शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे लंबे समय से भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खफा चल रहे थे जिस से शिवसेना और भाजपा के बीच दूरियां बढ़ रही थीं. बीती 24 दिसंबर को नरेंद्र मोदी कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेने मुंबई पहुंचे तो उद्धव ने पहले तो उन के कार्यक्रमों में जाने से इनकार कर दिया था पर शिवसेना के ही कुछ नेताओं ने उन्हें समझाया कि अब इस जिद और ठसक से कुछ हासिल नहीं होने वाला, तो वे नरम पड़े. लेकिन प्रधानमंत्री के आयोजनों में शामिल होने के लिए उद्धव ने बच्चों जैसी जिद ठान ली कि ठीक है, शामिल होऊंगा पर बैठूंगा नरेंद्र मोदी के अगलबगल में. इस हठ को सरकारी तौर पर स्वीकार कर लिया गया. बड़े आदमी के बगल में बैठने से छोटा आदमी भी अपनेआप को बड़ा समझने लगता है. उस के लिए यह मौका किसी उपलब्धि से कम नहीं होता. ऐसे टोटकों से दूरियां कम हों न हों पर उद्धव क्यों मोदी के सान्निध्य के लिए इतने बेचैन थे, यह किसी की समझ नहीं आया.

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