कुछ दिनों पहले बाजार में यह हलचल रही कि जिस नोट पर लिखा गया होगा उसे बैंक स्वीकार नहीं करेंगे. साफसुथरे नोटों के प्रचलन के लिए इसे अच्छा माना जा रहा था लेकिन तभी रिजर्व बैंक ने स्पष्ट कर दिया था कि इस तरह के कोई निर्देश नहीं हैं. इस बार रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने 2005 से पहले के सभी नोट बदले जाने की घोषणा कर के आम लोगों में हलचल पैदा कर दी है.

बाजार से प्रचलित नोटों के वापस लेने की इसी तरह की हलचल 1996 व 1970 शृंखला के नोट बंद करने के निर्देश के दौरान भी रही थी. उस दौरान भी पुराने नोट बदलने की घोषणा की गई थी. इस बार गवर्नर ने बैंकों से कह दिया है कि 2005 से पहले के नोट 31 मार्च के बाद प्रचलन में नहीं रहेंगे. इस तरह 9 साल पुराने और प्रचलन के लिए बाजार में मौजूद 3,785 करोड़ नोट बेकार हो जाएंगे.

केंद्रीय बैंक ने सभी बैंकों को निर्देश दे दिए हैं कि वे 1 अप्रैल से 30 जून तक आमजन के नोट बदलें. उस के बाद एकसाथ 10 नोट जमा करने पर नोट बदलने गए व्यक्ति को अपनी पहचान बतानी होगी. मामला गंभीर लगता है. इस बारे में कहा जा रहा है कि सरकार ने चुनाव के मद्देनजर यह कदम उठाया है लेकिन गवर्नर का कहना है कि लोकसभा चुनाव से इस कार्यवाही का कोई लेनादेना नहीं है.

जानकारों का मानना है कि इस की वजह नकली नोटों के प्रचलन को कम करना है और स्वयं राजन ने भी कहा है कि यह कदम प्रभावशाली नोटों के प्रचलन को कम करना है. और इस का कोई दूसरा मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए. इस का सीधा मतलब काले धन को बाहर निकालना और नकली मुद्रा पर नकेल कसना है.

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