जयपुर में 19 जनवरी से आयोजित होने जा रहे लिटरेचर फैस्टिवल में पहली दफा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े चेहरे मनमोहन वैद्य और दत्तात्रेय होसबोले प्रमुखता से नजर आएंगे. 5 दिवसीय  साहित्यिक जलसे में इस दफा असहिष्णुता के मुद्दे पर ज्ञानपीठ पुरस्कार लौटा चुके साहित्यकार उदय प्रकाश, के सच्चिदानंद और अशोक वाजपेयी आमंत्रित नहीं किए गए हैं.

पिछले 10 वर्षों में ऐसा पहली दफा हो रहा है जब साहित्य और हिंदुत्व का अनूठा संगम देखने को मिलेगा. जब देश बदल रहा है तो उसे हर स्तर पर बदलना चाहिए क्योंकि सत्ता के साथसाथ आस्थाएं और विचारधाराएं भी तो बदल जाती हैं. ढाई सौ के लगभग साहित्यकारों और विचारकों के बीच आरएसएस के ये चिंतक शायद ही बताएंगे कि संस्कृति और साहित्य के माने क्या होते हैं और ये कैसेकैसे एक षड्यंत्र के तहत बदले गए थे. अब इन्हें इन के मूल स्वरूप में ऐसे समारोहों के जरिए पुनर्स्थापित किया जाएगा.

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