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मल्लिका का आरोप

बौलीवुड और हौलीवुड फिल्मों के बाद अभिनेत्री मल्लिका शेरावत इन दिनों टीवी रिऐलिटी शो ‘द बैचलरेट इंडिया–मेरे खयालों की मल्लिका’ में अपना हमसफर ढूंढ़ रही हैं. कम काम के बारे में पूछे जाने पर वे कहती हैं कि मुझे लगता है कि मेरी अट्रैक्टिव पर्सनैलिटी के कारण निर्देशक मुझे सीरियसली नहीं लेते.

उन्हें उम्मीद है कि निर्देशन उन्हें सीरियसली लेंगे और कुछ चैलेजिंग रोल उन्हें मिल सकेंगे. मल्लिकाजी, बहाना अच्छा है. वैसे निर्देशकों को तो चैलेंजिंग अभिनय चाहिए जो शायद आप नहीं कर पाती हैं. खैर, आप कह रही हैं तो मान लेते हैं.   

अलविदा मन्ना

दशकों तक संगीतप्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले प्रबोधचंद डे, जिन्हें दुनिया मन्ना डे के नाम से जानती है, आज दुनिया में नहीं हैं. लंबे समय से बीमार चल रहे मन्ना डे ने 24 अक्तूबर को बेंगलुरु के अस्पताल में आखिरी सांस ली. हिंदी के अलावा बंगाली, मराठी, गुजराती, मलयालम, कन्नड़ और असमिया भाषा में भी उन के मधुर गीत लोकप्रिय हैं.

श्रेष्ठ गायन के लिए कई राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले मन्ना पद्म विभूषण और दादा साहब फाल्के अवार्ड से भी नवाजे जा चुके हैं. हर गीत में अपनी अनोखी आवाज की छाप छोड़ने वाले मन्ना हमेशा याद आएंगे.                       

 

 

लातघूंसे चलाएंगी सोनाक्षी

दबंग गर्ल अब सीधीसादी नहीं दिखेंगी. वे स्टंट करती नजर आएंगी. सोनाक्षी सिन्हा अपनी आने वाली फिल्म ‘आर… राजकुमार’ में गुंडों से फाइटिंग करती हुई दिखेंगी. सोनाक्षी ने स्टंट सीखने के लिए बाकायदा एक स्टंट मास्टर रखा था. सोनाक्षी का बौक्स औफिस पर पूरे साल कब्जा कर ने का इरादा है तभी तो उन की फिल्मों की एक के बाद एक लाइन लगी है.

 

 

किसकिस को किया किस

मटरू की बिजली यानी अनुष्का शर्मा अब लेटैस्ट किसरकिंग सुशांत सिंह राजपूत के साथ किस करती हुई राजकुमार हीरानी की फिल्म ‘पीके’ में दिखेंगी. अनुष्का ने सुशांत के अलावा फिल्म के हीरो आमिर खान के साथ भी एक डीपलौंग किस किया है.

चर्चा यह है कि यह किस बौलीवुड में अब तक का सब से लंबा किस है. हालांकि इस बात में कितनी सचाई है यह कहना अभी मुश्किल है.

 

 

मेहनती दीपिका

 ‘कोचाडीयन-द लीजेंड’ अब तक की सब से बड़ी फिल्म मानी जा रही है. इस फिल्म में दीपिका पादुकोण खास अंदाज में नजर आने वाली हैं. उस में एक डांस की कोरियोग्राफी सरोज खान करेंगी. इस डांस को दीपिका ने लगातार 48 घंटे में शूट किया है. दीपिका के बारे में सरोज खान कहती हैं कि दीपिका काफी मेहनती और प्रोफैशनल हैं. मैं ने अब तक सारे सितारों के साथ काम किया है लेकिन दीपिका की कार्यक्षमता और कुशलता सब से अच्छी है. बहुत कम समय में काफी बेहतरीन और सारे भाव के साथ नृत्य किया है.

 

वार छोड़ न यार

छोड़ न यार, क्या रखा है वार में. भारतपाक सीमा पर हालात वार जैसे हों और दोनों साइडों के सैनिक एकदूसरे से माइक पर अंत्याक्षरी खेल रहे हों तो कोई भी इस सोच में पड़ जाएगा कि यह वार फील्ड है या स्टेज पर हो रहा कोई जलसा. सही समझे आप, इस फिल्म में वार की निरर्थकता को बताते हुए दोनों मुल्कों के बीच आपसी प्यार और भाईचारे की बात कही गई है जबकि भारत और पाकिस्तान को आपस में लड़वाने वाले देश चीन की पोलपट्टी खोली गई है. लेकिन इन सब बातों को गंभीरता से न कह कर मजाकिया स्टाइल में कहा गया है.

वार फील्ड पर बौलीवुड में पहले भी कुछ फिल्में बनी हैं. उन में जेपी दत्ता की ‘बौर्डर’ लाजवाब फिल्म थी. लेकिन इस फिल्म में लगता है, निर्देशक ने पूरा होमवर्क नहीं किया और जल्दबाजी में फिल्म पूरी कर ली.

फिल्म की कहानी राजस्थान से सटी भारतपाक सीमा से शुरू होती है. एक तरफ भारतीय कैप्टन राज वीर सिंह राणा (शरमन जोशी) है तो दूसरी तरफ पाकिस्तानी कैप्टन कुरैशी (जावेद जाफरी) है, जो अपनीअपनी बटालियन के साथ सीमा पर तैनात हैं. एक न्यूज चैनल की रिपोर्टर रुत दत्ता (सोहा अली खान) अपने कैमरामैन के साथ कवरेज के लिए वहां आती है. वहां उसे पता चलता है कि पाकिस्तानी जनरल (दिलीप ताहिल) 2 दिनों के बाद युद्ध का ऐलान कर सकते हैं लेकिन उसे पता चलता है कि वहां युद्ध के हालात कतई नहीं हैं. दोनों साइडों के सैनिकों के बीच मजाक चलता रहता है. माइक पर वे अंत्याक्षरी खेलते हैं. वह अपने टीवी चैनल पर दोस्ती का मैसेज देने लगती है. उधर, पाकिस्तानी जनरल चीन को खुश करने के लिए भारत पर परमाणु बम से हमला कराने के लिए तैयार हो जाता है.  रुत अपने चैनल पर चीन की पोल खोल पाने में कामयाब हो जाती है. दोनों देशों की जनता वार के खिलाफ है. पाकिस्तान को भी परमाणु बम को रोक देना पड़ता है. दोनों देश चीन में बने साजोसामान का बायकाट करते हैं.

मध्यांतर से पहले कहानी कुछकुछ बांधे रखती है. इस हिस्से में जावेद जाफरी के बोले गए संवाद और संजय मिश्रा की कौमिक ऐक्ंिटग कुछकुछ ठीक है, जबकि मध्यांतर के बाद फिल्म चाइनीज प्रौडक्ट्स का बायकौट करने का मैसेज देती प्रतीत होती है. दरअसल, पटकथा ही कमजोर है.

फिल्म का निर्देशन कमजोर है. शरमन जोशी साधारण रहा है. सोहा अली खान भी प्रभावित नहीं करती. निर्देशक को न जाने क्या सूझी कि उस ने वार फील्ड में भी सोहा अली खान और शरमन जोशी के बीच इश्क दिखा दिया. फिल्म का गीतसंगीत बेकार है.  

बौस

अक्षय कुमार ने इस फिल्म में कई जगह कहा है, ‘बौस इज औलवेज राइट’. लेकिन फिल्म देखने पर लगा, ही इज नौट राइट. फिल्म में वह बारबार पानी निकालने की बात भी कहता है जबकि फिल्म में उस ने फिल्म की कहानी का ही पानी सुखा दिया है. कहानी में ऐक्शन की इतनी ज्यादा डोज है कि मुंह से सीसी की आवाज निकलने लगती है और दिमाग कुंद सा होने लगता है.

फिल्म में जब तक सबकुछ बैलेंस न हो तो वह मजा नहीं देती. ‘बौस’ में ऐक्शन, कौमेडी, ड्रामा सबकुछ है परंतु बैलेंस्ड नहीं है. पानी निकालने के चक्कर में सबकुछ घालमेल हो गया है. इमोशंस पर ऐक्शन हावी हो गया है. फिल्म टुकड़ोंटुकड़ों में तो कुछ ठीक लगती है लेकिन औन द होल देखा जाए तो बासी सब्जी में ऐक्शन का जबरदस्ती न छौंक दिया गया है.

अक्षय कुमार का मानना है कि आजकल पब्लिक बहुत स्मार्ट हो गई है जबकि ‘बौस’ में उस ने घिसेपिटे लटकेझटके ही दिखाए हैं. इस तरह की ऐक्शन कौमेडी दर्शक उस की खिलाड़ी सीरीज की फिल्मों और ‘राउडी राठौड़’ में देख चुके हैं. इसलिए बौस, इस ‘बौस’ को देखना ही है तो दिमाग को घर पर रख कर जाना.

मलयालम फिल्म ‘पोकरी राजा’ पर आधारित इस फिल्म की कहानी पर ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है. बौस (अक्षय कुमार) को बचपन में उस के पिता सत्यकांत शास्त्री (मिथुन चक्रवर्ती) ने घर से निकाल दिया था. बौस को पनाह दी बिगबौस (डैनी) ने. सत्यकांत का एक और बेटा है शिव (शिव पंडित) जिसे एसीपी आयुष्मान (रोनित राय) की बहन अंकिता (अदिति राव हैदरी) से प्यार हो जाता है. गृहमंत्री प्रधान (गोविंद नामदेव) प्रधान अंकिता की शादी अपने बेटे से कराना चाहता है, इसीलिए वह एसीपी के जरिए बौस के भाई शिव को अरैस्ट कर उस पर जुल्म करता है. एसीपी शिव को जान से मारना चाहता है. उधर सत्यकांत बौस के पास अपने छोटे बेटे शिव की जान बचाने के लिए आता है. अब शुरू होता है बौस और आयुष्मान के बीच चूहेबिल्ली का खेल. कुरुक्षेत्र के मैदान में दोनों का युद्ध होता है और बौस एसीपी आयुष्मान को खत्म कर डालता है.

फिल्म के क्लाइमैक्स में कुरुक्षेत्र में हुई यह लड़ाई महाभारत के मिथक के साथ मजाक करती प्रतीत होती है. फिल्म की पूरी कहानी घिसीपिटी है जिसे तेज गति दे कर और ऐक्शन सीनों के सहारे ही लंबा खींचा गया है.

अक्षय कुमार ने फाइटिंग कर कुछ तालियां जरूर बटोरी हैं लेकिन ‘पानी’ निकालने वाला द्विअर्थी डायलौग बोल कर ठीक नहीं किया. फिल्म का फर्स्ट हाफ कुछ ठीक है. अक्षय कुमार को हरियाणवी गुंडे का लुक दिया गया है जिस के पास बहुत से ट्रक हैं. एक खुले मैदान में पचासों ट्रक खड़े कर के उन पर छलांगें लगा कर अक्षय कुमार का जौगिंग करना रोमांचक बन पड़ा है. रोनित राय का काम भी अच्छा है. मिथुन के करने लायक फिल्म में कुछ ज्यादा नहीं है.

फिल्म का गीतसंगीत पक्ष अच्छा है. फिल्म में एक गाने के बोल हैं, ‘हम न छोड़ें, तोड़ें, फोड़ें जो भी हम से पंगा ले…’ को जोश में गाया गया है. एक अन्य पार्टी सौंग में सोनाक्षी सिन्हा की अपीयरैंस अच्छी लगती है. फिल्म के अंत में सोनाक्षी सिन्हा के साथ ही ‘जांबाज’ फिल्म का गाना ‘हर किसी को नहीं मिलता प्यार जिंदगी में…’ डाला गया है. यह गाना भी अच्छा बन पड़ा है.

 

मिकी वायरस

यह कौमिक थ्रिलर फिल्म कंप्यूटर हैकर्स के कारनामे दिखाती है. हैकिंग पर बनी यह पहली फिल्म है. पिछले कुछ सालों से यह तकनीक हर घर तक पहुंच गई है. हर घर में, हर व्यक्ति के पास मोबाइल फोन, टैबलेट, कंप्यूटर जैसे गैजेट्स हैं. अधिकांश ट्रांजैक्शंस औनलाइन होने लगे हैं. ऐसे में हैकिंग के मामले भी काफी बढ़ चले हैं. यह फिल्म दिखाती है कि हैकिंग की दुनिया कितनी बड़ी है. दुनिया के बड़ेबड़े हैकर्स किस तरह किसी भी बैंक अकाउंट से कईकई सौ करोड़ रुपए उड़ा ले जाते हैं.

फिल्म की विशेषता इस की कहानी है. कहानी भले ही जलेबी की तरह घुमावदार है लेकिन आज के युवाओं के आलसीपन को दर्शाती है. आज का युवा बैठेबिठाए सबकुछ पा लेना चाहता है. उस के पास एक से बढ़ कर एक गैजेट्स मौजूद हैं.

हर वक्त वह पैनड्राइव जेब में डाले घूमताफिरता है. वह डैस्ट्रक्टिव माइंड का हो चला है. कभी भी, कहीं भी वायरस छोड़ कर किसी के भी सिस्टम को करप्ट करने में उसे मजा आता है.

‘मिकी वायरस’ एक ऐसे ही युवक मिकी (मनीष पाल) की कहानी है, जो हर वक्त खाली घूमता रहता है, खुराफातें करता रहता है. उस की जेब में पैनड्राइव रहती है जिस में वायरस घुसे रहते हैं. वह हैकिंग ऐक्सपर्ट है. उस के कुछ दोस्त भी उसी जैसे हैं. चटनी (पूजा गुप्ता), फ्लौपी (राघव कक्कड़) और पैंचो (विकेश कुमार) के साथसाथ एक गुरु प्रोफैसर (नीतेश पांडे) उस के दोस्त हैं.

एक दिन पुलिस को 2 अनजान विदेशियों की लाशें मिलती हैं. पता लगता है कि ये दोनों हैकर्स थे और भारत आए थे. मामले की तहकीकात एसीपी सिद्धांत (मनीष चौधरी) और इंस्पैक्टर भल्ला (वरुण वडोला) करते हैं. उन्हें किसी भ्रम गैंग की तलाश है. वे मिकी को ढूंढ़ निकालते हैं और उस की मदद से हैकर्स का पता लगाने की कोशिश करते हैं. इसी दौरान मिकी की मुलाकात कामायनी (एली अवराम) से होती है. एक दिन कामायनी गलती से एक बड़ी रकम किसी दूसरे के अकाउंट में ट्रांसफर कर बैठती है. मिकी उस की मदद कर पैसा वापस सही अकाउंट में ले आता है. यहीं से मिकी मुसीबतों में फंस जाता है. कामायनी की हत्या हो जाती है. सबूत मिकी की ओर इशारा करते हैं. लेकिन मिकी मामले की तह तक पहुंच जाता है और उसे पता चल जाता है कि एक बड़ी रकम को हैक करने के पीछे कौनकौन लगे हुए हैं. यहां तक कि एसीपी सिद्धांत भी उस रकम को हासिल करना चाहता है. वह सभी हैकर्स के साथसाथ एसीपी को भी गिरफ्तार कराता है.

फिल्म की इस कहानी में सस्पैंस अंत तक बनाए रखा गया है. कहानी दिलचस्प है. लेकिन निर्देशक ने कहानी को शुरू में बेवजह लंबा खींचा है. फर्स्ट हाफ में पता ही नहीं चल पाता कि कौन क्या कर रहा है. मध्यांतर के बाद हैकर्स को पकड़ने वाले सीक्वैंस ड्रामेटिक बन पड़े हैं. मध्यांतर के बाद फिल्म गति पकड़ती है.

हैकर्स द्वारा बनाए गए और आजमाए गए नएनए गैजेट्स दिखा कर निर्देशक ने दर्शकों को नई जानकारी दी है. फिल्म में अच्छे ग्राफिक्स का इस्तेमाल किया गया है. निर्देशन कुछ हद तक अच्छा है. फिल्म के संवाद भी अच्छे हैं. बीचबीच में हंसी की फुलझडि़यां छूटती रहती हैं.

फिल्म में किरदारों के नाम अटपटे रखे गए हैं जैसे स्यापा, चटनी, फ्लौपी आदि. सारे किरदार इंटरनैटी भाषा का इस्तेमाल करते हैं. आधुनिक जीपीआरएस सिस्टम का इस्तेमाल कर अपराधी को दबोचते हुए दिखाया गया है.

फिल्म का उद्देश्य मात्र साइबर क्राइम दर्शाना है. इस क्राइम से कैसे खुद को सुरक्षित रखा जाए, फिल्म में इस का जिक्र नाममात्र को भी नहीं है. मनीष पाल टीवी कलाकार है. यह उस की पहली फिल्म है. वह लफंडर ज्यादा लगा है, हैकर कम. अभिनय में वह काफी कमजोर रहा है. एली अवराम भी कुछ खास नहीं कर पाई.

फिल्म का गीतसंगीत औसत है. ‘प्यार… चाइना का माल है…’ गीत सुनने में भले ही अजीब लगे पर फिल्म से मैच करता है. छायांकन अच्छा है.

 

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