइजर जरूर लगाएं. रात को सोने से पहले पैरों पर मौइश्चराइजर लगाना न भूलें.

– मौसम सर्दी का हो या गरमी का पानी शरीर के लिए बेहद जरूरी होता है. सर्दियों में बेशक ज्यादा प्यास महसूस नहीं होती, लेकिन त्वचा की नमी बनाए रखने के लिए शरीर में पानी की मात्रा उचित बनी रहनी चाहिए. त्वचा को अंदर से नमी देनी चाहिए ताकि वह बाहर से स्वस्थ दिखे.

– ठंड से बचाव के लिए गरम कपड़ों का इस्तेमाल करें. हीटर से दूर रहें, क्योंकि यह नमी को तुरंत सोख लेता है, जिस से त्वचा रूखी हो जाती है. यदि ठंड बहुत ज्यादा हो और हीटर का इस्तेमाल जरूरी हो जाए, तो उस से उचित दूरी पर ही बैठें.

सूखे पपड़ीदार होंठ

– होंठों पर बिना ऐक्सफौलिएटिव वाली क्रीम का इस्तेमाल करें. सफेद पैट्रोलियम जैली भी कारगर होती है. सब से बेहतर होगा कि पहले होंठों पर पानी लगाया जाए यानी उन्हें गीला करने के बाद ही पैट्रोलियम जैली का इस्तेमाल करें.

सनबर्न का खतरा

– तापमान के गिरने के कारण महिलाओं को खुली धूप में लेटना पसंद आता है. लेकिन वे इस बात से अनजान होती हैं कि ऐसा करने पर उन पर सूर्य की पराबैगनी किरणों का सीधा असर होता है, जिस कारण त्वचा पर धब्बे और सनबर्न के निशान रह सकते हैं. यदि धूप सेंकने का मन हो तो उस से आधा घंटा पहले कम से कम 30-50 एसपीएफ वाले सनब्लौक का इस्तेमाल करें और उस के बाद हर 3 घंटों में इस का पुन: इस्तेमाल करें.

– यदि आंखों के चारों ओर सूखापन बना रहे तो त्वचा को हलके क्लींजर से साफ करें और त्वचा की नमी को बनाए रखें.

नाखूनों की देखभाल

– हाथों को अकसर गरम पानी से धोने पर नाखूनों पर असर पड़ता है. इसलिए सप्ताह में 1 बार नाखूनों पर क्यूटिकल तेल का इस्तेमाल करें ताकि उन की नमी कायम रहे. साथ ही नाखूनों की त्वचा और नाखूनों पर मौइश्चराइजर का भी नियमित इस्तेमाल करती रहें. नाखूनों पर नेल हार्डनर के सख्त इस्तेमाल से उन की मजबूती बनी रहती है. 

समलैंगिक बनाम पुरातनपंथी

दुनियाभर में धीरेधीरे समलैंगिकों को बराबरी के हक दिए जा रहे हैं. जो कानूनी मान्यता एक स्त्रीपुरुष को विवाह करने पर मिलती है वैसी ही अब 2 समलैंगिकों को मिलने लगी है और एक तरह से इन जोड़ों पर वे विवाह कानून लागू होने लगे हैं जो स्त्रीपुरुष के विवाह में हो रहे हैं.

यानी अब समलैंगिक जोड़े यदि शादी करेंगे तो तलाक ले कर ही दूसरे या दूसरी को पा सकेंगे. एक युवक या युवती किसी और युवती या युवक से सैक्स करे तो यह विवाह नियमों का उल्लंघन होगा यानी अप्राकृतिक संबंध तो जायज होगा पर प्राकृतिक गैरकानूनी. यह बहुत मजेदार बात होगी जब एक औरत अपनी सहेली औरत के किसी पुरुष के साथ संबंध बना कर गर्भवती होने पर विवाह की शर्तों का उल्लंघन माने और विवाहित पत्नी के बच्चे को साझा मानने से इनकार कर दे.

समलैंगिकों के बारे में भारत में अभी कानून पुराना ही है जो मैकाले के दंड विधान की देन है. उस से पहले कानून तो स्थानीय पंडे काजी का तय हुआ होता था और 2 पुरुषों या 2 औरतों का प्यार वैध था या अवैध जानना कठिन है. पर पिछले 150 साल से जो कानून चला आ रहा है, उसे उच्च न्यायालय ने तो गलत ठहरा कर असंवैधानिक करार दिया था पर न जाने क्यों सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने इसे पुनर्स्थापित करा दिया.

अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय ने अपने देश में सेमसैक्स विवाहों को मान्यता दे दी है पर अब भी वहां ऐसे लोगों की कमी नहीं जो बाइबल का हवाला दे कर धार्मिक कारणों से इसे गैरसामाजिक मान रहे हैं.

विवाह मूलत: व्यक्तिगत संबंधों का फैसला है जिसे समाज मान्यता दे देता है ताकि बच्चों को सुरक्षा मिल सके पर धर्म इस में क्यों कूद पड़ा और जबरन कानून बनवा डाले, यह उस की साजिश है. विवाह का धर्म से कोई नाता नहीं और सेमसैक्स संबंध धर्म विरोधी हैं या नहीं, उस की सीमा से बाहर है.

अब भारत में अमेरिका की तर्ज पर समलैंगिक कानूनों को फिर लागू करने की मांग उठ रही है और गंभीर पुरातनपंथी, धार्मिक पर समझदार लोग भी उस निजी फैसले में सरकारी कानूनी दखल को गलत मान रहे हैं. पिछले दिनों वित्तमंत्री अरुण जेटली और पूर्व वित्त व कानून मंत्री रहे पी चिदंबरम ने भी इस मांग को जायज ठहराया.                                      

जरूरत के अनुसार करें म्युचुअल फंड का चुनाव

म्‍युचुअल फंड शेयर बाजार में निवेश का सबसे आसान और सुरक्षित जरिया माना जाता है. लेकिन म्‍युचुअल फंड में निवेश हमेशा फायदेमंद होगा ही, इसका भी कोई तय फॉर्मूला नहीं है. सैकड़ों फंड्स में से अपनी जरूरत और लक्ष्‍य के हिसाब से फंड चुनना, उनकी पर्फोर्मेंस ट्रैक करना आसान काम नहीं है.

वास्‍तव में स्कीम में निवेश करने से पहले निवेशकों को कई चीजें ध्यान में रखनी चाहिए. सबसे पहला फैक्टर चयन होता है. निवेशक अपना पैसा उस विशेष फंड में लगाएं जो उनकी जरूरतों को पूरा करती हो, ऐसा तभी हो सकता है जब उस विशेष प्रकार की स्कीम निवेश के लिए उपलब्ध हो. कई बार निवेश को पता नहीं लग पाता कि कौन सा फंड उसकी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है. यही ध्‍यान में रखते हुए सरिता टीम उन महत्‍वपूर्ण बिंदुओं को लेकर आई है. जिन्‍हें आपको निवेश से पहले जरूर ध्‍यान में रखना चाहिए.

अपनी जरूरत के अनुसार चुनें फंड की प्रकृति

मार्केट में सैकड़ों तरह के म्‍युचुअल फंड हैं. सभी की प्रकृति अलग अलग होती है. निवेशक कई बार सही फंड का चुनाव इसलिए नहीं कर पाता क्योंकि उसे फंड का बेसिक नेचर नहीं पता होता. इसलिए ओपन एंडिड फंड और क्लोस्ड एंडिड फंस के बीच का अंतर जानना जरूरी होता है. ओपन एंडिड फंड्स में कभी भी नए तरीके से निवेश कर सकते हैं और इसमें किसी भी प्रकार की रोक-टोक नहीं होती है कि किस तरह निवेश करें या फिर कब निवेश करें. वहीं दूसरी ओर क्लोस्ड एंडिड फंड्स में कई तरह की बंदिशें होती हैं जिसके कारण निवेशक कई बार निवेश नहीं कर पाता. क्लोज एंडिड फंड में एक विशेष समय के लिए ही निवेश कर सकते हैं.

लक्ष्‍य को ध्‍यान में रखकर चुनें समय अवधि

फिक्स्ड मैच्युरिटी प्लान की तरह कई विकल्प निवेश के समय अवधि से संबंधित भी होते है. ये डेट ओरियेंटिड म्युचुअल फंड्स होते है जिनमें स्कीम को एक निश्चित समय के लिए लॉन्च किया जाता है. फंड मैनेजर उन सिक्योरिटीज को खरीदता है जो स्कीम के साथ मैच्योर होती हैं ताकि अंतरिम पिरियड के दौरान ब्याज दर से संबंधित कोई जोखिम न हो.

इस तरह के फंड्स के लॉन्च को अक्सर टैक्स बेनिफिट्स के साथ गाइड किया जाता है जो इसके साथ आती हैं. पहले के समय में अगर इन फंड्स को तीन से ज्यादा वर्षों के लिए रखते थे तो इन्हें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की श्रेणी में रखा जाता था. नतीजतन, निवेशक को बाजार में ऐसी स्कीम्स नहीं मिलती थी जिनका मैच्योरिटी पीरियड तीन वर्षों से कम को हो. ऐसे में निवेशक अगर तीन वर्ष से कम की निवेश योजना बना रहा था तो उसके सामने ये बड़ी परेशानी हो जाती थी.

विभिन्‍न सेक्‍टर्स को करें पोर्टफोलियो में शामिल

म्युचुअल फंड्स बने हुए पोर्टफोलियो के आधार पर भी जोखिम उत्पन्न कर देता है. कई बार आपका पोर्टफोलियो में उस जैसा कुछ नहीं दिखता जो निवेशक चाहता था. ऐसा अलग अलग तरह के फंड्स के साथ होता है. खासकर के सेक्टर फंड्स जहां पर फंड्स की कोई एक विशेष कंपनी हो जैसे कि लार्ज कैप फंड जबकि निवेशक कुछ इस तरह के पोर्टफोलियो की उम्मीद कर रहा हो जहां लार्ग कैप, मिड कैप और कुछ अन्य वैरियेशन्स भी दिख रहे हों.

कभी यह मत मानिए कि अब तो देर हो गई: मियांग चैंग

इंडियन आइडल शो से लोगों के दिलों में अपने लिए खास जगह बनाने वाले चैंग न सिर्फ सिंगर हैं बल्कि डाक्टर, ऐक्टर, टीवी होस्ट होने के साथसाथ विज्ञापनों में भी काम करते हैं. उन की बहुआयामी प्रतिभा ने ही उन्हें आज इतना पौपुलर बना दिया है.इंडियन आइडल से 2007 में चमके चैंग को इन दिनों आप जी टीवी के रिएलिटी शो ‘आई कैन डू दैट’ में देख सकते हैं. मियांग चैंग ऐक्टर, सिंगर, टीवी होस्ट होने के साथसाथ टीवी विज्ञापनों में भी आते हैं, लेकिन बहुत कम ही लोग जानते हैं कि वे पेशे से दांतों के डाक्टर भी हैं. चैंग ने फिल्म ‘बदमाश कंपनी’ और ‘ब्योमकेश बक्शी’ में बहुत प्रभावशाली रोल निभाया है. चैंग ‘झलक दिखला जा’ के भी विजेता रहे हैं. पेश हैं एक छोटे शहर से निकल कर ऐंटरटेनमैंट की दुनिया में प्रसिद्धि बटोरने वाले चैंग से हुई बातचीत के मुख्य अंश :

आप का पूरा नाम मियांग चैंग है, चैंग तो आप का उपनाम है, लेकिन मियांग का क्या मतलब हुआ?

मियांग का अर्थ है लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाला.

क्या आप लोगों को मंत्रमुग्ध करने में कामयाब हुए?

यह तो दर्शक ही बता सकते हैं.

चेहरा देख कर नहीं लगता कि आप की हिंदी इतनी अच्छी होगी?

मेरे पुरखे 18वीं सदी में चीन से आए थे. मेरे पिता पटना के हैं और मैं ने अच्छी हिंदी अपने पिता से ही सीखी है. बचपन में हिंदी कहानियों की जो किताबें पढ़ीं, उन का भी मुझ पर काफी असर पड़ा है.

टीवी और सिनेमा के ज्यादातर कलाकारों का कहना है कि आप पढ़ाई में अच्छे नहीं थे, आप अपने बारे में बताइए? क्या सिंगिंग और ऐक्टिंग में आप की रुचि शुरू से थी?

9वीं तक मैं गणित में फेल होता था, लेकिन 10वीं के बाद सुधार हुआ. बाकी विषयों में मैं शुरू से ही अच्छा था. स्कूली दिनों से ही मैं स्टेज पर गाया करता था. 12वीं में जा कर थिएटर में भी रुचि पैदा हुई.

आप पेशे से डैंटिस्ट हैं. जब ऐंटरटेनमैंट की दुनिया में ही आना था तो डाक्टरी की पढ़ाई करने की क्या जरूरत थी? सिंगिंग की लाइन में कैसे प्रवेश मिला?

डाक्टरी मेरा पुश्तैनी काम है. 12वीं के बाद स्वाभाविक रूप से मैं ने डैंटल कोर्स में दाखिला ले लिया. 2007 में कोर्स पूरा हुआ और उसी साल इंडियन आइडल का पहला सीजन शुरू हुआ. मुझे गाने का शौक था और अच्छा गाता भी था. इसलिए पापा ने कहा कि तुम्हें इस क्षेत्र में कोशिश जरूर करनी चाहिए. मैं ने औडिशन दिया और उस में चुन भी लिया गया. उस साल मैं विनर तो नहीं बना, लेकिन पब्लिक ने मुझे बहुत पसंद किया. इंडियन आइडल के अगले सीजन यानी 2008 में मुझे शो को होस्ट करने का मौका मिला. बतौर होस्ट मुझे काफी पसंद किया गया. उस के बाद मुझे कई अवार्ड शोज होस्ट करने के मौके मिले.

क्या आप को लगता है कि प्रतिभा जन्मजात होती है या फिर इसे निखारा जा सकता है?

मेहनत, कर्म, सपोर्ट और आत्मविश्वास, मैं इन 4 चीजों पर भरोसा करता हूं. लेकिन मेहनत सब से ऊपर है और इस का कोई विकल्प नहीं है. मौका हर किसी को मिलता है, बस, उसे पहचानने की जरूरत होती है. सही मौके पर कदम बढ़ाइए और खूब मेहनत कीजिए. प्रतिभा पर किसी एक का अधिकार नहीं हो सकता.

आप ऐक्टर, सिंगर, होस्ट, डाक्टर इतना कुछ हैं. पढ़ते भी हैं, सोशल मीडिया पर भी हैं, इतना वक्त कैसे निकालते हैं?

वक्त निकालना पड़ता है. इस के लिए आप को खुद के अंदर अनुशासन लाना होगा. यह नहीं कि जो काम अच्छा लग रहा है, उसी में पूरा वक्त खर्च कर दिया. 24 घंटे में अगर आप 7-8 घंटे सोते हैं तो भी 15-16 घंटे बच रहे हैं. 10 घंटे काम करने के बाद और 6 घंटे बच रहे हैं. 6 घंटे में 2 घंटे रोजमर्रा के काम के लिए निकाल दें, तब भी 4 घंटे हैं. जो लोग कहते हैं टाइम नहीं मिलता, वे दरअसल टाइम को मैनेज नहीं कर पाते और खुद को ही धोखा देते हैं. 100 में 5-10 लोग ही वक्त का सही इस्तेमाल कर पाते हैं और वही लोग आगे बढ़ पाते हैं.

सोशल मीडिया और नैट को ले कर आज की पीढ़ी में जबरदस्त क्रेज है, इस का इस्तेमाल कैसे करें कि फायदा मिले?

मेरे खयाल से दोनों का होशियारी से इस्तेमाल करने की जरूरत है. कम समय में आप जो चाहें वह इंटरनैट से हासिल कर सकते हैं और चाहें तो पूरा समय इंटरनैट पर बरबाद कर सकते हैं. जब तलवार दोधारी होती है तो उस का संभल कर प्रयोग करना चाहिए.

9 दिन में 25 फीसदी महंगा हुआ क्रूड ऑयल

पिछले 9 दिनों से क्रूड ऑयल की कीमतों में जारी तेजी सरकार और आम आदमी को एक बार फिर डराने लगी है. 20 जनवरी को 12 साल के निचले स्तर पर फिसलने के बाद से लेकर अब तक क्रूड 25 फीसदी से अधिक महंगा हो चुका है. लेकिन, दुनिया के बड़े बैंक और ब्रोकरेज फर्म अब भी यह मानते हैं कि क्रूड ऑयल की कीमतों पर गिरावट कभी भी हावी हो सकती है.

इसकी मुख्य वजह ईरान से बढ़ती सप्लाई, उत्पादन में कटौती को लेकर संदेह और अमेरिकी डॉलर में मजबूती मानी जा रही है. ऐसे में भले ही पिछले कुछ दिनों में अचानक क्रूड की कीमतों में बड़ी तेजी आई हो, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है.

रूस के एक बयान से क्रूड में आई तेजी

20 जनवरी को 12 वर्षों में पहली बार क्रूड ऑयल 28 डॉलर प्रति बैरल के नीचे फिसल गया और दुनियाभर के बड़े बैंक इसकी कीमत 20 डॉलर तक आने का अनुमान लगाने लगे. इस बीच रूस के ऊर्जा मंत्री का बयान आया और क्रूड की कीमतों में तेजी का सिलसिला शुरू हो गया. ऊर्जा मंत्री ने रूस की एक न्यूज एजेंसी को बताया कि फरवरी में दुनिया के प्रमुख तेल उत्पादक देश कीमतों को लेकर एक बैठक कर सकते हैं, जिसमें 5 फीसदी उत्पादन कटौती को लेकर सहमति बन सकती है. इसके बाद क्रूड की कीमत शुक्रवार को 35 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई.

क्रूड में आई तेजी नहीं टिकाऊ, आएगी गिरावट

रूस के ऊर्जा मंत्री के बयान से क्रूड की कीमतों में तेजी तो आ गई, लेकिन पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के वरिष्ठ अधिकारी ने ऐसी किसी भी बैठक और उत्पादन में कटौती से इंकार किया है. दूसरी ओर विश्‍लेषकों का मानना है कि तेजी के बावजूद मंदी का खतरा है. सिटीग्रुप के रिसर्च हेड (एशिया कमोडिटी) इवान स्जपाकोविस्की ने कहा कि शेल वेल्स के बंद होने और उत्पादन में कटौती की संभावना से क्रूड में आई तेजी को तेजी मानना गलत होगा. उनके मुताबिक ट्रेडिशनल टेक्नोलॉजी के विपरीत शेल ऑयल उत्पादन बढ़ाना आसन है. बंद हुए शेल वेल्स में उत्पादन दोबारा शुरू करना बहुत ही छोटे समय का काम है और अमेरिका में इसकी शुरुआत भी हो चुकी है.

ईरान से बढ़ती सप्लाई और मजबूत डॉलर से क्रूड होगा फि‍र पानी

इवान स्जपाकोविस्की ने कहा कि सिटीग्रुप को लगता है कि आने वाले महीनों के दौरान ईरान 3 लाख बैरल रोजाना क्रूड ऑयल एक्सपोर्ट करने लगेगा. वहीं ईरान ने प्रतिबंध हटने के एक साल के भीतर एक्सपोर्ट को बढ़ाकर 5 लाख बैरल प्रति दिन करने का लक्ष्य रखा है. दूसरी ओर चीन के बाद जापान के सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरें अप्रत्याशित रूप से निगेटिव कर दी हैं. विश्‍लेषकों का मानना है कि अगर कुछ और बैंक ब्याज दरों में कटौती करते हैं तो अमेरिकी डॉलर में मजबूती आएगी और कमोडिटी की कीमतें गिरेंगी, जिससे क्रूड की कीमतों में फि‍र से एक बार गिरावट का नया दौर शुरू होगा.

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