महकना और ताजा महसूस करना कभी भी आसान नहीं रहा है. यूरोमोनीटर इंटरनेशनल द्वारा हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में डिओडोरैंट का मार्केट 2011 से 2016 के बीच 177 प्रतिशत की तेज रफ्तार से बढ़ा है. ब्‍यूटी और पर्सनल केयर पर इस रिपोर्ट में क्रीम, शैम्‍पू और फेस वॉश की ग्रोथ का भी अध्‍ययन किया गया है. 2011 में डिओडोरैंट की बिक्री 1130 करोड़ रुपए थी, जो 2016 में तीन गुना बढ़कर 3,130 करोड़ रुपए हो गई. अधिकांश श्रेणियों में दर्ज की गई ग्रोथ में यह सबसे ज्‍यादा है. हालांकि, अन्‍य ब्‍यूटी और ग्रूमिंग प्रोडक्‍ट्स के मुकाबले डिओडोरैंट का बाजार अभी भी छोटा है और कंपनियां 150 रुपए या इससे अधिक कीमत पर इनकी बिक्री कर रही हैं.

भारत में, शरीर की दुर्गंध से सभी परिचित हैं क्‍योंकि यह सर्वव्‍यापी है. कई सालों तक भारतीय परिवारों में दुर्गंधमुक्‍त हरने के लिए टैलकम पावडर जैसे पोंड्स और संतूर का इस्‍तेमाल किया जाता रहा. लेकिन युवा और इच्‍छुक भारतीय, खर्च योग्‍य अधिक धन के साथ, डिओडोरैंट की ओर रुख कर रहे हैं. कीमती परफ्यूम की तुलना में डिओडोरैंट एक सस्‍ता विकल्‍प भी है. वास्‍तव में भारत का पुरुष ग्रूमिंग मार्केट में डिओडोरैंट का वर्चस्‍व है.

बढ़ती मांग को देखते हुए और नीविया, गोदरेज (सिंथोल) और हिंदुस्‍तान यूनीलिवर (एक्‍स और डव) से प्रतिस्‍पर्धा करने के लिए अधिकांश बड़ी कंज्‍यूमर गुड्स कंपनियों आईटीसी (इंगेज) से लेकर मैरिका (सेट वेट) और इमामी (ही) तक ने पिछले पांच सालों के दौराने महिला और पुरुष दोनों के लिए अपने-अपने ब्रांड बाजार में उतारे हैं.

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